उस डायनासोर की पूरी देह से रोशनी निकल रही है और वह रोशनी शौर्य के हाथों में समा जाती है।
"अरे यार..." शौर्य बस इतना ही कह पाया।
उसने आंखें बंद कीं और न्यूरो कोर में ध्यान केंद्रित किया। वहाँ वो डायनासोर खुद को धीरे-धीरे हील कर रहा था।
"पता नहीं मेरे साथ जो भी बीस्ट आते हैं, वो इतने अजीब क्यों होते हैं... और फिर भी मुझे ही अजीब समझते हैं," शौर्य मन ही मन सोचता है।
वह ज़मीन से वो तीर उठाता है जो गिरा हुआ था, और तेजी से उसी दिशा में दौड़ता है जहाँ बूढ़ा आदमी और उसके बच्चे गए थे। कुछ ही देर में वह उन्हें देख लेता है। वे सब उसका इंतज़ार कर रहे थे।
"क्या हुआ बच्चे? उस डायनासोर से डर लग गया था क्या?"
वो बूढ़ा आदमी मुस्कराते हुए बोला।
"वैसे यह तुम्हारी परीक्षा थी। अगर तुम यह तीर नहीं ला पाते, तो इसका मतलब होता कि तुम डरपोक हो और हमारे कबीले के लायक नहीं हो।"
शौर्य भी मुस्कराया और बोला,
"अच्छा हुआ कि मैं ये तीर ले आया। वरना शायद अब मैं आपके साथ यहां नहीं होता।"
"हमने अभी तक एक-दूसरे का नाम भी नहीं पूछा," बूढ़ा आदमी बोला, "तुम्हारा नाम क्या है बेटा?"
"मेरा नाम शौर्य है। और आपका?"
"मेरा नाम हरिवंश है। ये चारों मेरे पोते-पोतियाँ हैं। इसका नाम उत्तम है, इसका नाम प्रिंस। और ये दो जुड़वां बच्चियाँ — सोना और सोनी। बहुत शरारती हैं ये दोनों। शायद आगे चलकर तुम्हें थोड़ी परेशान भी करें।"
"कोई बात नहीं... बच्चे तो ऐसे ही होते हैं," शौर्य मुस्कराकर बोला।
तभी वह झिझकते हुए पूछता है, "वैसे हरिवंश अंकल..."
"देखो बेटा," बूढ़ा आदमी बात काटते हुए बोला, "मुझे आदत नहीं कि कोई मुझे नाम से बुलाए। कबीले में सब मुझे 'बाबा' कहते हैं। तुम भी मुझे बाबा बुला सकते हो।"
शौर्य थोड़ा अजीब-सा महसूस करता है, लेकिन फिर मुस्कराकर कहता है,
"ठीक है बाबा। अब मैं आपको बाबा ही कहूंगा।"
वैसे बाबा, एक बात बताइए – क्या कबीले भी रैंकिंग के हिसाब से डिवाइडेड होते हैं? मतलब, इस जंगल में भी?
शौर्य थोड़ा कन्फर्म होने के लिए उस बाबा से पूछता है।
"हाँ, शायद तुम यहाँ नए हो। वैसे तुम आए किस कबीले से हो? जहाँ पर तुम्हें ये सब सिखाया ही नहीं गया... या फिर तुम्हारी ट्रेनिंग अभी चल रही है?"
वो बूढ़ा, जिसका नाम हरिवंश है, शौर्य को गौर से देखते हुए कहता है,
"वैसे तुम अभी छोटे ही तो हो... कितने साल के हो? 16–17?"
"जी, मैं उसी के बीच में हूँ।"
शौर्य मुस्कुराते हुए जवाब देता है। उसने अपनी असली उम्र नहीं बताई।
असल में तो शौर्य अभी सिर्फ 14 साल का है – और एक-दो महीने में 15 का होने वाला है। लेकिन वो दूसरों से ज़्यादा बड़ा लगता है क्योंकि उसने न्यूरो कोर जनरेट कर लिया है।
अगर किसी ने सुन लिया कि किसी लड़के ने 14–15 की उम्र में न्यूरो कोर बना लिया है तो वो तो अपने ही बाल नोच लेगा!
"वैसे शौर्य भैया… वो डायनासोर अभी जिंदा होगा?"
