begunah ishq

यह सब रुही,,,,,,,बड़ी हिम्मत कर बोल रही थी,,,,,,,,,क्योंकि उसने सोच लिया था ,,,,,,,कि आब उसके पास है ही क्या ,,,,,,जो मिहिर उससे छीनेगा,,,,, उसे धमकायेगा,,,, ,,, वह आखिर ,,,,,,अब उससे डर क्यों रही है,,,,, वह तो अब सजा भी भुगत ली है,,,,,,जिससे वह अपने डर को दूर भगा,,,,,,मिहिर से यह सब बोल देती है 

और वही मिहिर को ,,,,,,रूही बात की पर ,,,,,,गुस्सा तो बहुत आता है,,,,,,लेकिन फिर भी ,,,,,,,वह ,, रुही की बातों का मजाक उड़ाते हुए,,,,,ओ ओ तो तुम्हें आजाद होना है,, तुम्हें जीना है,,,,,, ,,,,जो आब कभी नहीं होगा ,,,,,,, क्योंकि तुम भी ,,,,,,, अब अलीशा की तरह ही मारोगी

क्योंकि तुम्हें वह 7 साल की सजा,,,,,सिर्फ मुझसे ,,,,,,मेरी अलिशा को ,,,,,,दूर करने की मिली है,,,,,, उसे जान से मारने की नहीं,,,,,,,,इसलिए उसे मारने की सजा ,,,,,, अब मैं तुम्हें दूंगा ,,,,,,,वह भी अपने तरीके से ,,,,,, जिससे तुम ,,,,दिन रात,,,घूंट कर मारोगी, ,, ,,, लेकिन मरने नहीं दूंगा

तुम्हें तो आब पता चलेगा ,,,,,कि मेरे द्वारा दी गई सजा होती,,,,,कैसी है ,,,,,,,क्योंकि, ,, अब बारी है ,,,,,,तुम्हारी तड़पने की ,,,,,,,जैसे बिन पानी की मछली तड़पती है,,,,,,,अब वैसे ही,,,,,,तुम्हारी जिंदगी भी ,,,,,बिन पानी की मछली की तरह ही तड़पेगी 

और फिर अपने कदम,,,,,,रुही की तरफ बढ़ाने लगता है

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अब आगे_________________________

और फिर अपने कदम रूही की तरफ बढाते हुए,,,,, उसे ऊपर से नीचे देखते हुए ,,,,,क्या हुआ ,,,,,आब तो ,,, ना,,,मेरे पास अलीशा है ,,,,,,और ना ही कोई और ,,,,

क्या तुम मुझे पाने के लिए,,,, अब कुछ नहीं करोगी ,,,,,,कोई चाल नहीं चलोगी,,,,,कोई नाटक नहीं करोगे,,,,,,, ,,यह कहते हुए ,,,,, मिहींर रूही पर हंस रहा था,,,,,,,क्योंकि कोई ना कोई हरकत कर ,,,,, रुही,,, मिहीर के करीब जाने के ,, कोशिश करती थी

और वही रूही ,,,,,मिहींर को अपनी तरफ आता देख ,,,,, वह पीछे की तरफ खिसकते हुए,,,,,,,मुझे नफरत है तुमसे मिहिर ,,,,,,,,और तुम्हें पाने का ख्याल तो छोड़ो ,,,,,, अब मैं तुम्हें ,,,,,,देखना तक नहीं चाहती ,,,,,,

क्योंकि मुझे ,,,,,,अब तो खुद से नफरत हो गई है,,,,,,,कि मैं तुम जैसे घटिया और गिरे हुए इंसान से मोहब्बत की थी ,,,,,,तुमने बगैर मेरी कोई बात सुने,,,,,,,मुझे ऐसी सजा दे दी,,,,,,कि मैं किसी के सामने अपना सर उठा नहीं सकती , ,,,,,, तुमने मुझसे मेरी खुशियां छीन ली ,,,,,,,मेरे डैड,,,,यह कहते हुए ,,,,रुही की आंखों से ,,,,आंसू लगातार बहने लगते हैं ,,,,,क्योंकि उसके जख्म जो ताजा हो गए थे 

यह मेरा भी वादा है मिस्टर मिहिर, ,,,,,एक वक्त ऐसा आएगा ,,,,,,,जब तुम अपना ,,,,,,,यह घटिया चेहरा,,,,,,मुझसे छुपात फिरोगे , , ,, क्योंकि जैसे मैं आज तुमसे छुपती फिर रही हूं ,,,,,,,,,एक दिन तुम भी मुझे छुपते फिरोगे,,,,,

क्योंकि हर किसी का ,,,,,उसका कर्म ,,,,,उसे आईना जरूर दिखाता है ,,,,,और वक्त आने पर,,,,,तुम्हें भी तुम्हारा करम,,,,,,जरूर आईना दिखाएगा,,,,,तब तुम्हें पता चलेगा ,,,,,,,की असली दर्द होता क्या है

