अचानक उस कामराज की ऊंचाई छोटी होती गई यह गर्व पहले भी देख चुका होता है वह तुरंत उस पेड़ के नीचे उतर गया कामराज की ऊंचाई 50 मीटर से घटते जा रही थी और वह अब 40 मीटर की हो चुकी थी इस वक्त गर्व भी केंद्रीय अधिकारी की इमारत की तरफ दौड़ रहा था उसके सामने इस वक्त वह सैनिक दौड़े जा रहे थे वह इस वक्त तक उस इमारत की सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर रहे गए थे अचानक गर्व के पीछे से फिर से कामराज की दहाड़ने की आवाज आई गर्व सामने की तरफ दौड़ते दौड़ते पीछे देखने लगा गर्व ने देखा कि वह कामराज उसके 3 किलोमीटर की ही दूरी पर है और उसकी ऊंचाई 50 मीटर से घटकर 40 मीटर की हो चुकी है और साथ ही उसके शरीर के कई हिस्सों में से पत्थरों के चाबुक बाहर निकले हुए हैं और उन चाबूको ने उसके सिर पर जो बर्फ जमा हुआ होता उसको भी तोड़ दिया होता है इसके बाद उस कामराज ने फिर से एक बार जोर से दहाड़ मारी थी उसने आसमान की तरफ देखकर दहाड़ मारी होती है जिसकी वजह से जो आसमान में काले बादल होते हैं वह छटकर बाजू की तरफ हो गए थे उस दहाड़ने की आवाज केंद्रीय अधिकारी की इमारत की तरफ भी पहुंची होगी जैसे ही वह ऊंची आवाज में दहाड़ा उसके शरीर के जो चाबुक होते हैं उसके शरीर के चारों तरफ घूमने लगे और उसके आजू बाजू जो पेड़ मौजूद होती है वह उन पत्थरो के चाबूको के कारण कटने लगे उसके आजू बाजू के 40 मीटर में जो कोई भी पेड़ मौजूद होते हैं वह उस चाबूको के कारण देखते ही देखते कट गए और हवा में चारों दिशाओं में उड़ गए और वह पेड़ हवा में उड़ते हुए गर्व और वहां से दौड़ रहे सैनिकों की दिशा में भी बढ़ते जा रहे थे अब तक गर्व उन सैनिकों के पास पहुंच ही गया होता है उन सैनिकों को लगा कि यह उनको ही मारने उनके पीछे पीछे आया है वह इस वक्त उन सैनिकों को साफ साफ दिखाई दे रहा था क्योंकि गर्व उन सैनिकों के बहुत ही करीब पहुंच चुका होता है और उन सैनिकों की कवच से प्रकाश बाहर की तरफ आ रहा होता है उसके सिमा में गर्व का शरीर आ चुका होता है गर्व जैसे ही उन सैनिकों के पास आया उन सैनिकों ने अपनी हथियार निकाल दिए और वह अपने हथियारों को पकड़कर आगे की तरफ दौड़ते जा रहे थे पर वहां पर आकाश की दिशा से उन पर पेड़ गिरने लगे यह वही कामराज के तोड़े हुए पेड़ होते हैं जो कि 3 किलोमीटर की दूरी से उनकी तरफ आ रहे होते है उन सैनिकों ने सोचा कि यह क्या मुसीबत है एक तरफ यह हत्यारा हमारे पीछे पड़ा है और दूसरी तरफ ऊपर आसमान से पेड़ भी गिरे हैं तभी गर्व ने उन सैनिकों की तरफ गिर रहे पेड़ों को अपनी बर्फीले तलवार की मदद से हवा में ही रोक दिया जिसके कारण वहां पर से दौड़ रहे सैनिकों को वक्त मिल गया और वह आगे की तरफ दौड़ पड़े और गर्व भी उनके पीछे-पीछे केंद्रीय अधिकारी की इमारत की तरफ दौड़ पड़ा वह सारे समझ नहीं पा रहे होते हैं कि यह उन तांडव कबीले का हत्यारा होते हुए भी उसने अभी-अभी उनकी जान क्यों बचाई है क्योंकि उन्होंने पहले ही देखा होता है कि उन हत्यारों ने कैसे उनकी आधे से ज्यादा लोगों को मार दिया होता है फिर यह हत्यारा क्यों उन लोगों की जान बचाने की कोशिश कर रहा है यह उन्हें समझ में नहीं आ रहा था गर्व ने जैसे ही उन पेड़ों के नीचे बर्फ की सतह