सुकन्या और सूरज त्रिपाठी एक दूसरे ग्रीन रूम से बाहर निकले और गैलरी से होते हुए वापस अपने वीआईपी सीट्स की तरफ जा रहे थे, जब सुकन्या की नज़र अचानक से बाए तरफ के खुले हुए कमरा नंबर 13 की पर पड़ी। उसने जब बाईं तरफ अपनी गर्दन घुमाई तो देखा कि पिछली रात का वही लड़का, जिसे उसने क्लब में देखा था, खिड़की के अंदर घुस रहा था। वह खिड़की दरअसल एक स्लाइड की तरह थी, जो दीवार के अंदर छिपी हुई थी।
सुकन्या ने झट से कहा, "अंकल, मुझे लगता है मैंने उस लड़के को फिर से देखा! वह अभी-अभी खिड़की से अंदर गया है।"
सूरज त्रिपाठी ने भी उस कमरे की ओर देखा, और उनकी नज़र उस चक्र के आकार के छेद पर पड़ी जो दीवार में बना हुआ था। नीचे एक पेंटिंग रखी हुई थी, जो और भी रहस्यमयी लग रही थी। दोनों खिड़की के पास गए और पाया कि वह रास्ता नीचे की ओर जा रहा था। वह रास्ता किसी सीक्रेट डक्ट की तरह दिख रहा था, और एक अंधेरी सुरंग की तरफ इशारा कर रहा था।
सुकन्या ने बिना एक पल गंवाए उस डक्ट में छलांग लगा दी।
त्रिपाठी ने चिढ़ते हुए कहा, "ऐसे किसी भी अनजान डक्ट में बिना सोचे-समझे छलांग नहीं लगानी चाहिए!" यह कहते हुए उन्होंने भी छलांग लगा दी, और दोनों नीचे एक अजीबोगरीब जगह पर पहुँच गए। वहां डीसीपी खन्ना और कुछ पुलिस ऑफिसर खड़े थे, जो अपनी यूनिफॉर्म में थे। उनके साथ सस्पेंस से भरे सीन में संदीप और दिलजीत भी खड़े दिखे।
जैसे ही सुकन्या और त्रिपाठी वहाँ पहुंचे, पुलिस ऑफिसर्स ने उन दोनों पर गन तान दीं।
सुकन्या ने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए हड़बड़ाकर कहा, "सॉरी, हम यहाँ गलती से आ गए।"
दिलजीत ने तंज कसते हुए कहा, "हाँ, कोई भी गलती से दीवार के अंदर के डक्ट से आ सकता है, है ना? हमें बेवकूफ समझ रखा है क्या?"
सुकन्या ने खुद को समझाते हुए कहा, "वो हम बाहर से गुजर रहे थे, और मैंने उस जाने-पहचाने लड़के को अंदर जाते हुए देखा। इतना कहते हुए उसने इधर-उधर देखा, फिर पूछा, 'पर वो यहां दिख नहीं रहा, क्या वो नीचे गया है?'"
डीसीपी खन्ना ने नीचे एक गड्ढे में झांक कर देखा और कहा, "यहाँ तो कोई नहीं है।" उसने संदेह जताते हुए पूछा, "ये अभिमन्यु कहां चला गया?"
