शौर्य अपने बिस्तर पर लेटते हुए बड़बड़ाया, "पता नहीं इस टीचर को मुझसे क्या परेशानी है।"
डॉक्टर प्रीति मुस्कराते हुए बोलीं, "मुझे नहीं लगता कि साक्षी मैम तुम्हें देखने आई थीं, वो बस यह सुनिश्चित करने आई थीं कि तुम जिंदा हो या नहीं। अब जब तुम जिंदा हो, तो उनका काम आसान हो गया। वो जाकर प्रिंसिपल से कह देंगी कि तुम्हारी और उन लड़कों की बस मामूली झड़प हुई थी।"
शौर्य ने हल्की हंसी के साथ कहा, "क्या फर्क पड़ता है कि मैं जिंदा हूं या मर गया? उससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। और वैसे भी, उसने जो होमवर्क दिया है, उसके लिए मुझे एक और दिन मिला तो है, लेकिन उसे पूरा करूं कैसे?"
डॉक्टर प्रीति ने कंधे उचकाते हुए कहा, "ये समस्या तुम्हारी है, मेरी नहीं। वैसे तुम अपनी बहन की मदद क्यों नहीं ले लेते? वो भी तो एक डॉक्टर है।"
शौर्य यह सुनते ही चौंक गया और तेजी से उठकर बैठ गया, "आपको कैसे पता कि मेरी बहन...?"
उसके आगे कुछ कहने से पहले ही डॉक्टर प्रीति ने उसके मुंह पर हल्के से हाथ रख दिया और मुस्कराते हुए बोलीं, "तुम्हारी बहन ने मुझसे कहा था कि मैं तुम्हारा ख्याल रखूं। वैसे भी, तुम कभी इतने घायल नहीं हुए थे कि सीधे यहां आ जाओ, इसलिए हमारी मुलाकात पहले कभी नहीं हुई। लेकिन जब तुम पहली बार कल यहां आए, वो भी इतनी बुरी हालत में, तो मैं भी शॉक्ड रह गई थी। जब मैंने तुम्हें देखा, तो लगा ही नहीं था कि तुम्हारा इलाज इतनी जल्दी कर पाऊंगी। वैसे, तुम लगभग एक दिन से बेहोश थे।"
शौर्य कुछ कहता, उससे पहले ही डॉक्टर प्रीति ने घड़ी की ओर देखा और कहा, "देखो, सुबह के 12 बज चुके हैं। तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है। तुम्हारी रिसर्च पूरी करने के लिए आधा दिन ही बचा है, और रात में जंगल की ओर जाना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि वहाँ म्यूटेंट मॉन्स्टर्स आ सकते हैं। इसलिए मैं तुम्हें यही सलाह दूंगी कि अपनी बहन की मदद लो।"
शौर्य अभी भी सोच में था जब डॉक्टर प्रीति ने मुस्कराते हुए कहा, "लेकिन मैं जानती थी कि तुम मेरी बात नहीं मानोगे, इसलिए मैंने पहले ही तुम्हारी बहन को तुम्हारी स्थिति के बारे में बता दिया है। उसने तुम्हारे लिए तुम्हारा प्रोजेक्ट तैयार कर रखा है। तुम्हें बस उसकी लैब में जाकर उसे लेना है। और हाँ, जहां तक मुझे पता है, तुम्हारी बहन ने तुम्हें अपने लैब का एक्सेस दिया हुआ है, जो कि वो किसी को भी नहीं देती।"
डॉक्टर प्रीति की बात सुनकर शौर्य चुपचाप बैठा रहा और उदासी से नीचे देखने लगा।
"क्या हुआ शौर्य? क्या अब भी अपनी बहन के पास नहीं जाना चाहते?" डॉक्टर प्रीति ने उसे उकसाते हुए कहा, "सोचो, अगर तुम अपना प्रोजेक्ट सबमिट कर दोगे, तो क्लास का क्या रिएक्शन होगा? तुम्हारी क्लास में तुम्हारी बेज्जती हुई थी, है ना? क्या तुम्हें अपना बदला नहीं लेना? अगर तुम यह कर दिखाओगे, तो पूरी क्लास शॉक हो जाएगी।"
डॉक्टर प्रीति की यह बात शौर्य के दिल में उतर गई। उसकी आंखों में एक अलग ही चमक आ गई—बदले की चमक। उसने साक्षी मैम को जाते हुए देखा और उसकी आँखों में एक दृढ़ निश्चय झलक उठा।
"ठीक है... शुक्रिया, प्रीति—सॉरी, डॉक्टर प्रीति। वैसे, मैं आपको ठीक से थैंक यू नहीं बोल पाया था, तो... थैंक यू!"