सोना और सोनी दोनों उसके पास आती हैं और उसका एक-एक हाथ पकड़ लेती हैं।
इस वक्त उनके चेहरे पर मासूमियत साफ़ झलक रही थी… और आंखों में चांद की रोशनी में चमकते हुए आँसू।
"हाँ, वो जिंदा था…"
शौर्य का इतना कहना था कि दोनों बच्चियां रोते हुए अपने दादू के पास भागती हैं।
"दादू, वापस चलते हैं ना! उसे उठा कर ले आते हैं। वो जिंदा था! आप भविष्य में उसे टेम कर लेना, लेकिन उसे मरने मत देना…"
दोनों बूढ़े को देखकर कहती हैं।
"काश ऐसा कर पाता बेटा… लेकिन जंगल में अभी तक कोई म्यूटेंट जानवर या डायनासोर उसे खा चुका होगा। अब उसके पास लौटने का कोई मतलब नहीं। वैसे भी हम कबीले के काफी नज़दीक आ चुके हैं।"
हरिवंश की बात सुनकर शौर्य चारों तरफ़ नज़र घुमाने लगा।
उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था।
पर अब उसे राहत महसूस हो रही थी कि सबको यही लग रहा है कि वो डायनासोर मर चुका है।
उधर, शौर्य अपने न्यूरो कोर में साफ़ महसूस कर पा रहा था कि वो डायनासोर अभी भी जीवित है और अपने आप को हील कर रहा है।
लेकिन उसे ठीक होने में कुछ वक्त लगेगा।
"वैसे बाबा, आपने कहा हम कबीले के पास आ गए हैं, लेकिन यहाँ तो कुछ दिख ही नहीं रहा…"
शौर्य चारों तरफ़ देखता हुआ पूछता है।
"हाँ हाँ, जानता हूँ… अगर तुम थोड़ा *नीचे* देखो तो…"
बूढ़ा आदमी मुस्कुराता है।
शौर्य नीचे झाँकता है, लेकिन उसे तब भी कुछ नहीं दिखता।
"आह! कितना बेवकूफ़ बच्चा है…"
हरिवंश हँसते हुए कहता है, और बाकी बच्चे भी शौर्य को देखकर हँसने लगते हैं।
"मेरा मतलब था… थोड़ा आगे जाकर देखो।"
शौर्य थोड़ा आगे बढ़ता है, जहाँ एक ढलान थी।
वहाँ से नीचे झाँकते ही उसे बहुत ज़्यादा रोशनी नज़र आती है।
नीचे एक कबीला था – किसी गाँव जैसा।
चारों तरफ़ मशालें जल रही थीं, लोग अपने-अपने काम में व्यस्त थे।
बहुत सारे सैनिक मशालों के साथ पहरा दे रहे थे, ताकि कोई म्यूटेंट बीस्ट या डायनासोर हमला ना कर दे।
"यह है तुम्हारा कबीला…"
हरिवंश कहता है।
"लगता है आपने कभी कबीला देखा ही नहीं। वैसे तुम्हें देखकर अजीब लगता है – तुम्हारा पहनावा, तुम्हारा नेचर… लगता नहीं कि तुम इस दुनिया के हो।"
"मैं बहुत दूर से आया हूँ… अपने परिवार के साथ… लेकिन हम बिछड़ गए।
पर मैं जानता हूँ कि वो लोग ठीक हैं।
अगर आप मुझे यहाँ रहने दें, और मेरा परिवार मुझे ढूँढते हुए यहाँ आ गया, तो आपको बहुत बड़ा इनाम मिल सकता है।"
शौर्य की इस बात पर बूढ़े की आँखों में चमक आ जाती है।
असल में वो शौर्य को इसी इरादे से कबीले तक लाया था, लेकिन अब तो शौर्य ने खुद ही वही कहानी कह दी जो वह सुनना चाहता था।
"अगर ये सच में किसी बड़े कबीले से है तो… अच्छा ही है…"
हरिवंश मन ही मन सोचता है।
इसके बाद सब लोग कबीले के गेट पर पहुँचते हैं।
वहाँ पाँच सिपाही दो विशाल खंभों के पास खड़े थे, उनके हाथ में भारी भरकम भाले थे – ऐसे जैसे वो उनके शरीर का हिस्सा हों।
शौर्य उनकी बॉडी देखकर चौंक जाता है – वो बहुत ताकतवर और खतरनाक दिख रहे थे।
"अगर ये लोग हमारी दुनिया में होते तो… लड़कियाँ इन्हें देखकर ही पागल हो जातीं…"
शौर्य मन ही मन सोचता है।
सिपाही एक-एक कर सबको चेक करते हैं।
शौर्य की बारी आती है तो हरिवंश उन्हें समझा देता है कि वो कौन है और कितने दिन यहाँ रहेगा।
इसके बाद सबको एंट्री मिल जाती है।