मैंने जितना भी दर्द ,,,,,,अपनी लाइफ में देखा है,,,,,,,,,,तुम बगैर देखे ,,,,,,,उसे सहोगे,,,,,,तुम भी मेरी तरह ,,,,,खून के आंसू रोयोगे मिहिर,,,,, ,,, जैसे मैंने अपने डैड को खोया है ,,,,,जैसे मैं अपनी मां के सामने होते हुए भी ,,,,,,उन्हें मां कहकर गले नहीं लगा सकती ,,,,,,उन्हें अपना नहीं कह सकती,,,,,वैसे तुम भी ,,,,अपने किसी को,,,,,, आपने आखो के सामने,,, होते हुए भी,,,,, तुम भी उसे अपना नहीं कह पाओगी

तुमने जैसे मेरे प्यार को ,,,,, नीचा दिखा ,,,,,,मुझे तड़पाया था ,,,,,,वैसे तुम भी तड़पोगे,,,,,,,मेरी तरह तुम भी दिन रात तडपेगा,,,,,,-,,,

आ रही बात अलिशा की ,,,,,,,क्या पता,,वह भी ,,,,,,,तुम जैसे घटिया इंसान से तंग आ ,,,,,,,,इस दुनिया को छोड़कर चली गई हो,,, , ,,,, उसने खुद ही खुद को मार लिया हो ,,,,,,तुमसे खुद को आजाद करने के लिए ,,,,,,,,क्योंकि तुम किसी के भी प्यार के लायक नहीं हो ,,,,,,,तुम सिर्फ अकेला रहना डिस्व करते हो,,,,,,सिर्फ अकेला ,,,,,,, यह सब कहते हुए ,,,, रुही रोये जा रही थी

आज रुही,,,अपने दिल के सभी दर्द ,,,,,मिहिर की बातों को सुन ,,,,,,,अपने आंखों और होठों से बयां कर रही थी, ,,, इतने सालों से अपने दिल में दफन दर्द को,,,,,,अपनी बातों के जरिए ,,,,,,मिहिर पर बरसा रही थी

लेकिन अफसोस मिहींर ,,, इससे,,,,,कोई फर्क नहीं पड़ रहा था 

और फिर रुही ,,,,,,,अपने आंसुओं को पहुंचते हुए,,,, चादर को अच्छे से अपने शरीर पर लपेट,,,,,,बेड से उठने लगती है,,,,, क्योंकि वह एक पल भी याहा नहीं रुकना चाहती थी,, 

और वही मिहिर रूही के एक-एक शब्द सुन ,,,,,उसका खून खौलता जा रहा था,,,,,,,उसकी आंखें जैसे खून उगलती जा रही थी ,,,,,,,,उसे आरुषि पर इतना गुस्सा आ रहा था,,,,,,,,कि जैसे वह अभी आरुषि को जान से मार दे,,,,,,जिससे मिहिर गुस्से से ,,,,,,अपने हाथों की मुट्ठी बना,,,,,, रुही की तरफ अपने कदम बढ़ा देता है 

और वही रूही ,,,,,जो अभी,,,,बेड से ,,उठ ही रही थी ,,,,, मिहींर उसके पास जा,,,, एक खींच के थप्पड़ मारता है ,,,,,,,,जिससे रूही दोबारा बेड पर जा गिरती है

और फिर नीचे झुक मिहींर,,,,,,रोहि के बाल पकड़ ,,,,,,जबरदस्ती रूही का छोटा सा फेस,,,,,,,अपने फेस के नजदीक ला,,,,,,,गुस्से से दांत पिसते हुए ,,,,,,,तेरी इतनी हिम्मत कि तुम मुझे जुबान चलायेगी ,,,,मुझे मुझे,,,,,,तुम मिहिर को सबक सिखाएंगी,,,,,,,

तू,,,,,,,तू मुझे ,,,,करर्म की दुआ दे रही है,,,,,,कभी तूने खुद की करम देखे है ,,,,,तभी तो तू ,,,,, इस हालत में ,,,,,,अभी,,,,,इस वक्त ,,,,,मेरे सामने पड़ी है ,,,,, वह भी दर्द से तड़पते हुए 

और वह रुही मिहिर की बात सुन ,,, उसे बहुत गुस्सा आ रहा था,,,,,जिससे रुही,,,,,,मिहिर की तरफ घूरते हुए यह ,,,,,,,मेरे करम नहीं ,,,,, यह तुम्हारी करम है ,,,,,,,,जो मैंने कभी,,,,,,तुम्हारी मोहब्बत में आ,,,,,, भगवान से दुआ में मांग लिया था,,,,,,,,कि तुम्हारे सारे दुख मेरे ,,,,,,,,और मेरे सारे सुख तुम्हारे ,,,,,,,,अब मुझे उस दिन का अफसोस हो रहा है,,,,,,,क्यों ,,,,,,क्यो,,,मांगा था मैंने,,,,,,ऐसी दुआ ,,,,,,,,यह कहते हुए ,,,,,रोही के फेस पर ,,,,,स्माइल थी,,,,,,जैसे उसने ,,,,,,अपने शब्दों से ,,,,,,,मिहिर का मुंह बंद कर दिया हो 

