chapter 4

गौरव गुस्से से लाल होकर सामने खड़ा हो गया और आंखों में आग भरकर बोला, "क्या तुम सब भी हमारे गुस्से का शिकार होना चाहते हो?"

फिर विक्रम ने धमकी भरे लहजे में कहा, "अगर कोई भी बाहर जाकर शौर्य की मदद लेने की कोशिश करेगा—चाहे वह हॉस्टल हो या हॉस्पिटल—तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा। शौर्य के बदले तुम सब भी यहीं पड़े मिलोगे। समझे?"

विक्रम की धमकी ने अपना असर दिखाया। वहां मौजूद सभी लोग चुपचाप सिर झुकाए चले गए। किसी ने भी शौर्य की मदद के लिए कदम नहीं बढ़ाया। शौर्य करीब एक घंटे तक इंतजार करता रहा कि कोई आएगा, लेकिन कोई नहीं आया।

अपने ही टी-शर्ट से खून रोकने की कोशिश करता शौर्य अब बेहद कमजोर हो चुका था। उसे एहसास हुआ कि अगर वह खुद नहीं उठा, तो शायद यह उसकी आखिरी रात हो सकती है। बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए, लड़खड़ाते कदमों के साथ वह स्कूल के हॉस्पिटल की तरफ बढ़ने लगा।

हॉस्पिटल में अभी लाइट जल रही थी, जिसे देखकर उसके चेहरे पर हल्की राहत की झलक आई। उसने अपनी रफ्तार थोड़ी बढ़ाई और जैसे-तैसे दरवाजे तक पहुंचा। उसने दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर जाने से पहले ही उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा।

***

दूसरी ओर, एक विशाल अंडरग्राउंड रिसर्च सेंटर में, कई डॉक्टर एक डेड बॉडी को घेरे खड़े थे। डॉक्टर संजीव रंजन, जो सफेद लैब कोट पहने हुए थे, अनन्या की ओर देखते हुए बोले, "क्या तुम्हें सच में लगता है कि यह काम करेगा?"

अनन्या ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया, "डॉक्टर संजीव, हम इस सीक्रेट मिशन पर पिछले आठ सालों से काम कर रहे हैं। हमारा मिशन 'दिव्य पत्थर' अब अपने अंतिम चरण में है। हम इस पड़ाव तक इतनी मेहनत से पहुंचे हैं, और मुझे पूरा यकीन है कि यह प्रयोग सफल होगा।"

उनकी बातें सुनते ही उनकी यादों में आठ साल पुरानी घटनाएं तैरने लगीं।

उस समय, धरती के ऊपर से एक विशाल एस्टेरॉइड बड़ी तेजी से नीचे गिर रहा था। यह लोअर क्लास के शहर के ठीक बीचोंबीच टकराया था—वहीं, जहां संजीव, अनन्या और शौर्य रहते थे। क्योंकि यह एक गरीब इलाका था, सरकार ने इस स्थान पर रिसर्च टीम भेज दी और इस रहस्यमयी पत्थर का अध्ययन शुरू हो गया, जो उस एस्टेरॉइड के साथ आया था।

इस पत्थर की असली ताकत जानने में वैज्ञानिकों को चार साल लग गए। अनन्या और डॉक्टर संजीव की टीम ने यह खोज निकाली कि यह कोई साधारण पत्थर नहीं, बल्कि किसी भी मृत शरीर को जीवित करने की क्षमता रखता था। अगर वे इस खोज को पूरी तरह सफल बना लेते, तो उनका यह छोटा शहर दुनिया के सबसे विकसित शहरों की सूची में शामिल हो सकता था। और सबसे बड़ी बात—उनकी यह उपलब्धि पूरी दुनिया को हिलाकर रख सकती थी।

"हम तैयार हैं," उनके जूनियर डॉक्टर अनिकेत ने घोषणा की।

अनन्या और डॉक्टर संजीव ने एक गहरी सांस ली। "अगर यह प्रयोग इस बार असफल हुआ, तो हमें फिर से वर्षों की मेहनत दोहरानी होगी," अनन्या ने कहा।

रिसर्च लैब के अंदर, शीशे के मजबूत केबिन में रखी डेड बॉडी के पास, वह रहस्यमयी पत्थर सुरक्षित रखा गया था।

डॉक्टर अनिकेत ने एक खास तरह का आयरन-सूट पहना, जो इतना मजबूत था कि उस पर कोई हमला भी असर नहीं कर सकता था। उन्होंने सावधानी से पत्थर उठाया और धीरे-से डेड बॉडी के सिर के ऊपर रख दिया।

पलभर में, वह पत्थर तेज़ी से चमकने लगा—सोने जैसी सुनहरी रोशनी से पूरा कमरा भर गया। फिर, वह पत्थर डेड बॉडी के अंदर समा गया। कुछ पलों की खामोशी के बाद, अचानक उस शरीर की आंखें खुल गईं। वह धीरे-धीरे उठकर बैठ गया।

डॉक्टर संजीव ने अपनी सांस रोक ली। "क्या यह सच में काम कर गया...?" उन्होंने बुदबुदाया।

अचानक, वह मृत व्यक्ति खड़ा हो गया और गुस्से से गरज उठा, "कितने मूर्ख हो तुम लोग! मैंने कितनी बार समझाया कि प्रकृति के नियमों से मत खेलो।"

उसकी गूंजती आवाज़ ने सभी डॉक्टरों के दिमाग को झकझोर दिया। संजीव ने गुस्से में अपनी मुट्ठी भींची। "फिर से असफल...?" वह जोर से चिल्लाए।

डेड बॉडी ने उनकी ओर देखा और ठहाका लगाया। "तुम्हें क्या लगता है? तुम कभी इस मिशन में सफल हो पाओगे...?"

