Chapter 33 lift ka chakkar

सुबह का वक़्त था, सूरज की हल्की किरणें खिड़की से अंदर झांक रही थीं, और सीढ़ियों पर हल्की आहट सुनाई दे रही थी। आकाश और अभिमन्यु, दोनों ही सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे, उनकी बातचीत हल्की-फुल्की थी। आकाश ने हमेशा की तरह एक हल्की नीली शर्ट पहनी थी और उसके चेहरे पर एक शांति सी झलक रही थी। अभिमन्यु, जो उससे कुछ कदम पीछे चल रहा था, उसने एक सादगी भरी काले रंग की टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी, लेकिन उसकी चाल में एक आत्मविश्वास और बेफिक्री थी।

ठीक उसी समय दिशा अपने कमरे से बाहर निकली। उसने काले रंग का टॉप और उसी रंग की फिटिंग जीन्स पहन रखी थी। उसकी हरकतों में एक ताजगी थी, जैसे उसे अच्छे से पता हो कि उसकी मौजूदगी दूसरों को कैसे आकर्षित कर रही है। बाल खुले थे, और उसकी मुस्कान हल्की लेकिन असरदार थी। दिशा की खूबसूरती आज और भी निखर कर सामने आ रही थी, और आकाश की नज़रें उस पर टिक गईं।

आकाश ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्या तुम काम पे जा रही हो?"

दिशा ने सिर हिलाते हुए धीरे से 'हाँ' में जवाब दिया, लेकिन उसकी आँखों में एक गंभीरता थी, जैसे कि उसका दिमाग कहीं और लगा हो।

आकाश ने एक नज़र अभिमन्यु पर डाली और फिर अपनी जेब से बाइक की चाबी निकालते हुए उसे अभिमन्यु की तरफ बढ़ा दिया। "तुम दिशा को अपने साथ ले जा सकते हो," उसने आत्मविश्वास से कहा। आकाश का इशारा साफ था कि वो अभिमन्यु को एक जिम्मेदारी दे रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान यह भी इशारा कर रही थी कि उसे इस बात का भरोसा है कि उसका छोटा भाई ये जिम्मेदारी अच्छी तरह निभा लेगा।

अभिमन्यु ने जीझकते हुए कहा," भाई लेकिन आप।"

आकाश ने हँसते हुए कहा, "मेरा एक दोस्त पास में ही रहता है, मैं उसे कॉल कर देता हूँ। वो मुझे पिक कर लेगा, तुम लोग निकलो।"

अभिमन्यु, जो अभी तक कुछ सोच में था, उसने चाबी लेते हुए कहा, "ठीक है।" दिशा के करीब जाते हुए उसने कहा, "चलो, मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ।"

अभिमन्यु और दिशा अब सीढ़ियों से नीचे उतर कर बाहर आ गए थे। अभिमन्यु ने बाइक स्टार्ट की और दिशा को पीछे बैठने का इशारा किया। दिशा ने बिना किसी झिझक के अभिमन्यु के कंधों पर अपने हाथ रख दिए। बाइक के इंजन की गूँज अब तेज हो गई थी। जैसे ही दिशा बैठी, उसने अभिमन्यु के कान के पास हल्की आवाज़ में कहा, "तुम्हारा कज़िन भाई काफ़ी अच्छा है।"

अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए पीछे मुड़कर पूछा, "मैं हैरान था कि तुमने उसे पिछली रात पहचाना नहीं। उसके सामने तुम शांत और अजीब तरीके से बर्ताव कर रही थी।"

दिशा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मुझे सिर्फ उसका नाम पता था, मैंने उसकी तस्वीर कभी नहीं देखी थी, इसीलिए नहीं पहचान पाई।"

दूसरी तरफ, आकाश ने अपने दोस्त को फोन करके कहा, "भाई, मुझे मेरे घर के पास से पिक कर लेना।"

अभिमन्यु अब हाईवे पर बाइक को दौड़ाने लगा। उसकी बाइक एक पुलिस मॉडल थी, हल्की और आरामदायक। जब वो बाइक के हैंडल पर पकड़ बनाकर गति बढ़ा रहा था, तो उसे भीतर से एक सुकून महसूस हो रहा था। ये वही पल था जिसका वो इंतजार कर रहा था—तेज़ हवा का एहसास, बाइक की आवाज़ और खुला हाईवे। 90 की स्पीड से दौड़ती बाइक जैसे उड़ान भर रही हो, और दिशा उसकी पीठ से सटी हुई, उसकी पकड़ और भी मजबूत हो गई थी।

कुछ ही मिनटों में वे लोग कैफ़े पहुँच गए। आमतौर पर जहाँ 15 मिनट लगते थे, वहाँ आज अभिमन्यु ने सिर्फ 7 मिनट में सफर तय कर लिया था। जैसे ही वे कैफ़े के पास पहुँचे, ध्रुव, जो एक टेबल को कपड़े से साफ कर रहा था, अचानक रुक गया। उसकी नज़र अभिमन्यु और दिशा पर पड़ी, जो एक साथ कैफ़े में दाखिल हो रहे थे। ध्रुव का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया। उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि ये दोनों साथ में आएंगे।

दिशा ने ध्रुव को हल्के अंदाज़ में 'गुड मॉर्निंग' विश किया और बिना रुके चेंजिंग रूम की तरफ बढ़ गई। ध्रुव, जो अभी भी अपने आश्चर्य से उबर नहीं पाया था, अभिमन्यु को रोकते हुए बोला, "अबे, ये कैसे हुआ? कब हुआ? तुम दोनों साथ में कैसे आ रहे हो?"