जिसे सुन मिहींर,,,,एक पल के लिए रुही का चेहरा देखता रह जाता है ,,,, छोटा सा गोल,,,बगैर दाग गोरा मुह,,,, क्योंकि रुही को जब भी कोई परेशान करता था,, तो उसे उसके फेस पर वार नहीं करता था,,,, ताकि किसी को जल्दी पता ना,, चले,, कि किसी ने उसको परेशान किया था,,,, जिस पर हलका मेकअप लगा हुआ था,,,,,,,

की तभी मिहिर को अलीशा की आवाज सुनाई देती है ,,,,,मिहिर मिहिर मुझे मुझे बचा लो,,,,,,वरना मुझे रूही मार देगी ,,,,,मैं मरना नहीं चाहती,,,,,,मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं,,,,,मुझे बचा लो,,,,,,,यह सुन मिहींर की आंखें दोबारा लाल हो जाती है

और फिर गुस्से से,,,,,रूही का गला पकड़ ,,,,,,,उसका गला दबाने लगता है,,,,,,,,जिससे रूही की पकड़ ,,,,,,उस चादर से हट जाती है ,,,,और तभी मिहिर,,,,,रूही को,,,,,उसी तरह गला पकड़े ,,,,,,उसे बेड पर लेटा देता है

और वही रूही की सास उखाड़ने लगी थी,,,,,,जिसे महसूस कर मिहिर उसे छोड़ देता है,,,,,और उसके छोड़ते ही रूही,,,,,लंबी-लंबी सांस लेने लगती है

की तभी मिहींर की नजर ,,,, रुही की ब्रेस्ट पर जाती है ,,,,,,,,जो सांस लेने से ऊपर नीचे हो रही थी ,,,,,,,जिसे देख मिहिर के फेस पर डेविल स्माइल आ जाती है ,,,,,,,और वह उसी तरह ,,,,,,रूही की ब्रश्ट को देखते हुए ,,,,,,बगैर देरी किए ,,,,,अपनी शर्ट के बटन खोलने लगता है

और वही रूही जो अपने सांसों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी ,,,,,,वह अपने ब्रेस्ट पर हाथ रख ,,,,,,,वह उसी तरह ,,,,सांस लेते हुए ,,,,बेड से उठने लगती हैं 

रोहि को बेड से उठता देख,,, मिहींर,,, दोबारा रूही को बेड पर धक्का दे ,,,,,,अपनी शर्ट उतार देता है,,,,,,और फिर रूही की तरफ झुकने लगता है

 मिहिर को खुद की तरफ झुकता देख ,,,,,,,रुही अपने आसपास किसी चीज को ढूंढने लगती हैं,,,,,,

की तभी उसकी नजर,,, एक फलवर पोट पर जाती है ,,,,,,जिसे रोहि,,,झट से ,, आपनी फुरती दिखा,,,बेड से उठ,,,,,, उस फलावर पोट को उठा,,,,,,उस कमरे में लगी लाइट पर ,,, दे मरती है ,,,,,,,जिससे उस कमरे में ,,,,,,पूरी तरह अंधेरा ही अंधेरा हो जाता है ,,,,,,,जिसका फायदा उठा ,,,, रुही वहां से,,,,,बस भागना चाहती थी

लेकिन अफसोस, , ,,,,मिहिर की चील जैसी आंखों से ,,,,,,वह बच ना पाइ,,,,,,और मिहींर,,,,अपने पंजों से ,,,,,रूही की कमर पकड़ ,,,,, उसे दबोच लेता है ,,,,,,और वही रूही खुद को बचाने के लिए,,,,,,,बार-बार मिहींर के हाथों पर ,,,,मारने लगती है

और वहीं मिहींर,,,, रुही को ,,,,अपनी गोद में उठा ,,,,,उसे बेड पर दोबारा पटक देता है ,,,,,और फिर पास में पड़े ,,,,,,लैंप को जला ,,,,,,रूही की स्कर्ट भी फाड़ देगा

और वही एक चीज के साथ रूही,,,,,,Mihir stay away from me don't even touch me,,,,, वरना मैं तुम्हारी जान, ,,,रूही ने इतना ही कहा होगा,,,,,,,,कि मिहींर उसके गालो पर दोबारा ,,,,,उसे खींच के थप्पड़ दे मारता है

आज के लिए बस इतना,,,,,क्या रोही मिहिर से बच पाएगी ,,,,क्या करेगा,, मिहींर रूही के साथ