Chapter 8 name me kya rakha hai

डिस्को हॉल रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था। तेज़ म्यूजिक और चमचमाते लाइट्स के बीच, सभी लोग मस्ती में झूमते हुए डांस कर रहे थे। सुकन्या भी ये सब देख रही थी और सूरज के पास जाकर उसने कहा, "अंकल, डांस करने चले प्लीज।"

सूरज ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, "नहीं, मुझे डांस नहीं आता, तुम ही जाओ, मैं यहीं से देखता हूँ।"

सुकन्या थोड़ी उदास होकर फिर आगे बढ़ गई, लेकिन उसकी मस्ती कम नहीं हुई। दूसरी तरफ अभिमन्यु, युवान और सागर एक कोने में खड़े थे। वहां की चकाचौंध भरी रोशनी और भीड़ के बीच, युवान ने सागर से कहा, "ठीक है, मैं निकलता हूँ।"

सागर ने सिर हिला दिया और युवान वहां से चला गया। उसके जाने के बाद, सागर ने अभिमन्यु की ओर देखा और कहा, "तो करोड़ों मिलने की खुशी में थोड़ा सा डांस हो जाए?"

अभिमन्यु ने हल्की सी मुस्कान के साथ जवाब दिया, "अभी तक मुझे मेरी फीस नहीं मिली है।"

सागर ने हंसते हुए अपने फोन से अभिमन्यु को 1 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए और कहा, "ये लो, तुम्हारी फीस! ये तुम्हारी जान बचाने और पेन ड्राइव सुरक्षित रखने के लिए है।"

फिर सागर ने थोड़ी हैरानी से पूछा, "लेकिन मुझे समझ नहीं आता, इतने बड़े और अमीर परिवार से होने के बावजूद, तुम हमेशा पैसे-पैसे की बात क्यों करते हो?"

अभिमन्यु ने गंभीरता से कहा, "क्योंकि मुझे घर से पैसे नहीं मिलते, जेब खर्च के लिए भी नहीं। इसलिए मुझे खुद कमाने की कोशिश करनी पड़ती है।"

सागर को थोड़ा आश्चर्य हुआ, "तुम और तुम्हारा परिवार, इतनी दौलत होने के बावजूद तुम ऐसी हालत में हो? मुझे तो लगा था कि सब कुछ आखिरकार तुम्हारा ही होगा।"

अभिमन्यु ने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है। हमारे परिवार में कई शाखाएँ हैं, और मेरे अलावा लगभग 20 लड़के हैं जो परिवार की अगुवाई करने के दावेदार हो सकते हैं। मुझे इतनी आसानी से बागडोर नहीं मिलेगी।"

सागर ने चौंकते हुए कहा, "मुझे तो ये सब नहीं पता था। मुझे लगा था कि तुम ही अकेले वारिस हो।"

अभिमन्यु ने समझाते हुए कहा, "दुनिया के सामने ऐसा ही लगता है, क्योंकि हम मुख्य शाखा से हैं। लेकिन असल में हमारे दादा जी के भाईयों और कज़िन्स के परिवार भी हैं। और उनमें भी कई लड़के हैं जो नेतृत्व के पद के लिए दावेदारी पेश कर सकते हैं।"

सागर ने उत्सुकता से पूछा, "तो परिवार का लीडर कैसे चुना जाता है?"

अभिमन्यु ने कंधे उचकाते हुए कहा, "मुझे खुद भी पूरी तरह से नहीं पता। शायद काबिलियत और प्रभाव के आधार पर चुना जाता हो।"

सागर ने मजाक में कहा, "तो सच में तुम्हारा परिवार काफी अजीब है।"

अभिमन्यु ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, थोड़ा तो है।"

तभी एक नया बॉलीवुड गाना डिस्को में बजने लगा, जो हाल ही में काफी प्रसिद्ध हुआ था। गाने की बीट्स इतनी दमदार थीं कि हर कोई अपनी जगह से उठकर झूमने लगा। अभिमन्यु ने मुस्कराते हुए डांस फ्लोर की ओर देखा और फिर वहां जाकर डांस करने लगा। सागर भी खुद को रोक नहीं पाया और उसके साथ डांस करने लगा।

