अभिमन्यु तेज कदमों से उस अंधेरी, सुनसान गली में चला जा रहा था। रात की ठंडक हवा में घुल चुकी थी, और आसमान में बादल छाए हुए थे। उस गली में दूर-दूर तक सन्नाटा था। चारों ओर पुराने मकान खामोशी से खड़े थे। स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी भी बीच-बीच में टिमटिमा रही थी।
अभिमन्यु के कदमों की आवाज इस खामोश गली में गूंज रही थी। तभी, अचानक पीछे से हल्की सी आहट हुई। यह आवाज इतनी धीमी थी कि एक आम इंसान शायद इसे नजरअंदाज कर देता, लेकिन अभिमन्यु चौकन्ना था। बिना मुड़े उसने ठंडे स्वर में कहा, "तुम यहां क्या कर रही हो?"
उसके पीछे जो खड़ी थी, वो और कोई नहीं, बल्कि दिशा थी। उसने सिर झुकाते हुए माफी मांगने के लहजे में कहा, "सॉरी, यंग मास्टर, मुझे माफ कर दीजिए।" दिशा का चेहरा झुका हुआ था, लेकिन उसकी आवाज में विनम्रता और आदर था।
अभिमन्यु बिना उसकी ओर देखे बोला, "क्या ये नियमों के खिलाफ नहीं है?"
दिशा ने सिर उठाते हुए कहा, "जी, ये सामान्य परिस्थितियों में नियम के खिलाफ होता है, परंतु मास्टर ने आपकी सुरक्षा के लिए मुझे यहां भेजा है। अगर कोई आपात स्थिति हो तो हमें कुछ हद तक कदम उठाने की अनुमति होती है।"
अभिमन्यु ने थोड़ा चौंकते हुए उसकी बात सुनी, और अपनी चाल धीमी कर दी। उसकी आंखों में अब गुस्से की एक झलक थी, लेकिन वो अपने आपको शांत बनाए हुए था। उसने कहा, "मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है, तुम जा सकती हो।"
दिशा ने गंभीर स्वर में जवाब दिया, "मुझे खेद है, यंग मास्टर, लेकिन मैं आपको अकेला नहीं छोड़ सकती। यह मास्टर का आदेश है, और मैं उनका आदेश मानने के लिए बाध्य हूं।"
अभिमन्यु के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान उभर आई। उसकी आंखों में अब एक तीव्र चमक थी, जैसे उसे इस चुनौती का इंतजार हो। उसने थोड़ा आगे बढ़ते हुए कहा, "तो तुम मुझे रोकने आई हो?"
दिशा ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी लड़ाई की मुद्रा में आते हुए कहा, "यह मेरा कर्तव्य है।"
अब दोनों आमने-सामने थे, गली के सन्नाटे में सिर्फ उनके कदमों की हल्की आवाज थी। दिशा ने तेज गति से अभिमन्यु की ओर बढ़ते हुए एक पंच मारने का दिखावा किया और उसी समय तेजी से घूमते हुए अपने बाएं पैर से अभिमन्यु के सिर पर लात मारने का प्रयास किया। लेकिन अभिमन्यु भी कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था। उसने दिशा के इरादों को पहले ही भांप लिया था और अपनी दोनों बाहों से सिर को बचाने की कोशिश की। हालाँकि, दिशा की गति इतनी तेज थी कि वह संतुलन खो बैठा और जमीन पर गिर पड़ा।
