Chapter 17

शौर्य धीरे-धीरे उस विशाल वेनस एडॉप्टर डायनासोर की तरफ बढ़ रहा था। वो बुरी तरह घायल था—उसकी साँसें उखड़ रही थीं, और उसकी आंखों में एक अजीब सी नाराज़गी और थकावट थी।

"क्या हुआ?" डायनासोर ने फटी-फटी आंखों से शौर्य को देखते हुए कहा, "तुम भी मुझे पालतू बनाने आए हो? मुझे पता था… सारे इंसान एक जैसे होते हैं।"

उसने खून की उल्टी की और ज़मीन पर सिर पटकते हुए फिर से उठने की नाकाम कोशिश की। उसका पूरा शरीर नीला पड़ चुका था—ज़हर उसकी नसों में दौड़ चुका था। उसकी मांसपेशियाँ जवाब दे चुकी थीं, और लकवे के कारण वो एक इंच भी हिल नहीं पा रहा था।

शौर्य वहीं खड़ा रहा, उसकी आंखों में दर्द झलक रहा था।

"देखो, मुझे नहीं पता तुम्हारे दिमाग में इंसानों की क्या छवि है, लेकिन मैं उन सब जैसा नहीं हूं। मैं तुम्हारा दर्द समझ सकता हूं," शौर्य की आवाज़ में सच्चाई थी।

डायनासोर ने उसकी तरफ देखा… पर कुछ नहीं कहा।

"अगर तुम्हें मेरी बात पर यकीन नहीं करना, तो मत करो। पर अगर तुमने भरोसा नहीं किया, तो तुम मर जाओगे," शौर्य की आवाज़ इस बार थोड़ी सख्त थी।

डायनासोर ने इस बार आंखें बंद कर लीं—मानो मौत को स्वीकार कर चुका हो।

"तुम मेरी बात क्यों नहीं समझ रहे?" शौर्य की आवाज़ कांप गई, "मुझे तुम्हें यूं मरता हुआ देखना अच्छा नहीं लग रहा… अगर तुम्हें बचना है, तो मेरे साथ चलो।"

उसके शब्द सुनकर डायनासोर ने फिर से आंखें खोलीं, और इस बार शौर्य को बेहद घिन से देखा।

"आख़िरकार… औकात पर आ ही गए। तुम्हारा भी मक़सद वही है, मुझे पालतू बनाना…" कहकर उसने मुंह फेर लिया।

उसी वक्त, शौर्य की कमीज़ के अंदर से वो मोटा कीड़ा धीरे-धीरे बाहर आया और कंधे पर चढ़ गया।

"तू इसके पीछे क्यों टाइम बर्बाद कर रहा है? चल यहां से! अगर वो बूढ़ा वापस आ गया या हमें छोड़ गया, तो?" मोटा कीड़ा गुस्से में बड़बड़ाया, "तेरे पास बस एक रास्ता है—कबीले जाना। इंसानों के साथ कम से कम सेफ रहेगा, वरना रोज़ ऐसे गधे मिलते रहेंगे।"

शौर्य ने बिना कुछ कहे उस मोटे कीड़े के सिर पर ज़ोर से एक थप्पड़ मार दिया।

"बकवास बंद कर… दिख नहीं रहा, वो दर्द में है।" उसकी आवाज़ में गुस्सा था।

वेनस एडॉप्टर ने आंखें खोलीं और पहली बार ध्यान से शौर्य को देखा। शायद पहली बार उसे यकीन हुआ कि ये इंसान अलग है।

"ठीक है… ठीक है, डांटना बंद कर। मैं एक बार कोशिश करता हूं…" मोटा कीड़ा कहता हुआ डायनासोर के सिर पर चढ़ गया।

"अगर तू शौर का पालतू नहीं बना, तो मैं तेरी आंखें फोड़ दूंगा!" वह चिल्लाया।

शौर्य ने माथा पकड़ लिया, और फिर गुस्से में उसे पकड़ कर दूर फेंक दिया। "क्यों भेज दिया मैंने तुझे वहाँ!" वो चिल्लाया।

टप… टप… की आवाज़ के साथ कीड़ा दूर जा गिरा।

डायनासोर हल्के से मुस्कराया। "अजीब बात है… तू उसका मालिक है, फिर भी वो तुझे सुनता नहीं।"

"मैंने कहा ना… मैं बाकियों से अलग हूं," शौर्य धीमे स्वर में बोला, "मैं नहीं जानता क्यों… लेकिन जिन बीस्ट्स को मैं टेम करता हूं, वो मुझे कभी मालिक नहीं समझते। शायद इसलिए कि मैं उन्हें दोस्त मानता हूं।"

"ये कैसे हो सकता है?" डायनासोर चौंका। "हर बीस्ट टेमर जब किसी को टेम करता है, वो उसका गुलाम बन जाता है… उसकी हर बात मानता है—even अगर उसे मरने का हुक्म दे।"

शौर्य कुछ देर शांत रहा, शायद सोच में डूबा हुआ।

तभी वो मोटा कीड़ा फिर से पास आया और झल्लाते हुए बोला, "आज के बाद मैं तेरी कोई मदद नहीं करूंगा… देख लेना!"