बनाई वह सतह ज्यादा देर पेड़ों के वजन के कारण टिक नहीं पाई और वह थोड़ी ही देर में नीचे गिर गई इसको वहां पर दौड़ते जा रहे सैनिकों ने भी देखा इसके ही कारण उन्हें आगे की ओर भागने के लिए वक्त मिला होता है कामराज भी उस वक्त अपने शरीर के चाबूको को चारो ओर चलाते हुए आगे की ओर सैनिकों और गर्व की तरफ बढ़ते जा रहा था उसके आजू बाजू मौजूद पेड़ कामराज के चाबुको के चलने के कारण हवा में चारों तरफ फैलते जा रहे थे और वह गर्व की तरफ और सैनिकों की तरफ बढ़ते जा रहे थे गर्व फिर से उन सैनिकों के नीचे गिर रहे की पेड़ो के नीचे बर्फ की सतह बनाते जा रहा था जिसकी वजह से उन सैनिकों को भागने के लिए वक्त मिलते जा रहा था अब तक वह सैनिक उस केंद्रीय अधिकारी की इमारत से 10 किलोमीटर की दूरी तक पहुंच चुके होते हैं उसके इमारत के 2 किलोमीटर के दायरे में केंद्रीय अधिकारियों की सुरक्षा होती है अगर यह सैनिक वहा तक पहुंच जाते हैं तो उनकी जान बच सकती है वह कामराज अभी भी किसी तूफान की तरह उन सैनिकों के और गर्व के पीछे भाग रहा होता है और गर्व लगातार उन सैनिकों की रक्षा करते जा रहा था साथ ही गर्व अपने पीछे की जमीन पर भी बर्फ भी बिछाते जा रहा था जिससे कि उस कामराज को आगे की तरफ दौड़ने में परेशानी हो पर इसका कोई भी प्रभाव कामराज के ऊपर नहीं हो रहा था गर्व ने रास्ते में बिचाई हुई बर्फीली सतह टूट टूट कर हवा में बिखरते जा रही होती है और वह कामराज अभी भी गर्व का पीछा कर रहा होता है जब उस केंद्रीय अधिकारी की इमारत से गर्व की दूरी सिर्फ 8 किलोमीटर रह गई थी तब गर्व का माथा ठनक गया वह तो और भागते भागते तंग आ चुका था उसे अपने भरतपुर राज्य में मंदार पहाड़ियों पर से भागने के दिन याद आ गए और वह एक जगह पर रुक गया वह जैसे ही रुक गया उसके सामने मौजूद सैनिकों ने उसकी तरफ देखा गर्व ने उनको देखकर ऊंची आवाज में कहा रुको मत भागो यहां से वह सारे सैनिक एक बात तो समझ गए थे कि वह उनका दुश्मन तो नहीं हो सकता है वह उनका हित चिंतक ही है जो कि उन लोगों की मदद कर रहा है गर्व फिर अपनी जगह पर खड़े रहकर अपनी तलवार को लेकर तैयार हो गया फिर गर्व ने भी अपनी तलवार की नोक को आसमान की तरफ कर दिया और आसमान में जो भी काले बादल होते हैं वह वहां पर एक जगह पूरी तरह से जमा होने लगे जिसके कारण आसमान की चांदनीयो को भी साफ-साफ देखा जा सकता था और वह सारे के सारे बादल आसमान में जमा होगा नीचे जमीन की तरफ जाने लगे वो बादल सीधा गर्व की तलवार की तरफ बढ़ते जा रहे थे वहां से दौड़ रहे सैनिकों की भी उन पर नजर पड़ती है उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि यह अब क्या हो रहा है और देखते ही देखते कामराज नाम का तूफान गर्व की तरफ पहुंच गया और गर्व ने भी उस तूफान पर अपनी तलवार से बर्फीला तूफान गिरा दिया आसमान में जो बादल जमा हुए थे वह गर्व की तलवार पर जाकर पूरी तरह से बर्फ में बदल गए और उसी बर्फ को गर्व ने अपनी तरफ बढ़ रहे कामराज की तरफ गिरा दिया पर क्योंकि कामराज के शरीर के चारों तरफ उसके पथरीले चाबुक घूम रहे होते हैं और उसकी गति भी ज्यादा होती है अपनी तरफ आ रहे इस बर्फ के समुंदर को कामराज ने अपने चाबूको की मदद से काट कर रख दिया जिसकी वजह से