कमरे में हल्की रोशनी थी। दीवारों पर टंगी तस्वीरें अब खून से सनी दिख रही थीं, और फर्श पर बिखरे हुए शव मानो इस खौफनाक मंजर के गवाह बन चुके थे। कमरे की हवा भारी थी, और उसके हर कोने में मौत की गंध फैली हुई थी। अभिमन्यु धीरे-धीरे कमरे के बीच में खड़ा था, उसकी आंखों में कोई डर या झिझक नहीं थी। उसके चेहरे पर बस एक सुकून था।
उसने कमरे में बचे हुए लोगों पर एक नजर डाली—दो लड़कियां जो अब भी कोने में कांप रही थीं, और असलम, जिसकी सांसें तेज हो रही थीं। उसकी आँखों में मौत का डर साफ नजर आ रहा था। वह वहां खड़ा-खड़ा कांप रहा था, मानो किसी पल उसकी जान जाने वाली हो।
अभिमन्यु ने उन लड़कियों की ओर देखा और धीरे से कहा, "यहां जो कुछ भी हुआ, उसे एक बुरा सपना समझ कर भूल जाना... समझ गई?" उसकी आवाज में एक अजीब सी शांति थी, लेकिन इसके पीछे छुपी ताकत को नजरअंदाज करना नामुमकिन था।
लड़कियां एक शब्द भी नहीं बोल पाईं, उनके होंठ सूखे थे और आंखों में आंसू झलक रहे थे। उनके शरीर अब भी कांप रहे थे। अभिमन्यु ने धीरे-धीरे उनके पास कदम बढ़ाए, मानो वक्त थम गया हो। वह उनके बहुत करीब पहुंचा और उनके गर्दन के पास प्रेशर पॉइंट्स को एकदम सटीकता से दबाया। पल भर में, दोनों लड़कियां बेहोश होकर जमीन पर गिर गईं, जैसे कोई गुड़िया गिर पड़ी हो।
इसके बाद, अभिमन्यु ने असलम की तरफ रुख किया। उसकी चाल में कोई हड़बड़ी नहीं थी। "चलो, अब यहां से निकलते हैं," उसने असलम से कहा। असलम ने उसकी बात सुनते ही बिना कोई सवाल किए उसकी ओर इशारा किया और दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
दोनों शांति से कमरे से बाहर निकले, जैसे अंदर कुछ हुआ ही न हो। दरवाजे के पास आते-आते अभिमन्यु ने एक आखिरी बार कमरे के अंदर बिखरे हुए शवों पर नजर डाली, उसकी आंखों में कोई पछतावा नहीं था। वह जानता था कि उसने जो किया, वह उसका कर्तव्य था। बाहर आते ही उन्होंने अपने कदमों को धीमा कर लिया, जैसे हर कदम एक नई योजना का हिस्सा हो।
जैसे ही वे क्लब से बाहर निकले, बाहर की ठंडी हवा ने उनके चेहरों को हल्का सा छू लिया। वहां पार्क की गई एक कार उनके इंतजार में खड़ी थी। दोनों बिना कोई शब्द बोले उसमें बैठे और कार धीरे-धीरे उस जगह से दूर निकल गई।
कुछ ही पलों बाद, कार सड़कों पर दौड़ने लगी। सड़कों के दोनों ओर बत्तियां जल रही थीं, लेकिन कार की खिड़कियों से आती रोशनी भीतर के सन्नाटे को नहीं तोड़ पा रही थी। कार के अंदर, सैली की आवाज अचानक अभिमन्यु के मन में गूंजने लगी।
"तुमने ये बेवकूफी क्यों की? जरा बताओगे?" सैली की आवाज में एक तीखा सवाल था, लेकिन उसके लहजे में अब भी कुछ गहरी चिंता थी।
अभिमन्यु ने मन में ही उसे सवाल किया, "क्या तुमने वो CCTV delete किया?"
