कपिल मेहता अपने आदमियों के साथ बैठा हुआ था, उसकी टेबल पर अभिमन्यु से जुड़ी फाइलें बिखरी पड़ी थीं। उसने फाइल को झटके से बंद करते हुए कहा, "क्या ये सब मजाक है? हमें अब तक उसकी एक भी ढंग की फोटो नहीं मिली और ये सब जानकारियां बताती हैं कि वो कोई साधारण छात्र था। ऐसा हो ही नहीं सकता। कुछ तो है जो हमें समझ नहीं आ रहा। क्या कुछ और पता चला है कि फिलहाल वो कहां है?"
उसके सामने खड़े उसके आदमी ने सिर झुका लिया, मानो कोई ठोस जवाब देने में असमर्थ हो। कपिल को महसूस हो गया कि अभी तक उन्हें कुछ ठोस सुराग नहीं मिला था।
कपिल ने अपनी आवाज में गंभीरता लाते हुए कहा, "ठीक है, त्रिपाठी के होटल और क्लब जाने की जो जानकारी मिली थी, उसपर नजर बनाए रखो। मुझे शक है कि वो आदमी इस मामले में किसी तरह से जुड़ा हो सकता है। हमें हर एक छोटी सी छोटी जानकारी चाहिए।"
एक और आदमी जो वहां मौजूद था, उसके चेहरे पर हल्की बेचैनी थी। कपिल की नजर उस पर पड़ी और उसने फौरन कहा, "तुम्हें एक काम सौंपा था। बताओ, कुछ नया पता चला?"
कपिल मेहता अपने सामने खड़े आदमी को देख रहा था। आदमी ने धीरे से कहा, "हां, बॉस, रंगा के बारे में कुछ चौकाने वाले राज़ सामने आए हैं। उस औरत का, जिसकी तस्वीर हमें रंगा के क्लब वाले लॉकर से मिली थी, असल में रंगा के साथ उसका एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर था। उस औरत की शादी 20 साल पहले एक छोटे व्यापारी से हुई थी, जो की एक बाइक के शोरूम का मालिक है।"
कपिल ने अपनी भौंहें चढ़ाते हुए कहा, "तो तुम ये कहना चाह रहे हो कि उस औरत की शादी होते हुए भी उसका रंगा के साथ अफेयर चल रहा था?"
आदमी ने सिर हिलाते हुए कहा, "जी हां, बॉस। और उससे भी बड़ी बात ये है कि उस औरत की जो 16 साल की बेटी है, वो असल में रंगा की ही बेटी है। हमें उसके फ्लैट के लॉकर में उनकी कुछ निजी तस्वीरें भी मिली हैं, और एक DNA रिपोर्ट भी, जो इस बात की पुष्टि करती है कि रंगा ही उस लड़की का असली बाप है। लड़की का नाम जानवी है।"
कपिल ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "रंगा ने अपनी पूरी एक अलग ज़िंदगी हमसे छिपा कर रखी थी। तो उसका एक नाजायज परिवार भी था, जो हमें कभी पता नहीं चला।"
आदमी ने फिर एक फाइल कपिल के सामने रखते हुए कहा, "बॉस, रंगा के पास से हमें सिर्फ ये ही नहीं मिला। हमें कुछ बड़े ट्रांजैक्शन के रिकॉर्ड भी मिले हैं, जो काफी बड़ी रकम के लेन-देन से जुड़े हैं। इसके अलावा, कुछ हथियारों की डील और कुछ और अवैध गतिविधियों के कागजात भी मिले हैं।"
कपिल ने उन दस्तावेजों को जल्दी-जल्दी पलटते हुए कहा, "ये सब क्या है?"
आदमी ने जवाब दिया, "सर, ये सभी डॉक्यूमेंट्स एकदम असली हैं। रंगा लंबे समय से गुप्त रूप से एक गैंग के साथ काम कर रहा था। इसके अलावा, हमें एक सैटेलाइट फोन मिला है। जब हमने उसकी जांच की तो पता चला कि रंगा अक्सर चीन कॉल किया करता था।"
कपिल ने गहरी सोच में डूबते हुए कहा, "तो रंगा का चीन से भी कोई संबंध था?"
आदमी ने सिर हिलाते हुए कहा, "जी बॉस, और वो किसी बड़े ऑर्गेनाइजेशन के साथ जुड़ा हुआ था। लेकिन, बॉस, एक और बात है।"
कपिल ने चिढ़कर पूछा, "और क्या है?"