जल्दी-जल्दी अपने बैग को उठाते हुए, कपड़े पहनकर, वह डॉक्टर प्रीति को जैसे-तैसे धन्यवाद कहकर वहाँ से तेजी से निकल पड़ा।
डॉक्टर प्रीति हंसते हुए बोलीं, "अजीब लड़का है।" और फिर उसे जाते हुए देखती रहीं, जब तक कि वह उनकी आँखों के सामने से गायब नहीं हो गया।
शौर्य तेजी से अपनी बहन के हॉस्पिटल में दाखिल होता है और सीधे रिसेप्शनिस्ट के पास जाता है। जैसे ही वह वहां खड़ा होता है, रिसेप्शनिस्ट उसे देखकर कहता है, "यकीन नहीं हो रहा, तुम अपनी बहन से मिलने आए हो? वैसे ही तुम्हारी बहन बाहर गई हुई है। तुम चाहो तो यहीं वेट कर सकते हो।"
यह कहकर रिसेप्शनिस्ट उठकर अपनी बहन को कॉल लगाने की कोशिश करता है, लेकिन कॉल जा ही नहीं रहा था। मजबूर होकर उसे हॉस्पिटल के बाहर जाना पड़ा। वह सोच रहा था कि सुबह से यह मोबाइल नेटवर्क सिर्फ हॉस्पिटल के अंदर ही क्यों जाम है, जबकि बाहर आते ही नेटवर्क सही हो जाता है। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था, इसलिए सीधे बाहर चला गया।
दूसरी तरफ, शौर्य करीब आधे घंटे तक वेट करता रहा, लेकिन न तो रिसेप्शनिस्ट वापस आया और न ही उसकी बहन। वह सोचने लगा, "मेरा प्रोजेक्ट मेरी बहन के लैब में रखा है और उसने मुझे लैब का एक्सेस दे रखा है, तो मैं तो जा सकता हूं।"
इतना कहकर वह अपनी जगह से उठता है और सीधे अपनी बहन के लैब में चला जाता है। वहां पहुंचकर वह अपनी जेब से एक अजीब-सा की कार्ड निकालता है और दरवाजे पर स्वाइप कर देता है। जैसे ही दरवाजा खुलता है, सामने का दृश्य देखकर वह थोड़ा हैरान रह जाता है।
उसके सामने एक आदमी अच्छी तरह से बंधा हुआ था। जैसे ही दरवाजा खुलता है, वह आदमी शौर्य की ओर उंगली उठाता है और बस इतना ही कह पाता है, "कौन?"
शौर्य घबराकर कहता है, "ओह, माफ करिएगा, मुझे नहीं पता यहां क्या हो रहा है। असल में मैं अपनी बहन से मिलने आया था, लेकिन वह बाहर गई हुई है। मैं तो बस अपना प्रोजेक्ट लेने आया हूं।"
वह आदमी जवाब देता है, "ओह, तुम! मेरा नाम डॉक्टर अनिकेत है। दरअसल, मैं तुम्हारी बहन के पास एक इलाज के लिए आया था, और क्योंकि वह इलाज थोड़ा दर्दनाक था, तो उसने मुझे बांध दिया। तुम्हारी बहन थोड़ी अजीब है, लेकिन क्या तुम मेरे सिर पर बंधी पट्टी खोल सकते हो?"
