अभिमन्यु इवेंट हॉल में चारों ओर नजरें दौड़ाते हुए खड़ा था। माहौल में चहल-पहल थी। मेहमानों के साथ-साथ कई लोग अलग-अलग कामों में व्यस्त थे। उनमें से कुछ वेटर थे, जो खाने-पीने का सामान सर्व कर रहे थे। अभिमन्यु को अचानक कुछ अजीब सा महसूस हुआ जब उसने देखा कि वेटरों में से कुछ आपस में एक-दूसरे की ओर देख रहे थे और हल्का सा सिर हिला रहे थे, जैसे किसी गुप्त इशारे का आदान-प्रदान कर रहे हों। उसकी इंट्यूशन ने उसे सतर्क कर दिया और उसने उन पर नजर रखनी शुरू कर दी।
कुछ देर बाद, उसने देखा कि वे सब एक साथ बाथरूम की ओर जा रहे थे।
अभिमन्यु दूर से ही उन लोगों को देख रहा था। उनमें से एक आदमी बाथरूम के अंदर गया और एक टॉयलेट सीट के ऊपर चढ़कर, छत की एक टाइल हटाई और उसमें से एक छोटा सा बैग निकाला, जिसमें कुछ पिस्टल और गोलियां रखी हुई थीं।
हालांकि अभिमन्यु को पिस्टल साफ-साफ नहीं दिखी, लेकिन उसे यह जरूर लगा कि वे अंदर कुछ गड़बड़ कर रहे थे। बाथरूम के बाहर एक आदमी खड़ा होकर चौकसी कर रहा था।
अभिमन्यु को पता लगाना था कि अंदर क्या हो रहा है, इसलिए उसने अचानक से इयरफोन पर किसी से बात करने का नाटक किया और बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा। वह कह रहा था, "हाँ, बस एक मिनट रुकना, मैं बाथरूम से होकर आ रहा हूँ। क्या कहा? नहीं, नहीं, वो तो... अरे हाँ, देख, सब कुछ ठीक है। अरे हाँ, इवेंट में कुछ गड़बड़ नहीं चल रही? क्या कहा? हाँ हाँ, कमिश्नर खन्ना सिक्योरिटी देख रहे हैं। और नहीं तो क्या?"
बाथरूम के बाहर खड़ा आदमी यह सुनकर बाकी लोगों को धीरे से कहता है, "एक ऑर्गनाइज़र का मेंबर बाथरूम में आ रहा है, छिप जाओ।" इतना कहकर वह बाहर की तरफ जाने लगा। अभिमन्यु ने उसे एक बार देखा। उसके चेहरे पर पसीने की एक बूंद थी।
अभिमन्यु ने इयरफोन पर बात करने का नाटक करते हुए बाथरूम में प्रवेश किया। अंदर सब कुछ सामान्य लग रहा था। वह फिर टॉयलेट करने के बहाने गया और उसने ध्यान दिया कि सब लोग एक ही कमरे में छिपे हुए थे।
अभिमन्यु ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिए, बात करने का नाटक जारी रखा और हैंडवॉश करते समय उसने शीशे में देखा कि छत की एक टाइल को हटाकर दोबारा लगाई गई थी, क्योंकि उसमें गंदगी की वजह से एक निशान बना हुआ था जो साफ दिखा रहा था कि टाइल को सही दिशा में नहीं रखा गया था।
अभिमन्यु शांति से हाथ धोकर बाहर निकल गया और फिर से बात करते हुए वहाँ से चला गया। वे लोग फिर बाहर आए और अपनी-अपनी पिस्टल को लोड कर लिया। उन्होंने पिस्टल को अपनी पैंट के अंदर कमर के पीछे खोंस लिया और उसे शर्ट से ढक लिया। फिर वे आगे बढ़ गए।
अभिमन्यु बाहर एक कोने में खड़ा होकर किसी काम में व्यस्त होने का नाटक कर रहा था। साथ ही वह इयरफोन में भी निर्देश दे रहा था। जब वे सभी उसके पास से गुजर रहे थे, तो अभिमन्यु ने उनमें से एक की कमर में छिपी पिस्टल को देख लिया, जो हल्की सी दिख रही थी।
अभिमन्यु ने मन में कहा, "पिस्टल्स! लेकिन इनका प्लान क्या है? पता लगाना पड़ेगा।"
उसने देखा कि अब वे लोग अलग-अलग हो रहे थे।
