शौर्य के ठीक सामने दो नौजवान आकर खड़े हो गए थे—चेहरे पर गुस्से की आग, आँखों में नफ़रत की चमक।
"तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन पर गलत नज़र डालने की?" एक ने दहाड़ते हुए कहा।
"अब इसका जवाब तुझे अपनी मौत से देना होगा!" दूसरे ने झपटते हुए कहा।
दोनों शौर्य की ओर बढ़ने लगे ही थे कि तभी बूढ़ा आदमी तेजी से उसके आगे आ गया, और उसे पीछे ढकेलते हुए बोला, "छोटे मालिक... ये लड़का नया है... इसे यहां के तौर-तरीकों का कुछ पता नहीं... माफ कर दीजिए इसे, सच में इसे कुछ समझ नहीं था..."
"अगर नया है, तो सिखाएंगे भी तो हम ही!" कहकर उनमें से एक ने गुस्से में बूढ़े आदमी को धक्का दे मारा।
शौर्य अब भी अपनी जगह से हिला नहीं था। उसकी नज़र अब भी उस लड़की पर टिकी थी। लेकिन... वो नज़र एक तरफा आकर्षण नहीं थी — उसमें चेतावनी थी, अलर्टनेस थी।
अचानक शौर्य झुकता है, ज़मीन से एक पत्थर उठाता है और सीधा उस लड़की की ओर फेंक देता है।
ये देखकर लड़की के दोनों भाई सन्न रह जाते हैं। "ये क्या कर रहा है!" कहते हुए वे पीछे मुड़ते हैं और दौड़ कर उस पत्थर को रोकने की कोशिश करते हैं।
लेकिन पत्थर लड़की तक पहुंचता है—और उसके ठीक कान के पास से गुजर जाता है।
"कट!" की तेज़ आवाज गूंजती है।
कई लोगों ने सिर्फ आवाज़ नहीं सुनी, बल्कि देखा भी कि वो पत्थर किससे टकराया—एक तीर से।
वो तीर उस लड़की के ठीक पीछे छिपे एक हमलावर ने चलाया था। अगर वो पत्थर बीच में नहीं आता, तो तीर सीधा लड़की को घायल कर देता।
लेकिन अब दोनों—पत्थर और तीर—जमीन पर गिरते हैं।
और तभी ज़मीन में से निकला पत्थर असल में एक मोटा कीड़ा था, जो सीधे शौर्य के न्यूरो कोर में समा गया।
असल में शौर्य की नज़र लड़की के पीछे मौजूद उस आदमी पर पड़ी थी, जो धनुष ताने खड़ा था। वो हमला करने ही वाला था। और शौर्य ने उस हमले को रोकने के लिए पत्थर फेंका था। उसकी निशानेबाज़ी आमतौर पर बेहद खराब थी, लेकिन उस कीड़े ने जैसे उसकी सटीकता को तेज़ कर दिया था।
लेकिन उसी वक्त लड़की की दर्दनाक चीख़ गूंजती है।
"नहीं! ये क्या हुआ?"
किसी ने चीख कर कहा, "राजकुमारी की आंखों में ज़हर चला गया है!"
जब पत्थर और तीर टकराए, तो तीर पर लगे ज़हर के छींटे राजकुमारी की आंखों में पड़ गए।
लोग दौड़ते हुए उसकी मदद को आगे आते हैं—but not all were saviors.
कुछ तो बस बहाने से राजकुमारी को छूना चाहते थे।
तभी उसका भाई, राजकुमार कार्तिक, तेज़ी से आता है, और आंखों में आग भरकर एक झटके में उन सबकी गर्दनें अलग कर देता है।
शौर्य स्तब्ध रह जाता है। **"ये तो... ये तो भेड़-बकरियों की तरह उन्हें मार रहा है... ये गलत है... ये बहुत गलत है..."** वो मन ही मन सोचता है।
उसकी अपनी दुनिया में, किसी की जान लेना सबसे बड़ा अपराध था। ऐसा सिर्फ डॉन या अंडरवर्ल्ड वाले करते थे। लेकिन यहां... यहां तो खुद एक राजकुमार ऐसा कर रहा था।
"देखा तुमने? जिसने भी राजकुमारी रश्मि को छूने की कोशिश की, राजकुमार कार्तिक ने उसका क्या हाल किया!"
"हटो हटो! राजकुमार अमन आ रहे हैं!" भीड़ में हलचल होती है।
लोग तुरंत पीछे हट जाते हैं। और फिर अमन—राजकुमारी का बड़ा भाई—सीधे शौर्य की तरफ बढ़ता है।
"आज के लिए शुक्रिया। लेकिन हम यहां रुक नहीं सकते," अमन गंभीर स्वर में कहता है।
वो और कार्तिक जल्दी से टांगे पर चढ़ते हैं। "चलो, जल्दी!" वो टांगेवाले को कहते हैं।
टांगा हवा की रफ्तार से वहां से निकल जाता है।
सब कुछ शांत हो जाता है। बूढ़ा आदमी गहरी सांस लेकर राहत महसूस करता है।
"थैंक गॉड... सब ठीक हो गया..." फिर वह शौर्य की तरफ देखता है और मुस्कराता है।
"तुमने अच्छा किया, बच्चे... आज मौत तुम्हारे सामने से होकर निकल गई है, तो थोड़ा अजीब तो लगेगा ही... लेकिन अब जाओ, आराम करो। उत्तम! प्रिंस! इसे इसका कमरा दिखा दो।"
वो बूढ़ा आदमी अपने दोनों पोतों से कुछ कहता है और फिर दोनों शौर्य को एक झोपड़ी की ओर ले जाते हैं।
"ये झोपड़ी मेहमानों के लिए बनी है," प्रिंस ने मुस्कराते हुए कहा, "हमारे घरों से थोड़ी अलग है, लेकिन रहने में कोई परेशानी नहीं होगी।"
"अगर किसी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो हमें याद कर लेना," उत्तम ने कहा।
शौर्य इधर-उधर देखकर बोला, "ठीक है… पर तुम दोनों अब भी यहीं खड़े हो? सब ठीक तो है? कुछ चाहिए क्या?"
