Chapter 9

तभी अनिकेत के फोन में नोटिफिकेशन की आवाज आई। उन्होंने देखा कि अनन्या का मैसेज था। जैसे ही उन्होंने उसे पढ़ा, वह शॉक्ड रह गए और बिना कुछ कहे स्कूल की तरफ दौड़ पड़े।

दूसरी ओर, शौर्य अपने क्लासरूम में प्रवेश कर रहा था। जैसे ही उसने कदम रखा, सभी छात्र उसे अजीब नजरों से देखने लगे।

"आज तो गया," किसी ने फुसफुसाकर कहा।

"इसे शायद पता नहीं कि इसका प्रोजेक्ट जमा करने का समय खत्म हो चुका है," दूसरे छात्र ने कहा।

साक्षी मैम ने उसे घूरते हुए पूछा, "शौर्य, तुम स्कूल क्या करने आए हो?"

"मैम, मैं प्रोजेक्ट जमा करने आया हूँ और वो भी समय से पहले।" उसने कॉन्फिडेंस के साथ जवाब दिया और फाइल आगे बढ़ा दी।

सभी लोग हैरानी से उसे देखने लगे। साक्षी मैम ने प्रोजेक्ट को चेक किया, जो पूरी तरह से सही था।

"लेकिन तुम दो दिन लेट हो," साक्षी मैम ने सख्त लहजे में कहा। "अब तुम्हारा नाम स्कूल से काटा जाएगा। आज के बाद स्कूल आने की जरूरत नहीं।"

शौर्य यह सुनकर दंग रह गया। उसने जल्दी से घड़ी और तारीख चेक की।

"ये दो दिन कैसे बीत गए?" उसने खुद से बुदबुदाया।

"मैम, मेरे साथ कुछ अजीब हुआ है—" वह कुछ कहने ही वाला था कि रुक गया। उसे अहसास हुआ कि कोई उसकी बात का यकीन नहीं करेगा।

उसने भारी मन से अपना प्रोजेक्ट उठाया और स्कूल को आखिरी बार देखते हुए दरवाजे की ओर बढ़ गया। लेकिन जैसे ही वह बाहर निकलने वाला था, उसने अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया। उसने मुड़कर देखा—विक्रम खतरनाक मुस्कान लिए उसे घूर रहा था।

"क्या लगता है तुझे? स्कूल से इतनी आसानी से निकल जाएगा?" विक्रम ने व्यंग्य से कहा।

शौर्य ने गहरी सांस ली। "मैंने तुमसे या तुम्हारे दोस्तों से क्या बिगाड़ा है? मैं तो बस अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ।"

विक्रम हंसा। "तूने हमें नहीं, हमारी बॉस को परेशान किया है।"

"लेकिन मैंने तुम्हारी बॉस से तो कभी बात भी नहीं की!" शौर्य ने चौंककर कहा।

"फिर भी, उसकी नाराजगी मोल ली है," विक्रम ने कहा और अचानक शौर्य के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया।

शौर्य का खून खौल उठा। लेकिन उसने खुद को शांत रखने की कोशिश की।

"देखो, तुम ये सब ज्यादा कर रहे हो," शौर्य ने विक्रम को घूरते हुए कहा।

विक्रम हँसा, "अच्छा? क्या कर लेगा? अपनी बहन को बुलाएगा? एक काम कर, उसे मेरे घर भेज दे!"

यह सुनते ही शौर्य का धैर्य जवाब दे गया। उसने गुस्से में विक्रम को घूंसा मारा, लेकिन विक्रम ने आसानी से उसे डॉज कर लिया।

"तू हमारे सामने टिक नहीं सकता," विक्रम ने उसका मजाक उड़ाया। इसके बाद उसने शौर्य के पेट पर जोरदार लात मारी, जिससे वह दीवार से टकराकर नीचे गिर गया।

शौर्य दर्द से कराह उठा, लेकिन हार मानने को तैयार नहीं था। वह धीरे-धीरे उठने लगा।

"वाह! इसमें अभी भी हिम्मत बची है," अंश ने मजाक उड़ाते हुए कहा।

इतने में ही विक्रम ने पास पड़ी लोहे की रॉड उठाई और उसे शौर्य की ओर घुमा दिया। शौर्य तेजी से झुका और विक्रम के पेट पर जोरदार मुक्का जड़ा, जिससे वह कुछ कदम पीछे हट गया।

