Chapter 20 andheri raat

अभिमन्यु धीरे-धीरे सड़क पर चलते हुए किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था। आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे, और सड़क के दोनों ओर खामोशी पसरी हुई थी। हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी, जो उसके चेहरे से टकरा रही थी, पर उसके कदमों की गति में कोई रुकावट नहीं आई। मन में उमड़ते विचारों के साथ, उसने अचानक सैली से पूछा, "तो तुम मेरे दिमाग में हो या चश्मे में?"

उसकी आवाज़ जैसे ही शांत रात की हवा में बिखरी, वैसे ही सैली की आवाज़ उसके कानों में गूंज उठी, "न मैं तुम्हारे दिमाग में हूं और न ही चश्मे में। मैं तो तुम्हारी आत्मा में हूं।"

अभिमन्यु चौंकते हुए बोला, "कब से? और कैसे? मुझे पहले तो कभी इसका अहसास नहीं हुआ।"

सैली ने अपनी आदत के अनुसार एक टेढ़े अंदाज में जवाब दिया, "वो तो मुझे भी नहीं पता, शायद हमेशा से... पर मैं आज ही जागी हूं।"

अभिमन्यु ने थोड़ी और जिज्ञासा दिखाते हुए पूछा, "तो तुम हो क्या? कोई आत्मा या फिर कोई सॉफ्टवेयर?"

सैली की आवाज़ में हल्की शरारत थी, "फिलहाल तो मैं एक सिस्टम हूं।"

अभिमन्यु ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "फिलहाल? इसका क्या मतलब है?"

सैली ने बात को घुमाते हुए पूछा, "वैसे, तुम्हारे परिवार वालों ने तुम्हें बाहर क्यों निकाल दिया?"

अभिमन्यु को समझ में आ गया कि सैली उससे सब कुछ नहीं बताने वाली थी, इसलिए उसने भी इस बात को नजरअंदाज करते हुए जवाब दिया, "मेरे परिवार वाले पुरानी परंपराओं और नियमों को बहुत मानते हैं। प्राचीन समय में बच्चे अपने परिवार से दूर आश्रम में जाते थे अपनी शिक्षा के लिए, जहां उन्हें कठिन जीवन जीते हुए परिश्रम करना पड़ता था। उसी वातावरण में व्यक्ति महान राजा बनने के काबिल बन पाता था। मेरा परिवार भी उसी परंपरा का पालन कर रहा है।"

सैली ने आश्चर्य जताते हुए कहा, "तुम्हारी बातों से तो लग रहा है कि तुम्हें इस परीक्षा के बारे में पहले से ही सब पता था।"

अभिमन्यु ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "हां, मुझे पहले से ही पापा ने सब कुछ बता दिया था। और इसी परीक्षा के दौरान ही वे मेरी मां से भी मिले थे।"

सैली ने मजाकिया लहजे में कहा, "तो क्या तुमने पहले से ही कुछ तैयारी कर रखी है? सच कहूं तो मैं यूं रात में अकेले भटकना नहीं चाहती थी।"

अभिमन्यु मन ही मन सोचने लगा, "ये क्या, ये तो मेरे शरीर को अपना शरीर समझने लगी है!"

तभी सैली की आवाज़ ने उसकी सोच को चीर दिया, "और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं, ये शरीर अब मेरा भी है।"

अभिमन्यु ने हैरानी से पूछा, "तुम मेरे मन की बात सुन सकती हो?"

सैली ने चिढ़ते हुए कहा, "ऑफकोर्स सुन सकती हूं, डफ़र! तुम्हें क्या लगा, मैं तुमसे कैसे बात कर रही हूं?"

अभिमन्यु ने हल्की हंसी के साथ कहा, "तो फिर मेरी प्राइवेसी की तो खैर नहीं!"

सैली ने चुटकी लेते हुए कहा, "मैं खुद ही तुम्हारी निजी संपत्ति हूं, समझे बेवकूफ!"

अभिमन्यु ने हंसते हुए कहा, "तो क्या मैं तुम्हारा मालिक हूं?"

सैली ने एक संजीदा आवाज़ में जवाब दिया, "हां।"

अभिमन्यु ने फिर पूछा, "तुम क्या कोई लड़की हो?"

सैली ने हंसते हुए कहा, "पहले मैं एक लड़की थी, पर फिलहाल मैं तुम्हारे शरीर में हूं, तो अभी मैं एक पुरुष हुई।"

अभिमन्यु ने फिर से पूछा, "पर तुमने बताया नहीं कि तुम मेरे शरीर में कैसे आई?"

सैली ने गंभीर स्वर में कहा, "मुझे नहीं पता, मैं बस तुम्हारी आत्मा से जुड़ी हूं। मुझे बस इतना पता है। वैसे हमें कब तक यूं चलते रहना होगा?"

