Chapter 9 patekar ka gussa

सूरज और सुकन्या सड़क के किनारे खड़ी अपनी कार के पास खामोशी से खड़े थे। सामने कुछ दूरी पर रॉकी अपने गुट के साथ खड़ा था, उसकी आंखों में गुस्सा और असुरक्षा दोनों झलक रहे थे। रॉकी के साथ खड़े गुंडे अपने बॉस के इशारे का इंतजार कर रहे थे। सूरज ने सुकन्या की तरफ देखा और फिर एक हल्की सी मुस्कान दी, जैसे उसे कोई चिंता ही न हो।

सुकन्या, जो केवल 16-17 साल की थी, असामान्य रूप से शांत और बेफिक्र दिख रही थी। उसके चेहरे पर न डर था, न किसी प्रकार की चिंता। वह सूरज पर पूरी तरह भरोसा कर रही थी, जैसे उसे मालूम हो कि सूरज के रहते उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। उसकी आँखें स्थिर थीं, और उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी, जो उसकी आत्मविश्वास से भरी शख्सियत को दर्शा रही थी।

रॉकी इस दृश्य को देखकर हैरान था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। उसने सोचा था कि जैसे ही वह अपने गुंडों के साथ आएगा, सुकन्या डर जाएगी, लेकिन उसकी उम्मीद के विपरीत, न सुकन्या डरी, न सूरज के चेहरे पर कोई भय का भाव था।

रॉकी ने अपनी असमंजसता छिपाने की कोशिश करते हुए अपने गुंडों की तरफ देखा और धीरे से कहा, "इस लड़की को कार में बिठाओ।" यह आदेश सुनते ही उसके गुंडे सुकन्या की तरफ बढ़ने लगे।

गुंडों के कदम जैसे ही सुकन्या के पास पहुंचे, सूरज ने एक पल भी गंवाए बिना अपनी चाल दिखा दी। सूरज ने तुरंत एक गुंडे के चेहरे पर साइड किक मारी। किक इतनी जोरदार थी कि वह गुंडा सीधा बगल में खड़ी कार के शीशे से जा टकराया। शीशा टूट गया और उसके सिर से खून बहने लगा। गुंडे ने दर्द से कराहते हुए अपना सिर पकड़ लिया, लेकिन वह अब कोई हरकत नहीं कर पा रहा था।

दूसरा गुंडा, जो ठीक उसके पीछे था, इस घटना से थोड़ा सहम गया, लेकिन फिर भी उसने अपना चाकू निकाल लिया। चाकू को सूरज के सामने दिखाते हुए उसने सूरज को डराने की कोशिश की। सूरज ने उसकी तरफ सीधा देखा, उसकी आँखों में कोई डर नहीं था, बस एक ठंडक और दृढ़ता थी। जैसे ही वह गुंडा चाकू से हमला करने के लिए आगे बढ़ा, सूरज ने बिजली की गति से उसका हाथ पकड़ लिया। उसने गुंडे के पेट पर घुटने से वार किया, जिससे वह झुक गया, और फिर सूरज ने उसका चाकू छीन लिया।

यह देखते ही बाकी के तीन गुंडे सूरज पर एक साथ टूट पड़े। उनमें से एक ने चेन निकालकर सूरज पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन सूरज ने पहले सुकन्या को हल्का पीछे किया, ताकि वह सुरक्षित रहे। उसने गुंडे के चेन से वार को चकमा दिया और तुरंत उसकी नाक पर घूंसा मार दिया। वह गुंडा जमीन पर गिर पड़ा, अपनी नाक से खून बहता हुआ। सूरज ने तुरंत दूसरे गुंडे की तरफ रुख किया और उसकी कनपटी पर अपनी कोहनी से जोरदार वार किया। तीसरे गुंडे को सूरज ने अपने पांव से उसकी कमर पर मारा, जिससे वह भी बुरी तरह जमीन पर गिर गया।

फिर, जिस गुंडे ने चेन से सूरज का गला घोंटने की कोशिश की थी, वह पीछे से अचानक चेन को सूरज के गले में डालकर खींचने लगा। सूरज ने तुरंत चेन को पकड़ लिया और उसे अपनी पूरी ताकत से खींचते हुए उस गुंडे को कार की तरफ फेंक दिया। गुंडे का सिर और शरीर कार के साइड से जा टकराया, जिससे कार और गुंडे दोनों को काफी नुकसान हुआ। गुंडा दर्द से कराहता हुआ वहीं बेहोश सा गिर पड़ा।

अब किसी भी गुंडे में सूरज के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं थी। वे सब जमीन पर बुरी हालत में पड़े हुए थे। सूरज ने फिर अपनी नज़र रॉकी की तरफ घुमाई, जो यह सब देखकर सहम गया था। सूरज ने ठंडे स्वर में कहा, "अगर अगली बार मेरी बच्ची पर हाथ उठाने की कोशिश की, तो खाने के लिए और धोने के लिए हाथ भी नहीं बचेंगे।"

