मल्होत्रा मेंशन में तनाव की लहर दौड़ चुकी थी। विक्रम की अप्रत्याशित एंट्री ने सबको हैरान कर दिया था, लेकिन सबसे ज़्यादा असर पड़ा था शनाया पर। वो जानती थी कि विक्रम यहाँ सिर्फ़ दिखाने के लिए नहीं आया, बल्कि कोई बड़ा खेल खेलने वाला था।
लेकिन उसे यह नहीं पता था कि यह खेल सिर्फ़ विक्रम का नहीं था—बल्कि यह खेल सालों पहले शुरू हुआ था, जब मल्होत्रा और विक्रम के बीच दुश्मनी की नींव रखी गई थी। और इस खेल का सबसे बड़ा मोहरा वही थी—शनाया।
---
⚔️ विक्रम का मास्टरस्ट्रोक – जब साज़िश का पर्दा उठने लगा
हॉल में एक पल के लिए सन्नाटा छा गया। दादी माँ ने विक्रम को देखा और उनकी आँखों में पुराने ज़ख्मों की परछाईं झलकने लगी।
> "तुम यहाँ क्यों आए हो, विक्रम?" दादी माँ ने सख्त आवाज़ में पूछा।
विक्रम ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
> "ओह, माँ जी, क्या यह सवाल पूछना ज़रूरी है?" उसने सहजता से कहा। "मैं अपने पुराने रिश्तों को ताज़ा करने आया हूँ।"
आर्यन और करण एकदम चौकन्ने हो गए।
> "रिश्ते?" करण ने हँसते हुए कहा। "तुम और मल्होत्रा परिवार के बीच कोई रिश्ता नहीं हो सकता, विक्रम। तुम हमारे दुश्मन थे और हमेशा रहोगे!"
विक्रम ने आँखें संकरी कीं, फिर उसने शनाया की ओर देखा।
> "शायद यह लड़की भी यही सोचती है, लेकिन सच तो यह है कि हम सब एक ही खेल का हिस्सा हैं, मेरी प्यारी शनाया।"
शनाया ने उसकी आँखों में देखा, और पहली बार उसे लगा कि यह आदमी सिर्फ़ दुश्मनी निभाने नहीं, बल्कि किसी गहरे राज़ को खोलने आया है।
---
🔥 शनाया का संकल्प – जब आग और भी भड़क उठी
शनाया ने विक्रम के इस इशारे को नज़रअंदाज़ नहीं किया। उसके मन में हज़ारों सवाल उमड़ने लगे, लेकिन उसने खुद को शांत रखा।
> "मुझे नहीं पता कि तुम किस खेल की बात कर रहे हो, लेकिन अगर तुम सोचते हो कि मुझे डराकर अपनी चाल चल सकते हो, तो तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो, विक्रम!"
विक्रम की मुस्कान गहरी हो गई।
> "डराने की जरूरत नहीं है, शनाया। सच खुद-ब-खुद तुम्हारे पास आएगा।"
आर्यन ने आगे बढ़कर विक्रम की कॉलर पकड़ ली।
> "अगर तुमने फिर से इस घर में कदम रखा तो तुम खुद को ज़िंदा नहीं पाओगे!"
विक्रम ने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि बस हँसता रहा।
> "ओह, मुझे मारने की इतनी जल्दी क्यों है, आर्यन?" उसने हल्के स्वर में कहा। "कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम उस सच से भाग रहे हो, जो तुम्हारे सामने आने वाला है?"
शनाया, करण और आर्यन ने एक-दूसरे की ओर देखा।
आखिर कौन सा सच था जो अब सामने आने वाला था?
---
💋 जलन, मोहब्बत और अधिकार – जब दो शेरों ने शिकार पर नज़र गड़ाई
विक्रम के जाने के बाद भी हॉल में बेचैनी बनी रही। करण और आर्यन दोनों महसूस कर रहे थे कि शनाया अब सिर्फ़ उनके परिवार का हिस्सा नहीं थी—बल्कि उनकी ज़िंदगी का ऐसा अहम हिस्सा बन चुकी थी, जिसे वो किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते थे।
लेकिन इस एहसास ने उनके बीच एक अजीब सी होड़ भी बढ़ा दी थी।
रात के समय, जब पूरा घर शांत था, शनाया अपनी बालकनी में खड़ी थी। हवा में हल्की ठंडक थी, लेकिन उसके दिल की धड़कनें तेज़ थीं।
> "सोचना बंद करोगी या सारी रात यूँ ही खड़ी रहोगी?"