सैली ने तुरंत जवाब दिया, "मैंने कुछ रिकॉर्ड ही नहीं होने दिया। अब बताओगे कि वो बेवकूफी क्यों की?"
सैली, एक अत्याधुनिक एआई सिस्टम थी, जो किसी भी टेक्नोलॉजी को कुछ पलों में हैक कर सकती थी। वह अभिमन्यु की सबसे बड़ी ताकत थी, जो उसे हर मुश्किल से निकालने में मदद करती थी।
अभिमन्यु ने गहरी सांस लेते हुए अपने मन में कहा, "ये जो रांगा था, उसका एक खास कनेक्शन था स्कॉर्पियन ग्रुप से। सुना है कि वो इंडिया में उनका काफी खास आदमी था।"
सैली ने हैरानी से पूछा, "स्कॉर्पियन? अब ये क्या ग्रुप है?"
"स्कॉर्पियन ग्रुप एक खतरनाक संगठन है, जिसमें आम तौर पर हत्या के कॉन्ट्रैक्ट्स लिए जाते हैं।" अभिमन्यु ने धीरे-धीरे कहा, उसकी आवाज में गहरी नफरत की झलक साफ दिखाई दी।
सैली ने पूछा, "तो इसका रांगा के मर्डर से क्या लेना-देना?"
"मेरे पापा को मारने का कॉन्ट्रैक्ट इन्हीं लोगों ने लिया था। और ये रांगा, उसने उस कॉन्ट्रैक्ट को एक्सिक्यूट करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। उसे खत्म करना मेरा पहला लक्ष्य था। सुना है कि स्कॉर्पियन का भारतीय अड्डा यहीं दिल्ली में है। इसलिए ही तो मैं दिल्ली आया हूँ," अभिमन्यु ने समझाते हुए मन में ही कहा।
सैली ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "तो ये सबकुछ बदले के लिए हो रहा है?"
"हां, बदले के लिए ही," अभिमन्यु ने ठंडे स्वर में जवाब दिया। "वैसे, क्या तुम मेरे इस तरह से लड़ने और खून बहाने से हैरान नहीं हो?"
सैली की आवाज में हल्की हंसी की झलक थी। "नहीं, ये तो आम बात है। हैरान तो मैं तब होती अगर तुम उन लोगों के हाथों मारे जाते।"
इसी बीच, असलम ने कांपते हुए सवाल किया, "सर, अब कहां जाना है?"
अभिमन्यु ने शांत स्वर में कहा, "फिलहाल तो मुझे नहाना है। तो अपने अड्डे पर ले चल।"
असलम ने बिना कोई सवाल किए कार को अपने ठिकाने की ओर मोड़ लिया। थोड़ी ही देर में वे एक पुराने, लेकिन सुरक्षित अपार्टमेंट में पहुंच गए, जहां असलम रह रहा था। अभिमन्यु ने बिना समय बर्बाद किए सीधे बाथरूम की तरफ कदम बढ़ाए। अंदर जाते ही उसने पानी की बौछार को चालू किया। पानी की हर बूंद उसे उस खून के छींटों से मुक्त कर रही थी, जो अब उसकी यादों में भी बसी हुई थीं।
काले कपड़ों में लिपटा हुआ अभिमन्यु, जब क्लब में दाखिल हुआ था, तब उसके ऊपर बस एक ही लक्ष्य था—रांगा को खत्म करना। अब जब वह उस खूनी खेल से बाहर आया था, उसके कपड़े खून से सने हुए थे। वह पानी में भीगे अपने बालों को पीछे करते हुए बाहर आया और अपनी पुरानी पोशाक उतार दी।
उसने खून से सनी हुडी और अन्य कपड़े एक प्लास्टिक बैग में डाले। बाहर आकर उसने उसे डस्टबिन में डाला और पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। उसकी आंखों में एक अजीब सी संतुष्टि थी। असलम ने भी वैसा ही किया। दोनों ने उस जलते हुए बैग को एक पल के लिए देखा, मानो अपनी पुरानी पहचान को आग में जलते देख रहे हों।
आधे घंटे के अंदर अभिमन्यु गीता कॉलोनी में अपने फ्लैट पर पहुंच गया। यह जगह अब उसकी नई जिंदगी का ठिकाना थी, लेकिन रात के 1 बज चुके थे।
जैसे ही वह फ्लैट में दाखिल हुआ, उसने देखा कि आकाश बेहद नाराज था। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था।
"इतनी देर कहां था?" आकाश ने बिना कोई भूमिका बनाए पूछा।
अभिमन्यु ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "एक पार्ट-टाइम फ्रीलांसिंग का काम था, पर थोड़ी देर हो गई।"
आकाश ने पूछा, "तुझे भूख लगी है?"