अभिमन्यु ने जवाब दिया, "बस थोड़ी देर और।"

कुछ देर बाद, जब वे एक मोड़ पर पहुंचे, वहां एक पुरानी काली कार खड़ी हुई थी। कार सुनसान सड़क के किनारे खड़ी थी, उसके चारों ओर पेड़ों की परछाइयां फैली हुई थी।

अभिमन्यु ने बिना कुछ कहे, जैसे ये कार पहले से जानता हो, आगे बढ़कर उसका दरवाजा खोला और अंदर बैठ गया कार के डैशबोर्ड पर एक बैंक का कार्ड और एक चमचमाती कटाना रखी हुई थी, जो देखकर सैली हैरान हो गई। उसकी नजर कटाना पर अटकी रह गई और कुछ पलों के बाद उसने आश्चर्य से कहा, "ये तो ब्लैक स्पेस है!"

अभिमन्यु ने चौंकते हुए पूछा, "ब्लैक स्पेस?"

सैली ने धीमी आवाज़ में कहा, "हां, ये कटाना का नाम है... एक सेकंड... क्या तुम इसे इस्तेमाल कर सकते हो?"

अभिमन्यु ने सवालिया नज़र से उसकी ओर देखा और फिर हंसते हुए कहा, "इस्तेमाल कर सकते हो? इसका क्या मतलब? ये बस एक कटाना ही तो है और ये मेरी है, तो इस्तेमाल भी करता ही हूं। लेकिन तुम इस कटाना के बारे में क्या जानती हो?"

सैली कुछ पल के लिए चुप रही, फिर उसने बात बदलते हुए कहा, "नहीं, वो मुझे लगा कि ये ब्लैक स्पेस है क्योंकि ये उसी की तरह दिखती है, पर शायद ये एक साधारण कटाना है।"

अभिमन्यु ने फिर गंभीरता से पूछा, "वैसे ये ब्लैक स्पेस कटाना की क्या कहानी है?"

सैली ने थोड़ी गंभीर आवाज़ में कहा, "ब्लैक स्पेस कटाना कुछ ताकतवर हथियारों में से एक है। कहते हैं कि इस तलवार में इतनी शक्ति है कि ये समय और अंतरिक्ष को भी काट सकती है।"

अभिमन्यु ने हंसते हुए कहा, "लगता है कि तुम एनीमे बहुत देखती हो।" उसकी हंसी में हल्का व्यंग्य भी था।

सैली ने चिढ़कर कहा, "तुम्हें लगता है मैं झूठ बोल रही हूं?"

अभिमन्यु ने अपनी मुस्कान को दबाते हुए कहा, "नहीं, पर ये कैसे मुमकिन हो सकता है कि एक कटाना इतनी ताकतवर हो? ये तो नामुमकिन लगता है।"

सैली ने अपने तर्कों को और मजबूत करते हुए कहा, "क्या तुम्हें ये मुमकिन लगता है कि तुम्हारे अंदर एक सिस्टम है, जिसमें तुम इंटरनेट भी चला सकते हो और फिलहाल तुम उससे बात कर रहे हो? या फिर तुम्हें लगता है कि तुम्हारा मानसिक संतुलन हिल चुका है?"

अभिमन्यु ने उसकी बात पर हल्की हंसी लेते हुए कहा, "वैसे जब किसी का मानसिक संतुलन हिला हुआ होता है, तो उसे इस बात का अहसास नहीं होता कि उसका सच में मानसिक संतुलन हिला हुआ है। वो अपने आप से कभी इस बात पर सवाल नहीं करता कि ये सब झूठ भी हो सकता है। लेकिन मैं ये सोच पा रहा हूं कि मेरा मानसिक संतुलन शायद हिला हुआ हो सकता है, जिसका मतलब है कि मेरा मानसिक संतुलन हिला हुआ नहीं है।"

सैली ने उसकी दार्शनिकता को मजाक में लेते हुए कहा, "या फिर सच में तुम्हारा मानसिक संतुलन हिल गया है ये सोच सोचकर कि तुम्हें घर छोड़कर जाना होगा।" यह कहकर वह जोर से हंसने लगी, लेकिन अभिमन्यु उसकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था।

रात के सन्नाटे में चारों ओर अंधेरा पसरा हुआ था और फोन की स्क्रीन में रात के 3 बज रहे थे। सड़कें वीरान थीं, सन्नाटा ऐसा कि मानो हर ओर किसी अजनबी की छाया फैली हो। बस स्ट्रीट लाइट्स की फीकी पीली रोशनी सड़क पर पड़ रही थी, जो अंधेरे को थोड़ा सा चीरने की नाकाम कोशिश कर रही थी। आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे, मानो धरती से कहीं दूर किसी और ही दुनिया की बात कर रहे हों, लेकिन चांद का कहीं कोई अता-पता नहीं था। लगता था जैसे आसमान भी इस रात के अंधकार में खो गया हो।

