अंधकार का अभ्युदय

आरव घुटनों के बल बैठा, उसकी सांसें तेज़ चल रही थीं। कालवृक का विनाश हो चुका था, लेकिन जंगल अब भी अजीब तरह से सिहर रहा था।

"यह शांति असली नहीं हो सकती। कुछ तो गड़बड़ है..."

अचानक, एक ठंडी हवा जंगल में बहने लगी। आरव ने अपने चारों ओर देखा। हर पेड़ की छाया अब लंबी हो रही थी, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हें पकड़ लिया हो।

"तुमने सच में सोचा कि कालवृक ही मेरी सबसे बड़ी चाल थी?"

यह दंश की आवाज़ थी—लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।

आरव ने खड़े होकर चारों ओर देखा। जंगल के हर पेड़ की छाया अब सजीव हो चुकी थी।

अचानक, एक छाया तेज़ी से आई और आरव को खींचने लगी।

"आह!"

उसके हाथ और पैर जकड़ने लगे।

"ये क्या हो रहा है? मेरा शरीर... हिल नहीं रहा!"

दंश की हंसी गूंज उठी।

"निशाचर वन की असली शक्ति अब शुरू होगी, आरव। तुमने कालवृक को हराया, लेकिन यह जंगल मेरा है!"

अचानक, जंगल की ज़मीन हिलने लगी।

आरव ने देखा—ज़मीन के नीचे से कुछ अजीब आकृतियाँ उभर रही थीं।

वह इंसानों की तरह लग रहे थे, लेकिन उनके चेहरे घुले-मिले थे, जैसे वे सिर्फ धुएँ से बने हों।

"ये कौन हैं?"

दंश की आवाज़ फिर गूंजी—

"ये वे योद्धा हैं जिन्होंने कभी मुझे हराने की कोशिश की थी… और आज वे तुम्हें खत्म करने के लिए लौटे हैं!"

"छाया योद्धा!"

वे सभी अचानक आरव की ओर बढ़ने लगे।

आरव की सबसे बड़ी परीक्षा

आरव ने अपनी शक्ति समेटी और तलवार निकाली।

"चाहे कुछ भी हो जाए, मैं हार नहीं मानूँगा!"

पहला छाया योद्धा झपटा—

आरव ने तेजी से तलवार घुमाई, लेकिन...

"स्वीश!" तलवार आर-पार निकल गई!

"ये चीजें ठोस नहीं हैं... मैं इन्हें नहीं मार सकता!"

दूसरा योद्धा आया और उसने आरव के सीने पर वार किया।

"आहह!"

आरव हवा में उछलकर ज़मीन पर गिरा।

अब सभी छाया योद्धा उसे घेर चुके थे।

दंश की हंसी और तेज़ हो गई।

"अब तुम नहीं बच सकते, आरव!"

तभी, जंगल के एक कोने से एक अजीब सी रोशनी चमकी।

"बस बहुत हुआ!"

एक नई आवाज़ गूंजी—

आरव ने चौंक कर देखा।

उसके सामने एक रहस्यमयी व्यक्ति खड़ा था।

उसकी आँखों में एक अजीब सी शक्ति थी, और उसके हाथों में एक चमकता हुआ त्रिशूल था।

"तुम कौन हो?" आरव ने पूछा।

वह व्यक्ति मुस्कुराया—

"वक़्त आने पर सब पता चलेगा… अभी बस इतना समझ लो कि तुम्हारी असली परीक्षा अब शुरू हुई है!"

छाया योद्धाओं ने चारों ओर से आरव को घेर रखा था। हर कदम पर वे और भयावह होते जा रहे थे। आरव को पहली बार ऐसा लगा कि शायद इस बार वह सच में हार सकता है।

लेकिन तभी, वह रहस्यमयी योद्धा आगे बढ़ा।

"छायाएँ केवल अंधकार में जन्म लेती हैं... और इन्हें नष्ट करने के लिए केवल प्रकाश की जरूरत होती है!"

उसने अपना त्रिशूल आसमान की ओर उठाया। अचानक, त्रिशूल से एक दिव्य प्रकाश निकला और चारों ओर फैल गया।

छाया योद्धाओं की चीखें गूंज उठीं—

"आहहह! यह प्रकाश... यह हमें नष्ट कर देगा!"

कुछ ही पलों में, वे सभी छायाएँ हवा में विलीन हो गईं।

आरव हक्का-बक्का खड़ा रह गया।

"तुम कौन हो?"

आरव ने हैरानी से पूछा।

वह योद्धा मुस्कुराया। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।

"मेरा नाम जानना अभी जरूरी नहीं है। लेकिन इतना समझ लो कि तुम्हें बचाने के लिए मैं यहां आया हूँ।"

आरव ने गहरी सांस ली। "तुमने मेरी मदद क्यों की?"