अभिमन्यु को यह सही मौका लगा। उसने देखा कि एक वेटर सीढ़ियों से ऊपर जा रहा था, शायद कोई अच्छा एंगल ढूंढने। फिर वह एक कमरे में गया, जहाँ से स्टेज और बाकी इवेंट का हिस्सा आसानी से दिख रहा था। वह कमरा पूरी तरह खाली था और दूसरे फ्लोर पर कोई नहीं था। सभी सिक्योरिटी गार्ड्स कुछ गिने-चुने कमरों, छत और अन्य जगहों पर तैनात थे, और वे एक-दो जगहों पर निगरानी रखते हुए इधर-उधर घूम रहे थे।
अभिमन्यु छिपते-छिपाते उस कमरे में पहुंच गया, क्योंकि उस वेटर ने दरवाजा बंद नहीं किया था। फिलहाल वह स्थिति का जायजा ले रहा था।
फिर वह वेटर दरवाजे के पास गया और बाहर दोनों तरफ देखा। जब उसे यकीन हो गया कि वहाँ कोई नहीं है, तो उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। तभी अचानक से अभिमन्यु ने उसकी कमर से बंदूक निकाली और उस पर तान दी। बंदूक में सप्रेसर लगा हुआ था।
अभिमन्यु ने उसके दोनों घुटनों पर गोली मार दी, जिससे वह दर्द के मारे गिर पड़ा और चीखने लगा। लेकिन म्यूजिक के शोर में उसकी आवाज़ किसी तक नहीं पहुंची।
अभिमन्यु ने उसके सिर पर बंदूक की नली तानते हुए कहा, "तुम लोगों का क्या प्लान है?जल्दी बोल, नहीं तो तेरा भेजा उड़ा दूंगा।"
वह आदमी यह सुनकर हंसने लगा।
अभिमन्यु ने तब अचानक उसके कान पर गोली चला दी, जिससे उसका एक कान फट गया।
अभिमन्यु ने कहा, "अब अगर दूसरा कान नहीं खोना चाहता तो बता कि यहाँ क्या करने आए हो।"
वह आदमी अब डर गया था। उसने दर्द से कांपते हुए धीरे-धीरे कहा, "डीसीपी खन्ना... हम उसे मारने आए हैं।"
अभिमन्यु ने इस बार उसकी हथेली पर गोली मारी और कहा, "मुझे क्या बेवकूफ समझा है? अगर डीसीपी खन्ना को मारना होता, तो उसके घर पर हमला करते या फिर कहीं और। इतनी सिक्योरिटी और भीड़-भाड़ में नहीं।"
वह आदमी यह सुनकर हल्के से हंसने लगा, लेकिन फिर अपने शरीर के दर्द से कराहने लगा। उसने दर्द के मारे कहा, "समझदार हो तो खुद पता लगा लो कि यहाँ क्या हो रहा है।"
इससे पहले कि अभिमन्यु कुछ समझ पाता, उसने देखा कि उसके मुंह से झाग निकलने लगा है।
अभिमन्यु को समझ नहीं आया कि उस आदमी ने ज़हर कब खाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वह आदमी अपने प्राण त्याग चुका था।
अभिमन्यु ने जैसे ही खतरा महसूस किया, वह तेजी से खिड़की के पास गया और डीसीपी खन्ना को कॉल मिलाया। फोन की घंटी बजते ही डीसीपी खन्ना की भारी आवाज सुनाई दी, "हैलो, अभिमन्यु, क्या हुआ ? कॉल क्यों किया?"
अभिमन्यु की नजरें लगातार उस वेटर पर टिकी हुई थीं, जो अब धीरे-धीरे कमिश्नर के करीब पहुँच रहा था। उसकी चाल में एक अजीब सा ठहराव था, और अभिमन्यु ने देखा कि वह अपनी कमर के पीछे हाथ रखकर कुछ निकालने की कोशिश कर रहा था—निस्संदेह एक पिस्तौल। हालात तेजी से खराब होते जा रहे थे, और वेटर का इरादा साफ था—वह कमिश्नर पर हमला करने वाला था।
आस-पास की भीड़ अब भी म्यूजिक में डूबी हुई थी, और डीसीपी खन्ना के पीछे एक बड़ा DJ सेटअप था, जिसके चलते उन्हें कुछ नजर नहीं आ रहा था। अभिमन्यु की आवाज में तनाव था, उसने तुरंत कहा, "अंकल, जल्दी से DJ के पीछे की तरफ कवर लीजिए!"