अभिमन्यु ने कार का दरवाजा खोला और बाहर निकलते ही उसने डैशबोर्ड पे पड़े बैंक कार्ड को ध्यान से देखा। फिर उसने उसे धीरे से अपनी जेब में रख लिया। सैली उसकी हर हरकत को ध्यान से देख रही थी, उसके अंदर हल्की सी जिज्ञासा थी। अभिमन्यु ने फिर कार के डैशबोर्ड पर रखी कटाना को उठाया और उसे म्यान के साथ अपनी कमर पर बांध लिया। कटाना की धार हल्की रोशनी में चमक रही थी, और उसके स्पर्श में एक अजीब सी गर्माहट थी, जैसे ये साधारण हथियार नहीं, बल्कि कुछ खास हो।

जैसे ही अभिमन्यु कार से निकलकर पैदल चलने लगा, सैली ने झुंझलाते हुए कहा, "अगर हमारे पास कार है, तो हम पैदल क्यों जा रहे हैं?" उसकी आवाज़ में साफ नाराजगी झलक रही थी।

अभिमन्यु ने हल्के से मुस्कराते हुए कहा, "क्योंकि मैं परीक्षा में बेईमानी नहीं करना चाहता।" उसकी मुस्कान में एक रहस्य था, और उसकी आवाज़ में एक तरह की दृढ़ता।

सैली ने झट से पूछा, "अच्छा, फिर तुमने वो कार्ड और कटाना क्यों लिया?"

अभिमन्यु ने अपनी चाल धीमी करते हुए कहा, "ये कटाना मैंने जीता था, तो ये असल में मेरी ही है। और ये जो कार्ड है, वो भी मेरा पर्सनल है, जिसके बारे में दादाजी को भी नहीं पता। लेकिन मैं इसका इस्तेमाल सिर्फ ज़रूरत के समय ही करूंगा। फिलहाल दादाजी मुझ पर नज़र रख रहे होंगे, तो समझ रही हो ना, मैं कुछ भी साधन इस्तेमाल नहीं कर सकता।" अभिमन्यु की बातें सैली के लिए उलझी हुई थीं, लेकिन उसमें एक अजीब सी सच्चाई भी थी।

सैली ने थकान भरी आवाज़ में कहा, "अच्छा, ये तो बता दो कि हम जा कहां रहे हैं?" उसके चेहरे पर अब भी कुछ सवालों के निशान थे, लेकिन उसकी आवाज़ में थोड़ी हताशा भी थी।

अभिमन्यु ने मुस्कराते हुए कहा, "दिल्ली।"

सैली ने फौरन कहा, "पैदल?" उसकी आवाज़ में हैरानी थी, और उसने तुरंत अपनी नज़रों से चारों ओर फैली अंधेरी सड़क को देखा, जैसे ये पैदल चलने का ख्याल उसे बेहद अजीब लगा हो।

अभिमन्यु ने हंसते हुए जवाब दिया, "अरे नहीं, फिलहाल तो हम रेलवे स्टेशन जा रहे हैं।"

सैली ने फिर सवाल किया, "तो क्या स्टेशन तक हम पैदल जाने वाले हैं?"

अभिमन्यु ने अपनी चाल को और धीमा करते हुए कहा, "फिलहाल मैं पैदल इसलिए चल रहा हूं ताकि कुछ पैसे कमा सकूं।"

सैली की हैरानी और भी बढ़ गई। उसने तुरंत पूछा, "पैदल चलने पर पैसे? और वो कैसे?" उसकी आवाज़ में हैरानी और जिज्ञासा दोनों थीं।

अभिमन्यु ने उसे हल्की मुस्कान के साथ देखा और कहा, "कभी-कभी बताने से अच्छा करके दिखाना ज्यादा सही होता है।" उसकी आँखों में एक चमक थी, मानो वह कुछ छुपा रहा हो, और सैली उसकी बातों को समझने की कोशिश कर रही थी।

वे दोनों पैदल सड़क पर आगे बढ़ते जा रहे थे। चारों ओर की शांति में बस उनके कदमों की हल्की आवाज़ गूंज रही थी। सड़क के दोनों किनारे बड़े-बड़े पेड़ थे, जिनकी लंबी परछाइयाँ सड़क पर बिछी हुई थीं। हवा में हल्की ठंडक थी, और सैली को महसूस हो रहा था कि वे किसी अजीब सी यात्रा पर निकल पड़े हैं। आसपास की प्रकृति अब और भी रहस्यमय लग रही थी, मानो ये पूरा वातावरण भी उनके इस सफर का हिस्सा बन गया हो।

अभिमन्यु आगे-आगे चल रहा था, उसकी कमर पर बंधी कटाना हल्की सी हिल रही थी, और वह किसी गंभीर सोच में डूबा हुआ था। सैली ने भी अब सवाल पूछना बंद कर दिया था, क्योंकि वह समझ चुकी थी कि अभिमन्यु के पास हर सवाल का जवाब नहीं होता, कुछ जवाब उसे रास्ते में ही मिलेंगे।

रात के इस पहर में जब पूरी दुनिया सो रही थी, वे दोनों अंधेरे में अपने कदमों के साथ आगे बढ़ते जा रहे थे, और सैली