Chapter 11

शौर्य एक बार फिर उसी घने जंगल में पहुंच चुका था, जहां सिर्फ अंधेरा था। चांद की हल्की रोशनी भी पेड़ों के घनेपन के कारण जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी। शौर्य ने आज तक इतने मोटे तनों वाले पेड़ नहीं देखे थे। कुछ पेड़ों के बीच में खाली जगह थी, जहां वह छिपकर बैठा हुआ था।

"हे भगवान, प्लीज जल्दी से दिन कर दो, मैं बस यहां से जाना चाहता हूं," शौर्य हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगा। तभी उसके हाथ में वही मोटा कीड़ा आ गया, जिसे देखकर वह चौक गया।

"ओह, तुम बाहर आ गए!" शौर्य ने कीड़े को देखते हुए कहा।

"तो तुम्हें क्या लगता है? मैं दिनभर तुम्हारे हाथ में ही पड़ा रहता हूं?" मोटा कीड़ा जवाब देता है।

शौर्य वही जम जाता है। "रुको, क्या तुम मुझसे बात कर सकते हो?"

"नहीं, मैं तो अपनी भाषा में बात कर रहा हूं। लेकिन तुम मेरी बात कैसे समझ रहे हो?" कीड़ा पूछता है।

"मुझे नहीं पता... लेकिन हम दोनों एक-दूसरे की भाषा समझ पा रहे हैं," शौर्य कहता है।

"जो भी हो, तुम इस वक्त बहुत गलत जगह पर हो। अगर मेरी प्रजाति यहां आ गई या मेरा झुंड पास आ गया, तो तुम बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हो और मैं भी तुम्हें नहीं बचा पाऊंगा," मोटा कीड़ा चेतावनी देता है।

"तो मुझे क्या करना चाहिए? मैं बहुत कमजोर हूं," शौर्य चिंता जताता है और वहीं बैठ जाता है।

"अगर तुम्हें जिंदा रहना है, तो मेरी बात माननी होगी। मेरा झुंड ज़्यादातर जमीन के नीचे रहता है और हलचल होते ही सतर्क हो जाता है। इसलिए तुम्हें ज़्यादा दौड़-भाग या हलचल नहीं करनी चाहिए," कीड़ा समझाता है।

"ठीक है, मैं समझ गया। मैं बस यहीं बैठा रहूंगा," शौर्य कहता है।

काफी देर तक दोनों वहीं बैठे रहते हैं। फिर कीड़ा पूछता है, "वैसे तुम्हारा नाम शौर्य है ना? तुमने मुझे मारा क्यों नहीं? जबकि इंसान जानते हैं कि मेरी प्रजाति कितनी खतरनाक है। मेरा झुंड अगर इंसानों के हाथ लग जाता है, तो वे हमें देवता बना लेते हैं ताकि हमें टेम कर सकें। लेकिन जब मैं तुम्हारे हाथों टेम हुआ, तो तुम्हारे चेहरे पर खुशी नहीं थी। ऐसा क्यों?"

"असल में, तुम पहले बीस्ट हो जिसे मैंने टेम किया है, और मुझे बीस्ट टेमर के बारे में कुछ भी नहीं पता," शौर्य कहता है।

"अच्छा, इसलिए तुम्हारी आंखों में लालच नहीं था। मुझे तो बस मासूमियत दिखी। तुम सिर्फ मेरी जान बचाना चाहते थे," मोटा कीड़ा कहता है और शौर्य के हाथ पर आकर सो जाता है।

धीरे-धीरे दिन हो जाता है, और शौर्य अचानक अपनी हॉस्पिटल रूम में लौट आता है। वह राहत की सांस लेता है और डेट चेक करता है। "थैंक गॉड, सिर्फ एक रात बीती है, पिछली बार की तरह दो दिन नहीं," वह मन ही मन सोचता है।

जैसे ही वह उठकर जाने लगता है, उसे याद आता है कि उसकी बहन वहां नहीं है जहां उसे होना चाहिए था। तभी दरवाजे के खुलने की आवाज आती है।

शौर्य पलटकर देखता है तो डॉक्टर अनिकेत, डॉक्टर संजीव और डॉक्टर अनन्या अंदर आते हैं। वे शौर्य को देखते ही खुशी से भर जाते हैं। अनन्या तो तुरंत आगे बढ़कर शौर्य को गले लगा लेती है और रोने लगती है।

शौर्य, मुझसे वादा करो कि तुम दोबारा मुझे छोड़कर नहीं जाओगे।" अनन्या ने शौर्य को कसकर पकड़े हुए कहा।

