मल्होत्रा मेंशन में अजीब सा सन्नाटा था।
शनाया को अपने ही लोगों ने ठुकरा दिया था।
विक्रम अपनी चाल में कामयाब हो रहा था।
करण और आर्यन के दिल में शक बैठ चुका था।
लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी।
शनाया अपने कमरे में खिड़की के पास बैठी थी, बाहर चाँदनी फैली थी, लेकिन उसके दिल में अंधेरा था।
उसके कानों में अभी भी करण और आर्यन के शब्द गूंज रहे थे—"क्या तुम सच में हमारी दुश्मन हो, शनाया?"
वह खुद से यही सवाल पूछ रही थी।
क्या वह सच में उनकी दुश्मन थी?
क्या उसके खून में ही बेवफाई थी?
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🔥 जब शनाया को सबसे बड़ा झटका लगा
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।
शनाया ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन दरवाज़ा खुल गया।
वहाँ नेहा और सिया खड़ी थीं—करण और आर्यन की गर्लफ्रेंड, और विक्रम की बेटियाँ।
> "क्या हुआ, भाभी?" नेहा ने एक मीठी मुस्कान के साथ पूछा।
"इतनी उदास क्यों हो?" सिया ने तंज कसा।
शनाया की आँखें उन दोनों पर टिक गईं।
> "तुम्हें क्या चाहिए?" उसने ठंडे स्वर में पूछा।
> "हम बस तुम्हें बताने आए हैं कि अब तुम अकेली हो," नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा।
"कोई तुम्हारा भरोसा नहीं करेगा, खासकर आर्यन और करण।"
शनाया ने गहरी साँस ली।
> "मुझे तुम्हारी सहानुभूति नहीं चाहिए," उसने जवाब दिया।
सिया ने हँसते हुए कहा, "अरे, सहानुभूति देने थोड़ी आए हैं। हम तो सिर्फ तुम्हें ये बताने आए हैं कि अब तुम्हारी ज़िंदगी में हमारी जगह बन चुकी है।"
शनाया ने मुट्ठियाँ भींच लीं।
अब उसे समझ आया कि विक्रम ने अपनी बेटियों को करण और आर्यन की ज़िंदगी में क्यों भेजा था।
यह सिर्फ़ उसे खत्म करने की एक और साजिश थी।
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💔 जब करण और आर्यन ने शनाया को फिर से ठुकराया
उस रात, मल्होत्रा मेंशन में डिनर टेबल पर अजीब सा तनाव था।
शनाया वहाँ नहीं थी।
वह अपने कमरे में बैठी थी, लेकिन तभी उसे करण और आर्यन की आवाज़ें सुनाई दीं।
> "नेहा और सिया हमसे मिलने आई थीं," करण कह रहा था।
"उन्होंने कहा कि हमें अब शनाया से कोई लेना-देना नहीं रखना चाहिए," आर्यन ने ठंडी आवाज़ में कहा।
शनाया का दिल धड़क उठा।
क्या वे उनकी बातों में आ चुके थे?
> "और तुम क्या सोचते हो, करण?" आर्यन ने पूछा।
> "मुझे नहीं पता," करण ने धीरे से कहा।
"पर सच कहूँ तो, शनाया पर भरोसा करना अब मुश्किल हो रहा है।"
शनाया के दिल में एक गहरी टीस उठी।
> "अगर शनाया सच में हमें धोखा दे रही है," आर्यन की आवाज़ सख्त थी, "तो हमें भी उसे उसी तरह से जवाब देना होगा।"
शनाया ने अपनी आँखें बंद कर लीं।
अब उसे समझ आ गया था कि अगर उसे अपनी सच्चाई साबित करनी है, तो उसे खुद लड़ना होगा।
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🔪 जब शनाया ने खुद को बदलने की कसम खाई
शनाया उस रात आईने के सामने खड़ी रही।
उसका अक्स उसे देख रहा था, लेकिन अब उसमें वह मासूम लड़की नहीं थी।
अब वह एक 'फाइटर' थी।
अगर करण और आर्यन उसे छोड़ सकते हैं, तो वह भी अब उनके लिए नहीं लड़ेगी।
अगर दुनिया उसे गलत समझ रही है, तो वह गलत बनने के लिए तैयार थी।
> "अब खेल मैं खेलूँगी, अपने तरीके से," उसने खुद से कहा।
विक्रम ने जो जाल बिछाया था, अब वह खुद उसमें फँसेगा।
और करण और आर्यन...
अब वे खुद उसके पास वापस आएँगे, लेकिन तब बहुत देर हो चुकी होगी।
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🔥 अगला अध्याय: जब शनाया ने खुद को फिर से पाया!
अब जब शनाया ने अपने दिल को पत्थर बना लिया है, तो क्या विक्रम की साजिश नाकाम होगी? और क्या करण और आर्यन को एहसास होगा कि वे कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं?
अगले अध्याय में जब शनाया अपनी नई पहचान के साथ लौटेगी!