"तेरी इतनी हिम्मत!" अंश चिल्लाया और शौर्य पर झपट पड़ा, लेकिन शौर्य ने उसका हाथ पकड़कर उसे जमीन पर पटक दिया।

तभी विक्रम ने पीछे से आकर शौर्य की गर्दन पकड़ ली और उसे जोर से दबाने लगा। शौर्य की सांसें रुकने लगीं। देखते ही देखते वहाँ भीड़ इकट्ठा हो गई—पूरी क्लास, साक्षी मैम और कई अन्य लोग। लेकिन कोई भी उसे बचाने के लिए आगे नहीं बढ़ा।

शौर्य ने मदद की उम्मीद में श्रेया की ओर देखा, लेकिन वह दो कदम बढ़ाने के बाद रुक गई और फिर पीछे हट गई।

अब शौर्य की आँखों में गुस्से की जगह निराशा थी।

शौर्य को गुस्से का इतना जोरदार अहसास हो रहा था कि उसकी आँखों में आग सी जल रही थी। "इन्होंने मेरी बहन के बारे में ऐसा कैसे बोला और मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं?" शौर्य अपने गर्दन को कसकर पकड़ते हुए देख रहा था और उसकी साँसें भी तेज़ हो रही थीं। लेकिन तभी कुछ अजीब हुआ, चारों ओर की हवाएं तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ने लगीं। यह हवाएं इतनी तेज़ थीं कि सबके बाल और कपड़े उड़ने लगे, और किसी को भी यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह क्या हो रहा है।

तभी शौर्य की आँखों से सफेद रोशनी निकलने लगी। उसके सीने पर एक चमकदार सफेद निशान दिखाई दे रहा था, और यह किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या है। शौर्य ने अपने हाथों को कसकर टाइट किया और विक्रम के हाथ को अपने गर्दन से अलग करके उसे जोरदार लात मारी। विक्रम दूर जाकर एक बड़े बॉक्स वाले कमरे में गिर पड़ा, और बॉक्सेस उसके ऊपर गिर गईं। कुछ समय बाद, विक्रम बहुत खराब हालत में बाहर निकला और शौर्य को गुस्से से घूरते हुए बोला, "तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो।"

विक्रम और अंश दोनों एक साथ शौर्य पर हमला करने के लिए तैयार हो गए। शौर्य ने खतरनाक मुस्कान के साथ कहा, "अब मेरी बारी है।" इसके बाद, उसकी बॉडी से सफेद रोशनी और भी ज्यादा तेज़ी से निकलने लगी, और आसपास की हवाएं शौर्य के शरीर में घुसने लगीं। विक्रम और अंश दोनों एक साथ शौर्य पर हमला करते हैं। विक्रम ने अपनी मुट्ठी कसकर शौर्य पर एक जोरदार मुक्का मारा, लेकिन शौर्य झुककर उससे बच गया और विक्रम की पसलियों पर जोरदार घुसा जड़ दिया।

तभी शौर्य ने नोटिस किया कि अंश एक रड को हवा में घुमाकर शौर्य की तरफ फेंक रहा था। शौर्य ने अपने हाथ से उस रड को पकड़ लिया और उसे अंश से छीन लिया। फिर शौर्य ने उसी रड से अंश की टांगों पर जोरदार प्रहार किया, जिससे उसकी टांगे टूट गईं और वह खड़ा भी नहीं हो पाया।

"यह तुम बहुत गलत कर रहे हो। तुम नहीं जानते कि तुम्हारे साथ क्या होगा!" अंश गुस्से में चिल्लाया, लेकिन उससे पहले शौर्य ने उसके सीने पर एक जोरदार लात मारी, जिससे अंश का बकवास रुक गया और वह दीवार से टकराकर बेहोश हो गया।

शौर्य अपनी जगह से हल्का सा हिला, और विक्रम का हमला मिस हो गया। विक्रम ने शौर्य को अकेला देखा और उस पर लात मारने के लिए दौड़ा, लेकिन शौर्य ने विक्रम के पांव को पकड़ लिया। विक्रम को झूले की तरह झूलते हुए शौर्य ने दूर फेंक दिया। विक्रम दीवार से टकराया, लेकिन बेहोश नहीं हुआ। वह किसी पागल बच्चे की तरह शौर्य के पास फिर से पहुंचने की कोशिश करने लगा।

"अब भी लड़ना है?" शौर्य हंसते हुए विक्रम को देखता रहा।