और उसने उस सुरंग में प्रवेश कर लिया इस सुरंग में मौजूद सिड़ियों के जरिए गर्व नीचे की तरफ जाने लगा उसके पीछे-पीछे अधिकारी आकाश सिंह और राजा वीर प्रताप सिंह के साथ वहा मौजूद दूसरे अधिकारीयो ने भी वहा पर प्रवेश कर लिया वह सारे सीडीओ के जरिए नीचे की तरफ बढ़ने लगे यह सुरंग बहुत ही लंबी बनी हुई होती है वह लगातार आधे घंटे तक नीचे की तरफ उतरते रहे यह सुरंग अंदाजे 2 किलोमीटर तक लंबी होगी गर्व जल्द ही नीचे उतर गया उसने देखा कि यहां पर एक बहुत बड़ी जगह मौजूद होती है और यह एक गुफा नुमा जगह होती है इसकी लंबाई तकरीबन 2 किलोमीटर लंबी हो सकती है यहां कई सारे तरह के यंत्र लगे हुए थे जहां पर कई सारे लोग काम कर रहे होते हैं वह सारे के सारे वैज्ञानिक होते हैं या राजा का गुप्त अड्डा होता है जहां पर कई सारे गुप्त वैज्ञानिक प्रयोग किए जाते है यह देखकर गर्व की जान में जान आ गई एक वैज्ञानिक प्रयोगशाला होती है इसलिए गर्व को यहां पर राजा वीर प्रताप सिंह सबके सामने तो नहीं मार सकते हैं तभी गर्व के कंधों को किसने थपथपाया गर्व ने पीछे मुड़कर देखा तो यह अधिकारी आकाश सिंह था उसने गर्व से कहा तुम्हें क्या लगा कि हम सब मिलकर तुम्हें मार देंगे इतना कहकर वहां मौजूद आकाश सिंह के साथ राजा वीर प्रताप सिंह भी जोर से हंस पड़े वह 1 मिनट तक लगातार हंसते रहे गर्व को भी लगा कि यह सब उसके साथ मजाक कर रहे हैं उसने भी हंसकर कहा नहीं नहीं मुझे मेरे राजा वीर प्रताप सिंह पर पूरा भरोसा है वह कुछ भी गलत काम नहीं कर सकते हैं गर्व के इतना कहते ही वहां मौजूद लोगों ने हंसना बंद कर दिया फिर राजा वीर प्रताप सिंह गर्व के करीब गए और उन्होंने गर्व के कंधों को थपथपाते हुए कहा अरे डरो मत हम सब तो तुमसे मजाक कर रहे थे हम ऐसे कैसे तुमको मार सकते हैं तुम तो हमारे राज्य के असली नायक हो तुम्हारे ही वजह से हम सभी यहां पर जिंदा है हम तो तुमसे सिर्फ एक विनती करना चाहते है विनती कैसी विनती आप सिर्फ बताओ की करना क्या है मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा उस काम को सफल करने के लिए गर्व ने राजा से कहा अरे ज्यादा कुछ नहीं हमें तो बस उन हथियारों के बारे में जानना है जिसे तुम ने उनको उन हत्यारोंसे लड़ते वक्त इस्तेमाल किया था उतने खतरनाक हथियार तो हमारे राज्य के बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी नहीं बना सकते है अगर हमें उन हथियारों की तकनीक मिल गई तो हम भविष्य में हमारे राज्य के ऊपर आने वाली हर समस्या का आसानी से सामना कर सकते हैं पर तुमने उन हथियारों का आविष्कार किया कैसे उनके बारे में तो हमारी वैज्ञानिक भी सोच नहीं सकते हैं बस परिस्थितियां ही तुमको सब कुछ सिखा देती है गर्व ने शांति से राजा वीर प्रताप सिंह को जवाब दिया इसके बाद राजा वीर प्रताप सिंह ने गर्व को वहां पर मौजूद खुली हुई जगह पर लेकर गए यह जगह 200 मीटर की खुली जगह होती है और यहां पर कई तरह के प्रयोग किए जाते हैं इस वक्त यहां पर कई सारे यंत्रों का प्रयोग भी किया जा रहा था यहां पर आजू-बाजू बैठने के लिए भी जगह थी गर्व देखता है कि वहां पर 10 से 15 केंद्रीय सत्ता के अधिकारी भी पहले से बैठे हुए थे फिर राजा वीर प्रताप सिंह वहां मौजूद सारे वैज्ञानिकों को अपने प्रयोगों को खत्म करने का आदेश देता है