आदमी ने कुछ और दस्तावेज़ कपिल के सामने रखे और कहा, "ये हमें रंगा के घर से मिले थे।" कपिल ने उन दस्तावेजों को देखा तो वो बिल्कुल चौंक गया। ये कपिल के खुद के तलाक के कागजात थे, और उनमें कपिल की निजी जानकारी भी थी, खासकर उसके परिवार के बारे में जिसके बारे में शायद ही किसी को पता हो।
कपिल को समझते देर नहीं लगी कि रंगा उसे खत्म करने की साजिश रच रहा था। उसने उन दस्तावेजों को वापस फाइल में रखते हुए कहा, "तो रंगा मेरी कमजोरी का इस्तेमाल करके मुझे हटाना चाहता था।"
आदमी ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा, "जी बॉस, शायद वो अपनी चाल में सफल हो जाता, लेकिन किस्मत अच्छी थी कि उस लड़के ने उसे पहले ही मार दिया।"
कपिल ने गंभीर स्वर में कहा, "किस्मत तो सही थी, लेकिन अब हमें उस लड़के को ढूंढना ही होगा। हम नहीं जानते कि उसका मकसद क्या है। हो सकता है कि वो भी मेरे पीछे पड़ा हो।"
आदमी ने हामी भरते हुए कहा, "जी बॉस, हम उस पर नजर बनाए रखेंगे।"
दूसरी तरफ, अभिमन्यु Café de Bonjour में आराम से अपने दिन बिता रहा था। अभिमन्यु का दिन का रूटीन बहुत साधारण था। वह रोज़ सुबह दिशा के साथ ऑटो पकड़कर कैफे जाता और शाम को आकाश उन्हें बाइक से लेने आता। कैफे में काम करते हुए, अभिमन्यु और दिशा बहुत ज़्यादा बात नहीं करते थे; उनका काम केवल उनके बीच के संपर्क का मुख्य आधार था। दिशा, अपने जीवन के इस नए मोड़ पर, खुद को सुकून महसूस कर रही थी।
ध्रुव, जो हमेशा दिशा को किसी न किसी तरीके से प्रभावित करने की कोशिश करता था, कैफे में काम करते समय हर संभव प्रयास करता था। हालांकि, दिशा को ध्रुव की ये कोशिशें पूरी तरह से समझ में नहीं आती थीं। एक हफ्ता इसी तरह गुजर गया, और समय बीतने के साथ बारहवीं कक्षा के परिणाम घोषित हुए। अभिमन्यु को बहुत अच्छे अंक मिले थे, जबकि दिशा भी उसकी ही क्लास में थी और उसने अभिमन्यु से भी बेहतर अंक प्राप्त किए थे। ध्रुव के अंक औसत थे। अब, सभी को अपने कॉलेज एडमिशन्स के बारे में सोचने का समय आ गया था।
दूसरी ओर, मैट्रिक परीक्षा के परिणाम भी घोषित हो गए थे।
गर्मियों की धूप पूरे शहर पर छाई हुई थी, लेकिन उस दिन छपरा के लोग इससे बेपरवाह थे। पूरे शहर में एक ही चर्चा थी—सुकन्या त्रिपाठी की। सुकन्या ने पूरे जिले में टॉप किया था, और उसके इस ऐतिहासिक परिणाम ने उसे छपरा के हर गली-मोहल्ले में एक स्थानीय नायिका बना दिया था। उसकी उपलब्धि की गूंज हर कोने तक पहुंच चुकी थी।
सुकन्या के परिवार वालों के चेहरे गर्व से दमक रहे थे। पिता बृजेश त्रिपाठी, जो खुद शहर के प्रतिष्ठित नेता थे, और उनकी पत्नी बिंदिया , दोनों अपनी बेटी की इस बड़ी सफलता से गदगद थे। घर के अंदर-बाहर लोगों का तांता लगा हुआ था, हर कोई सुकन्या को बधाई देने के लिए बेचैन था।
सुकन्या का स्वागत किसी राजा-महाराजा की तरह किया जा रहा था। जब वह ओपन रूफ जीप पर खड़ी हुई, तब उसकी गले में फूलों की माला लटक रही थी। उसके चारों ओर लोग ढोल-नगाड़े बजा रहे थे, और नाचते-गाते हुए उसकी प्रशंसा में नारे लगा रहे थे—"सुकन्या त्रिपाठी जिंदाबाद!" जीप के पीछे-पीछे एक लंबी भीड़ चल रही थी, मानो वह कोई विजयी रैली हो।