इतना कहते ही सूरज ने रॉकी को जोरदार लात मारी और उसका चेहरा कार के बोनट पर टिकाकर रखा और उसे कुछ देर पीटने के बाद छोड़ दिया। उसकी आँखों में अब तक की सबसे कड़ी चेतावनी थी। रॉकी कांपते हुए जमीन पर पड़ा रहा और सूरज को जाते हुए देखता रहा।

सुकन्या, जो अब तक एक किनारे शांत खड़ी थी, सूरज के पीछे-पीछे चल दी। दोनों अपनी कार में बैठे और सूरज ने कार स्टार्ट की। कुछ ही पल में, वे वहां से निकल गए, पीछे बचे रॉकी के गुंडे दर्द में तड़पते हुए और रॉकी खुद अपने हाल पर रोता हुआ।

यह मुठभेड़ रॉकी और उसके गुंडों के लिए एक कड़वा सबक थी—सूरज से टकराने का अंजाम सिर्फ बर्बादी ही हो सकता है।

सुबह के 10 बज रहे थे। शहर के शोर शराबे में एक बिल्डिंग, जिसपर 'अपोलो हॉस्पिटल' लिखा हुआ था, साफ दिखाई दे रही थी। अपोलो हॉस्पिटल शहर का सबसे नामी अस्पताल था, जहां अक्सर बड़ी हस्तियां और वीआईपी लोग अपना इलाज करवाने आते थे। इसकी ऊंची सफेद इमारत के चारों ओर हरे-भरे पेड़ लगे हुए थे, और बाहर एक बड़ी पार्किंग थी जहां कई महंगी गाड़ियां खड़ी थीं।

अस्पताल के वीआईपी वार्ड की तरफ बढ़ते ही वहां की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी नजर आ रही थी। वीआईपी वार्ड में इलाज के लिए खास इंतजाम थे, जिनमें प्राइवेट रूम, 24 घंटे डॉक्टरों की निगरानी और आरामदायक सुविधाएं शामिल थीं। उन रूम्स में से एक वीआईपी वार्ड में इस वक्त एक लड़का लेटा हुआ था, जोकि पिछली रात 'चिल एंड फन' क्लब में पहले अभिमन्यु और फिर बाद में सूरज त्रिपाठी के हाथों बुरी तरह पीटा गया था।

उस लड़के के शरीर पर कई जगह चोटें आई थीं, जिन पर पट्टियां बंधी हुई थीं। उसकी एक बांह पर ड्रिप लगी थी, और उसे ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा था। उसकी हालत गंभीर दिख रही थी, लेकिन उसका चेहरा गुस्से और दर्द से भरा हुआ था। वह बेचैन नजर आ रहा था, जैसे किसी बुरे ख्याल या घटना से उबरने की कोशिश कर रहा हो।

तभी अचानक कमरे का दरवाजा खुला और अंदर एक अधेड़ उम्र का आदमी तेज कदमों से दाखिल हुआ। वह आदमी सफ़ेद धारीदार बिजनेस सूट पहने हुए था, और उसके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था। उसके सिर के आधे बाल झड़ चुके थे, जिससे वह आधा गंजा दिखाई दे रहा था, और उसकी आंखों में गहरी नाराजगी की चमक थी। उसके पीछे दो सुरक्षाकर्मी थे, जो काले शर्ट और पैंट में थे, और उनकी कमर में पिस्तौल लगी हुई थी। उनके साथ एक और आदमी था, जिसने चमड़े की जैकेट पहनी हुई थी—वह उस बिजनेसमैन का असिस्टेंट था। उनके ठीक पीछे कुछ पुलिस अधिकारी भी थे, और सबसे आगे शहर के डीसीपी, कमिश्नर खन्ना, खुद उस आदमी के साथ खड़े थे।

उस आदमी का नाम मनोहर लाल पाटेकर था, और वह बिहार के सबसे बड़े और प्रभावशाली बिजनेसमैन में से एक था। उसकी पहुंच राज्य के मुख्यमंत्री तक थी, और वह उन लोगों में से था जिनका एक इशारा पूरा शहर हिला सकता था। उसकी आंखों में गुस्से की लपटें थीं। कमरे में घुसते ही उसने अपने बेटे को बिस्तर पर लेटे हुए देखा और गुस्से से चीखते हुए कहा, "मेरे बेटे को इस हालत में पहुंचाने की हिम्मत किसने की? आखिर किसकी इतनी हिम्मत हो गई कि उसने मेरे परिवार पर हाथ उठाया? क्या कुछ पता चला?"

