सुकन्या, बृजेश और बिंदिया की बेटी, अपने चाचा सूरज को देखकर खुशी से झूम उठी। उसकी आँखें चमक रही थीं और चेहरे पर एक चमकदार मुस्कान थी। उसने तुरंत सूरज को गले लगा लिया और प्यार से बोली, "अरे अंकल, आप कब आए?"
सूरज ने अपने बड़े भतीजी को गले लगाते हुए हंसते हुए कहा, "बस तुमसे दस मिनट पहले ही पहुंचा हूँ। और बताओ, तुम्हारा मैट्रिक का रिजल्ट कब तक आने वाला है? क्या उम्मीद है?"
सुकन्या ने चिढ़ते हुए उत्तर दिया, "वो तो नहीं पता, पर उम्मीद है कि एक महीने के अंदर आ जाएगा। वैसे, आप बताइए, इतने समय से पटना में हैं, तो क्या आपको कोई लड़की पसंद आई? मतलब, कुछ उम्मीद है क्या?"
बिंदिया, जो पास ही खड़ी थी, ने बातचीत में शामिल होते हुए पूछा, "अरे हां, अच्छा सवाल किया तुमने। कोई लड़की पसंद आई क्या?"
सूरज ने थोड़ी हंसते हुए कहा, "अरे, वो सब सोचने का समय कहां मिलता है? काम ही इतना रहता है कि सारा दिन व्यस्त रहना पड़ता है।"
बिंदिया ने चिढ़ाते हुए कहा, "अरे, अगर अब तक ढूंढ नहीं पाया है, तो मेरी मौसी की लड़की से कर लेना। वो तो तुम्हे पसंद भी करती है, कितनी खूबसूरत भी तो है!"
सूरज ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, "अरे नहीं भौजी, जब तक अपनी पसंद की कोई लड़की नहीं मिलती, तब तक तो नहीं करूंगा शादी।"
सूरज ने कुछ देर और बातचीत की और फिर कहा, "अच्छा भौजी, फिर आता हूँ।"
बिंदिया ने कहा, "अरे इतनी जल्दी जाने भी लगा? कुछ दिन रुक तो।"
सूरज ने कहा, "बहुत काम है भौजी, बताइए।"
तभी अचानक सुकन्या ने उत्सुकता से पूछा, "अच्छा चाचा, क्या मैं पटना आ सकती हूँ?"
सभी की नज़रें उसकी तरफ मुड़ीं। सूरज ने हैरान होकर पूछा, "अचानक, तुम्हें पटना क्यों जाना है?"
सुकन्या ने जवाब दिया, "वो बनजारा पैलेस में कल रात एक कॉन्सर्ट हो रहा है, जिसमें कई सिंगर और बैंड परफॉर्म करने वाले हैं। मुझे वो देखना है, प्लीज!" इतना कहकर उसने अपने हाथ जोड़ लिए, जो बेहद प्यारे लग रहे थे।
सूरज ने सुकन्या की बात सुनते हुए कहा, "ठीक है"
इतना सुनते ही सुकन्या ने सूरज को गले लगा लिए और कहा, "थैंक्यू, थैंक्यू सो मच।"
तभी बिंदिया ने कहा, "लेकिन..."
सूरज ने तुरंत जवाब दिया, "चिंता मत कीजिए भौजी, परसो सुबह तक मैं इसे खुद छोड़ आऊँगा, ठीक है?"
बिंदिया ने कहा, "ठीक है, तुम जा सकती हो, लेकिन अपना ख्याल रखना और शैतानी बिल्कुल मत करना।"
सुकन्या खुशी-खुशी अपना सामान पैक करने लगी। कुछ देर बाद सूरज और सुकन्या कार में बैठकर वहां से निकल गए। सुकन्या ने कार के डैशबोर्ड पर रखी बंदूक को उठाते हुए कहा, "अच्छा चाचा, मुझे बंदूक चलाना कब सिखाओगे?"
सूरज ने मुस्कराते हुए कहा, "देखो, कराटे सिखा दिया है, बहुत है। ये बंदूकों से खेलना अच्छा नहीं है। तुम्हें गैंगस्टर नहीं बनना है, समझी?"
