अंधेरे का जागरण

एपिसोड 12: अंधेरे का जागरण

प्रकाश के अभयारण्य में हवा ठंडी हो गई थी। अर्जुन और मायरा एक-दूसरे का हाथ थामे खड़े थे, उनकी नज़र उस विशाल काले दरवाज़े पर टिकी थी जो रेत से उभर रहा था। मंदिर की दीवारें काँप रही थीं, और सुनहरी रोशनी धीरे-धीरे मंद पड़ रही थी।

होलोग्राफिक स्क्रीन चमकी—

[चेतावनी: शक्ति संतुलन टूटा। नया खतरा जागृत। खतरे का स्तर: अज्ञात।]

"यह क्या है?" अर्जुन ने मायरा की ओर देखा, उसकी डार्क लाइट फ्यूजन तलवार तैयार थी।

मायरा की आँखों में चिंता थी। "प्रकाश का स्रोत ने मुझे वापस लाया, लेकिन इसकी कीमत ने कुछ और जगा दिया।"

दरवाज़ा पूरी तरह खुल गया, और उसमें से काला धुआँ निकलने लगा। धुएँ से एक गहरी, परिचित हँसी गूँजी—असुरवक्त की।

"नहीं..." अर्जुन का चेहरा सख्त हो गया। "मैंने तुम्हें खत्म कर दिया था!"

धुआँ एक आकृति में ढला। यह असुरवक्त था, लेकिन अब उसका रूप पहले से भी भयानक था। उसका शरीर काले और लाल रंग के कवच से ढका था, और उसकी आँखें आग की तरह जल रही थीं। उसके हाथ में टूटी छड़ी की जगह एक विशाल काला त्रिशूल था।

"तुमने मुझे हराया था, कालद्रष्टा," असुरवक्त ने कहा। "लेकिन प्रकाश के स्रोत की शक्ति ने मुझे फिर से जगा दिया। अब मैं पहले से ज़्यादा शक्तिशाली हूँ।"

मायरा ने अर्जुन का हाथ मज़बूती से पकड़ा। "यह मेरी गलती है..."

"नहीं," अर्जुन ने उसे बीच में रोका। "तुम्हें वापस लाना मेरी पसंद थी। अब हम इसे साथ में हराएँगे।"

दोबारा युद्ध

असुरवक्त ने त्रिशूल ज़मीन पर मारा, और काली ऊर्जा की लहरें फैल गईं। अर्जुन ने "टाइम स्लो" का इस्तेमाल किया और मायरा को साथ लेकर एक तरफ कूदा। लहरें मंदिर की दीवारों से टकराईं, और पत्थर चूर-चूर हो गए।

"यह पहले से ज़्यादा खतरनाक है," अर्जुन ने सोचा।

मायरा ने अपनी हथेली खोली, और उसमें से नीली जादुई रोशनी निकली। "मैं तुम्हारी मदद करूँगी।" उसने एक ढाल बनाई, जो दोनों को अगले हमले से बचाने के लिए तैयार थी।

अर्जुन ने "प्रीडिक्शन मोड" सक्रिय किया। उसे असुरवक्त का अगला हमला दिखा—त्रिशूल से काले तीरों की बौछार। उसने मायरा को चेतावनी दी, और दोनों ने ढाल के पीछे छिपकर खुद को बचाया।

[आप पर हमला हुआ! ढाल ने 80% क्षति रोकी। -10 HP।]

"हमें इसे जल्दी खत्म करना होगा," अर्जुन ने कहा। उसने "डार्क लाइट फ्यूजन—संतुलन वार" का प्रयोग किया। नीली, काली, और सुनहरी लहरें असुरवक्त की ओर बढ़ीं, लेकिन उसने त्रिशूल घुमाकर एक काला घेरा बनाया, और लहरें उसमें गायब हो गईं।

"तुम्हारी पुरानी चालें अब काम नहीं करेंगी," असुरवक्त ने हँसते हुए कहा।

मायरा का बलिदान

असुरवक्त ने त्रिशूल से एक विशाल काला गोला फेंका। अर्जुन ने "टाइम ब्रेकर" का इस्तेमाल किया, लेकिन गोला इतना तेज़ था कि वह पूरी तरह बच नहीं सका। मायरा ने आगे बढ़कर अपनी ढाल को मज़बूत किया, और गोला उससे टकराया।

धड़ाम!

ढाल टूट गई, और मायरा पीछे गिर पड़ी।

"मायरा!" अर्जुन चिल्लाया। उसने उसे उठाया। उसकी साँसें कमज़ोर थीं।

"मैं ठीक हूँ," मायरा ने मुश्किल से कहा। "लेकिन हमें इसे रोकना होगा। मेरे पास एक योजना है।"

"क्या?" अर्जुन ने पूछा।

मायरा ने स्मृति का स्फटिक निकाला। "यह मेरी आत्मा से जुड़ा है। अगर मैं इसकी शक्ति का इस्तेमाल करूँ, तो हम इसे हरा सकते हैं। लेकिन..."