डॉक्टर अनिकेत की बात सुनकर शौर्य को झटका लगता है। "डॉक्टर अनिकेत? आप... आप यहां बंधे हुए हैं? मुझे यकीन नहीं हो रहा कि दीदी ने आपको यहां बांध दिया, जबकि आप तो हाई-रैंक डॉक्टर्स में से एक हैं!"
शौर्य थोड़ा संकोच करता है लेकिन फिर आगे बढ़कर डॉक्टर अनिकेत के पास जाता है। "वैसे, आपको पता है कि मेरा प्रोजेक्ट कहां है?" शौर्य लैब के चारों ओर देखते हुए पूछता है।
डॉक्टर अनिकेत थोड़ा बेचैनी से कहता है, "हां हां, लेकिन पहले मुझे खोलो! मैं और तुम्हारी बहन मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, और मुझे याद है कि यह कहां रखा है। तुम्हारी बहन कुछ इक्विपमेंट्स लेने गई थी, लेकिन कुछ जरूरी चीजें नहीं मिल पाईं, इसलिए वह बाहर चली गई और मुझे यहां बंधा हुआ छोड़ दिया। चूंकि वह एक हाई-रैंक डॉक्टर है, कोई उसके लैब में आने की हिम्मत नहीं करता। अच्छा हुआ, तुम आ गए! मुझे बस खोल दो, प्लीज!"
शौर्य झिझकते हुए कहता है, "ठीक है, खोल रहा हूं।"
वह डॉक्टर अनिकेत के पीछे जाता है और उसके सिर पर बंधी पट्टी खोल देता है, लेकिन अभी भी डॉक्टर अनिकेत ठीक से शौर्य को देख नहीं पा रहे थे।
"मेरे हाथ खोल रहे हो ना?" डॉक्टर अनिकेत थोड़ा हड़बड़ाकर पूछते हैं।
लेकिन शौर्य अब अपने प्रोजेक्ट को ढूंढने में व्यस्त हो चुका था। कुछ ही देर में उसकी आंखें चमक उठती हैं। "मिल गया! मेरा प्रोजेक्ट मिल गया! थैंक यू, डॉक्टर अनिकेत! आपने और मेरी बहन ने जो प्रोजेक्ट तैयार किया है, उससे शायद अब मुझे स्कूल से निकाला नहीं जाएगा! मेरा नाम नहीं काटा जाएगा! हां!"
इतना कहकर शौर्य खुशी-खुशी लैब से बाहर निकलने लगता है, जबकि डॉक्टर अनिकेत अब भी बंधे हुए है और उसे उम्मीद है कि शौर्य उसकी भी मदद करेगा।
मेरे हाथ को तो खोल दो। डॉक्टर अनिकेत, शौर्य को जाते हुए देखते हैं और कहते हैं, "माफ कर दीजिए, एक्चुअली मैं भूल गया था।"
शौर्य जल्दी से अपने प्रोजेक्ट को बैग में रखता है और फिर उसे कंधे पर टांगकर डॉक्टर अनिकेत की तरफ बढ़ता है। जैसे ही वह डॉक्टर अनिकेत के हाथ को खोलता है, डॉक्टर अनिकेत उसे पकड़ लेते हैं।
"डॉक्टर अनिकेत, आप ठीक तो हैं ना? क्या आपको दौरे पड़ने की बीमारी है?" शौर्य डॉक्टर अनिकेत के इस व्यवहार से थोड़ा असहज महसूस कर रहा था। दूसरी तरफ, वह आदमी, जो असल में दिव्य पत्थर था, शौर्य को देखकर चौंक जाता है।
"अजीब बात है! इसकी बहन मेरे होस्ट बनने के लायक थी, लेकिन 50% चांस थे कि मैं उसके शरीर में प्रवेश करने के बाद मर सकता था। लेकिन यह लड़का... यह तो मेरी उम्मीद से ज्यादा काबिल निकला।"