वह सारा बर्फ आसमान में और हवा में चारों तरफ फैल गया इनमें से कोई कोई बर्फ के टुकड़े केंद्रीय अधिकारी की इमारत की तरफ भी बढ़ते जा रहे थे भले ही कामराज ने बर्फीले तूफान को काट कर रख दिया था पर उसकी गति पहले के मुकाबले कम हो गई थी वह इतनी तेजी से हलचल नहीं कर पा रहा होता है फिर भी उस कामराज ने अपने सारे पथरीले चाबुको को समेटा और अपने सामने खड़े गर्व की तरफ फिर से हमला बोल दिया गर्व ने इस वक्त फिर से अपनी बर्फीली तलवार में आसमान के बादलों की मदद से बर्फ के तूफान को समेटा हुआ था और उसने फिर से इस तूफान को कामराज के ऊपर गिरा दिया फिर से कामराज नाम का तूफान और गर्व का बर्फीला तूफान आपस में टकरा गया और फिर से हवा में और आसमान में चारों तरफ बर्फ के टुकड़े फैल गए दूर से देखे तो ऐसा लग रहा होता है कि जंगल के बीचो-बीच दो तूफान एक दूसरे से टकरा रहे हैं और जिसकी वजह से जंगल में तबाही आ गई है इस वक्त केन्द्रीय अधिकारी के इमारत में मौजूद लोगों की भी इस जंगल में आए तूफान पर नजर चली गई होती है वह समझ चुके होते है की वहां पर कोई संकट आ गया है और वह उनकी तरफ ही बढ़ सकता है और वह भी अपनी तैयारी करने में लग गए अब वह सैनिक दौड़ते दौड़ते उस इमारत के सिर्फ 5 किलोमीटर की दूरी पर रह गए थे गर्व भी फिर उस कामराज को छोड़कर उन सैनिकों के पीछे-पीछे केंद्रीय अधिकारी की इमारत के तरफ दौड़ पड़ा क्योंकि इस वक्त इतने सारे बर्फ का सामना करते करते उस कामराज के शरीर का हर अंग अकड़ चुका होता है उसे अपने शरीर को हिलाने में थोड़ी तकलीफ होते जा रही होती है पर गर्व उससे लड़ने का फैसला नहीं करता क्योंकि वह कामराज गुस्से में होने के कारण कुछ भी कर सकता है और अगर वह एक बार केंद्रीय अधिकारी की इमारत के अंदर पहुंच गया तो वह केंद्रीय अधिकारी गर्व की सुरक्षा भी कर सकते हैं इसलिए वह केंद्रीय अधिकारी की इमारत की तरफ भागे जा रहा था वह कामराज अपने शरीर की अकड़न से तुरंत ही ठीक हो गया उसके नजर में गर्व एक कीड़ा होता है जिसको वह कभी भी मसल कर मार डाल सकता है फिर उसने अपने हाथों से वहां मौजूद एक पेड़ को उखाड़ दिया इस पेड़ की ऊंचाई 70 मीटर के करीब होती है और इस पेड़ को उसने गर्व की तरफ किसी भाले की तरह फेंक दिया इस भाले का निशाना गर्व पर ही होता है वह गर्व के शरीर की तरफ बढ़ रहा होता है गर्व ने तुरंत ही अपने शरीर के पीछे बर्फ की एक दीवार बना दी यह दीवार 7 मीटर लंबी होती है और फिर से गर्व सामने की तरफ दौड़ने लगा वो पेड़ सीधा उस 7 मीटर मोटी बर्फ की दीवार के अंदर फस गया और वह पेड़ उस दीवार को तोड़ते हुए आगे की तरफ बढ़ने लगा उस दीवार को पूरी तरह से तोड़कर वह गर्व के शरीर की तरफ बढ़ने लगा क्योंकि इस वक्त गर्व का पूरा ध्यान सामने की तरफ दौड़ने में होता है इसलिए उसका अपने पीछे की तरफ कोई भी ध्यान नहीं होता है वहां पर वह पेड़ उस दीवार को तोड़कर गर्व के शरीर की तरफ बढ़ गया और उसने गर्व के शरीर को धक्का दे दिया जिसके कारण गर्व सामने की तरफ धक्का लगने के कारण गिर पड़ा पर उस पेड़ की गति उस बर्फीले दीवार पर टकराने के कारण पहले से बहुत कम हो गई थी जिसके कारण गर्व को ज्यादा चोट नहीं आई और उसके शरीर की कुछ पत्थर टूट कर बिखर गए