दिशा ने मौके का फायदा उठाते हुए तुरंत उसके पेट पर लात मारने की कोशिश की, लेकिन अभिमन्यु ने फुर्ती दिखाते हुए उसकी लात को पकड़ लिया। फिर, जमीन पर लुढ़कते हुए उसने दिशा को आगे की तरफ नीचे गिरा दिया। लेकिन वह अभिमन्यु के ऊपर जा गिरी।
एक पल के लिए, दोनों की आंखें मिलीं। समय जैसे थम गया था। अभिमन्यु ने दिशा की आंखों में झांकते हुए उसकी गहरी सांसों को महसूस किया। उसके पास आने की वजह से दिशा के गाल हल्के लाल हो गए थे, लेकिन वह तुरंत अपनी जगह से उठ खड़ी हुई। अभिमन्यु ने भी अपनी जगह ली, उसकी मुस्कान अब चुनौती देने वाली थी।
"अब मैं सीरियस फाइट करूंगी," दिशा ने गंभीर स्वर में कहा।
अभिमन्यु ने बेपरवाही से हंसते हुए कहा, "तुम फिर भी मुझसे जीत नहीं पाओगी।"
दिशा ने उसकी बातों को नजरअंदाज किया और बिना समय गंवाए तेजी से उसकी ओर बढ़ी। उसने लगातार कई किक्स मारीं, जिन्हें अभिमन्यु फुर्ती से डॉज कर रहा था। मगर दिशा की अगली चाल चौंकाने वाली थी। उसने एक नकली लात मारने का दिखावा किया, और जैसे ही अभिमन्यु ने डॉज किया, उसने हवा में उछलते हुए अभिमन्यु के चेहरे पर एक जोरदार मुक्का मारा।
अभिमन्यु उस पंच के प्रभाव से थोड़ा पीछे हट गया। दिशा का चेहरा घबरा गया, उसने तुरंत माफी मांगते हुए कहा, "सॉरी, ज्यादा तेज तो नहीं लगी?"
अभिमन्यु ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिए अपनी आंखें खोलीं और धीरे-धीरे मुस्कराते हुए कहा, "तुम मेरा मजाक उड़ा रही हो? वादा करता हूं तुम्हे दुबारा ये कहने का मौका नहीं मिलेगा।" उसकी आवाज में अब एक ठंडा गुस्सा था, और उसकी आंखों में एक तीव्र चमक थी।
अभिमन्यु ने आक्रामक होते हुए तुरंत आगे बढ़ा। उसने एक पंच मारने का नाटक किया, और जैसे ही दिशा ने उसे ब्लॉक करने की कोशिश की, वह नीचे झुककर दिशा के पैरों पर लात मारते हुए उसे गिरा दिया। दिशा तेजी से जमीन पर गिरी, लेकिन अभिमन्यु ने उसे और समय नहीं दिया। उसने अपनी जगह पर फुर्ती से पलटकर दिशा के सिर पर एक और लात मारी, जिससे दिशा बेहोश होकर जमीन पर गिर गई।
अब गली फिर से सन्नाटे में डूब गई थी। ठंडी हवा हल्की सी सरसराहट कर रही थी, और दूर कहीं कोई कुत्ता भौंक रहा था। अभिमन्यु ने गहरी सांस ली और बेहोश पड़ी दिशा को देखा।
तभी, उसके मन में अंदर से सैली की आवाज आई, "ये क्या किया तुमने?"
अभिमन्यु ने हल्की हंसी के साथ जवाब दिया, "लगता है, गलती से लात थोड़ी ज्यादा जोर से मार दी।"
सैली ने गंभीरता से पूछा, "वैसे ये लड़की कौन है?"
अभिमन्यु ने उसकी ओर देखते हुए कहा, "ये हमारे परिवार के शाही अंगरक्षकों में से एक है।"
सैली ने हैरानी भरी आवाज में कहा, "अंगरक्षक और ये लड़की?"
