विक्रांत ने शुक्ला को टालने के लिए हल्के से सिर झुकाते हुए कहा, "I am sorry, मुझसे गलती हो गई, मुझे इस कॉरिडोर में नहीं भागना चाहिए था।" शुक्ला, जो पहले थोड़ा सख्त दिख रहा था, ने विक्रांत की माफी सुनकर थोड़ी नरमी दिखाई। उसने गहरी सांस ली और कहा, "It's alright," फिर धीमे कदमों से वहां से चला गया।
विक्रांत ने राहत की सांस ली और पलटकर धीरे-धीरे अपने कमरे की ओर बढ़ गया।
दूसरी ओर, अभिमन्यु ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और 'Café de Bonjour' की ओर बढ़ चला। कैफे तक पहुंचने के बाद, अभिमन्यु ने अपना हेलमेट उतारा और अंदर दाखिल हुआ, हाथ में वह केक लिए हुए था जिसे उसे पहले डिलीवर करना था।
जैसे ही वह कैफे के भीतर दाखिल हुआ, मोहित गर्ग, जो कैफे का मालिक था, उसे देखकर थोड़ा हैरान हुआ। "अरे, तुम केक वापस क्यों ले आए?" मोहित ने अभिमन्यु से पूछा।
अभिमन्यु ने हल्के से मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "जिन्होंने ऑर्डर किया था, शायद उनका मूड बदल गया। उन्होंने केक लिया ही नहीं, लेकिन पेमेंट कर दिया है।"
मोहित ने केक को देखते हुए कहा, "ठीक है, इसे तुम खा लो।"
अभिमन्यु कुछ कहने ही वाला था कि इतने में ध्रुव, जो कैफे का वेटर और मोहित का बेटा था, अचानक से सामने आ गया। उसने बिना कुछ कहे अभिमन्यु के हाथ से केक उठाया और तुरंत उसे काटकर कुछ टुकड़े किए। एक टुकड़ा उसने खुद खाने के लिए उठा लिया, और बाकी टुकड़े वहीं टेबल पर रख दिए। तब तक मोहित किचन में चला गया था।
अभिमन्यु ने ध्रुव की इस हरकत पर बस हल्की सी मुस्कान दी और फिर उसने भी एक टुकड़ा उठाकर खा लिया। दोनों केक खाते हुए कैफे के बाकी काम में लग गए।
इतने में, एक लड़की, जिसने काले रंग की जीन्स और सफेद टॉप पहन रखा था, कैफे के दरवाजे से अंदर दाखिल हुई। उसने अंदर आते ही कहा, "हेलो, मैंने बाहर का विज्ञापन देखा। क्या मैंने सही सुना कि आपको यहां पार्ट-टाइमर्स की जरूरत है?"
अभिमन्यु और ध्रुव, दोनों ने उस लड़की की ओर देखा। उसकी साधारण ड्रेस में भी वह काफी आकर्षक लग रही थी। ध्रुव की आंखें उसे देखते ही चमक उठीं, और वह उत्साह से बोला, "हां हां, हमें नए पार्ट-टाइमर्स की जरूरत है! क्या तुम यहां जॉब के लिए आई हो?"
लड़की ने थोड़ी हैरानी और उलझन से ध्रुव की तरफ देखा, जो कैफे के वेटर जैसे दिख रहा था। ध्रुव उसकी नजरें समझते हुए हल्का सा मुस्कुराया और तुरंत बोला, "ओह, माफ करना, मैंने अपना परिचय नहीं दिया। मैं ध्रुव हूं, इस कैफे का मालिक।"
लड़की ने एक अविश्वास भरी नजर से पूछा, "सच में?"
ध्रुव ने ठहाका लगाते हुए कहा, "तुम्हें यकीन नहीं हो रहा?"
लड़की ने हिचकिचाते हुए कहा, "नहीं, वो बात नहीं है, लेकिन तुम काफी यंग लगते हो, इसलिए..."
ध्रुव ने हंसते हुए जवाब दिया, "यंग होने से काबिलियत कम नहीं हो जाती। असल में, मैं तो पांच साल की उम्र से कुकिंग का प्रोडिजी रहा हूं!"
लड़की ने हैरानी भरे अंदाज में कहा, "तुम सच में इतनी छोटी उम्र से खाना बना रहे हो?"
इतने में, मोहित गर्ग, जो अब तक किचन के भीतर था, बाहर आते हुए बोले, "हां, यह झूठ बोलने का प्रोडिजी जरूर है। और मैं हूं मोहित गर्ग, इस कैफे का असली मालिक और इस झूठे का बाप।"
लड़की को मोहित की बात सुनकर हंसी आ गई, लेकिन उसने खुद को संभालते हुए कहा, "वो... मैंने बाहर आपका विज्ञापन देखा। असल में, मैं यहां जॉब के लिए आई हूं।"
मोहित गर्ग ने उसे गौर से देखा और पूछा, "तुम स्टूडेंट हो?"