उस योद्धा ने गंभीर स्वर में कहा—

"क्योंकि तुम्हारी किस्मत इस जंगल से जुड़ी हुई है, आरव। अगर तुम निशाचर वन से सही-सलामत बाहर नहीं निकले, तो यह युद्ध शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।"

आरव के अंदर सवालों का तूफान उठने लगा।

"यह कौन हो सकता है? और इसे मेरे बारे में इतना सब कैसे पता है?"

दूर, जंगल के अंधेरे कोने में दंश खड़ा सब देख रहा था।

उसकी आँखों में गुस्से की ज्वाला भड़क उठी।

"यह कौन है जिसने मेरी योजना बिगाड़ दी?"

उसने अपने हाथ उठाए, और अंधकार में कुछ बुदबुदाया। अचानक, हवा में एक छवि बनने लगी—

उसका शरीर काले धुएँ से बना था, और उसकी आँखें जलती हुई चिंगारियों की तरह चमक रही थीं।

"अगला वार इससे भी भयानक होगा, आरव। तुम्हें रोकना ही होगा!"

आरव अब उस रहस्यमयी योद्धा के सामने खड़ा था।

"अब क्या करना होगा?"

उस योद्धा ने त्रिशूल ज़मीन पर मारा, और अचानक एक गुप्त द्वार प्रकट हुआ।

"तुम्हें इस द्वार से अंदर जाना होगा।"

आरव ने अचंभे से पूछा, "लेकिन इसके अंदर क्या है?"

"तुम्हारी असली परीक्षा। और तुम्हारा सबसे बड़ा डर!"

आरव का दिल तेजी से धड़कने लगा।

जैसे ही आरव उस द्वार के करीब गया, अचानक एक तेज़ रोशनी चमकी।

उसके कानों में एक जानी-पहचानी आवाज़ आई—

"आरव... मत जाओ!"

आरव का दिल थम गया।

"यह आवाज़... यह... सुमित्रा की है!"

उसने मुड़कर देखा—

सुमित्रा दरवाजे के दूसरी ओर खड़ी थी, लेकिन उसके चेहरे पर अजीब सा भय था...

पर क्या यह सच में सुमित्रा थी? या कोई छलावा?

आरव की सांसें तेज़ हो गईं।

"माँ? आप यहाँ कैसे?"

दरवाजे के दूसरी ओर खड़ी सुमित्रा की आँखों में डर था। उसने काँपती आवाज़ में कहा—

"आरव, मत जाओ! यह एक जाल है!"

आरव दो कदम पीछे हटा।

रहस्यमयी योद्धा ने उसकी तरफ देखा। "मत भूलो, यह निशाचर वन है। यहाँ हर चीज़ वैसी नहीं होती जैसी दिखती है।"

लेकिन आरव के दिल में हलचल मच गई थी।

"अगर यह सच में माँ हैं तो? अगर वह खतरे में हैं तो?"

वह एक कदम और आगे बढ़ा, लेकिन तभी—

"रुक जाओ, आरव!"

यह आवाज़ जंगल में गूँज उठी।

आरव ने मुड़कर देखा। व्यास वहाँ खड़े थे!

उनका चेहरा गंभीर था। "तुम जिसे अपनी माँ समझ रहे हो, वह असल में माया का जाल है!"

जैसे ही व्यास ने मंत्र पढ़ा, अचानक सुमित्रा की छवि धुंधली पड़ने लगी।

और फिर—

"हा हा हा हा!"

एक भयानक हँसी जंगल में गूंज उठी।

जहाँ पहले सुमित्रा खड़ी थीं, वहाँ अब एक काली आकृति थी। उसकी आँखें चमक रही थीं, और चारों ओर एक अजीब सी धुंध फैल गई थी।

"तो तुमने मेरी सच्चाई जान ली, आरव?"

वह आकृति धीरे-धीरे बदलने लगी। और फिर…

"दंश!!!"

आरव की आँखें क्रोध से लाल हो गईं।

"तो यह तुम्हारी चाल थी?"

दंश ने ज़ोर से ठहाका लगाया। "तुम जितना भी आगे बढ़ोगे, मैं उतने ही जाल बिछाता जाऊँगा। तुम मुझ तक कभी नहीं पहुँच सकते, आरव!"

अचानक, दंश ने अपनी हथेली खोली, और उसमें एक काले रंग की आग जलने लगी।

"अब, इस खेल का अगला मोहरा तुम्हारे सामने है!"

जंगल में बिजली कड़कने लगी। धरती हिल उठी।

और फिर, अंधेरे से एक विशाल योद्धा प्रकट हुआ।

उसके शरीर पर काली धातु की परत थी। उसकी आँखें अंधकार में चमक रही थीं। और उसके हाथ में थी—

"कालदंड!"

यह वही खतरनाक अस्त्र था जिससे कोई भी अमर प्राणी खत्म किया जा सकता था!

"मिलिए मेरे नए योद्धा से— 'कालवीर'!"

आरव की मुट्ठियाँ भींच गईं।

"तो अब असली लड़ाई शुरू होती है!"

