सुमित्रा की चीख घर में गूंज उठी, "आरव! आरव!!"
दरवाजा पूरी तरह से खुल चुका था, लेकिन आरव कहीं नहीं था। उसका कंबल बिस्तर पर पड़ा था, और खिड़की का पर्दा हवा में लहरा रहा था। उस कमरे में सन्नाटा था, बस हवाओं की आवाज़ सुनाई दे रही थी। सुमित्रा के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। वह पल-पल में डर और घबराहट से कांप रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसका बेटा कहाँ जा सकता था।
"आरव!!" उसने फिर से चिल्लाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
सुमित्रा कमरे के कोने-कोने में दौड़ती हुई चली गई। उसकी आँखें हर दिशा में घुम रही थीं, पर कहीं भी आरव का चेहरा नहीं था। अचानक, उसकी नज़र दरवाजे के नीचे पड़े एक कागज़ पर पड़ी, जिस पर सिर्फ एक शब्द लिखा था – "RUN!"
सुमित्रा की आँखों में डर के साथ एक नई उम्मीद भी जगी। वह जल्दी से कागज़ को उठाती है और बाहर निकलने के लिए दौड़ पड़ती है। तभी उसे फिर से वही खौ़फनाक आवाज़ सुनाई देती है— एक लंबी और डरावनी हंसी, जो अंधेरे से बाहर आ रही थी। उसकी रूह तक कंपकपी दौड़ जाती है।
क्या यह कोई शरारत थी? या फिर आरव के गायब होने के पीछे कोई और खौ़फनाक वजह थी?
सुमित्रा को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह डरते-डरते सड़क पर पहुंचती है और धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। लेकिन उसकी नज़रें हर जगह घूम रही थीं। फिर अचानक, ठंडी और डरावनी हवाएं चलने लगती हैं, और दूर से एक कार की आवाज़ आती है। सुमित्रा की आँखें उस कार के पीछे देखती हैं, और उसे एक साया दिखाई देता है, जो आरव के जैसा दिखता है।
"आरव!" सुमित्रा चिल्लाती है, लेकिन वह साया तुरंत गायब हो जाता है।
वह अपनी सभी हिम्मत जुटाकर उस कार के पास पहुंचती है। लेकिन जब उसने दरवाजा खोला, तो अंदर सिर्फ एक छोटा सा कागज़ रखा हुआ था। सुमित्रा घबराती हुई कागज़ को उठाती है। उस पर लिखा था: "तुमने जो खेल शुरू किया है, वह खत्म नहीं होगा। तुम्हारा बेटा हमारी गिरफ्त में है।"
सुमित्रा की आँखों में अब एक अजीब सी बेचैनी थी। उसका बेटा कहीं नहीं दिखाई दे रहा था, और वह किसी अजनबी खेल का हिस्सा बन चुकी थी। वह उलझन और डर में घिरी हुई थी, फिर भी उसने हिम्मत जुटाई और घर लौटने का फैसला किया।
वापस लौटते वक्त, सुमित्रा को एक अजनबी से मुलाकात होती है। वह एक वृद्ध व्यक्ति था, जो उसे कुछ बताने की कोशिश कर रहा था। "तुम्हारी किस्मत में जो लिखा था, वह अब होने वाला है," उसने कहा। "तुम्हारे पति का खतरा सिर्फ एक झूठ था। अब जो होगा, वह एक सच्चाई से अधिक खतरनाक होगा।"
सुमित्रा को समझ नहीं आया कि वह क्या कह रहा था, लेकिन उसे एक अहसास हुआ कि उसे कहीं और से जवाब मिल सकता है। वह घर के एक पुराने तहखाने में जाती है, जो पिछले कुछ वर्षों से बंद पड़ा था। वहाँ उसे हरीश के पुराने दस्तावेज़ और किताबें मिलती हैं। सुमित्रा को एक पुरानी डायरी मिलती है, जिसमें हरीश ने अपनी मौत से पहले के कुछ संकेत छोड़े थे।
डायरी में लिखा था:
"अगर मुझे कुछ हो जाए, तो समझ लेना कि यह हादसा नहीं, एक साजिश है। और अगर तुम इस साजिश का पीछा करोगी, तो तुम कभी नहीं जान पाओगी कि तुम्हारे बेटे का क्या होगा। यह एक बहुत ही रहस्यमयी और डरावना मायाजाल है तुम जितना इसे जानने की कोशिश करोगी उतना ही तुम इस अंधेरे खेल में उलझती चली जाओगी। इस खेल को जितना समझने का प्रयास करोगी उतना ही फसती चली जाओगी इस खेल का अंजाम मौत से भी ज्यादा खतरनाक और भयावह होगा।"