और वैज्ञानिक विक्रांत को अपने पास आने का आदेश देते हैं वहां मौजूद वैज्ञानिक विक्रांत ने पहले ही गर्व के साथ राजा वीर प्रताप सिंह को देख लिया था वह समझ गया कि अब गर्व के हथियारों का प्रयोग करने का वक्त आ गया है और यह समझ कर वह काफी उत्साहित हो गया वह तुरंत ही राजा वीर प्रताप सिंह के पास आ गया राजा ने उसको गर्व की मदद करने का आदेश दिया यह सुनकर वहां मौजूद बाकी के वैज्ञानिक भी गर्व की तरफ आश्चर्य से देखने लगे क्योंकि वैज्ञानिक विक्रांत एक वरिष्ठ और अनुभवी वैज्ञानिक होता है भला कोई किशोर लड़का किसी भी वैज्ञानिक का मुकाबला कैसे कर सकता है वह तो गर्व का विरोध करना चाहते थे और साथ में उसकी बेइज्जती भी करना चाहते थे और खुद राजा वीर प्रताप सिंह ने वैज्ञानिक विक्रांत को आदेश दिया था इसलिए वह इसका विरोध भी नहीं कर सकते थे उन्होंने वैज्ञानिक विक्रांत के चेहरे के तरफ देखा देखा उन्हें लगा कि अपनी बेइज्जती होने के बाद वैज्ञानिक विक्रांत काफी गुस्से में और नाराज होंगे पर वह तो काफी उत्साहित और उत्तेजित लग रहे थे उनके तरफ देखकर वहां मौजूद सारे वैज्ञानिकों को आश्चर्य का धक्का लगा वह विक्रांत से सवाल पूछना चाहते थे पर वह ऐसा नहीं कर सकते थे फिर वह सारे वैज्ञानिक उस जगह से दूर हो गए और वह भी यह देखने लगे की गर्व आखिर क्या कर सकता है जो कि राजा वीर प्रताप सिंह ने वैज्ञानिक विक्रम को उसकी मदद करने का आदेश दिया गर्व तुरंत ही उस खुले जगह में पहुंच गया उसने तुरंत ही विक्रांत को उस नीलम पत्थर को लाने को कहा जिसको उसने राज महल में प्रवेश करने से पहले ही अधिकारी आकाश सिंह को वापस किया था विक्रांत ने तुरंत ही गर्व को वह नीलम पत्थर लाकर दिया और उसको अपने सीने में बांध दिया और साथ ही उसने उस नीलम पत्थर पर वहां मौजूद सारी कई सारी रस्सियो को भी बांध दिया जिनको विक्रांत ने गर्व को लाकर दिया था वैज्ञानिक विक्रांत को पहले से ही मालूम था कि गर्व को किन-किन चीजों की जरूरत पड़ सकती है इसलिए वह सारे काम फटाफट करने लगा गर्व ने तुरंत उन रस्सियों के दूसरे छोर को चाकू से बांध दिया फिर गर्व अपनी जादुई शक्तियों से उन चाकुओं को नियंत्रित करने लगा पहले उसने 10 चाकू को हवा में उठाया फिर 20-40 ऐसे करते करते उसने सौ चाकुओं को हवा में उठा दिया इन सारे चाकूओ को गर्व अपनी जादुई शक्तियों से नियंत्रित करने लगा वह इन चाकूओ की नोक को हवा में ऊपर नीचे कहीं पर भी घुमा सकता था फिर गर्व ने उन चाकुओं के निशाने को वहां पर रखे लोहे से बने पुतली पर कर दिया वहां पर 50 से भी ज्यादा लोहे के आदमियों के जैसे पुतले बने हुए थे वहां मौजूद सारे वैज्ञानिक इस वक्त गरबा की तरफ तुच्छता के भाव से देखे जा रहे थे यह क्या है यह तो कोई भी जादुई शक्ति वाला सैनिक कर सकता है राजा ने इसमें ऐसा क्या देख लिया जो इसको इधर आने की इजाजत दे दी वह ऐसा सोच रहे थे कि उन चाकूओ की नोक से नीली ऊर्जा की गोलियां निकलना चालू हो गई और वह गोलियां वहां मौजूद हर लोहे से बने पुतलो का निशाना लेते जा रहे थे गर्व ने उन पुतलो पर ऊर्जा की गोलियों की बारिश कर दी कर दी वह सारे लोहे के पुतले जलकर पिघल गए और वह लोहे के पुतले लाल रंग के लावा में बदल गए गर्व ने तुरंत ही उस लावा को अपनी बर्फीली तलवार की मदद से ठंडा कर दिया जिसकी