Chapter 12

शौर्य इस आदमी को अच्छे से पहचानता था। यह वही रिसेप्शनिस्ट था जहां अनन्या की लैब थी। जब डॉक्टर संजीव को पता चला कि अनन्या के आने के बाद के सीसीटीवी फुटेज गायब थे और नेटवर्क भी डाउन हो गया था, तो वह गुस्से में आ गए।

"यह दिव्य पत्थर बहुत चालाक है! इसे पकड़ना आसान नहीं होगा," उन्होंने कहा और अनन्या की ओर देखा। "मुझे माफ करना, डॉक्टर अनन्या, शायद मुझे अब जाना होगा।"

डॉक्टर संजीव तुरंत वहां से चले गए। दूसरी ओर, शौर्य दिव्य पत्थर का नाम सुनकर चौंक गया। उसके रोंगटे खड़े हो गए, लेकिन वह जानता था कि वह सुरक्षित था क्योंकि सारी सीसीटीवी फुटेज मिट चुकी थी। इसके बाद, सभी लोग अपने-अपने कमरों में चले गए।

शौर्य अपनी बहन का लैपटॉप लेकर रिसर्च करने लगा। उसे पता चला कि अगर कोई न्यूरो कोर जनरेट कर भी ले, तो भी वह किसी मॉन्स्टर या एनिमल से बात नहीं कर सकता। अब तक ऐसा किसी के साथ नहीं हुआ था।

"जब हम न्यूरो कोर जनरेट करते हैं, तो उसके साथ एक बीस्ट भी जन्म लेता है। लेकिन मेरे न्यूरो कोर में कोई बीस्ट नहीं है," शौर्य सोचने लगा। उसने अपनी आंखें बंद कीं और ध्यान केंद्रित किया। उसे अपने न्यूरो कोर में एक चमकती रोशनी और उसके साथ खेलता हुआ एक मोटा कीड़ा दिखाई दिया।

इंटरनेट पर खोजबीन करने पर शौर्य को पता चला कि जिन लोगों ने न्यूरो कोर जनरेट किया था, उनके कोर में एक घंटे के अंदर बीस्ट जन्म ले चुका था। "लेकिन मेरे साथ कुछ अलग हो रहा है," वह मन ही मन सोचने लगा।

उसने एक और चीज नोटिस की—"क्या न्यूरो कोर चमकते हैं?" उसने इंटरनेट पर खोजा और जवाब मिला—"नहीं।" इसका मतलब था कि वह जो रोशनी देख रहा था, वह शायद उसका बीस्ट ही था।

शौर्य ने अपने हाथ आगे बढ़ाए, और मोटा कीड़ा तुरंत उसके पास आ गया।

"तुम किसके साथ खेल रहे हो?" शौर्य ने पूछा।

"क्या तुम्हें दिमाग नहीं है? वह एक बच्ची है," मोटे कीड़े ने जवाब दिया।

"बच्ची? लेकिन वहां तो बीस्ट होना चाहिए!" शौर्य चौंक गया।

"मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, कम से कम कोई तो है खेलने के लिए," मोटे कीड़े ने कहा और गायब हो गया।

शौर्य समझ गया कि उसका बीस्ट अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है। उसने यह भी महसूस किया कि बिना न्यूरो कोड डिवाइस के कोई भी अपने बीस्ट को नियंत्रित नहीं कर सकता, लेकिन वह इसे सीधे अपने हाथों से नियंत्रित कर पा रहा था।

तभी मोटा कीड़ा फिर से प्रकट हो गया। "तुम मुझे बार-बार तंग क्यों कर रहे हो?" उसने गुस्से से कहा।

"सॉरी, सॉरी!" शौर्य ने जल्दी से उसे वापस भेज दिया।

शौर्य सोचने लगा कि बाकी सभी को न्यूरो कोर नियंत्रित करने के लिए एक डिवाइस की जरूरत होती है, लेकिन वह इसे सीधे नियंत्रित कर पा रहा था। "इसका मतलब मेरा न्यूरो कोर बाकी सबसे अलग है," उसने सोचा। फिर उसे दिव्य पत्थर का टुकड़ा याद आया।

"कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरा न्यूरो कोर उसी पत्थर की वजह से खास बन गया है?" शौर्य मन ही मन सोचने लगा। उसे यकीन हो गया था कि दिव्य पत्थर ने जानबूझकर यह सब किया था ताकि वह समय में पीछे जाकर खतरनाक बीस्ट्स को टेम कर सके।

अंत में, शौर्य ने खुद से कहा, "अब मुझे यह ध्यान रखना होगा कि रात के 12 बजे के बाद मैं ऐसी किसी भी जगह पर न जाऊं जहां कैमरे हों। अगर मैं वहां से गायब होकर उसी जगह वापस आया, तो यह कैमरों में रिकॉर्ड हो जाएगा। मुझे पूरी सावधानी बरतनी होगी।"

वह अंगड़ाई लेते हुए सोचने लगा, "अब मुझे और ज्यादा सतर्क रहना होगा।"

शौर्य के मन में सवालों का एक झंझावात चल रहा था। वह सोच रहा था कि अगर समय के आगे जाकर सभी जानवर म्यूटेट होकर खतरनाक मॉन्स्टर बन गए, तो फिर समय के पीछे भी ऐसे ही म्यूटेड मॉन्स्टर क्यों मौजूद हैं? डायनासोर भी म्यूटेट हो गए थे, लेकिन यह कैसे संभव था जबकि यह सब कुछ तो भविष्य में हुआ था? क्या समय के साथ कोई छेड़छाड़ हुई थी या यह प्रकृति का कोई अनकहा रहस्य था? यह सब सोचकर वह खुद को उलझा हुआ महसूस कर रहा था। लेकिन उसने अपने विचारों को झटका दिया और खुद से कहा कि उसे बस सर्वाइव करने के लिए कुछ चाहिए। बाकी सब सवाल बस मिस्ट्री ही रहेंगे।

शौर्य ने किताबों में पढ़ा था कि डायनासोर म्यूटेटर के हमले के कारण मारे गए थे। लेकिन क्या वे पहले से ही म्यूटेटेड थे या फिर हमले के कारण म्यूटेशन हुआ था, यह कोई नहीं जानता था। इतिहास के इस रहस्य को कभी सुलझाया नहीं जा सका। शौर्य ने अपनी सोच को विराम दिया और अपने कमरे से बाहर निकल गया, जहां सभी उसका इंतजार कर रहे थे।

डॉक्टर अनिकेत, डॉक्टर अनन्या और प्रिंसिपल रंजीत वहां मौजूद थे। जैसे ही प्रिंसिपल रंजीत ने शौर्य को देखा, उनके चेहरे पर संतोष की मुस्कान आ गई। वे सभी कार में बैठकर स्कूल की ओर रवाना हो गए।

रास्ते में, प्रिंसिपल रंजीत ने डॉक्टर अनन्या से पूछा, "वैसे, हमारे वन स्टार सिटी का सबसे टैलेंटेड बच्चा कौन है, जो आगे तक बढ़ गया है?"

डॉक्टर अनन्या ने जवाब दिया, "मुझे इस बारे में पूरी जानकारी है। वह हमारे शहर के टॉप फाइव स्कूल्स में से एक से था। इतना टैलेंटेड था कि उसने मात्र 19 साल की उम्र में ही अपने न्यूरो सिस्टम को रीजेनेरेट कर लिया था। उसने वन स्टार सिटी को पार कर टू स्टार सिटी में प्रवेश कर लिया और हर साल टूर्नामेंट्स में उसकी उपलब्धियों को दिखाया जाता है। मुझे नहीं लगता कि इस शहर में उससे ज्यादा टैलेंटेड कोई और है।"

प्रिंसिपल रंजीत सहमति में सिर हिलाते हुए बोले, "सही कहा, डॉक्टर अनन्या।"

डॉक्टर अनन्या को हैरानी हो रही थी कि आखिर प्रिंसिपल रंजीत इस विषय में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहे थे, जबकि यह बातें यहां के बच्चों तक को पता थीं। कुछ ही देर में वे स्कूल पहुंच गए। स्कूल में प्रवेश करते ही प्रिंसिपल रंजीत की नजर एक आदमी पर पड़ी। वो कोई और नहीं।