सुमित्रा की आँखों में अब आंसू थे। वह समझ चुकी थी कि यह सब किसी तंत्र-मंत्र और अंधेरे साजिश का हिस्सा था। हरीश की मौत एक एक्सीडेंट या हादसा नहीं थी, बल्कि उसकी हत्या के पीछे कुछ बहुत बड़ा खेल चल रहा था।
तभी, उसकी आँखों के सामने एक अजनबी साया दिखाई देता है। वह साया धीरे-धीरे सामने आकर कहता है, "तुमने जो खेल खेला है, अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"
सुमित्रा बर्फ की तरह ठंडी पड़ जाती है, उसकी साँसें रुक जाती हैं। लेकिन फिर अचानक उस अजनबी का चेहरा उसके सामने घुमा और वह शख्स कोई और नहीं, बल्कि वही पुलिस अफसर था, जिसने पहले हरीश की मौत के बारे में उसे सूचित किया था।
"तुमने हमारी योजना के बारे में कुछ नहीं जाना। अब तुम हमारे साथ चलो," पुलिस अफसर ने कहा। "तुम्हें पता नहीं है कि जो तुम्हारे साथ हो रहा है, वह सिर्फ शुरुआत है।"
सुमित्रा की आँखों में अब सिर्फ एक सवाल था – क्या वह अपनी जान की सलामती बचा पाएगी और अपने बेटे आरव को वापस पा सकेगी। सुमित्रा के मन में सवालों का तूफ़ान था। पुलिस अफसर का चेहरा देखकर वह हड़बड़ाते हुए पीछे हट गई। यह वही अफसर था, जो हरीश की मौत की सूचना लेकर आया था। उसका चेहरा अब सख्त था, जैसे किसी गहरे राज़ को छुपा रखा हो।
"तुम... तुम कौन हो?" सुमित्रा कांपते हुए बोली।
पुलिस अफसर ने धीरे से कदम बढ़ाए। "तुम नहीं समझ सकती, सुमित्रा। यह सिर्फ तुम्हारे और आरव के लिए नहीं है। तुम्हारे पति की मौत एक हादसा नहीं, एक बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा थी।"
सुमित्रा के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। "क्या मतलब है तुम्हारा?" उसकी आवाज़ में घबराहट और भय था।
"तुम्हें सच जानने का हक नहीं था," पुलिस अफसर ने जवाब दिया, "लेकिन अब तुम्हें पता चलेगा।"
इतना कहकर वह अजनबी अफसर सुमित्रा की तरफ बढ़ता है। सुमित्रा का दिल अब और तेज़ धड़कने लगा। क्या ये वही अफसर है, जो सचमुच उनकी मदद कर रहा था या फिर यह भी किसी साजिश का हिस्सा है?
तभी, अचानक, वह अफसर रुक जाता है और अपना हाथ अपने बैज पर फिर से रखता है। उसकी आँखों में एक घातक चमक थी। "तुमने बहुत गलत किया, सुमित्रा।" और फिर उसकी आवाज़ में और सख्ती आई। "तुम्हारा बेटा कहीं और है।"
सुमित्रा की आँखों में आतंक था, और वो पूरी तरह से डर चुकी थी। "क...क...कहाँ है मेरा बेटा?" वह बेतहाशा पूछती है।
पुलिस अफसर ने गहरी साँस ली, फिर एक कागज़ निकाल कर उसके सामने रखा। "यह कुछ पुरानी कड़ी है, जो तुम्हें अब देखनी होगी।"
सुमित्रा का हाथ कांपते हुए कागज़ को उठाता है। वह धीरे से कागज़ को पलटती है, और फिर उस पर लिखा था: "आरव सिर्फ तुम्हारा बेटा नहीं है। वह जिस परिवार से जुड़ा है, वह परिवार तुम्हारी जान के लिए खतरा बन चुका है।"
सुमित्रा की आँखें इस संदेश को पढ़कर मानो फटी की फटी रह गईं। उसने कागज़ को ध्यान से पढ़ा और फिर अचानक दिमाग में एक सवाल कौंधा। क्या यह परिवार हरीश की मौत के पीछे था? क्या उनका बेटा किसी खतरनाक साजिश का हिस्सा बन चुका था?
"तुमने अपना रास्ता खुद चुना है, सुमित्रा," पुलिस अफसर ने कहा। "अब तुम मेरे साथ चलोगी। हमें आरव को बचाना होगा।"
"आरव!" सुमित्रा के मुँह से बस इतना ही निकला। उसकी आँखें अब भर आईं थीं। "लेकिन मुझे क्यों नहीं बताया तुमने? तुम क्या चाहते हो मुझसे?"