लड़की ने जवाब दिया, "हां, मैं अभी अपना कॉलेज शुरू करने वाली हूं। मेरा नाम दिशा है, और मैं 18 साल की हूं। मैंने हाल ही में 12वीं का एग्जाम दिया है।"
मोहित ने सिर हिलाते हुए कहा, "इतना काफी है। तुम सैलरी कितनी एक्सपेक्ट कर रही हो?"
दिशा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "वेल, मैं 18k पर मंथ या उससे कुछ कम की उम्मीद कर रही थी।"
मोहित ने थोड़ा हंसते हुए कहा, "150 रुपये प्रति घंटे पर काम करना है तो करो, नहीं तो जा सकती हो।"
दिशा ने सिर झुकाते हुए कहा, "थैंक यू, सर, मुझे काम पर रखने के लिए।"
मोहित गर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा, "वैसे, तुम चाहो तो आज से ही काम शुरू कर सकती हो। ऊपर जाकर यूनिफॉर्म पहन लो।"
दिशा ने एक बार फिर से धन्यवाद कहा और सीढ़ियों की ओर बढ़ गई।
दिशा ने जैसे ही सफ़ेद टीशर्ट और काले रंग की पैंट पहनी, उसे एहसास हुआ कि यह यूनिफॉर्म उसे पूरी तरह से फिट आ रही थी। सफ़ेद टीशर्ट पर कैफ़े का नाम "Café de Bonjour" बड़े ही स्टाइलिश तरीके से लिखा हुआ था। काली पैंट के साथ वह न केवल प्रोफेशनल लग रही थी, बल्कि उसकी खूबसूरती भी उभर कर आ रही थी। दिशा ने अपने बालों की एक छोटी सी चोटी बनाकर उसे पीछे से निकाला हुआ था, जिससे उसकी सादगी और आकर्षक व्यक्तित्व दोनों का मेल साफ़ दिख रहा था।
नीचे पहुंचते ही ध्रुव ने दिशा को मुस्कुराते हुए देखा और उसे काम समझाने लगा। ध्रुव, जो कैफ़े के मालिक का बेटा था, उसे धीरे-धीरे सभी काम सिखा रहा था। कैफ़े में काम की बहुत सारी बारीकियाँ थीं - ग्राहकों से ऑर्डर लेना, उन्हें सही तरीके से बैठाना, और सबसे महत्वपूर्ण बात, हर चीज़ का ध्यान रखना ताकि ग्राहक संतुष्ट होकर जाएं। दिशा ने बिना किसी शिकायत के धैर्यपूर्वक सभी बातें ध्यान से सुनीं और हर एक चीज़ को अच्छे से समझने की कोशिश की।
ध्रुव ने उसे सबसे पहले ग्राहकों का स्वागत करना और उनका ऑर्डर लेना सिखाया। फिर उसे किचन की कुछ चीज़ें दिखाईं कि किस तरह से ऑर्डर तैयार होते हैं। कैफ़े का माहौल बहुत ही हल्का और फ्रेंडली था, जहां हर कोई अपने काम में व्यस्त था, लेकिन एक आरामदायक तरीके से। दिशा को काम सिखने में मज़ा आ रहा था, और वह ध्रुव से बार-बार सवाल पूछ रही थी, ताकि वह जल्दी से जल्दी सब कुछ समझ सके।
जैसे-जैसे दिन बीतता गया, दिशा की मेहनत रंग लाने लगी। धीरे-धीरे शाम हो गई और दिशा ने लगभग हर काम सीख लिया था। वह काउंटर पर बैठकर ग्राहकों से बात भी कर रही थी, और साथ ही ध्रुव और अन्य स्टाफ की मदद कर रही थी। दिन भर की मेहनत के बाद दिशा अब खुद को कैफ़े का हिस्सा महसूस करने लगी थी। उसे ये काम अच्छा लगने लगा था और ध्रुव ने भी उसकी लगन की तारीफ की थी।
रात के करीब 9 बजे मोहित ने कैफ़े बंद करने की तैयारी शुरू कर दी। उसने दिशा को बुलाकर कहा, "अब तुम घर जा सकती हो। आज का काम खत्म हो गया है।"
दिशा ने सिर हिलाया और वापस ऊपर जाकर अपनी कैज़ुअल कपड़े पहन लिए। ध्रुव ने जाते हुए उसे मुस्कुराते हुए "गुड बाय" कहा, और दिशा भी मुस्कान के साथ उसे विदा करते हुए कैफ़े से निकल गई।
कैफ़े के अंदर अब ध्रुव और अभिमन्यु ही बचे थे। ध्रुव अभी भी कैफ़े के कागजी काम में लगा हुआ था, जब अभिमन्यु ने भी अपने कपड़े बदल लिए थे वो और वो अपने कैजुअल कपड़ो में था उसने अचानक से कहा, "मैं थोड़ी देर में वापस आता हूँ।"
ध्रुव ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया, और सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है।"
अभिमन्यु कैफ़े से बाहर निकलकर एक सुनसान गली में मुड़ गया। सड़कें अब लगभग खाली थीं, और माहौल में रात का सन्नाटा पसरा हुआ था। तभी पीछे से किसी की आहट सुनाई दी। अभिमन्यु ने बिना पीछे मुड़े कहा, "तुम यहाँ क्या कर रही हो?"