सुकन्या ने थोड़ी नाराज़गी भरे अंदाज़ में कहा, "हां हां, लेकिन अगर जरूरत पड़ी, जैसे कि अचानक हमला हो जाए और गोलियां बरस रही हों, और बचाने वाला कोई न हो, और सामने वालों के पास बंदूकें हों, तब हम क्या करेंगे?"
सूरज ने समझाते हुए कहा, "उस समय किसी भी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचानी है। एक्शन हीरो बनने की जरूरत नहीं है। बंदूक चलाना आता है इसका मतलब यह नहीं कि तुमको गोली नहीं लगेगी।"
सुकन्या ने अपने होंठ फुलाते हुए कहा, "आप धीरे-धीरे बोरिंग होते जा रहे हैं, जैसे कोई बूढ़ा हो।"
सुकन्या की बातों में एक चुलबुलापन और शैतानी का रंग था, जो उसकी उम्र के अनुसार बिल्कुल सही था। उसकी मासूमियत और चुलबुली मिजाज ने सूरज के साथ उसके रिश्ते को एक सहज और आनंदमय अनुभव बना दिया। सुकन्या के साथ की यह बातचीत, उसके प्यारे और विद्रूप अंदाज़ के साथ, परिवार के बीच की गर्माहट और प्रेम को दर्शाती है।
रात के आठ बज चुके थे, और अभिमन्यु और सागर क्लब "Chill and Fun" में पहुंचे। यह क्लब शहर का एक प्रमुख आकर्षण था, जो अपनी शानदार सुविधाओं के लिए जाना जाता था। क्लब में प्रवेश करते ही एक भव्य लाउंज नजर आया, जहां पर चमकदार लाइटें और आधुनिक सजावट ने एक शानदार वातावरण बना रखा था। क्लब का एक हिस्सा डिस्को था, जहाँ रंगीन लाइटें और बॉलीवुड गानों की धुनों पर लोग थिरक रहे थे। डांस फ्लोर पर लोग अपनी पूरी ऊर्जा और जोश के साथ डांस कर रहे थे, और संगीत की धुनें हर कोने में गूंज रही थीं।
डांस फ्लोर से थोड़ा अलग हटकर सीढ़ियों के ऊपर प्राइवेट कैबिन्स थे। ये कैबिन्स आरामदायक सोफों और लकड़ी की टेबलों से सुसज्जित थे। यहाँ के वातावरण में ठंडक और आराम था, जो डांस फ्लोर की चहल-पहल से एकदम अलग था। कैबिन्स में प्राइवेसी के साथ-साथ एक बेहतरीन दृश्य भी था, जहां से क्लब का पूरा दृश्य देखा जा सकता था।
अभिमन्यु और सागर कैबिन में पहुंचे जहाँ युवान रायजादा पहले से ही बैठे हुए थे। युवान एक आकर्षक व्यक्तित्व वाला युवक था, जिसके चेहरे पर एक आत्म-निर्भरता की झलक थी। उसकी उपस्थिति से ऐसा लग रहा था जैसे वह क्लब के इस हिस्से का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो। अभिमन्यु और सागर जैसे ही अंदर पहुंचे, सागर ने उत्सुकता और खुशी के साथ कहा, "हे हे, युवान मेरे भाई, क्या हाल हैं?"
युवान ने सागर को गले लगाते हुए उसका स्वागत किया और फिर अभिमन्यु की ओर इशारा करते हुए पूछा, "यह कौन है?"
सागर ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, "यह मेरा दोस्त है, अभिमन्यु।"
अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए हाथ मिलाते हुए कहा, "हेलो।"
युवान ने भी गर्मजोशी से हाथ मिलाया और फिर सागर की ओर देखा। सागर ने युवान को एक पेन ड्राइव दी और कहा, "यह रही तुम्हारी ड्राइव। और अगर तुम्हें किसी और चीज की जरूरत हो, तो बेहिचक बताना।"
युवान ने पेन ड्राइव लेते हुए धन्यवाद कहा और अपने फोन पर कुछ काम करने लगा। कुछ मिनटों बाद, सागर के फोन पर एक मैसेज आया जिसमें लिखा था कि उसके अकाउंट में एक करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए हैं।
सागर ने निराशा में कहा, "बस इतना ही?"