"अरे, बहुत जोर से," अभिमन्यु ने जवाब दिया।
आकाश ने फ्रिज से दोनों के लिए खाना निकाला और वे चुपचाप खाने लगे। दोनों के बीच कोई शब्दों का आदान-प्रदान नहीं हुआ, लेकिन उनके बीच की समझदारी सबकुछ कह रही थी।
कुछ ही देर में दोनों खाने के बाद सोने चले गए।
क्लब में कमरा धुएं और सिगरेट की गंध से भरा हुआ था। हल्की, पीली रोशनी उस वीआईपी क्लब के माहौल को और भी भयावह बना रही थी। फर्श पर बिखरी लाशें, खून से सने हुए फर्नीचर, और दीवारों पर बने खून के निशान इस बात की गवाही दे रहे थे कि यहाँ कुछ भयंकर हुआ था। हवा में एक भारीपन था, जो हर सांस को और भी बोझिल बना रहा था।
कपिल मेहता, दिल्ली के सबसे बड़े माफिया डॉन में से एक, अपने महंगे ब्लैक सूट में वहां खड़ा था। उसकी उंगलियों के बीच सुलगती सिगरेट का धुआं धीरे-धीरे हवा में घुल रहा था, और उसकी निगाहें एक-एक करके उन बेजान शरीरों पर घूम रही थीं। उसकी आँखों में कोई डर नहीं था, न ही किसी तरह की भावनाएं। ये मंजर उसके लिए नया नहीं था। उसकी जिंदगी में मौत और खून-खराबा आम बात थी।
कपिल ने एक लम्बा कश लिया और उसके बाद उसकी नज़र सोफे पर पड़ी दो बेहोश लड़कियों पर पड़ी, जो अब भी उसी जगह बेसुध पड़ी थीं। उसने अपनी सिगरेट का धुआं धीरे-धीरे छोड़ते हुए पास खड़े गार्ड्स से पूछा, "क्या हुआ था यहाँ?"
गार्ड्स, जो बाहर तैनात थे, अब सिर झुकाए कपिल के सामने खड़े थे। उनमें से एक ने साहस जुटाकर कहा, "सर, शाहदरा एरिया का इंचार्ज असलम एक लड़के के साथ यहाँ आया था। उसके बाद अंदर क्या हुआ हमें नहीं पता, क्योंकि ये कमरा साउंडप्रूफ है। हम बाहर तैनात थे और हमें कोई शक नहीं हुआ। काफी देर तक हम बाहर खड़े रहे, लेकिन जब बीरजू आया और उसने अंदर जाने की अनुमति मांगी, तब हमने ये सीन देखा। लड़कियाँ पहले से ही बेहोश पड़ी थीं और बाकी सब बेरहमी से मारे गए थे।"
गार्ड्स अभी भी कपिल मेहता के सामने सिर उठाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे। उनकी नजरें ज़मीन पर थीं, और उनके शब्द मानो कांपते हुए बाहर आ रहे थे। कपिल मेहता ने एक गहरी सांस ली, उसकी आँखों में एक खौफनाक ठंडक थी। दिल्ली के अंडरवर्ल्ड में कपिल मेहता का दबदबा था। उसके नाम से ही लोग कांप उठते थे। उसकी हैसियत और क्रूरता का कोई मुकाबला नहीं था। लेकिन इस वक्त उसके दिमाग में सिर्फ एक सवाल था—यह सब किसने किया?
