अपोलो अस्पताल में मनोहर लाल पाटेकर, जो वीआईपी वार्ड में थे, गुस्से में उबाल मार रहे थे। उनकी आंखों में चिंता और क्रोध का मेल था। उनके बेटे की हालत गंभीर थी, जिसे पिछले रात चिल एंड फन क्लब में अभिमन्यु और सूरज त्रिपाठी के हाथों बुरी तरह पीटा गया था। मनोहर ने अपने असिस्टेंट को आदेश दिया, "जाकर पता लगाओ कि वो लोग कौन थे जिन्होंने मेरे बेटे के साथ ऐसा किया।"
उनका असिस्टेंट, जो की गंभीरता से निपुण था, सिर हिलाकर "जी, सर" कहकर तेजी से वहां से चला गया। मनोहर की आंखों में जलती हुई आग और गुस्सा साफ नजर आ रहा था। उनके बेटे की हालत ने उनकी नींद उड़ा दी थी, और इस स्थिति में किसी भी प्रकार की ढिलाई उन्हें अस्वीकार्य लग रही थी।
दूसरी ओर, अभिमन्यु सागर के कमरे में अकेला था। सागर मिलिट्री हेडक्वार्टर में किसी काम के सिलसिले में गया था, इसलिए अभिमन्यु इस समय कमरे में अकेला था। वह सागर के कंप्यूटर पर व्यस्त था, जो तीन बड़ी स्क्रीन और कई जटिल डिवाइसों से भरा हुआ था। कमरे की सजावट बहुत ही अनोखी थी; दीवारों पर सुपरहीरो और एनीमे के पोस्टर लगे हुए थे, और दराजों में कुछ एक्शन फिगर्स और नॉवेल्स रखी हुई थीं। कमरे का वातावरण किसी नर्ड की दुनिया जैसा था, जिसमें हर कोने पर कुछ न कुछ दिलचस्प देखने को मिलता था।
अभिमन्यु अपने काम में पूरी तरह से व्यस्त था कि अचानक उसके फोन की घंटी बजी। उसने फोन देखा, तो 'करिश्मा' नाम से कॉल आ रही थी। अभिमन्यु ने कॉल उठाया तो दूसरी तरफ करिश्मा की चिढ़न भरी आवाज आई, "तू भूल गया ना कि मैं आज ही वापस आ रही हूँ?"
अभिमन्यु ने माथे पर हाथ मारा और अपने आप को कोसा, "ओह शिट! मैं तो पूरी तरह से भूल गया था कि ये लड़की आज आ रही थी।"
अभिमन्यु ने तत्परता से कहा, "तुम्हारी फ्लाइट लैंड हो गई?"
करिश्मा ने जवाब दिया, "हां, फ्लाइट लैंड हो गई है, और मैं एयरपोर्ट पर खड़ी हूँ।" इतना कह वो जोर से चीखते हुए बोली, " और सबसे ज्यादा गुस्सा मुझे इस बात पर आ रहा है कि कोई भी मुझे लेने नहीं आया।"
अभिमन्यु ने माफी मांगते हुए कहा, "सॉरी! मुझे लगा था कि तुम्हारे पैरेंट्स तुम्हें लेने आएंगे। एक काम करो, वहीं रुको, मैं 10 मिनट में आता हूँ।"
करिश्मा ने बिना कुछ कहे फोन काट दिया। अभिमन्यु ने तुरंत फोन जेब में रखा, पीसी बंद किया, और कमरे को ताला लगाकर तेजी से बिल्डिंग से बाहर निकला। वह मुख्य सड़क पर आया और एक टैक्सी ले ली। एयरपोर्ट पहुंचने में उसे कुल 15 मिनट लगे। टैक्सी से बाहर निकलकर अभिमन्यु ने करिश्मा को कॉल किया और चारों ओर देखा, लेकिन करिश्मा कहीं नजर नहीं आ रही थी। तभी करिश्मा ने कॉल पिक कर लिया।
अभिमन्यु ने तुरंत पूछा, "कहाँ हो? मैं एयरपोर्ट के बाहर ही हूँ।"
करिश्मा ने शांति से जवाब दिया, "में, तुम्हारे सामने ही हूँ, डफर।"
अभिमन्यु ने देखा कि सामने से एक लड़की एक हाथ से सूटकेस थामे उसे गुड़गुड़ाते हुए और दूसरे हाथ में फोन पकड़े हुए आ रही थी। जैसे ही अभिमन्यु ने करिश्मा को देखा, करिश्मा ने मुस्कान के साथ हाथ से इशारा किया।
करिश्मा ने एक सफेद टॉप और गुलाबी स्कर्ट पहन रखी थी, जिसके ऊपर एक काले रंग की लेदर जैकेट थी। उसके पैरों में भूरा रंग के लॉग बूट्स थे और उसने काले रंग की सनग्लासेस लगा रखी थी। उसके लंबे काले बाल उसकी गोरी त्वचा के साथ खूबसूरती से मेल खा रहे थे, और गुलाबी होंठों पर उसकी मुस्कान ने उसकी सुंदरता को और बढ़ा दिया था। करिश्मा सच में बेहद खूबसूरत लग रही थी, और उसके साथ उसकी हर एक चीज उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रही थी।
करिश्मा जैसे ही अभिमन्यु के पास आई उसके चेहरे के आगे हांथ हिलाते अभिमन्यु को देखकर करिश्मा ने कहा, "ऐसे क्या देख रहे हो? क्या मैं बहुत खूबसूरत लग रही हूँ?" इतना कह वो अपने कमरे पे एक हांथ रखकर एक पोज बनाकर खड़ी हो गई
अभिमन्यु ने आश्चर्यचकित होकर कहा, "नहीं, यह बात नहीं है। तुम अचानक लड़की कैसे बन गई?"
