शौर्य, क्या तुमने सच में न्यूरो कोड जनरेट कर लिया है?" डॉक्टर अनन्या शौर्य को देखते हुए पूछती हैं। इस वक्त सभी लोग घर लौट आए थे। अब शौर्य अपनी बहन के बड़े से फ्लैट में रहने वाला था, जो उसी का था। इसलिए शौर्य को अब इस बात की चिंता नहीं थी कि जब वो रात में टेलीपोर्ट होकर उस अजीब सी जगह जाएगा और सुबह वापस लौटेगा, तो कोई उसे देखेगा भी। वो बस अपने कमरे में बंद हो जाएगा और सुबह 9 बजे तक वापस आ जाएगा—बिलकुल चुपचाप।
शौर्य शहर के सबसे बड़े स्टोर से ढेर सारा खाना, मछलियाँ और फल खरीदता है। फिर वह स्कूल के जानवरों के पास जाता है और उन्हें खिलाता है। शौर्य ने मन ही मन जानवरों से वादा किया था कि अगर वे उसकी मदद करेंगे, तो वह उन्हें सबसे अच्छा और महंगा खाना खिलाएगा। इसलिए कुछ ऐसे जानवर भी जो पहले से टेम किए गए थे, वे भी शौर्य की मदद को आगे आ गए। अब वादा पूरा करने की बारी थी।
जानवरों को खाना खिलाने के बाद शौर्य घायल जानवरों से मिलने जाता है। वहाँ डॉक्टर प्रीति भी मौजूद होती हैं।
"शौर्य, क्या तुमने सच में इन सबको टेम कर लिया है?" डॉक्टर प्रीति हैरानी से पूछती हैं।
"नहीं डॉक्टर, ये सब बस मदद करने आ गए थे। शायद सबको लगता है कि मैंने इन्हें टेम कर लिया है," शौर्य शांत लहजे में जवाब देता है।
"तो फिर बताओ, जब ये जानवर तुम्हें डराकर भगा देते थे, तब अब इतने प्यार से क्यों देख रहे हैं? हिडन भी तुम्हें ऐसे देख रही है जैसे वो तुम्हारे साथ घर चलना चाहती हो!" डॉक्टर प्रीति मुस्कुराकर कहती हैं।
शौर्य उस हिरण को देखता है और समझ जाता है कि ये जानवर अब उसे इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि वो उनकी भाषा समझ सकता है। और कौन नहीं रहना चाहेगा ऐसे इंसान के साथ जो आपकी बात समझ सके?
इसके बाद शौर्य डॉक्टर प्रीति के साथ मिलकर घायल जानवरों की मदद करता है। समय का पता ही नहीं चलता और कब 10 बज जाते हैं, किसी को एहसास नहीं होता।
"शौर्य, अब तुम्हें घर जाना चाहिए। मैं भी कुछ जानवरों को दवा देकर निकल रही हूँ," डॉक्टर प्रीति कहती हैं।
शौर्य घर लौटता है। घड़ी में 11 बज चुके होते हैं और उसकी बहन अनन्या उसका इंतज़ार कर रही होती है।
"शौर्य, चलो आज साथ में खाना खाते हैं," अनन्या मुस्कुराकर कहती है।
"दीदी, देखो... मतलब मैं अभी-अभी आपके साथ रहने आया हूँ, शायद आपको मेरे रूटीन का पता नहीं। अगर मैं लेट आऊँ तो प्लीज़ आप खाना खा लिया करो," शौर्य थोड़ा झिझकते हुए कहता है।
"आज पहला दिन है, थोड़ा इंतज़ार तो बनता है। भूख को समझा लिया मैंने कि आज भाई के साथ खाना है," अनन्या प्यार से जवाब देती है।
शौर्य मुस्कुरा देता है और फिर दोनों साथ में खाना खाते हैं। शौर्य को वो दिन याद आते हैं जब उसे खाना खरीदने के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़ते थे, और कितनी बार उसे उन कामों से निकाल भी दिया गया था। लेकिन अब हालात बदल चुके थे—अब उसकी बहन एक डॉक्टर है, और उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है।