"चलो शौर्य… अब हम कबीले में आ गए हैं।
पर ध्यान रखना… किसी को अफेंड मत करना।
अभी तुम कमजोर हो… और यहाँ ताकतवर लोग कमजोर पर हावी होना पसंद करते हैं।
कल सुबह तैयार रहना…"
"कल तुम्हें हमारे बुज़ुर्ग से मिलना होगा," वो बूढ़ा आदमी शौर्य की तरफ देखते हुए बोला। "उन्हें एक्सप्लेन करना होगा कि तुम यहां कैसे आए, कितने वक्त तक यहां रहने वाले हो... और यहां रहने के बदले तुम उन्हें क्या दे सकते हो।"
शौर्य थोड़ी उलझन में पड़ गया, "मतलब दिन में मिलना होगा? क्या मैं रात में नहीं मिल सकता? मैं... मैं पिछले दो दिनों से ठीक से सोया नहीं हूं। जंगल में फंसा हुआ था, और अब थकान से हालत खराब है। अगर आप इजाजत दें तो मैं सुबह सो जाऊं और रात को उस बुज़ुर्ग से मिल लूं।"
शौर्य की बात सुनकर बाकी लोग थोड़े सोच में पड़ गए, लेकिन सहमति में सिर हिलाने लगे। मगर जैसे ही शौर्य ने बुज़ुर्ग को लेकर हल्का सा मजाक करना शुरू किया, बूढ़ा आदमी फौरन उसका मुंह अपने हाथ से ढक देता है और चारों ओर घबराई नजरों से देखने लगता है।
"शौर्य बेटा," वह धीरे से फुसफुसाता है, "यहां बुज़ुर्ग के बारे में कुछ मत कहना। बहुत बड़ी मुसीबत हो सकती है। ये पूरा कबीला उन्हीं की वजह से बना हुआ है। किसी में हिम्मत नहीं है उनके खिलाफ कुछ बोलने की। लेकिन असली खतरा वो नहीं... उनके दोनों बेटे हैं। और उनकी एक बेटी भी।"
"वो दोनों बेटे बहुत ही खतरनाक हैं। जान लेने में एक पल भी नहीं लगाते। इसलिए तुम्हें उनसे जितना दूर रह सको, रहो।"
वह बूढ़ा आदमी एक बार फिर शौर्य को ऊपर से नीचे तक देखता है।
"वैसे तुम्हारा पहनावा बहुत अच्छा है। लड़कियां तो तुम्हारे पीछे दीवानी हो जाएंगी। लेकिन सामने से जितना अच्छा लग रहा है, पीछे से लग रहा है जैसे किसी ने तुम्हारी इज्ज़त लूट ली हो। शायद उस डांसर ने पीठ पर वार किया था, है न?"
शौर्य फौरन अपने पीछे हाथ ले जाता है और देखता है कि उसके कपड़े फटे हुए हैं और पीठ पर हल्की-सी खरोंच भी है, जिससे थोड़ा-थोड़ा खून भी निकल रहा है।
"डरने की ज़रूरत नहीं," बूढ़ा आदमी हंसते हुए बोला, "वेनस डांसर के हाथ बहुत छोटे होते हैं। चोट ज्यादा गहरी नहीं है। जल्दी ठीक हो जाएगी। लेकिन तुम्हारा दर्द सहने का तरीका... मुझे हैरानी हुई। बिना चीखे सब सह लिया। तुम्हारे जैसी पीढ़ी हम जैसे बूढ़ों को भी पीछे छोड़ सकती है।"
शौर्य मुस्कराया ही था कि अचानक बाजार में हलचल मचने लगी। सब लोग किसी को रास्ता देने के लिए एक तरफ हटने लगे।
"मर गए... वो दोनों आ रहे हैं!" बूढ़ा आदमी घबराते हुए बोला।
चारों तरफ हड़कंप मच गया। तभी सामने से लकड़ी की बनी एक बड़ी सी गाड़ी आती दिखी, जिसे दो छोटे डायनासोर खींच रहे थे, जो घोड़ों जैसे दिखते थे।
गाड़ी ठीक शौर्य के सामने आकर रुक जाती है।
"तुम्हारी इतनी हिम्मत कि हमारी तरफ देखकर खड़े हो?" टांगे के ऊपर से एक गुस्से से भरी आवाज आई।
बूढ़ा आदमी तुरंत शौर्य की तरफ मुड़ता है, लेकिन शौर्य तो उस वक्त ऊपर देखकर खोया हुआ था।
वो किसी और को नहीं, बल्कि उस गाड़ी पर बैठी लड़की को देख रहा था। वो लड़की बेहद खूबसूरत थी। उसके हाथ दूध जैसे सफेद और चेहरे पर अद्भुत नूर था।
शौर्य की नजर उसी पर टिकी थी, इसलिए उसने ऊपर वाले लड़के की बात को पूरी तरह अनसुना कर दिया।
यह देखकर उस लड़के का गुस्सा और भी भड़क गया।