सुकन्या के चेहरे पर एक सहज मुस्कान थी, उसकी आंखों में चमक थी, जैसे वह खुद को इन सबका अभ्यस्त मान चुकी हो। जिस तरह से वह भीड़ का सामना कर रही थी, उससे साफ़ पता चलता था कि वह इस सम्मान और प्यार की हकदार है। वह साधारण लड़की नहीं थी—उसकी उपलब्धि ने उसे जिले में सबसे प्रतिष्ठित बना दिया था।
जब रैली बृजेश त्रिपाठी के घर के आगे आकर रुकी, वहां पहले से ही 50 से ज्यादा लोग खड़े थे। न्यूज रिपोर्टर्स कैमरे लिए इंतजार कर रहे थे, कुछ अखबार वाले उसकी तस्वीर लेने के लिए बेताब थे।
बृजेश त्रिपाठी की पत्नी बिंदिया, दूर से खड़ी, अपनी बेटी को देख रही थी। उसने अपने पति से कहा, "देखिए, कितनी प्यारी लग रही है न हमारी बेटी? आखिरकार, यह मेरे ही गुण हैं जो इसे टॉप करवाते हैं। वरना साल भर तो आप दोनों के गुण ही दिखते रहते हैं।"
बृजेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटी किसकी है, तुम्हारे गुण होंगे लेकिन जीत मेरे गुणों का ही नतीजा है।"
सूरज ने भी मज़ाक में कहा, "अरे भतीजी किसकी है, आखिर खून में ही ये सब आता है।"
माहौल इतना खुशनुमा था कि समय जैसे रुक गया था। लोग झूम रहे थे, नाच रहे थे, और सुकन्या की तारीफों के पुल बांध रहे थे। पूरे शहर की नजरें इस जश्न पर थीं।
सुकन्या की सफलता का जश्न अपने चरम पर था। जैसे ही उसकी जीप बृजेश त्रिपाठी के घर के सामने पहुँची, वहां पर एक भव्य स्वागत और उत्सव का माहौल था। जीप के चारों ओर ढोल-नगाड़े बज रहे थे और लोग खुशी से झूम रहे थे। सुकन्या, जिसे फूलों की माला से सजाया गया था, जीप की छत पर खड़ी थी। उसकी आंखों में आत्म-संतोष और गर्व की चमक थी, और उसकी मुस्कान ने उसकी खुशी को और भी बढ़ा दिया था।
सुकन्या ने जीप से उतरते ही अपने परिवार के साथ डांस करने का निर्णय लिया। जैसे ही वह नीचे उतरी, ढोल की थाप पर कदम मिलाते हुए वह नृत्य करने लगी। उसकी खुशी और उत्साह ने भीड़ को भी मंत्रमुग्ध कर दिया था। सूरज त्रिपाठी, जो पहले से ही उत्सव का हिस्सा बन चुके थे, सुकन्या के साथ मिलकर नाचने लगे। उनका डांस समर्पण और खुशी से भरा हुआ था।
कुछ समय बाद, सुकन्या ने अपने माता-पिता, बृजेश त्रिपाठी और उनकी पत्नी को भी उत्सव में शामिल करने और नाचने के लिए खींच लिया। तीनों ने मिलकर ढोल-नगाड़ों की धुन पर थिरकते हुए, खुशी के इस मौके को साझा किया। सबके चेहरे पर खुशी की लहर थी, और हर कोई इस पल का आनंद ले रहा था। आसपास के लोग भी इस खुशी के माहौल में शामिल हो गए थे और उत्सव की धुन पर नाचने लगे थे।
तभी, अचानक, भीड़ के उत्साह के बीच एक गोली की आवाज सुनाई दी। यह आवाज एक तीव्रता और चौंकाने वाली थी, जो सबको चकित कर देने वाली थी। गोली बृजेश त्रिपाठी की छाती में जाकर लगी। उसकी अचानक आई गोली ने पूरा माहौल बदल दिया। लोगों के चेहरे पर भय और चिंता की लहर दौड़ गई, और उत्सव का आनंद एक पल में ही दुख और अवसाद में बदल गया।
लोगों की खुशी के शोर और ढोल की धुन के बीच, गोली की आवाज ने एक गंभीर स्थिति को जन्म दिया। बृजेश त्रिपाठी, जो अब तक खुशी और गर्व की मूर्ति बने हुए थे, अब इस अचानक हुई घटना का शिकार हो गए थे। सुकन्या और उनके परिवार के लोग, जो अभी तक खुशी के लम्हों का आनंद ले रहे थे, अब चिंता और भय से भर गए थे। हर कोई आश्चर्यचकित और परेशान था कि ऐसा भयानक हादसा कैसे हुआ।