अभिमन्यु मस्ती में डांस कर रहा था, उसने ध्यान नहीं दिया कि सुकन्या भी उसके पास ही डांस कर रही थी। चारों तरफ मौज-मस्ती का माहौल था। तभी अचानक कुछ लड़के सुकन्या के आस-पास आ गए और उसके करीब आकर डांस करने लगे। सुकन्या की उम्र कम थी और वो उन लड़कों के बीच खुद को असहज महसूस करने लगी, लेकिन उन लड़कों ने उसे अपना आसान शिकार समझ लिया। धीरे-धीरे वे उसे घेरने लगे और जब एक लड़के ने उसकी कलाई पकड़ने की कोशिश की, तो सुकन्या ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे खींचकर एक जोरदार थप्पड़ मार दिया और गुस्से में बोली, "You bloody rascal, get the hell out from here!"

वो लड़का गुस्से में बिफर उठा और बोला, "तेरी इतनी हिम्मत कि तूने मुझपर हाथ उठाया?" इतना कहकर वो लड़का सुकन्या पर हाथ उठाने ही वाला था कि अभिमन्यु ने उसका हाथ बीच में ही पकड़ लिया और उसकी आँखों में देखते हुए सख्त लहजे में कहा, "सुना नहीं? Get the hell out from here."

वो लड़का गुस्से से भर गया और बोला, "लड़की के सामने हीरो बन रहा है? चल, निकल यहाँ से!"

लेकिन अभिमन्यु ने उसका हाथ नहीं छोड़ा। उल्टा उसने उसके हाथ को मोड़कर उसकी पीठ के पीछे कर दिया। फिर उसने उसके घुटनों पर हल्की सी लात मारी और उसे घुटनों के बल बैठाते हुए कहा, "अब माफी माँग और यहाँ से निकल।"

वो लड़का गुस्से में कांपते हुए बोला, "तुझे पता है मैं कौन हूँ? और मेरा बाप कौन है?"

अभिमन्यु ने ठंडे स्वर में कहा, "तेरा बाप चाहे मुख्यमंत्री भी हो, तो भी तुझे यहाँ से कोई नहीं बचा पाएगा। माफी माँग, नहीं तो तू यहाँ से जिंदा नहीं जाएगा।"

वो लड़का अभी भी उठने की कोशिश कर रहा था, लेकिन असफल हो रहा था। उसने अपने दोस्तों की ओर देखा और चिल्लाया, "देख क्या रहे हो? छुड़ाओ मुझे, और मारो इसे!"

उसके दोस्त उसकी मदद के लिए आगे बढ़े, लेकिन अभिमन्यु ने पहले लड़के को छोड़ दिया और तुरंत उसके एक दोस्त को घूंसा मार दिया। दूसरा लड़का जो लात मारने के लिए अपने पैर उठा रहा था, अभिमन्यु ने पहले वाले लड़के को उसकी लात के सामने कर दिया, जिससे लात सीधी पहले लड़के के चेहरे पर लगी। फिर अभिमन्यु ने तीसरे लड़के को एक और घूंसा मारा और चौथे लड़के को एक तेज़ किक मारी। अब वह वापस दूसरे लड़के की ओर मुड़ा और उसे भी एक ज़ोरदार किक मारकर दूर गिरा दिया। कुछ ही सेकंड में चारों लड़के जमीन पर पड़े हुए थे।

अभिमन्यु ने फिर पहले लड़के की ओर देखा और सख्त आवाज़ में कहा, "माफी माँग!"

वो लड़का अब पूरी तरह से डर गया था। घबराते हुए उसने सुकन्या से माफी माँगते हुए कहा, "Sorry।"

अभिमन्यु ने गुस्से से कहा, "ऐसे नहीं। घुटनों के बल बैठकर बोल, कि आज के बाद किसी भी लड़की को गलत नज़र से नहीं देखूंगा। प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए।"

वो लड़का कुछ देर हिचकिचाया, लेकिन जब उसने अभिमन्यु की आँखों में देखा, तो वो डर के मारे तुरंत घुटनों के बल बैठ गया और माफी माँगने लगा। यहाँ तक कि उसने सुकन्या के पैर छूने की कोशिश की। सुकन्या इससे थोड़ी असहज हो गई और बोली, "ठीक है, माफ किया। अब निकलो यहाँ से।"

