Chapter 7

मुझे वापस अपनी बहन के पास जाना है! प्लीज, मुझे वापस भेज दो!" शौर्य ने पत्थर से गिड़गिड़ाते हुए कहा।

"मैं जानता हूं, शौर्य। जब मैंने तुम्हारी बहन के दिमाग को पढ़ा था, तो देखा कि वह भी तुमसे बहुत प्यार करती है," पत्थर ने कहा।

तभी पत्थर अचानक शौर्य के हाथ में आ गया।

"तुम मुझे पक्का वापस ले जाओगे ना?" शौर्य ने पूछा।

"बस मेरे कुछ काम बाकी हैं, उसके बाद मैं तुम्हें वापस छोड़ दूंगा।"

शौर्य ने पत्थर को कसकर पकड़ लिया।

तभी फिर से स्पेस टूटता है और शौर्य उसमें घसीटा चला जाता है।

जब वह दूसरी रोशनी वाली जगह पर पहुंचता है, तो उसका पत्थर फिर से किसी सफेद बालों वाले बूढ़े व्यक्ति से टकराता है। वह आदमी धीरे-धीरे पिघलने लगता है, और उसके अंदर से एक दिव्य टुकड़ा निकलता है, जो पत्थर में जा मिलता है।

पत्थर ने कहा, "तुम सोचते हो कि इतनी आसानी से मुझसे बच सकते हो?"

शौर्य यह सुनकर चौंक जाता है। तभी पत्थर एक बार फिर से हवा में उड़कर शौर्य के हाथ में कूद जाता है और दोनों वहां से गायब हो जाते हैं।

शौर्य और दिव्य पत्थर अंतरिक्ष में तेजी से यात्रा करते हुए एक तीसरी जगह पर पहुंचते हैं। जैसे ही वे वहां पहुंचते हैं, चारों ओर रोशनी फैल जाती है, जिससे कुछ भी देख पाना संभव नहीं होता। धीरे-धीरे, जब रोशनी कम होती है, तो एक आदमी की परछाई उभरने लगती है। यह वही व्यक्ति था, जिसे शौर्य बार-बार देखता आ रहा था, लेकिन इस बार, उसके हाथ में वही दिव्य पत्थर का टुकड़ा था।

शौर्य चकित होकर सोचता है, "क्या इसने उस बूढ़े को मार दिया? लेकिन हर बार तो यह ऐसा करने में असफल रहता था।" शौर्य अपनी उलझन में था, तभी दिव्य पत्थर शौर्य के हाथ से छलांग लगाकर उस व्यक्ति के सामने आ खड़ा होता है।

दिव्य पत्थर धमकी भरी आवाज में बोलता है, "तुम्हारे पास कुछ है जो मेरा है।"

वह व्यक्ति बिना किसी विरोध के पत्थर को差ेत स्वर में वापस करते हुए कहता है, "ठीक है, इसे रख लो।"

दिव्य पत्थर केवल इतना कहता है, "होशियार रहना," और फिर शौर्य के साथ चौथी जगह के लिए निकल पड़ता है।

चौथी जगह पर पहुंचते ही, शौर्य और दिव्य पत्थर को वही व्यक्ति फिर से दिखाई देता है, लेकिन इस बार वह घायल और कमजोर दिख रहा था। उसके सामने वही सफेद बालों वाला बूढ़ा व्यक्ति था, जो पहले की तुलना में और भी ताकतवर प्रतीत हो रहा था।

दिव्य पत्थर गुस्से में तेजी से उस बूढ़े पर हमला करता है, लेकिन बूढ़ा आसानी से उसके हमले को चकमा दे देता है और आश्चर्य से कहता है, "तो तुम आज़ाद हो गए और तुम्हें एक होस्ट भी मिल गया, जो तुम्हें इस यूनिवर्स तक ले आया? मानना पड़ेगा।"

यह सुनकर दिव्य पत्थर कुछ क्षण के लिए रुकता है और फिर गंभीर स्वर में कहता है, "तो यह सच है। तुमने ही मुझे कैद किया था, मेरे टुकड़ों से अपने क्लोन बनाए, और अब तुम अपने क्लोन के जरिए मुझसे बात कर रहे हो।"

बूढ़ा मुस्कराता है और उत्तर देता है, "तुम होशियार हो, लेकिन क्या तुम्हें लगता है कि अपने सारे टुकड़े वापस पाने के बाद भी तुम मुझसे लड़ पाओगे?"