शौर्य ने उसे प्यार से उठाया, मुस्कराया और बोला, "अच्छा सुनो… तालाब दिख रहा है? उसमें जाकर डूब जाओ… और मर जाओ।"

वो हँसते हुए उस कीड़े को देखता रहा… और डायनासोर अब एकदम शांत, गहराई से उसे निहार रहा था।

वो मोटा कीड़ा कभी तालाब की तरफ देखता, तो कभी शौर्य को अजीब, बड़ी आंखों से घूरता।

"क्या तुम भी मेरे साथ तालाब में डूबने चलोगे?"

शौर्य उसकी बात सुनकर थोड़ी देर शांत रहा और फिर बोला, "अगर यही सही रास्ता है, तो मैं चलने को तैयार हूं।"

अगले ही पल, वो मोटा कीड़ा अचानक पत्थर की तरह उछलकर शौर्य के चेहरे पर हमला कर देता है। शौर्य का मुंह लाल हो जाता है।

"पागल समझ रखा है क्या? तालाब में जाकर डूब जाऊं और मर जाऊं? ये क्या कमांड हुई?" शौर्य गुस्से में बोला।

वो मोटा कीड़ा ठहरकर शौर्य को घूरता है और फिर एक चमकती हुई रोशनी में बदलकर वहीं से गायब हो जाता है।

लेकिन हैरानी की बात ये थी कि शौर्य उस पूरे वाकये के बाद हल्का-सा मुस्कुरा रहा था।

"उस मोटे कीड़े ने तुम्हारी बात नहीं मानी और तुम फिर भी मुस्कुरा रहे हो? तुम्हारे अंदर इतना भी दिमाग नहीं है? अगर कोई बीस्ट तुम्हारी बात नहीं मान रहा, तो तुम बीस्ट टेमर कहलाने के लायक नहीं हो!"

डायनासोर जैसे बीस्ट ने शौर्य से झुंझलाकर कहा।

लेकिन तभी उसकी नजर इधर-उधर घूमती है और वो थोड़ा हैरान होता है,

"एक मिनट... वो मोटा कीड़ा कहां गया? वो तो रोशनी में बदला था... इसका मतलब क्या तुम्हारे पास न्यूरो कोर है?!"

शौर्य ने शांत स्वर में कहा, "हां, है।"

यह सुनकर डायनासोर की आंखें हैरानी से और भी चौड़ी हो गईं।

"लेकिन तुम तो अभी बच्चे हो! तुम न्यूरो कोर कैसे जनरेट कर सकते हो?"

वो अभी उलझन में ही था कि अचानक उसका चेहरा पीला पड़ने लगा। वह अपना गला पकड़ता है जैसे कुछ रुक गया हो।

शौर्य हैरान होकर उसे देख रहा था।

"मुझे नहीं पता ये न्यूरो कोर मुझमें कैसे आया... लेकिन जो भी बीस्ट मेरे साथ आता है, वो मेरा दोस्त बनकर रहता है, न कि गुलाम।"

शौर्य के इतना कहते ही वो डायनासोर लड़खड़ाने लगा। उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद हो रही थीं। लेकिन आखिरी पल में उसने पूरी ताकत लगाकर कहा,

"तुम... तुम बाकियों जैसे नहीं हो... तुम... अलग हो..."

इतना कहकर उसकी आंखें पूरी तरह बंद हो गईं। शौर्य उसकी लंबी-लंबी सांसें सुन पा रहा था। वह उसके पास जाकर घुटनों के बल बैठ गया और उसका चेहरा सहलाया।

"कोई बात नहीं... अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं था, तो भी कम से कम इस अंतिम वक्त में कोई तो है तुम्हारे साथ।"

शौर्य उसकी ओर मुस्कुरा कर देख रहा था, लेकिन भीतर ही भीतर बहुत दुखी था। तभी उसने देखा, उस डायनासोर की पूरी देह से रोशनी निकल रही है ।