तुम बेवकूफ हो! तुम भगवान नहीं हो, तुम एक इंसान हो, जो कुदरत के नियमों से खेलने के बारे में सोच रहा है। इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है। वैसे तुम मुझे नई-नई बॉडीज लाकर दे रहे हो, लेकिन इनमें जान नहीं है, इसलिए ये मेरे किसी काम की नहीं।

इतना कहकर वह स्टोन उस डेड बॉडी से तेजी से बाहर निकलता है और उसे पीछे फेंक देता है। डेड बॉडी शीशे से टकराती है, जोकि इतना मजबूत था कि किसी भी ताकतवर हमले को झेल सकता था, लेकिन उसमें दरारें बनने लगती हैं। यह देखकर सभी डॉक्टर हैरान रह जाते हैं और घबराकर पीछे हटने लगते हैं।

"अजीब बात है, यह स्टोन पहले ऐसा नहीं था। अब तो यह खुद से बात भी कर पा रहा है!" डॉक्टर संजीव ने चकित होते हुए कहा।

तभी स्टोन के अंदर से तेज रोशनी निकलने लगती है और वह अनन्या को घूरने लगता है। डॉक्टर संजीव तुरंत पूरे एरिया को सील करने का आदेश देते हैं। उनके आदेश देते ही चारों ओर से बड़े-बड़े मेटल रॉड्स बाहर आने लगते हैं और एक विशाल आयरन डोर ऊपर से नीचे गिरकर पूरे क्षेत्र को ढक लेता है। कुछ देर बाद, डॉक्टर अनिकेत, जो अंदर मौजूद थे, खुद को क्वारंटाइन करने के बाद बाहर आते हैं और डॉक्टर अनन्या और डॉक्टर संजीव के पास पहुंचते हैं।

"डॉक्टर अनिकेत, आप तो अंदर ही थे, उस स्टोन ने चमकने के बाद क्या किया था?" डॉक्टर संजीव ने पूछा।

"सर, ज्यादा कुछ नहीं, वह चमकने के बाद वापस सामान्य हो गया और अपनी जगह गिर गया। इसलिए मैंने उसे वापस रख दिया और बाहर आ गया," अनिकेत ने जवाब दिया।

"ठीक है। वैसे भी काफी रात हो गई है। डॉक्टर अनन्या, आप बहुत मशहूर हैं, इसलिए सड़क पर आपके लिए भीड़ लगी रहती है। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर अनिकेत के साथ घर चली जाएं," संजीव ने सुझाव दिया।

"जी सर, जैसा आप कहें।"

इसके बाद, डॉक्टर अनिकेत, डॉक्टर अनन्या को घर छोड़ने के लिए निकल पड़ते हैं। अगली सुबह, जब अनन्या उठकर कमरे से बाहर निकलती है, तो देखती है कि डॉक्टर अनिकेत उसी हालत में उसके दरवाजे पर खड़े हैं, जैसे रात को थे।

"डॉक्टर अनिकेत, आप इतनी जल्दी आ गए?" अनन्या ने हैरानी से पूछा।

उसे देखकर वह समझ गई कि वह रातभर यहीं खड़े थे, लेकिन क्यों?

"कुछ नहीं, बस... मैं आपको लेने आया हूं। हमें दोबारा वहां लौटना है।"

"ठीक है, चलते हैं।"

अनन्या जल्दी से तैयार होकर अनिकेत के साथ निकल पड़ती है। वह आगे-आगे चल रही थी, लेकिन अनिकेत का चेहरा कुछ अजीब लग रहा था। उसकी आंखें पूरी तरह सफेद हो चुकी थीं, बिना किसी पुतली के, और वह अनन्या को अजीब नजरों से देख रहा था।

"तुम ही हो मेरे होस्ट बनने के लायक!" स्टोन, जो अनिकेत की बॉडी में था, अनन्या को देखते हुए बोला।

"अगर मैं इसे हासिल कर लूं, तो मुझे मेरी शक्तियां वापस मिल जाएंगी। मुझे जल्द ही इस यूनिवर्स से निकलना होगा, वरना..." यह सोचते हुए अनिकेत ने हल्की-सी मुस्कान दी।

फिर हमें वह सीन दिखाया जाता है जब अनिकेत ने स्टोन की चमक देखकर अपनी आंखें बंद कर ली थीं। जब उसने दोबारा आंखें खोलीं, तो स्टोन उसकी ही शक्ल लेकर उसके सामने खड़ा था और उस पर हमला कर चुका था। असल में, अनिकेत की असली बॉडी अभी भी उसी बंकर में थी, और यह स्टोन, अनिकेत की तरह दिखने वाला, बाहर घूम रहा था।

इतने वर्षों से स्टोन पर चल रहे एक्सपेरिमेंट्स के कारण, उसने डॉक्टर्स के रूटीन को अच्छी तरह समझ लिया था। जब बंकर का दरवाजा बंद हुआ, तो स्टोन को पता था कि अब वह दो दिन तक नहीं खुलेगा। इस दौरान, उसे जो भी करना था, वह कर सकता था, और किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।

"बस मुझे मेरे बचे हुए हिस्से वापस मिल जाएं, फिर तुम सब नहीं बचोगे!" स्टोन ने ऊपर देखते हुए एक खतरनाक हंसी के साथ कहा।