फिर वह बूढ़ा अपना हाथ उठाता है, जिससे घातक ऊर्जा निकलती है। उसकी ताकत से शौर्य हवा में उछलकर पीछे की ओर फेंका जाता है। तभी, वही रहस्यमयी व्यक्ति अचानक प्रकट होकर शौर्य को गिरने से बचा लेता है और उसे सुरक्षित जगह पर ले जाता है।

दूसरी ओर, दिव्य पत्थर और बूढ़े के बीच घमासान युद्ध छिड़ जाता है। यह संघर्ष दो घंटे तक चलता है। अंततः, दिव्य पत्थर बूढ़े पर विजय प्राप्त कर लेता है।

बूढ़े की पूरी देह धीरे-धीरे पिघलने लगती है और राख में बदल जाती है। उसके भीतर से एक चमचमाता हुआ पत्थर बाहर आता है। लेकिन इस बार, दिव्य पत्थर उसे अपनी शक्ति में समाहित नहीं करता।

अब दिव्य पत्थर धीरे-धीरे शौर्य और रहस्यमयी व्यक्ति के पास आता है। इस दौरान, शौर्य और वह व्यक्ति एक-दूसरे से एक शब्द भी नहीं बोले थे, क्योंकि दोनों की नजरें उस भयंकर लड़ाई पर टिकी थीं। शौर्य के लिए वह लड़ाई इतनी तेज थी कि वह समझ ही नहीं पाया कि क्या हुआ।

अब दिव्य पत्थर शौर्य के ठीक सामने आकर रुकता है। उसकी दृष्टि शौर्य से हटकर उस रहस्यमयी व्यक्ति की ओर मुड़ती है।

शौर्य ने अपने दोस्त से अलविदा लिया और फिर दिव्य पत्थर की ओर मुड़ा। दिव्य पत्थर ने उस आदमी को देखा, जिसने तुरंत उसकी बात को समझ लिया। शौर्य ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "तुम्हारी वजह से मुझे यह मौका मिला है, और मैं चाहता हूं कि मैं भी तुम्हें एक मौका दूं। लेकिन यह तुम्हारे ऊपर निर्भर करेगा कि तुम ताकतवर बन पाते हो या नहीं।"

यह कहकर, उसने उस चमकते हुए स्टोन के टुकड़े की ओर इशारा किया, जो हवा में तैर रहा था। वह टुकड़ा और तेज चमकने लगा और सीधे शौर्य के सीने में समा गया। शौर्य घबरा गया, उसकी सांसें तेज हो गईं। "क्या... क्या किया तुमने? मैं मरने तो नहीं वाला, ना?" वह डरते हुए बोला।

दिव्य पत्थर हल्की मुस्कान के साथ बोला, "शौर्य, तुम बहुत डरपोक हो। अगर तुम्हें ताकतवर बनना है, तो तुम्हें अपने अंदर के डर को निकालना होगा। अब तुम्हारे वापस जाने का समय आ गया है।"

यह सुनकर शौर्य के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। "सच में? तुम मुझे घर ले जाओगे?" फिर अचानक उसके चेहरे पर एक गंभीर भाव आ गया। "लेकिन एक बात बताओ... तुमने मेरी बहन पर काबू करने की कोशिश की थी, तो तुम्हारे पास उसकी सारी यादें होंगी, है ना? क्या वह सच में मुझसे भाइयों जैसा प्यार करती है, या सिर्फ एक औपचारिकता निभा रही है?"

दिव्य पत्थर कुछ पल शांत रहा, फिर उसके ऊपर एक होलोग्राम जैसा वीडियो चलने लगा। उसमें एक छोटा शौर्य, लगभग सात साल का, अपनी बहन के साथ खेल रहा था। तभी अचानक, एक आदमी उसके पास आया और कहा कि शौर्य के माता-पिता की मौत उसकी सौतेली बहन की वजह से हुई थी।

शौर्य के चेहरे पर सदमे के भाव उभर आए। लेकिन वीडियो यहीं खत्म नहीं हुआ—आदमी की हल्की सी मुस्कान दिखी, जिससे साफ था कि वह झूठ बोल रहा था। दिव्य पत्थर ने गंभीर स्वर में कहा, "शौर्य, तुम बहुत जल्दी दूसरों पर भरोसा कर लेते हो। किसी ने तुम्हें एक झूठी बात कह दी और तुमने बिना सोचे-समझे अपनी बहन से दूरी बना ली।"

शौर्य धीरे-धीरे समझने लगा कि उसने अपनी बहन के साथ कितना बड़ा अन्याय किया था। दिव्य पत्थर ने आगे कहा, "तुमने मुझ पर भरोसा किया और खुशी-खुशी मेरे साथ मल्टीवर्स और यूनिवर्स पार कर आए। लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि अगर मैं तुम्हें वापस नहीं ले जाता, तो तुम हमेशा के लिए फंस सकते थे?"

शौर्य की आंखों में डर साफ झलकने लगा। "मैं... मैं सच में बहुत बड़ा बेवकूफ हूं," वह धीमे स्वर में बोला, फिर दिव्य पत्थर को देखने लगा।

दिव्य पत्थर हल्के से मुस्कुराया, "शौर्य, तुम्हारी किस्मत अच्छी है कि मैं अपने वादे का पक्का हूं।"

जैसे ही उसने यह कहा, शौर्य के ठीक पीछे स्पेस में एक दरार उभर आई, और देखते ही देखते शौर्य उसमें समा गया। और फिर वहां से।