करिश्मा ने अचानक से गुस्से में कहा, "क्या मतलब? मैं हमेशा से लड़की ही थी। बेवकूफ!"
अभिमन्यु ने सफाई दी, "नहीं, मेरा मतलब था कि तुम…"
करिश्मा ने उसे बीच में ही काटते हुए कहा, "हाँ, समझ गई। अब चलो।"
अभिमन्यु ने सिर झुका कर सहमति में हाँ कहा और अपने सामान को डिक्की में रखवाकर टैक्सी के अंदर बैठ गया। टैक्सी ने धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ ली, और दोनों एयरपोर्ट से बाहर निकलने लगे।
अभिमन्यु और करिश्मा की मुलाकात एक अनोखी और अचानक सी थी, लेकिन ये उन दोनों के बीच की दोस्ती का नया मोड़ था। करिश्मा, जो कभी एक टॉमबॉय की तरह रहा करती थी, दिल्ली से लौटने के बाद पूरी तरह बदल चुकी थी। अब वो वही करिश्मा नहीं थी जिसे अभिमन्यु स्कूल के दिनों से जानता था। पहले, करिश्मा हमेशा लड़कों की तरह रहती थी, छोटे बाल, बिना किसी फैंसी मेकअप या स्टाइलिंग के। उसका स्वभाव और रहन-सहन बहुत साधारण और सीधा था, जो उसे और अभिमन्यु को करीबी दोस्त बनाए रखता था। लेकिन एक साल बाद जब वो दिल्ली से वापस लौटी, तो उसकी पूरी पर्सनालिटी जैसे एकदम बदल गई थी।
अभिमन्यु अब भी करिश्मा को अजीब नजरों से देख रहा था। करिश्मा अब एक खूबसूरत, स्टाइलिश लड़की बन चुकी थी, जो फैंसी कपड़े पहनती थी, मेकअप करती थी और जिसे देखकर कोई भी पहली नज़र में हैरान रह जाए। उसने एक सफेद टॉप और गुलाबी स्कर्ट पहन रखा था, ऊपर से काले रंग की लेदर जैकेट डाली हुई थी। उसकी सुंदरता उसकी हल्की गुलाबी लिपस्टिक और खुले लंबे बालों से और भी बढ़ गई थी। करिश्मा की पूरी पर्सनालिटी ने अभिमन्यु को हक्का-बक्का कर दिया था।
जब करिश्मा ने देखा कि अभिमन्यु उसे घूरे जा रहा है, तो उसने अपनी शरारती मुस्कान के साथ कहा, "अरे, ऐसे क्या देख रहे हो? कहीं मुझ पर दिल तो नहीं हार बैठे?"
अभिमन्यु ने तुरंत खुद को संभालते हुए थोड़े झेंपते हुए कहा, "नहीं, नहीं! भले ही तुमने अपना हुलिया पूरी तरह बदल लिया हो, लेकिन तुम अब भी वही मेरी पुरानी दोस्त हो। बस थोड़ा हैरान हूँ कि तुमने अपने स्टाइल को इतना बदल दिया है।"
करिश्मा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "वक़्त के साथ बहुत कुछ बदल जाता है।"
अभिमन्यु ने गंभीरता से कहा, "हाँ, वक़्त हमेशा बदलाव लाता है, और बदलाव जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।"
करिश्मा ने उसकी बात काटते हुए कहा, "अरे यार, ये फिलॉसॉफी की बातें मत शुरू करो। अच्छा ये बताओ, पूरे साल क्या-क्या किया? मेरे बिना तो बोर हो गए होगे, है ना?"
अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं, कुछ खास नहीं किया। बस कुछ नए दोस्त बना लिए।"
करिश्मा ने मजाक में उसकी बात का मतलब निकालते हुए कहा, "ओह, नए दोस्त? कहीं कोई गर्लफ्रेंड तो नहीं बना ली?"
अभिमन्यु ने हड़बड़ाते हुए तुरंत इनकार किया, "नहीं, नहीं! बस कुछ दोस्त ही हैं।"
करिश्मा ने उसे छेड़ते हुए कहा, "मुझे तो लगा था कि मेरे जाने के बाद कम से कम तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड बन ही जाएगी।"
अभिमन्यु ने उसकी बात को इग्नोर करते हुए पूछा, "मेरी छोड़ो, तुम बताओ। तुम्हारा तो पक्का कोई बॉयफ्रेंड होगा?"