अभिमन्यु जानता था कि ध्रुव दिशा में दिलचस्पी रखता है। उसने हल्का सा झूठ कहा, "अरे, वो हमारी कॉलोनी में ही रहती है। आकाश भाई ने कहा कि एक जेंटलमैन होने के नाते मुझे उसे लिफ्ट देनी चाहिए।"

ध्रुव ने फिर भी संदेह भरे स्वर में कहा, "और तूने उसे लिफ्ट दे दी?"

अभिमन्यु ने मज़ाकिया लहजे में जवाब दिया, "अरे, आकाश भाई ने उसे भी बुला लिया था। बेचारी मना कर रही थी, लेकिन उन्होंने फिर मुझे चाबी पकड़ा दी और अपने दोस्त के साथ निकल गए। मेरा कोई इरादा नहीं था, सच कह रहा हूँ।"

ध्रुव ने उसे टटोलते हुए कहा, "तेरा इरादा तो मैं समझ ही गया हूँ। ज़रूर तू उसे पटाना चाहता है।"

अभिमन्यु ने हँसते हुए कहा, "अरे नहीं, नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। पर सोचो, अगर मैंने उसे लिफ्ट नहीं दी होती, तो वो पहले ऑटो स्टैंड जाती। वहाँ कुछ लड़के उसे घूरते, फिर ऑटो वाले से मोल-भाव करती। और अगर वो बस में चढ़ती, तो बस में दो-तीन लड़के छेड़खानी करते। और तब जाकर वो यहाँ कैफ़े में पहुँचती।"

ध्रुव ने थोड़ी देर सोचते हुए कहा, "शायद तू सही कह रहा है। सॉरी यार, मैंने तुझपर शक किया। अच्छा हुआ कि तूने उसे लिफ्ट दे दी।"

अभिमन्यु ने फिर से कहा, "हाँ, लेकिन ये रोज़-रोज़ तो नहीं हो पाएगा। आख़िरकार ये पुलिस की बाइक है, और मैं रोज़ उनसे ये बाइक नहीं ले सकता।"

ध्रुव ने सोचा और कहा, "हाँ, सही कहा। ठीक है, कल से मैं उसे पिक और ड्रॉप करूँगा।"

अभिमन्यु ने हैरान होते हुए पूछा, "तेरे पास बाइक है?"

ध्रुव ने गर्व से कहा, "पापा की रॉयल एनफील्ड है, बोले तो बुलेट।"

अभिमन्यु ने पूछा, "और लाइसेंस?"

ध्रुव ने निराश होते हुए कहा, "नहीं, वो तो नहीं है।"

अभिमन्यु ने मजाकिया अंदाज़ में कहा, "तू चिंता मत कर। सुबह मैं उसे ऑटो से ले आऊँगा, और शाम को आकाश भाई हमें लिफ्ट दे देंगे।"

ध्रुव ने राहत भरे स्वर में कहा, "हाँ, ये सही रहेगा।"

तभी मोहित ने उनकी तरफ देखकर कहा, "तुम दोनों की ये फालतू बातें खत्म हो गई हों, तो काम भी कर लो। तुम लोगों के लड़कियां घुमाने से ये कैफ़े नहीं चल रहा है!"

अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए मोहित की बात सुनी और फिर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया।

सुबह का वक्त था। हल्की ठंडक के साथ आसमान में सूरज की किरणें धीरे-धीरे फैल रही थीं। आकाश बाहर खड़ा अपने जूनियर, रोहन ठाक्कर, का इंतजार कर रहा था। कुछ ही पलों में रोहन पुलिस की बाइक पर आ गया। बाइक के पास आकर उसने आकाश की तरफ मुस्कान फेंकी और मज़ाक में पूछा, "क्या बात है, सर? आपकी बाइक खराब हो गई क्या?"

आकाश हल्के से मुस्कराते हुए बोला, "नहीं, मेरी बाइक ठीक है। दरअसल, मेरा छोटा भाई बाइक लेकर चला गया है, इसलिए आज तुम्हारी सवारी करनी पड़ेगी।"

रोहन ने हैरानी से कहा, "आपका छोटा भाई भी है?"

आकाश ने सिर हिलाते हुए कहा, "हां, वो अभी यहां पढ़ने के लिए आया है और फिलहाल मेरे साथ ही रह रहा है।"

रोहन, जो हमेशा से आकाश के बारे में ज्यादा जानने की कोशिश करता था, इस बार भी अभिमन्यु के बारे में कुछ और जानने की कोशिश करने लगा। उसने पूछा, "तो वो कब से यहां है? क्या वो भी पुलिस में आने का सोच रहा है?"

लेकिन आकाश ने सिर्फ कुछ सामान्य बातें बताईं, जैसे कि अभिमन्यु पढ़ाई कर रहा है, और बाकी कुछ भी नहीं बताया। उसने साफ-साफ यह भी नहीं बताया कि अभिमन्यु उसका कज़िन है।

आकाश का स्वभाव ही ऐसा था—वो अपने निजी जीवन के बारे में ज्यादा बातें नहीं करता था। रोहन भी इस बात को जानता था कि आकाश अपनी निजी जिंदगी के बारे में बहुत कम बाते करता था। उसके डिपार्टमेंट में काम करने वाले लोगो को ये तक नहीं पता था कि आकाश कहां रहता था या वो की स्टार के पारिवारिक पृष्ठभूमि से आता था।