chapter 2

साक्षी मैम जितनी खूबसूरत थीं, उतनी ही अनुशासनप्रिय और गुस्सैल भी। यही कारण था कि क्लास में हर कोई उनसे दूरी बनाए रखता था। लेकिन वे सिया की टीचर थीं और उसे पर्सनली गाइड भी करती थीं, इसलिए उनकी अहमियत सभी जानते थे।

दूसरी ओर, शौर्य इस समय श्रिया को ही देख रहा था। उसे इस बात का जरा भी एहसास नहीं था कि क्लास में टीचर आ चुकी हैं। तभी साक्षी मैम सीधा उसके सामने जाकर खड़ी हो गईं।

शौर्य को अपनी ओर आती हुई परछाई का एहसास हुआ और उसने नजरें उठाईं। सामने साक्षी मैम को खड़ा देख वह तुरंत उठ खड़ा हुआ।

"सॉरी टीचर, मुझे नहीं पता था कि आप आ गई हैं," शौर्य ने झेंपते हुए कहा।

"अच्छा, तुम्हें नहीं पता था कि मैं आ गई?" साक्षी मैम ने संदेह भरी नजरों से उसे देखा। "तो बताओ, आज तुमने उस बिल्ली को टेम कर लिया?"

शौर्य ने उदास चेहरे से जवाब दिया, "नहीं मैम, उसने मुझे फिर काट लिया। मैंने उसे बहुत महंगी मछली खिलाई थी, फिर भी..."

साक्षी मैम ने गुस्से से उसकी बेंच पर हाथ मारा। "अगर केवल खाना खिलाने से कोई जानवर टेम हो सकता, तो इस स्कूल के सारे अमीर बच्चों के पास अपने टेम किए हुए बीस्ट होते। मुझे समझ नहीं आता कि तुम पिछले चार सालों से यहाँ कर क्या रहे हो? और किसने तुम्हें इस स्कूल में एडमिशन दिया था?"

पूरी क्लास में खामोशी छा गई।

"अगर तीन महीनों के अंदर तुमने कम से कम दस जानवरों को टेम नहीं किया, तो तुम इस स्कूल में रहने लायक नहीं हो। और अगर एक भी टेम कर लो, तो हमें खुशी होगी," साक्षी मैम ने सख्ती से कहा।

शौर्य ने सिर झुका लिया।

"इसके अलावा, मैं तुम्हारे माता-पिता से मिलना चाहती हूँ। मुझे पता है कि तुम अनाथ हो, लेकिन पिछले चार सालों से इस स्कूल ने तुम्हें बाहर नहीं निकाला है, इसका मतलब तुम्हारे पीछे कोई तो है जो तुम्हारी मदद कर रहा है। मैं बस उससे मिलना चाहती हूँ," साक्षी मैम ने कहा।

"मैम, मेरे पीछे सच में कोई नहीं है। मैं अनाथ हूँ और अकेला रहता हूँ," शौर्य ने सफाई दी, लेकिन तब तक साक्षी मैम क्लास के बीच में जाकर खड़ी हो चुकी थीं।

"अगर कल तुम अपने पेरेंट्स को लेकर नहीं आए, तो स्कूल आने की जरूरत नहीं है। मैं खुद तुम्हारे खिलाफ कंप्लेन सबमिट कर दूंगी," साक्षी मैम की बात सुनकर शौर्य हक्का-बक्का रह गया। उसे पता था कि अगर उन्होंने रिपोर्ट सबमिट कर दी, तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।

श्रिया, जो उसके बगल में बैठी थी, यह सब देख रही थी। उसने खड़े होकर साक्षी मैम से कहा, "टीचर, आपने ये तो देख लिया कि मैं इसके साथ बैठती हूँ, लेकिन इसने कोई सुधार नहीं किया। पर इसके मेरे साथ बैठने से मुझे बहुत परेशानी हो रही है। मेरा बीस्ट अब काबू से बाहर जा रहा है, और ये सब शौर्य के कारण हो रहा है।"

श्रिया की बात सुनकर पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। सभी जानते थे कि उसका बीस्ट कितना शक्तिशाली था।

" शौर्य , एक बात बताओ," साक्षी मैम ने पूछा, "क्या जिसके साथ हम रहते हैं, हम उसके जैसे बन जाते हैं?"