"हाँ दीदी, मैं आपको कभी नहीं छोड़ूंगा," शौर्य ने थोड़ा अजीब महसूस करते हुए जवाब दिया। अनन्या ने उसे छोड़ दिया और ऊपर से नीचे तक गौर से देखने लगी।

"शौर्य, हम मरे तो नहीं थे? तुम मतलब... हम जिंदा कैसे हैं? और तुम तो बिलकुल ठीक लग रहे हो। आखिर वहाँ हुआ क्या था?" अनन्या ने चिंतित स्वर में पूछा।

"ये सब छोड़ो, अनन्या। तुम्हें शायद अंदाजा भी नहीं कि तुम्हारे भाई ने क्या किया है। तुम दोनों का जिंदा होना ही अपने आप में एक चमत्कार है।" डॉक्टर अनिकेत ने गंभीरता से कहा।

डॉक्टर अनिकेत की बात सुनकर अनन्या चौंक गई और उसने डॉक्टर संजीव की ओर देखा। जब डॉक्टर अनिकेत ने कहा कि उसे स्कूल जाकर सच जानना होगा, तो उसकी बेचैनी और बढ़ गई।

"शौर्य, तुमने स्कूल में कुछ किया तो नहीं?" अनन्या ने शौर्य से सवाल किया।

इससे पहले कि वह और कुछ पूछती, कमरे में एक और व्यक्ति प्रवेश करता है।

"प्रिंसिपल रंजीत! आप यहाँ? क्या शौर्य ने स्कूल में कुछ बड़ा हंगामा कर दिया है?" अनन्या ने चिंता भरे स्वर में पूछा।

"नहीं, ऐसा कुछ नहीं हुआ। हमने उसे कभी स्कूल से नहीं निकाला, जैसा आपने कहा था। लेकिन चार साल के लंबे समय में, इसने एक भी मॉन्स्टर या एनिमल को टेम नहीं किया। हमारे स्कूल के नियम के अनुसार, यदि कोई छात्र पाँच साल के अंदर ऐसा नहीं कर पाता, तो उसे स्कूल छोड़ना पड़ता है। शौर्य का यह आखिरी साल था। दो-तीन महीने में उसका समय खत्म होने वाला था।

लेकिन समस्या यह हुई कि एक टीचर, जो शौर्य से व्यक्तिगत रूप से नफरत करती थी, उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए इसे स्कूल से निकाल दिया। मैं उसी के लिए माफी मांगने आया हूँ।

इसके अलावा, शौर्य ने दो छात्रों को बुरी तरह पीटा। उनमें से एक मामूली परिवार से था, इसलिए हमने मामला संभाल लिया। लेकिन दूसरा लड़का विक्रम अग्रवाल था, जो अग्रवाल परिवार से है। अब उनके परिवार वाले इस मामले को लेकर काफी गंभीर हैं और जिसने भी उनके बेटे को पीटा, उसे खोजने की कोशिश कर रहे हैं।" प्रिंसिपल रंजीत ने स्थिति स्पष्ट की।

उनकी बात सुनकर कमरे में मौजूद सभी लोग तनाव में आ गए। अग्रवाल परिवार शांत बैठने वालों में से नहीं था।

"शौर्य, तुमने उन्हें मारा क्यों? मैं जानती हूँ कि तुम्हें परेशान किया जाता होगा, लेकिन इतनी बड़ी प्रतिक्रिया देने का कोई कारण तो होगा?" अनन्या ने सख्त लहजे में पूछा।

"दीदी..." शौर्य कुछ कहने ही वाला था कि प्रिंसिपल रंजीत ने सबका ध्यान फिर से अपनी ओर खींचा।

"देखिए, मैं पूरी सच्चाई यहाँ नहीं बता सकता। फिलहाल, इस मामले की जानकारी सिर्फ हमें और डॉक्टर अनिकेत को है। बेहतर होगा कि आप खुद स्कूल आकर कैमरे की फुटेज देखें। आपको सबकुछ साफ-साफ पता चल जाएगा।" प्रिंसिपल रंजीत ने सुझाव दिया।

डॉक्टरों ने सहमति जताई, और सभी लोग एक साथ स्कूल की ओर रवाना हो गए।

शौर्य को वापस स्कूल जाने में अजीब लग रहा था। वह वहाँ से बहुत गुस्से में निकला था, लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल गई थीं।

उसी समय, सामने से एक डॉक्टर के कोट में एक आदमी दौड़ता हुआ उनकी ओर आया...