इतना कहकर सुकन्या उससे दूर हट गई। वो लड़के एक पल की देरी किए बिना वहां से भाग निकले।

डिस्को का माहौल अब भी उतना ही जोशीला और रंगीन था, लेकिन अब सबकी नजरें अनजाने में बदलते घटनाक्रम पर जा टिकी थीं। अभिमन्यु के हाथों चंद सेकंडों में धराशायी हुए चार लड़कों की हरकतें पूरी तरह शांत हो चुकी थीं। जब सुकन्या ने उन बदमाश लड़कों से माफी मंगवाई और वे भागने लगे, तो लगा कि सब कुछ वापस सामान्य हो गया था। सागर और अभिमन्यु ने भी माहौल का आकलन किया और वहां से निकलने की योजना बनाई।

सागर ने अभिमन्यु के पास आकर फुसफुसाते हुए कहा, "हमें अब यहां से निकलना चाहिए।"

अभिमन्यु ने चुपचाप उसकी बात मान ली और दोनों धीरे-धीरे भीड़ से बाहर निकलने लगे। तभी पीछे से सुकन्या की आवाज आई, "सुनो!"

अभिमन्यु ने एक क्षण के लिए मुड़कर देखा। "हाँ?" उसने बिना ज्यादा ध्यान दिए पूछा।

सुकन्या ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा, "थैंक यू!"

अभिमन्यु ने उसकी ओर कोई खास ध्यान दिए बिना कहा, "वेलकम।" और फिर मुड़कर चलने लगा।

लेकिन सुकन्या ने फिर आवाज दी, "अरे, अपना नाम तो बताकर जाओ।"

इस बार अभिमन्यु ने बिना पीछे देखे हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "किसी महान व्यक्ति ने कहा है, नाम में क्या रखा है।" इतना कहकर वह वहां से चला गया, उसकी चाल में एक अजीब आत्मविश्वास था, मानो नाम और पहचान उसके लिए बिल्कुल महत्वहीन थे।

सुकन्या उसे जाते हुए देखती रही और धीरे से बुदबुदाई, "अजीब लड़का है।"

तभी उसके बगल में खड़े सूरज त्रिपाठी ने अपना गला खंखारा, जिससे सुकन्या का ध्यान अचानक अपने चाचा पर गया। उसने सवालिया नजरों से पूछा, "चाचा, ये कौन था? क्या आप इसके बारे में पता कर सकते हैं?"

सूरज ने गहरी सांस ली और कहा, "तुम इस लड़के के बारे में क्यों जानना चाहती हो?"

सुकन्या ने सादगी से जवाब दिया, "बस जानना चाहती हूं कि जिसने मेरी इज्जत बचाई, वो कौन था।"

सूरज ने उसकी बातों को थोड़ा नजरअंदाज करते हुए कहा, "मेरा मानना है कि तुम उसे भूल ही जाओ।"

सुकन्या को ये बात ठीक नहीं लगी, उसने नाखुशी जताते हुए कहा, "आप कुछ गलत समझ रहे हैं, चाचा। मैं बस उसके बारे में जानना चाहती हूं, और कुछ नहीं।"

सूरज ने उसकी बातों को अनसुना करते हुए कहा, "चलो, घर चलते हैं।" उसकी बात सुनकर सुकन्या ने गुस्से में अपना मुंह फुला लिया और चुपचाप उसकी ओर चलने लगी।

वे दोनों पार्किंग एरिया की ओर बढ़ने लगे। वातावरण धीरे-धीरे शांत हो रहा था, लेकिन तभी अचानक वही लड़के वापस लौट आए। इस बार उनके साथ कुछ और लोग थे—हाथों में चेन और चाकू लिए हुए। अब यह एक छोटी झड़प नहीं रह गई थी, बल्कि एक गंभीर और खतरनाक स्थिति में तब्दील हो चुकी थी।

उस लड़के ने दहाड़ते हुए कहा, "तुझे क्या लगा, वो लड़का तुझे हर बार बचा लेगा? अब कहां भागोगी? रॉकी अपनी पसंद आई चीज़ को इतनी आसानी से नहीं छोड़ता!"