युवान ने मुस्कराते हुए कहा, "फिलहाल मैं इतना ही अफोर्ड कर सकता हूँ। मेरी भी कुछ मजबूरियां हैं।"
सागर ने चिढ़ाते हुए कहा, "ठीक है, दोस्ती के नाम पर छूट दे दी, लेकिन यहाँ का बिल तुम ही भरोगे।"
युवान ने हँसते हुए कहा, "बिल्कुल। चलो, अब खाना ऑर्डर करते हैं।"
खाना ऑर्डर करने के बाद, युवान ने बातचीत का रुख बदलते हुए पूछा, "वैसे, तुम्हारे बारे में कुछ बताओ।"
अभिमन्यु ने थोड़ी संकोच के साथ कहा, "मैं एक सामान्य छात्र हूँ। किस्मत से सागर भाई से थोड़ी जान-पहचान हो गई।"
युवान ने सागर से सवाल किया, "तुम इसे यहीं पर नहीं लाए होगे?"
सागर ने हंसते हुए कहा, "हाँ, दरअसल अभिमन्यु सिंह एक परिवार से है।"
युवान ने चौंकते हुए पूछा, "तुम्हारा मतलब है वो सिंह परिवार? मतलब कि यह ललित सर के परिवार से है?"
सागर ने पुष्टि करते हुए कहा, "हाँ, यह ललित सर का बेटा है।"
युवान ने उत्सुकता से कहा, "अरे वाह, तुमसे मिलकर खुशी हुई।"
अभिमन्यु ने पूछा, "आप मेरे पिता को जानते थे?"
सागर ने उत्तर दिया, "हाँ, मेरे चाचा उनके बहुत अच्छे दोस्त थे। वो मेरे आदर्श की तरह थे। वो हमेशा कहते थे कि जीवन में सफलता पाने के लिए अपने मन को स्थिर रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।"
अभिमन्यु के पिता, ललित प्रताप सिंह, दो साल पहले एक मिशन के दौरान शहीद हो गए थे। यह जानकारी अभिमन्यु के लिए कभी भी आसान नहीं थी, लेकिन उसने सिर झुकाकर सिर हिला दिया।
कुछ देर तक वे लोग बातचीत करते रहे। अभिमन्यु भी धीरे-धीरे युवान से बातें करने लगा और अब वे सभी थोड़े घुलमिल गए थे। खाने के बाद, उन्होंने कैबिन से बाहर निकलने का फैसला किया।
वहीं, एक दूसरे कैबिन से सुकन्या और सूरज त्रिपाठी भी बाहर निकल रहे थे। सूरज ने सुकन्या से पूछा, "तो खाना कैसा था?"
सुकन्या ने जवाब दिया, "अच्छा था। वैसे, मैं सोच रही थी कि ऐसा कोई क्लब छपरा में भी खोलू, काफी चलेगा।"
सूरज ने सुझाव दिया, "हाँ, खोल लो, लेकिन उसमें डिस्को या बार मत जोड़ना। सिर्फ प्राइवेट कैबिन्स ही रहने दो, तो अच्छा रहेगा।"
सुकन्या ने हँसते हुए कहा, "आप सही कह रहे हैं। लेकिन सच में, धीरे-धीरे बूढ़े हो रहे हैं आप। जल्दी शादी कर लीजिए, नहीं तो फिर कोई लड़की भी नहीं मिलेगी।"
सूरज ने चिढ़ते हुए कहा, "पता नहीं, सब मेरी शादी के पीछे क्यों पड़े हैं।"
सुकन्या ने गंभीरता से कहा, "क्योंकि आपकी उम्र ढलती जा रही है। इस उम्र तक मेरी उम्र की आपकी एक बेटी या बेटा होता, कम से कम मुझे एक भाई या बहन मिल जाती।"
सुकन्या की बातें सूरज को सोच में डाल गईं। उसने सुनी बातें और सुकन्या की मासूमियत पर एक हल्की मुस्कान दी। दोनों की बातचीत और विचारों ने परिवार की गहराई और आपसी संबंधों को स्पष्ट रूप से दिखाया।
युवान और सागर की कैबिन से बाहर निकलने के बाद, वे क्लब के अन्य हिस्सों का भी आनंद लेने लगे, जबकि सुकन्या और सूरज त्रिपाठी ने अपनी बातचीत के साथ क्लब के वातावरण में एक नया रंग भर दिया।