करिश्मा ने हंसते हुए कहा, "तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड होगा?"
अभिमन्यु ने अपनी बात समझाते हुए कहा, "देखो, तुम्हारी पर्सनालिटी में इतना बड़ा बदलाव बेवजह तो नहीं हुआ होगा। आखिर किसी के लिए तो तुमने अपने स्टाइल को पूरी तरह बदल दिया है।"
करिश्मा कुछ देर चुप रही, फिर उसने थोड़े संजीदा स्वर में कहा, "नहीं, मेरा अभी तक कोई बॉयफ्रेंड नहीं बना। लेकिन हाँ, तुमने सही कहा। मैंने ये स्टाइल इसलिए अपनाया ताकि किसी को इम्प्रेस कर सकूं।"
अभिमन्यु ने हैरानी में पूछा, "तुम और किसी को इम्प्रेस करने की कोशिश कर रही हो? ये कैसे हो सकता है? तुम इतनी खूबसूरत हो, तुम्हें किसी को इम्प्रेस करने के लिए अपने स्टाइल को बदलने की जरूरत क्यों है? तुम्हें तो कोई भी लड़का अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहेगा।"
करिश्मा ने हंसते हुए कहा, "हाँ, लेकिन वो इम्प्रेस नहीं हुआ। इसलिए मैंने अपना स्टाइल ही बदल लिया।"
अभिमन्यु ने सवाल किया, "तो अब जब तुमने अपना स्टाइल बदल लिया है, क्या वो अब इम्प्रेस हो गया?"
करिश्मा ने एक हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "पता नहीं।"
अभिमन्यु ने फिर से पूछा, "इसका क्या मतलब?"
करिश्मा ने जवाब दिया, "मतलब कि अब तक तो मुझे कोई खास फर्क नजर नहीं आया, लेकिन शायद थोड़ा बहुत इम्प्रेस तो हो ही गया होगा। कम से कम अब मुझे लड़की तो समझेगा।"
अभिमन्यु ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "हाँ, ये तो सही है कि अब तुम सच में लड़की लग रही हो।"
करिश्मा ने उसे घूरकर देखा, तो अभिमन्यु तुरंत चुप हो गया। फिर करिश्मा ने अपना फोन निकाला और उसे पिछले एक साल की सारी फोटोज दिखाने लगी। उसने कई फोटोज खींची थी—स्कूल की, दिल्ली के अलग-अलग जगहों की, और अपने नए दोस्तों के साथ की। वो सभी तस्वीरें दिखाते हुए उसने हर एक के बारे में विस्तार से समझाया, लेकिन उसने अभिमन्यु को एक भी फोटो पहले नहीं भेजी थी।
अभिमन्यु को ये थोड़ा अजीब लगा कि दो महीने पहले तक उसके बाल इतने लंबे हो चुके थे, फिर भी वो लड़का क्यों इम्प्रेस नहीं हुआ। उसने पूछा, "मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही, इतने वक्त तक तुम इस नए स्टाइल में थी, फिर भी वो लड़का इम्प्रेस नहीं हुआ?"
करिश्मा ने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए कहा, "तुम उस बात को भूल क्यों नहीं जाते?"
अभिमन्यु ने सीधा सवाल किया, "क्या तुम उससे प्यार करती हो?"
करिश्मा ने थोड़ी संजीदगी से जवाब दिया, "शायद। या फिर ये सिर्फ एक क्रश भी हो सकता है। लेकिन मैं कोई जल्दीबाजी नहीं करना चाहती। वैसे आज का क्या प्लान है? तुम फ्री हो?"
अभिमन्यु ने जवाब दिया, "हाँ, लगभग फ्री हूँ। क्या हुआ?"
करिश्मा ने उत्साहित होकर कहा, "वो, आज बंजारा पैलेस में एक कंसर्ट है। अगर तुम चलना चाहो तो?"
अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, जरूर! वैसे भी बंजारा पैलेस के ओनर को मैं जानता हूँ। उसके बेटे से मेरी दोस्ती है।"
करिश्मा ने मजाक में कहा, "अच्छा, तो ये हैं वो नए दोस्त?"
अभिमन्यु ने हंसते हुए जवाब दिया, "हाँ, वही।"
करिश्मा ने बताया, "वैसे, मेरी कुछ सहेलियाँ भी उस कंसर्ट में परफॉर्म कर रही हैं। उनके बैंड का नाम 'किशोरी गर्ल्स' है।"
अभिमन्यु ने दिलचस्पी लेते हुए पूछा, "वो सब क्या तुम्हारे स्कूल से ही हैं?"
करिश्मा ने कहा, "हाँ, उनमें से एक तो मेरी ही क्लास से है, बाकी दूसरी क्लास से। उन्होंने मिलकर ये बैंड शुरू किया था। काफी अच्छे हैं।"
दोनों इसी तरह बातें करते रहे और थोड़ी देर बाद वे एक घर के पास पहुंचे।