वह पत्थर शौर्य को देखता है और मन ही मन सोचता है। उसके बाद वह आदमी अपनी आंखों को शौर्य की आंखों के ठीक सामने ले जाता है। शौर्य उसकी आंखों को देखकर डर जाता है क्योंकि उनमें कुछ भी नहीं था, सिर्फ सफेदपन। तभी उसकी आंखें सफेद से सीधे गोल्डन रंग में चमकने लगती हैं और फिर उनमें से एक सुनहरी रोशनी निकलकर शौर्य की आंखों के अंदर जाने लगती है। शौर्य की आंखें जलने लगती हैं, लेकिन वह केवल चीख सकता था।
अनन्या का लैब पूरी तरह से बंद था, जिससे कोई भी आवाज बाहर नहीं जा रही थी। शौर्य दर्द से चिल्लाते रहता है और देखते ही देखते डॉक्टर अनिकेत वहां से गायब हो जाते हैं। वे पूरी तरह से शौर्य के अंदर समा चुके थे।
दूसरी तरफ, रिसेप्शनिस्ट का फोन अनन्या से कनेक्ट होता है।
"डॉक्टर अनन्या, आपका भाई आपसे मिलने आया है।"
डॉक्टर अनन्या यह सुनकर चौंक जाती हैं। "क्या मेरा भाई सच में मुझसे मिलने आया है?"
वह डॉक्टर निकेत से कहती हैं, "मुझे वापस जाना होगा। मेरे लिए मेरा भाई ज्यादा महत्वपूर्ण है। प्लीज, मेरा भाई बहुत कम मुझसे मिलने आता है, मुझे उससे मिलना ही होगा।"
डॉक्टर निकेत उसकी भावना समझ जाते हैं। "मैं जानता हूं कि तुम अपने भाई से कितना प्यार करती हो। तुम जाओ, बाकी काम मैं संभाल लूंगा।"
अनन्या तुरंत एक टैक्सी बुक कर हॉस्पिटल के लिए निकल जाती है। वहां पहुंचकर वह रिसेप्शनिस्ट से पूछती है, "मेरा भाई कहां है?"
"शायद वह वापस चला गया क्योंकि वह बहुत देर से बैठा हुआ था और शायद उसके स्कूल का टाइम हो गया होगा," रिसेप्शनिस्ट बताती है।
अनन्या यह सुनकर उदास हो जाती है और लैब की ओर बढ़ती है। अंदर शौर्य पहले ही यह देख चुका था कि अनन्या आ रही है। डर के मारे वह जल्दी से खिड़की से कूद जाता है।
तभी शौर्य की आंखें खुलती हैं, और वह देखता है कि वह बिल्डिंग से नीचे गिर रहा है।
"यह क्या? नहीं... नहीं!"
शौर्य चिल्लाते हुए जैसे ही गिरने वाला होता है, अचानक स्पेस टूट जाता है और वह किसी दूसरी जगह खींचा चला जाता है।
कुछ देर तक उस अजीब स्पेस में यात्रा करने के बाद शौर्य एक रोशनी वाली जगह पर पहुंचता है। उसके हाथ में एक गोल्डन पत्थर था जो चमक रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह पत्थर उसके हाथ में क्या कर रहा था। उसने उसे हटाने की कोशिश की, लेकिन वह उसके हाथों से चिपका हुआ था।
"तुम क्या हो?" शौर्य ने पत्थर से पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
कुछ देर बाद पत्थर शौर्य के हाथ से उछलकर एक जगह चला जाता है। शौर्य भी उसके पीछे-पीछे चलता है और अचानक एक अजीब जगह पर पहुंच जाता है। वहां ऊंची-ऊंची इमारतें थीं। तभी वह देखता है कि उसका पत्थर किसी सफेद बालों वाले आदमी के सिर पर जा टकराया था।
शौर्य को वहां खड़े एक और आदमी पर ध्यान जाता है, जिसके हाथ कटे हुए थे। लेकिन शौर्य को बस अपनी जान बचानी थी। वह तेजी से भागता है।