"जी मैम," शौर्य ने जवाब दिया।

"तो चार साल से तुम श्रिया के साथ बैठ रहे हो, लेकिन तुम्हारे अंदर उसकी एक भी खूबी नहीं आई?"

पूरी क्लास हँसने लगी।

"बस इसके साथ बैठकर इसे घूरते रहते हो," एक छात्र बोला।

श्रिया ने सभी को चुप करा दिया। "टीचर, क्या आप ये कह रही हैं कि मैं इसकी संगति में पड़कर कमजोर हो रही हूँ?" उसने गुस्से से कहा।

क्लास में सन्नाटा छा गया। साक्षी मैम ने शौर्य की ओर देखा। "तुम्हें एक मौका देती हूँ। कल या तो तुम एक रिपोर्ट लेकर आओगे जिसमें शहर के सभी मॉन्स्टर्स की जानकारी होगी, या फिर अपने पेरेंट्स को लेकर आओगे। इन दोनों में से किसी एक को चुनो।"

शौर्य के मन में हलचल मच गई। उसे पता था कि इस रिपोर्ट के लिए पूरे शहर में रिसर्च करनी होगी, लेकिन उसके पास सिर्फ एक दिन था। यह असंभव था।

"कल मैं तुम्हारा फैसला देखूंगी," साक्षी मैम ने कहा और चली गईं।

इसके बाद उन्होंने एक बटन दबाया और बोर्ड पर एक वीडियो चलने लगा। "बच्चों, आज मैं तुम्हें न्यूरो कोर के बारे में बताने वाली हूँ," उन्होंने कहना शुरू किया।

शौर्य , जो कुछ देर पहले तक उदास था, अब ध्यान से वीडियो देखने लगा। न्यूरो कोर एक ऐसा सिस्टम था जो इंसानों की शक्ति को कई गुना बढ़ा सकता था। इसे हासिल करने के लिए 20 साल की उम्र तक पहुंचना जरूरी था, लेकिन एक व्यक्ति ऐसा था जिसने इस नियम को तोड़ दिया था। उसका नाम था सिद्धार्थ वरदान...

सिद्धार्थ वरदान वह व्यक्ति था जिसने पूरी दुनिया में क्रांति ला दी थी। उसने सभी मॉनस्टर्स को हराकर उन्हें टेम कर लिया और अपनी ओर मिला लिया। उसकी जीत के बाद इंसानों ने दोबारा धरती पर शासन करना शुरू कर दिया। लेकिन यह घटना इतनी पुरानी है कि अब किसी को यह नहीं पता कि सिद्धार्थ वरदान कहां है—क्या वह अभी जीवित है या मर चुका है? लोअर क्लास शहरों में रहने वाले लोगों को लेवल वन शहर से बाहर की कोई जानकारी नहीं होती, इसलिए सिद्धार्थ वरदान का अस्तित्व अब रहस्य बन चुका है।

सिद्धार्थ वरदान पहला व्यक्ति था जिसने महज 15 साल की उम्र में एक न्यूरो कोर जनरेट कर लिया था। इस कोर के बनने के साथ ही उसकी शक्ति असाधारण रूप से बढ़ गई थी, लेकिन उसने वहीं रुकने के बजाय अपनी क्षमताओं को और भी ऊंचे स्तर तक विकसित किया। न्यूरो कोर केवल शक्ति बढ़ाने का साधन नहीं था—यह एक अनूठी प्रणाली थी जिसमें लोग अपने मॉनस्टर्स को बिना भोजन और पानी दिए सुरक्षित रख सकते थे। जब तक मॉनस्टर्स न्यूरो कोर के भीतर होते, वे इसकी ऊर्जा से स्वस्थ बने रहते और कभी बीमार नहीं पड़ते। यहां तक कि यदि उनके अंग कट जाएं, तो भी वे कोर के अंदर पुनः ठीक हो सकते थे।

बिना न्यूरो कोर के, मॉनस्टर्स को टेम करने वालों को उन्हें हमेशा अपने साथ रखना पड़ता था, लेकिन न्यूरो कोर ने इस समस्या को पूरी तरह खत्म कर दिया। यह प्रणाली न केवल मॉनस्टर्स को सुरक्षित रूप से रखने की सुविधा देती, बल्कि उनकी शक्ति भी लगातार बढ़ती रहती थी। यही कारण था कि सिद्धार्थ वरदान ने न्यूरो कोर की मदद से वह उपलब्धि हासिल की, जो किसी और के लिए असंभव थी।