शनाया ने मुड़कर देखा। आर्यन दरवाज़े पर खड़ा था, और उसके पीछे करण भी था।
> "तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो?"
करण ने दरवाज़ा बंद कर दिया और मुस्कराया।
> "तुम्हें हमारी आदत डालनी होगी, शनाया। क्योंकि अब हम तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ने वाले नहीं हैं।"
शनाया ने एक कदम पीछे लिया, लेकिन आर्यन ने उसका हाथ पकड़ लिया।
> "तुमने बहुत खेल खेल लिए, अब हमारी बारी है।"
> "क्या मतलब?" शनाया ने चौंककर पूछा।
करण ने आगे बढ़कर शनाया के चेहरे के पास अपना हाथ रखा और हल्के से उसकी ठोड़ी को ऊपर उठाया।
> "मतलब यह कि अब हम तुम्हें अपनी सज़ा देंगे—प्यार की सज़ा।"
शनाया की साँसें रुक गईं। करण और आर्यन की नज़रों में अब सिर्फ़ जलन ही नहीं, बल्कि एक अजीब सा जुनून था।
> "तुम दोनों पागल हो गए हो क्या?" शनाया ने विरोध किया, लेकिन उसकी आवाज़ धीमी पड़ गई जब करण ने उसकी कमर पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया।
> "शायद," करण फुसफुसाया, "लेकिन यह पागलपन हमें तुम्हारे और करीब ला रहा है।"
आर्यन ने शनाया की कलाई पकड़ी और धीरे-धीरे उसकी आँखों में देखा।
> "तुम हमारी ज़िंदगी में चाहे जैसे भी आई हो, लेकिन अब हम तुम्हें जाने नहीं देंगे।"
शनाया ने खुद को उनकी गिरफ्त से छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन करण ने उसके बालों को हल्के से पीछे किया और उसकी गर्दन के करीब आ गया।
> "तुम्हें क्या लगता है, शनाया? तुम्हारी साज़िशें हमें तुमसे दूर कर देंगी?"
> "या फिर हमारी मोहब्बत तुम्हें हमारे करीब लाएगी?"
शनाया ने गहरी साँस ली।
वह खुद को इन दोनों से दूर रखना चाहती थी, लेकिन क्या यह अब मुमकिन था?
---
🕵️ विक्रम की बेटियों की एंट्री – जब धोखे का खेल शुरू हुआ
अगले दिन मल्होत्रा मेंशन में दो नई लड़कियाँ आईं—नेहा और सिया। दोनों बेहद खूबसूरत थीं, और उनकी आँखों में एक रहस्यमयी चमक थी।
> "ये कौन हैं?" शनाया ने करण से पूछा।
करण मुस्कुराया, "हमारी गर्लफ्रेंड्स।"
शनाया को झटका लगा।
करण और आर्यन की गर्लफ्रेंड्स? लेकिन उसे क्यों ऐसा लग रहा था कि यह कोई खेल है?
नेहा और सिया ने शनाया को देखते ही एक-दूसरे की ओर नज़र मिलाई।
> "तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा, भाभी।" सिया ने कहा, लेकिन उसके शब्दों में मिठास से ज्यादा नफरत झलक रही थी।
शनाया समझ गई कि अब असली खेल शुरू हो चुका था।
---
अगला अध्याय:
अब जब विक्रम की बेटियों की एंट्री हो चुकी है, तो क्या शनाया उनकी साजिशों को बेनकाब कर पाएगी? और क्या आर्यन और करण को इस साज़िश की सच्चाई पता चल पाएगी?
रोमांस, जलन और साज़िश से भरी इस कहानी का अगला मोड़ बेहद खतरनाक होने वाला है!