दिलजीत ने अनुमान लगाया, "शायद वह आगे बढ़ गया होगा।" इतना कहकर उसने भी गड्ढे में छलांग लगा दी।
डीसीपी खन्ना ने गुस्से से कहा, "मैंने कहा था, तुम लोग पीछे रहो! हो सकता है उनके पास हथियार हों!" यह कहते हुए उन्होंने भी छलांग लगा दी, और उनके साथ बाकी पुलिस ऑफिसर्स भी नीचे कूद गए। धीरे-धीरे सुकन्या, सूरज त्रिपाठी, और बाकी लोग भी उनके पीछे गए।
कुछ देर बाद, सब लोग अभिमन्यु के पास पहुँचे। वह एक रहस्यमयी मूर्ति के सामने खड़ा था, और आश्चर्य से उसे देख रहा था। बाकियों ने भी मूर्ति की ओर ध्यान दिया, लेकिन मूर्ति के बजाए उनका ध्यान उन पाँच लाशों पर गया जो उसके सामने पड़ी हुई थीं। उन पाँचों के हाथों में चाकू थे, और उनके गले से खून बह कर ज़मीन पर फैला हुआ था। मूर्ति के नीचे ज़मीन पर एक गोल आकार में कुछ डिजाइन बने हुए थे, जो उन पाँचों के खून से भर चुके थे। उन डिजाइन और आकृतियों के बीच में वह मूर्ति खड़ी थी, जो अब और भी डरावनी लग रही थी।
सुकन्या ने तुरंत अपनी आंखें बंद कर लीं और त्रिपाठी के पीछे छुप गई।
डीसीपी खन्ना ने हैरानी से कहा, "ये सब क्या है?"
लेकिन अभिमन्यु ने कुछ नहीं कहा। उसकी नज़रें अब भी उस मूर्ति पर जमी हुई थीं। दिलजीत ने मूर्ति को देखते हुए कहा, "लगता है ये शैतान की मूर्ति है, जिनकी ये लोग पूजा करते होंगे।"
अभिमन्यु ने उसकी बात सुनते हुए जवाब दिया, "मुझे लगता है, इन्होंने सामूहिक आत्महत्या की है। अगर इनकी भाषा में कहें तो इन्होंने 'शैतान को खुद की बलि चढ़ा दी।'"
डीसीपी खन्ना ने सर हिलाते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता था कि अपने करियर में ऐसा कुछ देखने को मिलेगा। अंधविश्वास से जुड़ी हत्याएँ देखी हैं, पर इस तरह का पागलपन पहली बार देख रहा हूँ।"
त्रिपाठी ने विस्मय से पूछा, "आखिर यहां हो क्या रहा है?"
डीसीपी खन्ना ने थोड़े सख्त लहज़े में कहा, "त्रिपाठी, मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम भी यहाँ मिलोगे।"
सूरज ने सफाई देते हुए कहा, "मैं बस अपनी भतीजी को ये कॉन्सर्ट दिखाने लाया था, और जब इसने उस लड़के को अंदर जाते हुए देखा, तो खुद भी अंदर आ गई।"
अभिमन्यु ने सुकन्या की तरफ देखा और कहा, "तुम वही लड़की हो ना, जो कल रात क्लब में थी?"
सुकन्या ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरा नाम सुकन्या है।"
डीसीपी खन्ना ने अब जाकर पहचाना और हैरानी में कहा, "तो ये वो लड़की है... और क्या दूसरा आदमी त्रिपाठी था जिसने उन लड़कों को बुरी तरह पीटा था?"
त्रिपाठी ने हड़बड़ाते हुए कहा, "मुझे नहीं पता आप किस बारे में बात कर रहे हैं।"
डीसीपी खन्ना ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा, "बनो मत, तुमने पाटेकर के बेटे को अस्पताल पहुँचाया था।"
त्रिपाठी ने गंभीर होते हुए कहा, "लेकिन पुलिस ने उस केस को रद्द कर दिया था, तो अब ये पूछताछ क्यों?"