कालवीर ज़मीन पर ज़ोर से कदम रखता है, और पूरी धरती काँप जाती है।

वह अपनी तलवार उठाता है, और उस पर काली ज्वालाएँ भड़क उठती हैं।

आरव और कालवीर एक-दूसरे को घूरते हैं।

"अब देखता हूँ, आरव, तुम कितने ताकतवर हो!" दंश गरजता है।

जंगल में अंधेरा गहराता जा रहा था। पेड़ों की शाखाएँ सरसराने लगी थीं, जैसे कोई अज्ञात शक्ति उन्हें हिला रही हो। और बीच में खड़ा था कालवीर, दंश का नया योद्धा, जिसके हाथ में कालदंड था—एक ऐसा अस्त्र जो किसी भी अमर को खत्म करने की शक्ति रखता था।

आरव ने तलवार कसकर पकड़ ली। उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं, लेकिन डर का नामोनिशान नहीं था।

"अगर तुम्हें मुझसे लड़ना है, तो आ जाओ!" आरव गरजा।

कालवीर मुस्कुराया। "तुम अभी नहीं जानते कि तुमने क्या चुनौती दे दी है।"

बिना कोई चेतावनी दिए, कालवीर ने अपना कालदंड हवा में उठाया। अचानक, एक गहरा अंधकार चारों ओर फैल गया। आरव की आँखों के सामने सबकुछ धुंधला होने लगा।

"यह क्या हो रहा है?"

अचानक, चारों तरफ से भयानक परछाइयाँ उभरने लगीं। वे अजीब सी आवाज़ें निकाल रही थीं—जैसे सैकड़ों आत्माएँ एक साथ कराह रही हों।

"यह काल-छाया है!" व्यास चिल्लाए। "अगर तुम इसमें फँस गए, तो बाहर नहीं निकल पाओगे!"

लेकिन आरव रुका नहीं।

उसने अपनी तलवार पर ध्यान केंद्रित किया और मन ही मन महायोगिनी मंत्र पढ़ा। तलवार नीले प्रकाश से जगमगा उठी, और जैसे ही उसने वार किया—

"चटाक!"

काल-छाया दो भागों में कट गई, और आरव एक पल के लिए मुक्त हो गया।

कालवीर का असली रूप

लेकिन तभी—

"तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी, आरव!"

कालवीर का शरीर हिलने लगा। उसकी धातु की परतें चटकने लगीं, और उसके भीतर से एक कंकाल जैसी आकृति उभर आई। उसकी आँखों से काले धुएँ के बादल निकल रहे थे।

"अब मैं अपने असली रूप में लड़ूँगा!"

और अगले ही पल, कालवीर हवा में उछला और कालदंड को ज़मीन पर दे मारा।

"धड़ाम!!!"

पूरी धरती हिल गई। एक गहरी दरार जंगल के बीचों-बीच फैल गई, और उसमें से लाल रंग की आग निकलने लगी।

आरव समय पर कूद गया, लेकिन जैसे ही वह ज़मीन पर उतरा, कालवीर की तलवार सीधा उसकी तरफ आई—

"घटाक!"

आरव के कंधे पर गहरी चोट लगी। खून टपकने लगा।

आरव दर्द से कराह उठा, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने तलवार उठाई और कालवीर की तरफ दौड़ा।

लेकिन तभी…

"आरव, पीछे हटो!"

व्यास सामने आ गए। उनके हाथ में एक रहस्यमयी ताबीज़ था।

"यह लड़ाई सिर्फ हथियारों से नहीं जीती जा सकती।"

उन्होंने मंत्र पढ़ा, और अचानक ताबीज़ से तेज रोशनी निकली।

कालवीर ज़ोर से चिल्लाया।

"नहीं! यह उजाला… यह मुझे जला रहा है!"

उसका शरीर धीरे-धीरे राख में बदलने लगा।

लेकिन इससे पहले कि वह पूरी तरह खत्म होता, दंश की हँसी गूँजी।

"यह सिर्फ एक शुरुआत थी, आरव!"

और फिर—

"धड़ाम!"

एक जबरदस्त विस्फोट हुआ। आरव और व्यास पीछे गिर गए।

निशाचर वन अब शांत था। कालवीर गायब हो चुका था। लेकिन ज़मीन पर खून के धब्बे थे।

व्यास अब भी ज़मीन पर पड़े थे… बिलकुल निश्चल।

आरव ने घबराकर उन्हें हिलाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।

क्या व्यास सच में बलिदान दे चुके हैं?

दंश की अगली चाल क्या होगी?

क्या आरव अब और ज्यादा शक्तिशाली बनेगा?

अगले एपिसोड में:

➡ दंश का सबसे खतरनाक जाल!

➡ आरव को मिलेगा एक नया रहस्य!

➡ निशाचर वन से बाहर निकलने का रास्ता!

पढ़ते रहिए— "घर का चिराग – एपिसोड 16"!