Chapter 4 Saagar ki supari

अभिमन्यु और सागर एक छोटे से कमरे में बैठे थे, चारों तरफ अंधेरा पसरा हुआ था, और बस एक लैपटॉप की स्क्रीन से निकलती हल्की रोशनी दोनों के चेहरों को रौशन कर रही थी। सागर ने स्क्रीन पर कुछ डेटा देखना शुरू किया और अभिमन्यु के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान देख कर कहा, "ये तो बहुत ही सही है। इससे मिलिट्री को काफी फायदा होने वाला है।"

अभिमन्यु ने सिर हिलाते हुए सहमति जताई, "बिलकुल, ये सारी जानकारियां अगर सही तरीके से इस्तेमाल की जाएं, तो हमारे मिशन को बहुत बड़ी मदद मिलेगी।"

सागर ने अपने चेहरे पर थोड़ी गंभीरता लाते हुए कहा, "वैसे, तुमने युवान रायजादा का नाम सुना है?"

अभिमन्यु ने कुछ पल सोचते हुए जवाब दिया, "नहीं, मुझे इस नाम का कोई बंदा याद तो नहीं आ रहा। कौन है ये?"

सागर ने गंभीर लहजे में कहा, "वो रायजादा परिवार का वारिस है। दिल्ली के चार सबसे बड़े परिवारों में से एक। एक जीनियस बिजनेस मैन, और युवाओं में सबसे काबिल इंसान। बहुत कम उम्र में उसने अपने परिवार की बागडोर संभाल ली और अब वो अपने परिवार के कारोबार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहा है।"

अभिमन्यु ने थोड़ा हैरान होकर कहा, "काफी कमाल का बंदा लग रहा है, लेकिन अभी अचानक उसका ज़िक्र क्यों कर रहे हो?"

सागर ने अपनी कुर्सी के पीछे झुकते हुए कहा, "क्योंकि वो आज शाम तक बिहार आने वाला है।"

अभिमन्यु ने थोड़ा चौंकते हुए पूछा, "क्या तुमने उसके साथ कोई डील की थी?"

सागर ने सिर हिलाते हुए कहा, "बिलकुल। असल में, जिस गैंग के पास से मैं ये ड्राइव चुराने गया था, वहां पर एक खास फाइल भी थी। वो फाइल रायजादा परिवार के खिलाफ कुछ गंभीर सबूतों से भरी थी—उनके किए गए कुछ अवैध कामों और गुप्त जानकारियों के साथ। अगर वो फाइल बाहर आ जाती, तो रायजादा परिवार का पूरा साम्राज्य खत्म हो सकता था। इसलिए मैंने वो फाइल डिलीट कर दी और उसके बदले में वो डेटा कॉपी किया, जिसे युवान को सौंपने का वादा किया। इसका मकसद सिर्फ एक था—युवान की परिवार के लीडर बनने की दावेदारी को और मजबूत करना।"

अभिमन्यु ने उसकी बातें गौर से सुनीं, और फिर थोड़ी देर बाद कहा, "काबिल तो दिख रहा है, लेकिन सवाल ये है कि उसने तुम पर भरोसा कैसे कर लिया?"

सागर ने हंसते हुए कहा, "देखो, हम लोग अच्छे दोस्त हैं।"

अभिमन्यु ने शंका भरे स्वर में कहा, "ये बात किसी ऐसे इंसान को कहना जो तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानता।"

सागर अचानक जोर-जोर से हंसने लगा, उसकी हंसी कमरे की दीवारों से टकराकर गूंज उठी। सागर, जिसकी जिंदगी अजीबोगरीब घटनाओं से भरी थी, उसकी हंसी भी एक तरह से उसकी जिंदगी की अनकही कहानियों की परछाई लग रही थी।

असल में सागर एक नौजवान था—मात्र 25 साल का। लेकिन इस कम उम्र में उसने चोरों की दुनिया में अपना इतना बड़ा नाम बना लिया था कि उसे दुनिया के सबसे शातिर चोरों में गिना जाने लगा था। वो जिस माहौल में बड़ा हुआ था, वहां चोरी और रहस्य एक ही सिक्के के दो पहलू थे। सागर का पालन-पोषण एक मशहूर जादूगर के साथ हुआ था, जो दुनिया के महान जादूगरों में से एक था। वो जादूगर दिन के उजाले में अपने जादू से लोगों को हैरान कर देता था, और रात के अंधेरे में अपनी चोरी की योजनाओं को अंजाम देता था। उसकी हर चोरी इतनी रहस्यमयी होती थी कि किसी को पता तक नहीं चलता था कि चोरी कब और कैसे हुई। सागर ने उसी माहौल में अपने कदम रखे और जादू और चोरी दोनों में महारत हासिल कर ली।

