Chapter 16

खाने के बाद पानी पीकर वह वहीं पेड़ के नीचे लेट गया, "कितने दिन हो गए… नींद ही नहीं ली। आज तो चैन की नींद लूंगा।" ये कहते ही शौर्य लंबी अंगड़ाई लेकर सो गया।

करीब 3-4 घंटे बाद, किसी आवाज़ से उसकी नींद खुलती है। उसने आंखें खोलीं, तो सामने एक मोटा सा कीड़ा था। वह डर गया — ये उसका अपना कीड़ा था या कोई जंगली?

शौर्य ने अपने हाथ आगे किए, उसे बुलाने की कोशिश की, पर वह नहीं आया।

"मतलब ये मेरा ही कीड़ा है…" शौर्य ने राहत की सांस ली।

मगर तभी कीड़ा बोला, "चुपचाप रहो! और हां, मोटा कीड़ा? ये कैसा नाम है मेरे लिए? तुम्हारे दिमाग में मेरा नाम यही है?"

"सॉरी, सॉरी! लेकिन ये बताओ कि तुम इतने सीरियस क्यों हो?" शौर्य बोला।

"एक्चुअली, एक डायनासोर यहां घूम रहा है। बड़ा है, मैं अकेले उसे नहीं मार सकता और ना ही खा सकता। और अभी वो इस पेड़ के पीछे है। इसलिए ज़रा भी मत हिलना।"

ये सुनकर शौर्य के पसीने छूटने लगे। वह कांपता रहा और धीरे-धीरे सांसें लेने लगा।

तभी वह मोटा कीड़ा ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा, "उल्लू बनाया! बड़ा मजा आया!"

वो पेड़ के नीचे लोटपोट होकर हंस रहा था।

शौर्य को गुस्सा आया, "आधा घंटा डर के मरा जा रहा था मैं!"

वह मोटे कीड़े को उठाता है और उसे आसमान में फेंक देता है।

मगर कुछ ही देर में शौर्य को पीछे से आवाज़ आती है। वह मुड़कर देखता है — वही मोटा कीड़ा उसकी ओर दौड़ा चला आ रहा था।

"अबे पागल! मैंने इसे मास्टर बना लिया, अब ये मुझे ही फेंक रहा है!" कीड़ा चिल्लाता है।

शौर्य को अब उस कीड़े के पीछे भागता हुआ एक डायनासोर भी दिखा। छोटा था, मगर उसके पंख थे।

"अरे, इसे तो खा सकते हो! छोटा है!" शौर्य चिल्लाता है।

"इतनी स्पीड में घूमता है कि मैं झपट्टा भी मारूं तो चूक जाऊं। और अगर उसने मुझे पकड़ लिया तो उसके दांतों में मैं फंस जाऊंगा।"

कीड़ा अब शौर्य के साथ भागने लगा।

उसकी स्पीड देखकर शौर्य हैरान रह गया।

वह सीधे ज़मीन में सुराख बनाकर उसमें घुस गया और शौर्य से आगे निकल गया।

"धोकेबाज़! तूने मुझे मास्टर बनाया और अब खुद ही भाग रहा है!"

शौर्य चिल्लाया लेकिन कीड़ा रुका नहीं।

पीछे से डायनासोर की धमकती कदमों की आवाज़ें और भी पास आने लगीं।

अब शौर्य जान बचाने के लिए और तेज़ी से दौड़ने लगा।

शौर्य की स्पीड बहुत तेज़ नहीं थी। तभी उसने अपने कंधे और पीठ पर किसी के नुकीले पंजे महसूस किए, जैसे किसी जानवर ने उसे बुरी तरह नोच डाला हो। दर्द से कराहता हुआ शौर्य ज़मीन पर लुढ़कता हुआ गिर गया। वह तुरंत पीछे मुड़ा तो देखा—एक अजीब-सा छोटा डायनासोर उसे घूर रहा था। उसके छोटे हाथों से हल्के पंख निकल रहे थे, पूंछ उसके शरीर से कहीं ज़्यादा लंबी थी, और उसकी आंखों में गुस्से की आग जल रही थी।

"तुम्हारी इतनी हिम्मत कि मेरी नींद खराब की?" डायनासोर गुर्राया।

"नहीं! मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था... मैं बस अपने दोस्त को बाहर फेंक रहा था क्योंकि वो मुझे तंग कर रहा था।"

शौर्य की बात सुनकर डायनासोर हैरान रह गया। "तुम... मेरी बात समझ सकते हो?"