उसने धीरे-धीरे उन बेहोश लड़कियों की ओर देखा, जो अभी तक सोफे पर पड़ी थीं। उसने आदेश दिया, "इन्हें उठाओ और पूछो कि यहाँ क्या हुआ।"
कुछ ही देर में गार्ड्स ने उन लड़कियों को होश में लाया। लड़कियों की आँखें खुलते ही जैसे उन्होंने सामने बिखरी हुई लाशों को देखा, उनकी चीख हलक में ही अटक गई। उनकी आँखों में डर और खौफ साफ झलक रहा था, और उनके शरीर कांप रहे थे। वे इतनी डरी हुई थीं कि कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थीं।
कपिल मेहता ने भारी आवाज में पूछा, "तुम दोनों बताओ, यहाँ क्या हुआ था?"
एक लड़की कांपते हुए बोली, "कोई शैतान था... या हैवान... उसने बेरहमी से इन सबको मार डाला।" इतना कहकर लड़की और भी डरने लगी, उसकी आँखें कमरे के कोने-कोने में खौफ के साए ढूंढ रही थीं।
कपिल की आँखें संकरी हो गईं। उसने और कड़ाई से पूछा, "असलम ने किया ये सब?"
लेकिन लड़कियाँ अब भी डरी हुई थीं। उनकी घबराई हुई सांसें उनके डर को और बढ़ा रही थीं। उनमें से एक लड़की ने कांपते हुए कहा, "उस... लड़के ने..." उसकी आवाज इतनी धीमी थी कि वो शब्द अधूरे ही रह गए।
कपिल मेहता ने गार्ड्स की ओर देखा और पूछा, "उस लड़के के बारे में पता किया तुम लोगों ने?"
गार्ड्स ने जल्दबाजी में जवाब दिया, "बॉस, सीसीटीवी में कुछ भी रिकॉर्ड नहीं हुआ। बस यही पता चला है कि वो असलम के साथ आया था।"
कपिल मेहता ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "ठीक है। अब असलम के घर चलते हैं।"
कुछ देर बाद कपिल मेहता और उसके लोग असलम के घर के बाहर खड़े थे। कपिल अपनी शानदार ऑडी कार में ही बैठा था, जबकि उसका एक आदमी बाहर खड़े होकर स्थिति का जायजा ले रहा था। वह आदमी जल्दी से कपिल की कार के पास आया और झुकते हुए बोला, "बॉस, उसके घर पे ताला है।"
कपिल की आँखों में हल्की चिंगारी सी चमकी। उसने अपने आदमी से पूछा, "उसके बाकी साथियों का क्या हुआ?"
उस आदमी ने तुरंत जवाब दिया, "बॉस, उन सबके घरों में भी ताला है। शायद वो लोग अंडरग्राउंड हो गए हैं।"
कपिल मेहता ने गुस्से में अपनी कार के स्टीयरिंग पर जोर से हाथ मारा। उसकी आवाज गूंजती हुई आई, "उन्हें जल्द से जल्द ढूंढो। मुझे उस लड़के के बारे में सब कुछ पता करना है।"
इतने में, उसका वही आदमी फिर से झुककर बोला, "बॉस, हमने आसपास के इलाकों में अपने लोग भेज दिए हैं, जल्दी ही कुछ पता चलेगा।"
कपिल ने एक पल के लिए अपने गुस्से पर काबू करते हुए सोचा, "यह सब किसने किया? कौन था वो लड़का जिसने इतने बेरहमी से सबका खात्मा कर दिया?" उसके दिमाग में सवाल गूंज रहे थे, और अब उसकी पूरी ताकत इस लड़के को ढूंढने पर केंद्रित हो गई थी।