लेकिन उसकी कहानी इतनी सीधी नहीं थी। एक बार उसकी टोली, जो कि चोरों की दुनिया में एक अलग ही पहचान रखती थी, आतंकवादियों के जाल में फंस गई। उन्हें मजबूर किया गया कि वे मिलिट्री के एक खुफिया ठिकाने से डेटा चोरी करें। सागर तब सिर्फ 20 साल का था, लेकिन उसने इस काम को अंजाम देने का बीड़ा उठाया। उस समय, वो बसंती नाम की एक लड़की के साथ काम कर रहा था, जो उसकी भरोसेमंद साथी थी। दोनों ने मिलकर उस ठिकाने में घुसने की योजना बनाई, लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों ही पकड़े गए।

सागर ने उस पल को याद करते हुए कहा, "उस वक्त जब हम पकड़े गए थे, तो तुम्हारे पापा जांच करने आए थे। उनके साथ युवान भी था, जो मेरी ही उम्र का था। वो किसी ऑफिसर से मिलने आया था, शायद उसका कोई रिश्तेदार था। हमें डर था कि अगर हम कुछ भी बताते, तो हमारे गैंग के बाकी लोगों को मार दिया जाता, जिन्हें आतंकियों ने बंधक बना रखा था। युवान को हमारी मजबूरी समझ में आ गई थी, और उसने तुम्हारे पापा के साथ मिलकर एक प्लान बनाया।"

अभिमन्यु ने ध्यान से सुनते हुए कहा, "तो उस वक्त युवान ने तुम्हारी जान बचाई थी?"

सागर ने सिर हिलाते हुए कहा, "हां, युवान ने ही हमारे लिए एक योजना बनाई थी। उसके प्लान के मुताबिक, हमें छोड़ दिया गया और वो डेटा भी हमें दे दिया गया जिसे चुराने के लिए हम आए थे। लेकिन हमें उनके असली प्लान का अंदाजा नहीं था। जब हम वो डेटा आतंकियों को देने पहुंचे, तो उन्होंने हमें मारने की योजना बना रखी थी। तभी अचानक आर्मी ने हमारे पीछे हमला बोल दिया। युवान के प्लान के मुताबिक, आर्मी ने उस ठिकाने को घेर लिया और फिर कुछ ही देर में जोरदार फायरिंग शुरू हो गई। उस लड़ाई में आधे से ज्यादा आतंकी मारे गए और बाकी गिरफ्तार हो गए। बस, दो ही आतंकी बच पाए थे। जब मुझे बाद में पता चला कि ये सब युवान का प्लान था, तो मैं उसे धन्यवाद देने गया। तभी से हम दोनों दोस्त बन गए। और फिर, आर्मी ने हमें अपनी खुफिया योजनाओं में शामिल कर लिया, और अब हम उनके लिए चोरियां करते हैं।"

अभिमन्यु ने थोड़ा हैरानी भरे अंदाज में कहा, "क्या बात है, अब तो इस युवान से मिलना ही पड़ेगा।"

सर्दी की हल्की ठंडक और आसमान में बादलों का जमावड़ा उस दिन को और भी रहस्यमयी बना रहा था, जब असलम और उसके आदमियों का काफिला पटना से दूर छपरा जिले की ओर जा रहा था। उनकी काले शीशों वाली गाड़ियाँ धूल भरी सड़कों पर जैसे हवा में तैर रही थीं। कारों के तेज़ हॉर्न और इंजन की घरघराहट से गाँव के किनारे के लोग सहम गए थे।

जैसे ही काफिला मंजिल पर पहुँचा, असलम के सभी लोग धीरे-धीरे कारों से बाहर निकले। उनके चेहरों पर तनाव और आत्मविश्वास का अजीब सा मिश्रण था। विनय गुप्ता, जो उनके साथ था, अपनी जेब से सिगरेट निकालते हुए धीरे से बोला, "अपने चाकू वगैरह गाड़ियों में ही रख दो। यहाँ ज़रूरत नहीं पड़ेगी।"

असलम के साथियों ने थोड़ी हैरानी से एक-दूसरे को देखा। उन्होंने फिर असलम की ओर देखा, जैसे कि उसकी मंजूरी का इंतजार कर रहे हों। असलम, जो हमेशा अपने लोगों का मार्गदर्शन करता था, उसने बेफिक्री से अपनी छूरी निकाली और अपनी कार के डैशबोर्ड में रख दी। बाकी सभी ने उसकी नकल की, बिना किसी आवाज़ के।

अब सभी एक पुराने और बड़े से हवेली के सामने खड़े थे, जिसका भारी लोहे का गेट बंद था। हवेली के चारों ओर बाग-बगीचे फैले थे, और अत्यंत सुंदर लग रहे थे। हवेली की दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग पानी हुई थी, जो की मन मोहक थी और ये सभी दृश्य यह बता रही थी कि यह जगह रईसों की है।

असलम, जो हमेशा अपने आत्मविश्वास से भरे व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था, गेट की ओर बढ़ा। लेकिन उससे पहले कि वह गेट खोल पाता, दो भारी-भरकम आदमी अचानक उसके सामने आ गए। उनमें से एक आदमी, जिसका चेहरा पूरी तरह से भावहीन था, बोला, "रुक, कहाँ जा रहे हो?"