"हां, मैं मॉन्स्टर्स और डायनासोर की भाषा समझ सकता हूं," शौर्य ने जवाब दिया।

"और इससे मुझे क्या फायदा? क्या इससे मेरा पेट भर जाएगा?" कहते ही वह डायनासोर उस पर झपटा।

शौर्य को इस हमले की उम्मीद नहीं थी। लेकिन तभी, ज़मीन के नीचे से कुछ हलचल हुई। एक मोटा कीड़ा अचानक ज़मीन फाड़कर निकला और डायनासोर के पैर से चिपककर उसे खाने लगा।

"छोड़ मुझे! छोड़!" डायनासोर दर्द में चीखता है।

वो कीड़ा उसके लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा था। डर के मारे डायनासोर भागने लगा, जिससे कीड़ा उसका पीछा छोड़ नीचे गिर गया। मगर अब वो डायनासोर और ज़्यादा गुस्से में था और फिर से शौर्य पर झपटने को तैयार।

इस बार मोटा कीड़ा शौर्य के कंधे पर चढ़ चुका था, जैसे किसी मौके की तलाश में हो। तभी हवा में से एक लंबा तीर आकर डायनासोर की पीठ में गहराई तक धंस गया। वो चीखता हुआ ज़मीन पर गिरा और हांफने लगा। उसकी आंखें अब भी सिर्फ शौर्य को देख रही थीं।

शौर्य की सांसें तेज़ हो गईं। वह डर गया था कि अगला तीर कहीं उसी पर न लगे।

फिर किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। शौर्य चौंकते हुए पीछे मुड़ा—एक हट्टा-कट्टा, बुज़ुर्ग आदमी खड़ा था। चेहरा सख्त, पर नजरों में अनुभव की गहराई थी।

"ये जंगल बच्चों के लिए नहीं है। तुम यहां इतने रात गए क्या कर रहे हो?" उसने सख्त लहजे में पूछा।

"मैं... मैं भटक गया था," शौर्य ने जल्दी से जवाब दिया।

वो बुज़ुर्ग डायनासोर की ओर बढ़ा, उसे ध्यान से देखा और बोला, "तुम्हारी किस्मत अच्छी है, बच्चे। ये 'डायनासोर ' है। आमतौर पर ये झुंड में रहते हैं, कम से कम तीन होते हैं। पर ये अकेला है, ये तो अजीब बात है।"

"मैंने इसे ज़हर वाला तीर मारा है। अब शायद ही बचे। हां, अगर ये मुझे अपना मास्टर चुन ले, तो शायद बच जाए।"

बुज़ुर्ग ने उसके सिर पर हाथ रखने की कोशिश की, लेकिन डायनासोर ने उसकी कलाई को चबा डालने की कोशिश की।

"जिद्दी है... लेकिन अब मरने वाला है।"

उसी समय कुछ बच्चे पेड़ से नीचे उतरकर वहां पहुंचते हैं, जो सब कुछ ऊपर से देख रहे थे।

"तुम तो काफी तेज़ भागते हो!" एक लड़का हँसते हुए बोला।

"थैंक यू... असल में मैं रास्ता भटक गया हूं। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?" शौर्य ने घबराते हुए कहा।

"अगर हमारे कबीले में रहना है, तो खुद को साबित करना होगा। हम अपने साथ किसी बेकार को नहीं रखते," बुज़ुर्ग गंभीरता से बोला।

"मुझे थोड़ा समय दीजिए। मैं खुद को साबित कर दूंगा। अगर हमेशा के लिए नहीं तो कुछ दिन के लिए ही सही, मुझे अपने साथ रख लीजिए।" शौर्य की आवाज़ में विनम्रता थी।

तभी दो छोटी बच्चियाँ वहां आईं। उनमें से एक बोली, "दादू, चलिए ना, इसे अपने साथ ले चलते हैं। हो सकता है ये किसी हाई रैंक वाले कबीले से हो। अगर ऐसा हुआ तो हमें इनाम मिल सकता है!"

बुज़ुर्ग की आंखों में चमक आ गई। उसने बच्चियों के सिर सहलाए और बोला, "शायद तुम सही कह रही हो। इसके कपड़े भी बाकी लोगों से अलग हैं। हो सकता है..."

फिर उसने शौर्य की ओर देखा, "ठीक है बच्चे, मैं तुझे अपने साथ ले चलता हूं। लेकिन एक बात ध्यान रखना—हमारे कबीले के बुज़ुर्ग बहुत सख्त हैं। उन्हें समझाना तुम्हारी जिम्मेदारी है।"

"जी… जैसा आप कहें।"

दोनों बच्चियों ने शौर्य का हाथ थाम लिया और उसकी तरफ मुस्कराकर बोलीं, "तो अब ये हमारे साथ चलेगा!"

"ठीक है, चलो," बुज़ुर्ग बोला और चल पड़ा।

"लेकिन दादू, उस डायनासोर का क्या करें?" एक लड़के ने पीछे से पूछा।

"मरने दो। जब मेरे साथ आने से मना कर दिया, तो अब भुगते," उसने नज़रें फेर लीं।

"लेकिन शौर्य, तुम इसका तीर निकालकर ले आओ," बुज़ुर्ग ने आदेश दिया।

शौर्य धीरे-धीरे उस तड़पते हुए डायनासोर के पास गया, जो अब भी सिर्फ उसी को देख रहा था...