और सबसे बड़ी बात—शौर्य ने न्यूरो कोर जनरेट कर लिया है।
न्यूरो कोर जनरेट करना किसी इंसान को सामान्य मानव सभ्यता से आगे ले जाता है। ये ताकत का वो स्तर होता है जहाँ इंसान 'नॉर्मल' नहीं रहता। न्यूरो कोर के ज़रिए कोई भी अपनी शक्ति बहुत आगे तक बढ़ा सकता है। और अगर वो ब-टेमर हुआ, तो जानवरों के न्यूरो कोर को इस्तेमाल करके अपनी क्षमता और तेज़ी से बढ़ा सकता है।
न्यूरो कोर के दो मुख्य स्तर होते हैं—**क्लासिक लेवल** और **फाइटर लेवल**। ये दोनों ही बेहद खतरनाक होते हैं। शौर्य को अभी तक ये नहीं पता कि वो किस स्तर पर है—क्लासिक का लेवल 1 या 2—लेकिन उसकी बहन, जो पिछले चार साल से न्यूरो कोर जनरेट कर चुकी है, क्लासिक लेवल के आठवें स्तर पर है। वो अकेले ही कई लोगों को एक पंच में गिरा सकती है।
जंगल में मौजूद मॉन्स्टर्स का शुरुआती स्तर ही फाइव-स्टार क्लासिक लेवल से शुरू होता है। इसलिए अगर शौर्य को वहां ज़िंदा रहना है, तो उसे अपनी ताकत बहुत तेज़ी से बढ़ानी होगी। नहीं तो वो जंगलों में या उस अजीब टाइम-जंप वाली जगह में ज़िंदा नहीं रह पाएगा।
अचानक शौर्य को कुछ याद आता है। वो खाना अधूरा छोड़ देता है।
"दीदी, मुझे बहुत नींद आ रही है, मैं सोने जा रहा हूँ," कहकर वो तेजी से अपने कमरे की ओर चला जाता है।
---
सुबह से अब तक बहुत तमाशा हो गया था। शौर्य अपनी बहन को देखते हुए बोला, "दीदी, अब बस करो ना। बहुत शोर हो गया है।"
उस वक्त रात के 12 बजने में बस 5 मिनट बाकी थे।
"ठीक है, मैं समझ सकती हूं। तुम जाओ और आराम से सो जाओ। सुबह तुम्हारा स्कूल है, 10 बजे से। याद है ना?" अनन्या ने मुस्कराते हुए कहा।
"दीदी, मैं सालू के साथ स्कूल जा रहा हूं। टाइम मुझे कैसे नहीं पता होगा?" शौर्य इतना बोलकर जल्दी-जल्दी अपने कमरे में घुस गया और दरवाज़ा लॉक कर लिया।
"सिर्फ एक मिनट बाकी है..." शौर्य खुद से बुदबुदाया और फिर अपने जरूरी सामान जैसे खाना, पानी और कुछ ज़रूरी चीज़ें लेकर तैयार हो गया। उसने सब कुछ अपनी बॉडी से चिपका कर रखा था। पिछली बार जब वह टेलीपोर्ट होकर जंगल में गया था, तो उसे इतनी प्यास लगी थी कि वह पूरी रात बिना पानी के तड़पता रहा था।
12 बजते ही शौर्य के सीने से एक तेज़ रोशनी फूटी और वह उसी रोशनी में गायब हो गया।
जैसे ही रोशनी हटी, शौर्य खुद को उसी अंधेरे, डरावने जंगल में खड़ा पाया। उसने फटाफट अपने हाथ चेक किए — खाना और पानी सही सलामत थे। वह राहत की सांस लेता है और पेड़ की तरफ बढ़ता है। उसी पुराने मोटे पेड़ के पास वह बैठ जाता है और धीरे-धीरे खाना खाने लगता है।
"काश थोड़ा और आराम से खा पाता," शौर्य मन ही मन बड़बड़ाया। उसे याद आया कि उसे हर हाल में इस जंगल में आना ही होता है, चाहे वह चाहे या नहीं। इसलिए वह जल्दी में बस खाना समेटकर आ गया था। मगर कुछ स्नैक्स उसने जेब में छिपा लिए थे, जिन्हें अब वह मज़े से खा रहा था।