वजह से इस लावा की वजह से वहा किसी को भी चोट ना पहुंचे यह देखकर तो वहां मौजूद बाकी के वैज्ञानिकों के मुंह खुले के खुले रह गए ऐसे हथियार के बारे में तो उन्होंने अपने सपने में भी सोचा नहीं होगा इस हथियार के जरिए तो युद्ध भूमि में हजारों सैनिक एक साथ मारे जा सकते है राजा वीर प्रताप सिंह ने इस हथियार को पहले भी देखा था जब वह कारागार की जमीन नीचे धंस गई थी और उसी जमीन के अंदर से गर्व किसी योद्धा की तरह बाहर आया था और उन तांडव कबीले के हत्यारों का कत्लेआम करना चालू कर दिया था पर फिर भी वह खुद को रोक नहीं पाए और वह अपने जगह पर खड़े होकर ताली बजाने लगे उन्हें देखकर वहां मौजूद बाकी के अधिकारी भी खड़े होकर ताली बजाने लगे इस वक्त वहां मौजूद वैज्ञानिकों के मन में गर्व के प्रति काफी नफरत का भाव उत्पन्न हो गया था और वह इस बात से इंकार नहीं कर सकती थी कि गर्व ने बहुत ही खतरनाक हथियार का आविष्कार किया है जिसकी मदद से एक साथ कई सारे लोग परलोक को सिधार सकते हैं यह हथियार पूरी युद्ध के नतीजे को पल भर में बदल सकता है इस नीलम पत्थर से यह भी हो सकता है यह वह सोच भी नहीं सकते थे जल्द ही गर्व ने वैज्ञानिक विक्रम को एक गदा को लाने के लिए कहा फिर वैज्ञानिक विक्रांत ने एक गद्दा गर्व के सामने लाई जिसको गर्व ने पहले ही अधिकारी आकाश सिंह को थी जिसकी मदद से गर्व ने कालीचरण का सामना किया था फिर गर्व ने इस गदा के ऊपर की गेंद में ऊर्जा को प्रवाहित करना शुरू कर दिया थोड़ी देर में उस गदा में पूरी तरह से नीली उर्जा भर गई और वह तेज रोशनी से चमकने लग गई पर वह इस गदा का उपयोग नहीं कर सकता था क्योंकि अगर उसने यहां पर इसका उपयोग किया तो यह पूरी जमीन धसकर नीचे गिर जाएगी और सारे के सारे लोग मारे जाएंगे फिर गर्व ने वहां पर खड़े एक केंद्रीय अधिकारी को अपने पास बुलाया और उसे अपने तलवार का प्रयोग इस गदा पर करने के लिए कहा यह सुनकर तो वह अधिकारी हंस पड़ा उसने कहा कि क्या तुम सच में चाहते हो कि मैं मेरी तलवार का इस गदा पर प्रयोग करू गर्व की बातों को सुनकर वहां मौजूद सारे लोगों के भी कान खड़े हो गए क्योंकि सबको मालूम होता है कि उन अधिकारियों की तलवार कितने ताकतवर होती हैगर्व ने उस अधिकारी से कहा तुम अपनी तलवार में से इस अदा पर अग्नि की बौछार करो पर ज्यादा मात्रा में नहीं यह गदा जितनी सह सकती है तुम्हें उतनी ही मात्रा में इस पर अग्नि की बौछार करनी है ठीक है उस अधिकारी ने कहा फिर उसने अपनी तलवार को अपनी से निकाल दिया उसने गर्व की तरफ देख कर कहा तैयार हो जाओ और उसने अपनी तलवार की नोक को गर्व की गदा की ओर घुमा दि उस तलवार की नोक से एक अग्नि की ज्वाला प्रकट हो गई और वह गर्व के करीब बढ़ने लगी इस ज्वाला में ज्यादा ऊर्जा नहीं होती है गर्व ने अपनी अपनी तरफ आने वाले इस अग्नि की ज्वाला को अपनी गदा का इस्तेमाल करते हुए रोक दिया वह अग्नि की ज्वाला गर्व की गदा की गेंद पर जाकर रुक गई उस अग्नि की ज्वाला का गर्व की गदा पर कोई भी असर नहीं पड़ रहा था यह देखकर वहां मौजूद वैज्ञानिकों के साथ सारे लोग गर्व की तरफ उत्सुकता से देखने लगे वह अग्नि की ज्वाला सिर्फ 2 सेंटीमीटर ही बड़ी थी और वह उस तलवार से निकलकर लगातार गर्व की गदा पर गिरती जा रही थी पर उसका उस गदा पर कोई भी असर नहीं पड़ रहा था