विनय गुप्ता तुरंत सामने आया और बोला, "वो बृजेश भाई से मिलने आए हैं।"

उस आदमी ने विनय की ओर घूरते हुए कहा, "बृजेश भाई से बहुत लोग मिलना चाहते हैं। तुम लोग कोई बड़ी तोप नहीं हो, गुप्ता। अभी यहीं रुको, मैं भाई को खबर करता हूँ। अगर वो कहेंगे तो ही अंदर आने दूंगा।"

इतना कहकर वह आदमी हवेली के अंदर चला गया। सब लोग वहीं खड़े इंतजार करने लगे। कुछ मिनट बाद वह आदमी लौट आया और कहा, "तुम्हें अंदर बुलाया है।"

असलम जब अपने कदम हवेली की तरफ बढ़ा ही रहा था कि तभी उसे फिर से उसी आदमी ने रोक लिया। असलम ने अपनी भौहें चढ़ाते हुए कहा, "अब क्या हुआ?"

वह आदमी, जो अब तक बिल्कुल शांत था, तिरछी मुस्कान के साथ बोला, "ज़रा रुकिए साहब, शहरी बाबू। चेकिंग तो करनी पड़ेगी।"

असलम, जो इस तरह की तलाशी का आदी नहीं था, थोड़ी असहजता महसूस करते हुए बोला, "क्या कर रहे हो?"

वह आदमी अब ठहाका लगाते हुए बोला, "अबे, लड़कियों की तरह शर्माना बंद कर, चेकिंग कर रहे हैं।" फिर उसने असलम की पूरी तलाशी ली और उसे जाने दिया। बाकी आदमियों की भी तलाशी ली गई, और फिर सभी को अंदर जाने की इजाजत दी गई।

हवेली का अंदरूनी हिस्सा भी बाहर की तरह ही रहस्यमयी था। वे एक बाग के अंदर प्रवेश कर चुके थे, जहाँ पर एक बड़ी सी टेबल रखी थी। उसी टेबल के पास एक आदमी कुर्सी पर बैठा था, जो सफेद बनियान और धोती पहने हुए था। उसकी सफेद धोती की चमक इस बात की गवाह थी कि वह आदमी अमीर तो था, लेकिन अपने साधारण पहनावे के बावजूद उसकी हरकतें और उसका हावभाव किसी सामंती ज़मींदार जैसा था। उसके माथे पर लाल टीका लगा था, जो उसकी धार्मिक निष्ठा का परिचय दे रहा था और उसके कुछ बाल सफेद थे जो उसके उम्र को दर्शा रहे थे।

टेबल पर एक मेमना बैठा हुआ था, और वह आदमी उसे भुने हुए चने खिला रहा था। उसके हर एक कदम में एक अजीब सी शांति और संतुलन था, जैसे वह इस सारे दृश्य का राजा हो।

विनय गुप्ता थोड़ा झिझकते हुए आगे बढ़ा और बृजेश से बोला, "अरे भैया जी, परनाम। हाल-चाल तो पूछते हो, पर आज का हाल कुछ बेहाल है।"

बृजेश ने उसकी तरफ हंसते हुए कहा, "अरे आवा गुप्ता, बता, का हाल बा?"

विनय ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, "भैया जी, दिल्ली से कुछ लोग आए हैं। ये लोग एक आदमी को मारने आए हैं, लेकिन त्रिपाठी सर इन्हें बिहार से निकल जाने को कह रहे हैं। मगर इनका कहना है कि उस आदमी को मारना बहुत ज़रूरी है।"

बृजेश ने गंभीर होते हुए कहा, "दिल्ली से आए हो?" उसने अपने माथे पर लगे टीके को हल्के से छुआ और फिर असलम की तरफ देखा।

असलम ने थोड़े डर और आदर के मिश्रण के साथ कहा, "जी सर, हम दिल्ली से आए हैं।"

बृजेश ने कुछ पल के लिए चुप्पी साधी, फिर धीमी आवाज़ में पूछा, "तुम लोग मेहता गैंग से हो?"

असलम ने सिर हिलाते हुए कहा, "जी, बॉस। हम रांगा भाई के कहने पर यहाँ आए हैं। उनका हुक्म था कि इस चोर को मार दिया जाए।" इतना कहते हुए असलम ने अपनी जेब से एक तस्वीर निकाली और बृजेश के सामने रख दी।

बृजेश ने तस्वीर को देखा और कुछ पल के लिए उसकी आँखें सिकुड़ गईं। वह तस्वीर को घूरते हुए बोला, "नहीं हो पाएगा। ये आदमी फौज के लिए काम करता है। अगर अपनी सलामती चाहते हो, तो इसको भूल जाओ।"