कमिश्नर खन्ना ने एक कदम आगे बढ़कर कहा, "सर, हमने क्लब में जांच शुरू की थी, लेकिन वहां से सभी सीसीटीवी फुटेज गायब हैं। किसी भी गवाह ने उन लोगों का नाम नहीं बताया, और आपके बेटे ने भी कोई जानकारी नहीं दी। ऐसे में उन लोगों को ढूंढ पाना लगभग नामुमकिन है। हालांकि, क्लब में मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि आपका बेटा खुद ही कुछ लड़कियों के साथ छेड़छाड़ कर रहा था, और इसलिए उसे पीटा गया। हमें गवाही भी मिल गई है कि गलती आपके बेटे की ही थी।"

मनोहर लाल पाटेकर का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने एक कड़े लहजे में कहा, "मुझे तुमसे कोई सफाई नहीं चाहिए, कमिश्नर। अगर पुलिस मेरी मदद नहीं करेगी, तो इसका ये मतलब नहीं कि मैं उन लोगों तक नहीं पहुंच सकता। अब देखना कि मैं उनका क्या हाल करता हूं।"

कमिश्नर खन्ना ने शांत भाव से जवाब दिया, "आप जो भी कदम उठाएं, कृपया कानून के दायरे में रहकर उठाएं, वरना उन लोगों पर कार्रवाई भले ही न हो पाए, लेकिन अगर आपने कोई गैरकानूनी कदम उठाया, तो हम आपको जरूर गिरफ्तार करेंगे। चलिए, ऑफिसर्स।" इतना कहकर कमिश्नर खन्ना अपने पुलिस अधिकारियों के साथ कमरे से बाहर निकल गए।

कमिश्नर के जाते ही मनोहर लाल पाटेकर ने एक तंज भरी मुस्कान के साथ कहा, "इस कमिश्नर को भी उसकी औकात दिखानी पड़ेगी। अगर इसे यहां से ट्रांसफर नहीं करवा दिया तो मेरा नाम भी मनोहर लाल पाटेकर नहीं। लेकिन अभी फिलहाल, उन लोगों को ढूंढना ज्यादा जरूरी है।"

उसने अपना मोबाइल निकाला और उसमें कुछ नंबर खोजने लगा। कुछ ही पल बाद उसने सूरज त्रिपाठी का नंबर डायल किया।

दूसरी तरफ, सूरज त्रिपाठी अपने विला के गार्डन में अपनी भतीजी सुकन्या के साथ टेनिस खेल रहा था। सुकन्या, जो कि बहुत तेज खिलाड़ी थी, सूरज के खिलाफ लगातार अंक बटोर रही थी। दोनों ने ट्रैक सूट पहने हुए थे और जोर-शोर से खेल में मशगूल थे। उनके आसपास कुछ सुरक्षाकर्मी खड़े थे, जिनके हाथों में बंदूकें थीं। विला का गार्डन काफी बड़ा था, जिसमें स्विमिंग पूल और कई कमरे थे। सूरज त्रिपाठी इस खेल का भरपूर आनंद ले रहा था, तभी उसका सबसे वफादार आदमी, सत्यम शुक्ला, उसके पास आया।

सत्यम शुक्ला, सूरज से चार साल छोटा था और शुरू से ही उसका सबसे खास आदमी था। वह सूरज का दाहिना हाथ माना जाता था, खासकर उन कामों में जो कानून के दायरे से बाहर होते थे। उसने सूरज से कहा, "भाई, पाटेकर का फोन है। आपसे बात करना चाहते हैं।"

सूरज ने खेल बीच में छोड़कर फोन उठाया और कहा, "गुड मॉर्निंग, पाटेकर जी! आज सुबह-सुबह हमारी याद कैसे आ गई?"

दूसरी तरफ से मनोहर लाल पाटेकर की कड़क आवाज आई, "कल रात 'चिल एंड फन' क्लब में कुछ लोगों ने मेरे बेटे को बुरी तरह पीटा है। मैं चाहता हूं कि आप उन्हें ढूंढकर सजा दें।"

सूरज ने अनजान बनने का नाटक करते हुए पूछा, "अच्छा? उनके बारे में आपको कुछ पता चला है कि ये किसका काम हो सकता है या उन लोगों का नाम क्या है?"

मनोहर ने थोड़ी निराशा के साथ कहा, "नहीं, क्लब से हमें कोई सबूत नहीं मिला।"

सूरज ने हंसते हुए कहा, "तो हम क्या अंतर्यामी हैं, जो उन्हें ढूंढ निकालेंगे?"

मनोहर ने हिचकिचाते हुए कहा, "त्रिपाठी सर, अगर आपने मेरा ये काम कर दिया, तो गंगा नदी के पास जो जमीन है, वह मैं आपके नाम कर दूंगा।"

सूरज ने कहा, "आपका ऑफर तो बहुत अच्छा है, पाटेकर जी, लेकिन मैं आजकल थोड़ा सा बिजी चल रहा हूँ, तो नहीं, मैं आपका काम नहीं कर सकता।" इतना कहकर उसने फोन काट दिया और अपनी हंसी को रोकने की कोशिश करता हुआ वापस टेनिस खेलने चला गया।