रात के सन्नाटे में शनाया की बेचैनी और बढ़ गई थी। आर्यन और करण के बदले हुए बर्ताव ने उसके भीतर हलचल मचा दी थी। उसे एहसास हो रहा था कि कुछ बहुत बड़ा होने वाला है, और यह सब किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह था कि "आखिर विक्रम उसे क्यों निशाना बना रहा था?"
वह जानती थी कि मल्होत्रा ब्रदर्स और विक्रम के बीच पुरानी दुश्मनी थी, लेकिन वह खुद इस जंग का हिस्सा क्यों बन गई?
उसके दिमाग में हज़ारों सवाल घूम रहे थे, लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था।
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🔥 जब आर्यन और करण का गुस्सा हद पार कर गया
सुबह के समय, मल्होत्रा मेंशन के हॉल में आर्यन और करण दोनों मौजूद थे। उनके चेहरों पर गुस्से की लकीरें साफ़ दिखाई दे रही थीं। उनके सामने नेहा और सिया खड़ी थीं, जो मासूम बनकर अपने झूठे आँसू बहा रही थीं।
> "हमें यह सब पहले ही समझ जाना चाहिए था, करण," आर्यन ने गुस्से से कहा।
> "हाँ, भाई। हमें यकीन नहीं हो रहा कि शनाया ने हमारे ही सबसे बड़े दुश्मन के साथ साजिश रची," करण ने आँखें सिकोड़ते हुए कहा।
शनाया जो पास खड़ी थी, उसने दोनों की बातें सुनीं तो उसका दिल धड़क उठा।
> "तुम दोनों क्या कह रहे हो?" उसने झट से पूछा।
नेहा ने एक नकली उदासी के साथ कहा, "हमें बहुत दुख हो रहा है, भाभी, लेकिन सच्चाई छुपाने से क्या फ़ायदा?"
> "तुम्हारा विक्रम अंकल से कोई रिश्ता है, ना?" सिया ने जानबूझकर सवाल किया।
शनाया चौंक गई, "क्या बकवास कर रही हो तुम?"
करण ने कठोर आवाज़ में कहा, "हमारे पास सबूत हैं, शनाया। हमने देखा है कि विक्रम तुमसे मिलने आया था।"
आर्यन ने गहरी नज़रों से उसे देखा, "तुम हमें कब से धोखा दे रही हो?"
शनाया का गुस्सा बढ़ गया। वह दोनों भाइयों की आँखों में झाँकते हुए बोली, "अगर मैंने कहा कि मैं निर्दोष हूँ, तो क्या तुम मेरी बात मानोगे?"
> "जब सच सामने हो, तो किसी के शब्दों पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है," आर्यन ने ठंडी आवाज़ में कहा।
> "तो फिर ठीक है। मुझे सफाई देने की ज़रूरत नहीं। जब सच सामने आएगा, तब देख लेंगे कि किसका यकीन सही था और किसका गलत," शनाया ने पलटकर कहा और वहाँ से चली गई।
लेकिन उसके कदम लड़खड़ा रहे थे। क्या वाकई करण और आर्यन अब उसे शक की नज़रों से देखने लगे थे?
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💔 जब शनाया को अपना अतीत याद आया
कमरे में आकर शनाया ने दरवाज़ा बंद कर लिया। उसके दिल में अजीब सी बेचैनी थी।
"मैं विक्रम से जुड़ी कैसे हो सकती हूँ?"
उसका दिमाग लगातार अतीत में झांकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन सब कुछ धुंधला था।
तभी उसे एक पुरानी आवाज़ याद आई।
"तुम मेरी आखिरी उम्मीद हो, शनाया। इस दुनिया से बचने के लिए तुम्हें लड़ना होगा।"
यह आवाज़... यह किसकी थी?
उसका सिर तेज़ी से दर्द करने लगा। किसी ने उसे अतीत से जोड़े रखा था, लेकिन वह यादें अभी भी धुंधली थीं।
वह घुटनों के बल बैठ गई और गहरी साँसें लेने लगी।
> "अगर विक्रम सच में मुझसे जुड़ा है, तो मुझे इसका पता लगाना होगा," उसने खुद से कहा।
और यही उसके अगले कदम की शुरुआत थी।
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🔪 जब विक्रम की साज़िश और गहरी हो गई
दूसरी ओर, विक्रम अपने एक गुप्त ठिकाने पर बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर वही पुरानी ठंडी मुस्कान थी।
उसके सामने नेहा और सिया खड़ी थीं।
> "बहुत अच्छा काम किया, बेटियों," विक्रम ने कहा।
> "अब शनाया धीरे-धीरे हमारे जाल में फँसती जा रही है," सिया ने मुस्कुराते हुए कहा।
नेहा ने सिर हिलाया, "बस अब आखिरी वार बाकी है। जब करण और आर्यन पूरी तरह उसे अपना दुश्मन मान लेंगे, तब शनाया के पास कोई रास्ता नहीं बचेगा।"
विक्रम ने एक गहरी साँस ली, "पर यह सिर्फ़ एक छोटा सा खेल था। असली युद्ध अभी बाकी है।"
सिया ने उत्सुकता से पूछा, "और वो युद्ध कब होगा?"
विक्रम की आँखों में एक अजीब चमक आ गई।
> "जब शनाया को अपनी असली पहचान का एहसास होगा," उसने रहस्यमयी अंदाज़ में कहा।
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🔥 जब शनाया ने जवाब देने की ठानी
अगली सुबह, शनाया ने अपना फैसला कर लिया था।
> "अगर कोई मेरे खिलाफ साज़िश कर रहा है, तो मुझे खुद इस खेल को अपने तरीके से खेलना होगा," उसने खुद से कहा।
अब वह कोई कठपुतली नहीं थी।
अब वह खुद अपनी तक़दीर लिखने जा रही थी।
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अगला अध्याय: जब शनाया को अपने असली अतीत का सच पता चलेगा!
अब जब शनाया इस खेल को अपने तरीके से खेलने को तैयार है, क्या वह विक्रम की साज़िश को नाकाम कर पाएगी? और क्या करण और आर्यन को सच का पता चल पाएगा?
अगले अध्याय में जब शनाया अपने अतीत के सबसे बड़े सच से टकराएगी!