अभिमन्यु ने सिर हिलाते हुए जवाब दिया, "शाही अंगरक्षक परिवार की पीढ़ियों से हमारे परिवार की सुरक्षा करते आए हैं।इन्हे बचपन से ही कड़ी ट्रेनिंग से, जो किसी आम इंसान के लिए जानलेवा हो सकती है। लगभग 7 साल की उम्र से ही इनकी ट्रेनिंग शुरू हो जाती इनकी सिर्फ फिजिकल ही नही बल्कि मेंटल ट्रेनिंग भी होती है जिससे ये अपने मालिक के वफादार रहें।"
सैली ने हल्के ताज्जुब से कहा, "मुझे पता नहीं था कि तुम्हारा परिवार इतना खास है।"
अभिमन्यु ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "ये बस एक पुराना परिवार है, जो अभी भी पुरानी नीतियों और अजीब सी परंपराओं का पालन करता है।"
सैली ने फिर पूछा, "वैसे एक शाही अंगरक्षक होने के बावजूद, ये लड़की कमजोर नहीं लगती।"
अभिमन्यु ने गंभीरता से कहा, "कमजोर नहीं है। दरअसल, मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी शक्ति पहले से बढ़ गई है। खैर, इसे होश में लाना ज्यादा जरूरी है।"
अभिमन्यु ने फिर उसके गालों पर हल्की थपकी दी, लेकिन दिशा को होश नहीं आया। उसने एक गहरी सांस ली और दिशा को अपने कंधे पर उठाकर, वापस उसी गली के रास्ते से कैफे की तरफ चल पड़ा।
अभिमन्यु, दिशा को उठाकर कैफे की ओर ले जा रहा था। यह एक ठंडी और सुनसान रात थी। आसमान में बादल छाए हुए थे, और दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था। दिशा अभी भी बेहोश थी, और अभिमन्यु उसे अपने कंधे पर लिए जा रहा था। उसके मन में कई सवाल उठ रहे थे—आखिर दिशा यहां कैसे आई, और यह सब अचानक कैसे हुआ। वह जल्द से जल्द उसे सुरक्षित जगह पहुंचाना चाहता था।
अचानक, एक बाइक की हेडलाइट्स की तेज रोशनी अभिमन्यु की आंखों पर पड़ी। वह रोशनी इतनी तेज थी कि उसे अपनी आंखों को ढकने के लिए अपना हाथ चेहरे के सामने करना पड़ा। वह देख ही नहीं पा रहा था कि बाइक पर कौन है। बाइक की आवाज़ भी तेज़ हो रही थी और वो उसकी तरफ तेजी से बढ़ रही थी। तभी, एक जानी-पहचानी आवाज उसके कानों में पड़ी, "तू इस तरफ क्या कर रहा है और तेरे कंधे पर कौन है?"
यह आवाज़ किसी और की नहीं, बल्कि उसके चचेरे भाई आकाश की थी। जैसे ही बाइक की हेडलाइट बंद हुई, अभिमन्यु ने देखा कि सामने आकाश खड़ा है, जो उसे हैरानी से घूर रहा था। आकाश का चेहरा गंभीर था, और उसके शब्दों में एक कड़ी जिज्ञासा थी। उसने फिर से पूछा, "अब बताएगा कि तू इस लड़की के साथ यहां क्या कर रहा था, और यह बेहोश क्यों है?"
अभिमन्यु अभी जवाब देने की कोशिश ही कर रहा था कि दिशा को धीरे-धीरे होश आने लगा। उसने अपनी आँखें मलीं और देखा कि वह बेहोश हो गई थी। उसने सिर उठाकर देखा तो उसके सामने एक पुलिस वाला बाइक पर बैठा था। दिशा ने जल्दबाजी में बिना सोचे-समझे कहा, "डार्लिंग, हम घर कब तक पहुँचेंगे?"
यह सुनते ही आकाश की भौहें तनीं और उसने चौंककर कहा, "डार्लिंग?"
अभिमन्यु को भी कुछ समझ नहीं आया कि दिशा ने ऐसा क्यों कहा। वह मन ही मन सोचने लगा, "क्या दिशा की याददाश्त चली गई है?" उसने मन में सोचा कि कहीं उसे चोट की वजह से मानसिक आघात तो नहीं लगा।
तभी सैली ने मजाक में अभिमन्यु की तरफ देखते हुए कहा, "तुम्हें इतनी जोर से नहीं मारना चाहिए था कि बेचारी का दिमागी संतुलन ही बिगड़ जाए।"
दिशा, जो अभी भी थोड़ी घबराई हुई थी, ने तुरंत पुलिस वाले को यानी आकाश को समझाने के लिए कहा, "सॉरी, ऑफिसर। वो क्या है कि हम दोनों रिलेशनशिप में हैं, और मैं चलते-चलते थक गई थी, तो ये मुझे अपनी पीठ पर लिफ्ट देकर ले जा रहा था। और कुछ नहीं है।"
आकाश ने फिर गहराई से उसकी तरफ देखा और पूछा, "अच्छा, और ये तुम्हारे माथे पर चोट कैसे लगी? और तुम दोनों के कपड़े इतने गंदे क्यों हैं?"