"लेकिन क्या?" अर्जुन का दिल डूब गया।

"मुझे फिर से जाना होगा," मायरा ने उदास स्वर में कहा।

"नहीं!" अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ा। "मैं तुम्हें फिर से नहीं खो सकता।"

मायरा ने मुस्कुराया। "तुम मुझे नहीं खोओगे। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी।"

उसने स्फटिक को ऊपर उठाया, और एक तेज़ नीली रोशनी निकली। रोशनी असुरवक्त की ओर बढ़ी, और उसका त्रिशूल हिलने लगा।

"यह क्या है?!" असुरवक्त चिल्लाया।

"अर्जुन, अब!" मायरा ने कहा। "अपनी पूरी शक्ति लगाओ!"

संतुलन का अंत

अर्जुन ने आँखें बंद कीं। उसे मायरा की हर बात याद आई—उसकी हँसी, उसकी मदद, और उसका बलिदान। उसने "आत्म-स्वीकृति" और "डार्क लाइट फ्यूजन" को एक साथ सक्रिय किया। उसकी तलवार से तीन रंगों की रोशनी निकली, और मायरा की नीली रोशनी उसमें मिल गई।

"यह हमारे लिए है!" अर्जुन ने चिल्लाया और "संतुलन विस्फोट" किया।

एक विशाल ऊर्जा लहर असुरवक्त से टकराई। उसने त्रिशूल से बचाव की कोशिश की, लेकिन इस बार उसकी शक्ति टूट गई। त्रिशूल चकनाचूर हो गया, और ऊर्जा उसके शरीर को भेद गई।

"नहीं... यह संभव नहीं!" असुरवक्त की चीख हवा में गूँजी, और उसका शरीर धुएँ में बदल गया।

[बधाई हो! आपने असुरवक्त (पुनर्जनन) को हराया। 600 एक्सपी प्राप्त हुए।]

अर्जुन हाँफते हुए घुटनों पर गिर गया। स्फटिक मायरा के हाथ से गिरा और टूट गया। मायरा की आकृति धीरे-धीरे गायब होने लगी।

"मायरा!" अर्जुन ने उसे पकड़ने की कोशिश की।

"अर्जुन," मायरा ने कहा। "तुमने मुझे आज़ाद कर दिया। अब अपनी नियति को पूरा करो।"

वह पूरी तरह गायब हो गई, और कक्ष में सन्नाटा छा गया।

नई शुरुआत

अर्जुन अकेला खड़ा था। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन चेहरे पर एक दृढ़ संकल्प था। तभी, मंदिर की छत से एक चमकती रोशनी नीचे आई। यह वेदांत था।

"तुमने बहुत कुछ खोया, अर्जुन," वेदांत ने कहा। "लेकिन तुमने बहुत कुछ हासिल भी किया।"

"क्या हासिल किया?" अर्जुन ने गुस्से से पूछा। "मायरा फिर चली गई।"

वेदांत ने उसकी ओर एक छोटा स्फटिक बढ़ाया। "यह उसकी शक्ति का आखिरी टुकड़ा है। वह तुम्हारे साथ है।"

अर्जुन ने स्फटिक लिया। यह गर्म था, और उसमें से मायरा की हल्की-सी खुशबू आ रही थी।

होलोग्राफिक स्क्रीन चमकी—

[नई सूचना: मायरा का अवशेष प्राप्त हुआ। नया मिशन: शक्ति का स्रोत ढूँढें।]

"शक्ति का स्रोत?" अर्जुन ने वेदांत की ओर देखा।

"यह दुनिया खत्म नहीं हुई," वेदांत ने कहा। "असुरवक्त सिर्फ़ एक हिस्सा था। असली शक्ति इस रेगिस्तान के पार है।"

अर्जुन ने स्फटिक को कसकर पकड़ा। "तो मैं वहाँ जाऊँगा। मायरा के लिए।"

तभी, मंदिर काँपने लगा। रेत से एक नया दरवाज़ा उभरा—इस बार यह सुनहरा था।

[नया मिशन शुरू: सुनहरे द्वार में प्रवेश करें।]

अर्जुन ने वेदांत की ओर देखा। "तुम मेरे साथ चलोगे?"

वेदांत ने मुस्कुराया। "इस बार हाँ।"

दोनों सुनहरे द्वार की ओर बढ़े, लेकिन रेत से एक हल्की फुसफुसाहट गूँजी—

"कालद्रष्टा... अभी बहुत कुछ बाकी है..."

(एपिसोड 12 समाप्त! अगले एपिसोड में अर्जुन और वेदांत की नई यात्रा शुरू होगी!)