"तुम जान नहीं पाओगी। तुम जितना जान पाओगी, उतना ही तुम्हारे लिए और ज्यादा खतरनाक होगा," पुलिस अफसर ने कड़े शब्दों में कहा।
सुमित्रा गहरी साँस लेकर मुड़ी और फिर उसकी आँखों में एक नया संकल्प था। "मैं नहीं रुकने वाली। मुझे मेरे बेटे को हर हाल में बचाना है।"
अचानक, सुमित्रा की नजरें दीवार के पास पड़े फोन पर पड़ीं। उसने दौड़कर फोन उठाया और कॉल किया, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। तभी, फोन पर एक मैसेज आया:
"तुम एक कदम और आगे बढ़ोगी, तो तुम्हारा बेटा कभी नहीं मिलेगा।"
सुमित्रा की रीढ़ की हड्डी में बर्फ की एक लकीर दौड़ गई। वह खुद को रोक नहीं पाई और पुलिस अफसर से मुड़कर कहा, "क्या तुम सचमुच मुझे बता रहे हो कि आरव का कुछ नहीं हो सकता?"
"तुम जो समझ रही हो, वह उतना आसान नहीं है, सुमित्रा," पुलिस अफसर ने कड़े शब्दों में कहा, "आरव को ढूंढना तुम्हारी हिम्मत से बाहर हो सकता है।"
लेकिन तभी, सुमित्रा की नज़र उस कागज़ पर पड़ी जो उसने पहले देखा था। कागज़ का एक हिस्सा जल गया था, और उसे लगा जैसे उसमें कुछ और लिखा हुआ था। उसने फिर से उस कागज़ को देखा और अचानक उसकी नजरें चमकीं। अब उस कागज़ के नीचे एक दूसरा संदेश लिखा था।
"तुमारे बेटे का जीवन अब मेरे हाथों में है। तुम मुझे ढूँढो, या मैं तुम्हारे बेटे को मार दूँ।"
सुमित्रा का दिल थम गया। पुलिस अफसर का चेहरा अब साफ दिखने लगा। उसकी आँखों में कुछ ऐसा था, जो सुमित्रा को और डराने लगा। क्या वह सचमुच आरव को बचा सकता है? और अगर नहीं, तो क्या सुमित्रा को यह सब अकेले करना होगा?
सुमित्रा ने डर और घबराहट के बावजूद खुद को संभाला। वह जानती थी कि यह कोई सामान्य कहानी नहीं थी, और उसे आरव को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाना होगा।
अचानक, दरवाजे की घंटी बजी। सुमित्रा और पुलिस अफसर दोनों की नजरें एक दूसरे पर पड़ीं। सुमित्रा की साँसें थम गईं। वह जानती थी कि यह घंटी किसी अनहोनी का संकेत हो सकती है।
सुमित्रा दरवाजा खोलने जाती है, और सामने एक व्यक्ति खड़ा होता है। वह आदमी काले कपड़ों में था, और उसकी आँखों में वही घातक चमक थी। वह व्यक्ति बिना कुछ बोले धीरे से कागज़ का एक टुकड़ा उसके हाथ में थमा देता है।
सुमित्रा उसे खोलती है, और उसमें लिखा था: "तुमने मेरे साथ खेलना शुरू किया है, अब खेल खत्म करने का समय आ गया है। तुम दोनों को मैं अपने रास्ते से हटा दूंगा। अब तुम्हें अपना बेटा कभी नहीं मिलेगा!"
सुमित्रा की आँखों में आक्रोश था, और अब उसका चेहरा संकल्प से भरा हुआ था। वह पीछे मुड़कर पुलिस अफसर की ओर देखती है।
"तुम जो भी हो, अब मुझे अपने बेटे को बचाने दो!"
लेकिन पुलिस अफसर की आंखों में कुछ और था। क्या वह सुमित्रा की मदद करने वाला था? या फिर यह एक और झूठ था?
सुमित्रा का दिल एक बार फिर ज़ोर से धड़कने लगता है, और वह समझ नहीं पा रही कि यह सब कहाँ जा रहा है। लेकिन एक बात साफ थी— उसे किसी भी हालत में आरव को बचाना था।
क्या सुमित्रा सच में अपने बेटे को बचा पाएगी?
किसका खेल है यह? और पुलिस अफसर का असली चेहरा क्या है?
क्या पुलिस अफसर सच में उसके खिलाफ है या कुछ और छिपा रहा है?
हरीश की मौत के पीछे असली साजिश क्या है?
पढ़िए – घर का चिराग – एपिसोड 4!