डीसीपी खन्ना ने कुछ पल के लिए समझने की कोशिश की, "क्या मतलब? क्या हो रहा है?"
अभिमन्यु ने अपनी आवाज को और तीखा करते हुए कहा, "अंकल, आपके पास समय नहीं है! एक आदमी आपके पास है, और उसने पिस्तौल निकाल ली है! तुरंत DJ के पीछे छिपिए, वो आप पर गोली चलाने वाला है!"
अभी खन्ना अपनी जगह से हटने की कोशिश कर ही रहे थे कि वेटर ने पिस्तौल निकालकर एक गोली चला दी। भाग्यवश, डीसीपी खन्ना समय रहते अपने स्थान से हट चुके थे, और गोली उनके ठीक पीछे से निकल गई। भीड़ अब भी संगीत में मग्न थी, क्योंकि पिस्तौल साइलेंसर से लैस थी, और किसी को भी इस जानलेवा खतरे का अंदाजा नहीं था।
डीसीपी खन्ना ने तुरंत अपना कान में लगा ईयरपीस एडजस्ट किया और अपने ऑफिसर्स को अलर्ट किया, "सभी ध्यान दें, कंफर्म्ड अटैक है! सभी अपनी-अपनी पोज़िशन लें, किसी को भी इवेंट के आसपास से जाने न दें!"
वेटर जो अब तक गोली चला चुका था, भीड़ में छिपने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अभिमन्यु की निगाहें अब भी उस पर टिकी थीं। वह ऊपरी मंजिल से हर हरकत को ध्यान से देख रहा था और जैसे ही उसने देखा कि वेटर गायब हो रहा है, उसने तेजी से डीसीपी खन्ना को रिपोर्ट किया, "वो आदमी अब भीड़ में घुस गया है, पर मैं उस पर नजर रखे हुए हूँ। इसके अलावा और चार लोग भी हैं, जिनमें से बाकी लोग मुझे अब तक दिख नहीं रहे हैं।"
डीसीपी खन्ना ने कुछ राहत की सांस लेते हुए पूछा, "पर तुम इस सब में कैसे शामिल हो गए?"
अभिमन्यु ने एक पल के लिए अपनी जगह से हटे बिना जवाब दिया, "मैं बाथरूम गया था और वहीं मुझे इनकी गतिविधियों का पता चला। इन्होंने पहले से ही अपने हथियार बाथरूम में छिपाए हुए थे। उनमें से एक को मैंने पकड़ लिया था, लेकिन उसने ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली। मैं सेकंड फ्लोर पर हूँ, आपके तीन बजे की दिशा में।"
डीसीपी खन्ना ने अपने चारों ओर देखा और ऊपर की तरफ नजर दौड़ाई। अभिमन्यु छत के किनारे से सिर निकाल कर स्थिति का जायजा ले रहा था। उनकी निगाहें मिलीं, और खन्ना ने हल्की राहत की सांस ली कि अभिमन्यु की सतर्कता से हालात अब तक काबू में थे।
अभिमन्यु की नजरें अचानक फिर से भीड़ में घूमने लगीं। "दूसरा आदमी मुझे मिल गया है। वो अभी-अभी पहले वाले से मिला है, और अब दोनों भीड़ से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं।"
खतरनाक स्थिति में, अभिमन्यु लगातार अपने चारों ओर नजर रखते हुए डीसीपी खन्ना को सारी जानकारी देता रहा।
नीचे भीड़ में, वो दोनों हथियारबंद लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे और आपस में बातचीत कर रहे थे। उनमें से एक ने दूसरे से कहा, "तुमने ऊपर वाले कमरे में देखा था? वहां वही आयोजक है।"
दूसरे आदमी ने जवाब दिया, "हां, मुझे लगता है कि उसे हमारे प्लान की भनक लग गई होगी। हमें वहीं उसे खत्म कर देना चाहिए था।"
पहले आदमी ने गुस्से में कहा, "नहीं, फिलहाल अच्छा है कि पुलिस का ध्यान हम पर है। इससे हमारे असली मकसद पर कोई शक नहीं करेगा।"
उनकी बातचीत से ये साफ था कि ये लोग सिर्फ छोटे हमलावर नहीं थे, बल्कि इनका कोई बड़ा मकसद था। लेकिन फिलहाल इस बात की भनक अभिमन्यु को भी थी, की ये यहां कुछ तो अलग करने आए हैं। लेकिन क्या वो ये पता लगा पाएगा की आखिर उनका असली मकसद क्या है?