दिशा ने बिना हिचकिचाए उत्तर दिया, "वो... मैं चक्कर खाकर गिर गई थी, इसलिए चोट लग गई।"
आकाश अभी भी संदिग्ध नज़रों से दोनों को देख रहा था। फिर उसने गंभीरता से पूछा, "अच्छा, तुम दोनों रिलेशनशिप में कब से हो?"
दिशा ने बिना पलक झपकाए तुरंत कहा, "एक साल से।"
आकाश ने थोड़ा हैरान होते हुए कहा, "तुम दोनों एक साल से डेट कर रहे हो? सच में?"
दिशा ने आत्मविश्वास से कहा, "ऑफ कोर्स।"
आकाश ने आगे पूछा, "क्या तुम्हारी फैमिली में सबको इसके बारे में पता है?"
इससे पहले कि दिशा कुछ कहती, अभिमन्यु ने जल्दी से कहा, "भाई, बस कीजिए। और दिशा, ये मेरे कज़िन भाई हैं—आकाश।"
दिशा, जो अब तक अभिमन्यु की गर्लफ्रेंड होने का नाटक कर रही थी, अचानक से मुस्कुराते हुए रिलैक्स हो गई। उसने हंसते हुए कहा, "ओह, मुझे लगा कोई पुलिस वाला है और उसने तुम्हें गलत समझ लिया है।"
आकाश ने हल्की सी हंसी में कहा, "मैं पुलिस में ही हूं, और अब ये बताओ कि ये लड़की कौन है?"
अभिमन्यु ने जल्दी से जवाब दिया, "ये हमारे कैफे में नई पार्ट-टाइमर है—दिशा।" हालाँकि, उसने दिशा के रक्षक होने की सच्चाई छुपा ली थी, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि आकाश को उसकी दिल्ली आने के असली मकसद का पता चले।
दिशा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "हेलो।"
आकाश अभी भी थोड़ा संदेह में था, लेकिन उसने ज्यादा सवाल नहीं किए। अभिमन्यु ने फिर उसकी मदद की वजह बताते हुए कहा, "ये अपने घर की तरफ जा रही थी, और ये रास्ता सुनसान और थोड़ा खतरनाक था। इसलिए मैंने सोचा कि इसे आगे तक छोड़ दूं। लेकिन जब तक मैं इसके पास पहुंचा, ये कुत्ते से डरकर भाग रही थी और अचानक से खंबे से टकराकर गिर गई। इसके बाद, जब मैंने इसे उठाने की कोशिश की, तो इसने मुझे कोई चोर समझकर नीचे गिरा दिया, और इसी बीच बेहोश हो गई। इसलिए मैं इसे वापस कैफे लेकर जा रहा था।"
आकाश ने सब कुछ सुनकर थोड़ा राहत की सांस ली और फिर दिशा की तरफ देखते हुए कहा, "ठीक है, अब तुम घर चली जाओ। मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ।"
दिशा ने कहा, "मैं गीता कॉलोनी में रहती हूँ।"
आकाश ने चौंकते हुए कहा, "कमाल है, मैं भी वहीं रहता हूँ। चलो, मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ।"
आकाश, दिशा और अभिमन्यु तीनों फिर बाइक पर सवार हो गए। जब आकाश अपने घर के करीब पहुँच रहा था, उसने दिशा से पूछा, "तुम्हारा घर किस तरफ है?"
दिशा ने हाथ से इशारा करते हुए कहा, "वो फल की दुकान के पास वाली बिल्डिंग।"
आकाश ने बाइक उस बिल्डिंग के सामने रोकी और तीनों सीढ़ियों की तरफ बढ़ गए।