उन दोनों के बीच एक अनकही सी दुश्मनी झलक रही थी। एक सिपाही और एक अपराधी के बीच हमेशा छत्तीस का आंकड़ा तो रहता ही है।
इस बीच, अभिमन्यु ने फिर से मूर्ति की तरफ देखा और कहा, "मुझे लगता है कि ये इल्यूमिनाटी का केस बहुत दिनों तक चर्चा का विषय रहेगा। लोगों को शायद ही यकीन होगा कि बनजारा पैलेस के नीचे शैतान की पूजा हो रही थी। अब तो पक्का लोग संदीप अंकल पर इल्यूमिनाटी के सदस्य होने का आरोप लगाएँगे।"
संदीप ने घबराते हुए कहा, "फिर तो इसका बहुत बुरा असर हमारे बिज़नेस पर पड़ेगा।"
डीसीपी खन्ना ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा, "हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। ये बात तो बाहर आ ही जाएगी। लेकिन हम एक बयान जारी कर देंगे कि आपका इससे कोई लेना-देना नहीं था। भले ही ये जगह आपकी है, लेकिन इसका निर्माण आपने नहीं करवाया था।"
दिलजीत ने हंसते हुए कहा, "चिंता मत कीजिए, पापा! इसके बाद ये जगह किसी टूरिस्ट स्पॉट में बदल जाएगी। बस हमें इसे थोड़ा-सा रेनोवेट करवाना होगा।"
अभिमन्यु फिर से उस मूर्ति के पास गया और नीचे बनी आकृतियों को ध्यान से देखने लगा। सुकन्या धीरे-धीरे उसके पास चली आई और उसने पूछा, "क्या देख रहे हो?"
अभिमन्यु ने बिना उसकी तरफ देखे कहा, "बस सोच रहा हूँ कि आखिर ये आकृतियाँ क्यों बनाई गई हैं? इनका मतलब क्या हो सकता है?"
सुकन्या ने उसके विचारों को हल्के में लेते हुए कहा, "समझने जैसा क्या है? सीधी-सी बात है, ये लोग बस किसी तरह का संगठन बनाना चाहते होंगे। और उस संगठन को बनाए रखने के लिए अजीब से नियम और आकृतियाँ बनाईं होंगी।"
अभिमन्यु ने थोड़ी गंभीरता से जवाब दिया, "तुम्हारी बात सही हो सकती है, लेकिन बिना किसी कारण के कुछ भी नहीं बनाया जाता। हर आकृति के पीछे कोई सोच, कोई मैसेज या कहानी होती है।"
बात को बदलते हुए सुकन्या ने पूछा, "वैसे, तुमने अपना नाम क्या बताया?"
अभिमन्यु अब भी उन आकृतियों को देखते हुए बोला, "कुछ भी नहीं।"
सुकन्या ने मजाकिया लहजे में कहा, "ये कैसा अजीब नाम है?"
अभिमन्यु ने उसकी ओर बिना देखे कहा, "मैंने कहा कि मैंने तुम्हें अपना नाम नहीं बताया।"
सुकन्या ने हंसते हुए कहा, "तो अब बता दो! आखिर एक खूबसूरत लड़की तुमसे बात करना चाहती है।"
अभिमन्यु ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, "गलतफहमी हो गई है तुम्हें।"
सुकन्या ने अपने माथे पर बल डालते हुए मजाकिया लहजे में कहा, "क्या? ये कि मैं तुमसे बात करना चाहती हूं?"
अभिमन्यु ने उसकी ओर बिना देखे ही कहा, "नहीं, बल्कि ये कि तुम खूबसूरत हो।"
सुकन्या ने थोड़ी हैरानी और चंचलता से कहा, "देखो, अब 'hard to get' बनने की कोई जरूरत नहीं है। मैं जानती हूं कि मैं खूबसूरत हूं। आखिरकार छपरा के हर लड़के ने मुझे प्रपोज़ किया है।"
अभिमन्यु ने थोड़ा व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, "लगता है छपरा के लड़कों के पास बहुत खाली समय है।"
इस पूरी बातचीत के दौरान अभिमन्यु ने एक बार भी सुकन्या की तरफ नहीं देखा। वो अभी भी उन आकृतियों और मूर्ति की तरफ एकटक देख रहा था, मानो उसमें छिपी किसी रहस्यमयी कहानी को समझने की कोशिश कर रहा हो।