उत्तम थोड़ा झिझकते हुए बोला, "नहीं... मतलब, आज तुमने जो किया वो… बहुत खतरनाक था। अगर राजकुमार कार्तिक और अमन तुम्हें मार डालते तो?"
उनकी बात सुनकर शौर्य के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वो धीमे से बोलता है, "मुझे नहीं पता था कि वो इतने बेरहम हैं। जब मैंने कार्तिक को इंसानों की गर्दनें उड़ाते देखा… तभी समझ आया कि वो कितने खतरनाक हैं। अब से मैं और सतर्क रहूंगा।"
प्रिंस शौर्य की तरफ देखकर कहता है, "वैसे तुम्हारा वो निशाना कमाल का था। क्या तुम तीरंदाज हो?"
शौर्य हँसते हुए बोला, "नहीं… बस थोड़ी बहुत प्रैक्टिस की है। तीर चलाना ठीक से आता भी नहीं, बस आज किस्मत साथ थी।"
उत्तम ने मुस्कुरा कर कहा, "तुम चाहो तो अच्छे तीरंदाज बन सकते हो। कल हम तीर चलाना सीखने जा रहे हैं, तुम भी चलो ना?"
शौर्य थोड़ी गंभीरता से बोला, "दिन में नहीं जा पाऊंगा। मैं रात में जागता हूँ, और दिन में सोता हूँ।"
यह सुनकर दोनों के चेहरे पर उदासी आ जाती है।
उत्तम फिर बोला, "तो क्या रात में चलेगा हमारे साथ प्रैक्टिस करने?"
शौर्य ने तुरंत हामी भरी, "हाँ! रात में तो मैं फ्री रहता हूँ।"
इसके बाद शौर्य अपना सामान व्यवस्थित करने लगता है, झोपड़ी के भीतर चारों ओर नजर डालता है और दी गई चीज़ों को गौर से देखता है। फिर वह दोनों के साथ बाहर निकलता है, ताकि वहाँ के बाजार और जगहों को देख सके।
चलते-चलते शौर्य ने पूछा, "वैसे उत्तम, एक बात बताओ… यहाँ के लोग दिन में नहीं सोते क्या?"
उत्तम हँसकर बोला, "सोते हैं… लेकिन यहाँ आधे लोग दिन में सोते हैं और आधे रात में जागते हैं ताकि बाकी लोगों की सुरक्षा कर सकें। हम सब एक तरह से पहरेदार हैं। जो आज राजकुमार और राजकुमारी आए थे, वो यहाँ के निरीक्षण के लिए आते हैं – ये देखने कि हम अपना काम ठीक से कर रहे हैं या नहीं।"
प्रिंस फिर शौर्य की ओर देख कर बोला, "वैसे आज तुमने कमाल का काम किया।"
शौर्य थोड़ा झुंझलाकर बोला, "ठीक है ना! अब बार-बार मत कहो।"
प्रिंस ने मजाकिया लहजे में पूछा, "अच्छा सच बताओ – तुम्हारी नजर उस तीर मारने वाले पर थी या रश्मी पर?"
शौर्य थोड़ा शर्माते हुए बोला, "म…मतलब… मेरी नजर तो बस उस पर थी जो हमला कर रहा था। वरना राजकुमारी को चोट लग जाती।"
प्रिंस हँसते हुए बोला, "हाँ हाँ… वैसे भी, अब तुमने उसकी जान बचाई है, तो क्या पता वो इंप्रेस हो गई हो।"
इतना कहकर प्रिंस ने शौर्य के कंधे पर हल्की सी चपत मारी।
शौर्य हँसते हुए बोला, "कुछ भी! वो एक राजकुमारी है और मैं तो…"
फिर वो दोनों कंधे उचकाकर बाजार की ओर देखने लगा।
"वैसे, उत्तम – जब उसकी आंख में तीर चला गया था, तब वो लोग उसे कहाँ ले गए?" शौर्य ने पूछा।
"वो वैद्य के पास ले गए। यहाँ के वैद्य किसी को भी ठीक कर सकते हैं। तुम्हारे समय में उन्हें डॉक्टर कहते होंगे," उत्तम ने जवाब दिया।
शौर्य थोड़ा चौंकते हुए बोला, "अच्छा… तो वैद्य मतलब डॉक्टर! नाम बदल गया, पर काम वही है। ये जगह वाकई दिलचस्प है।"
तभी, शौर्य के ठीक सामने एक आदमी, जो पूरे काले कपड़ों में था, जानबूझकर उससे टकरा गया।
शौर्य, उत्तम और प्रिंस – तीनों ने नोटिस किया कि वो टक्कर जानबूझकर थी।
वो आदमी मुड़कर गुस्से में बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसे टकराने की? जानते नहीं मैं कौन हूँ?"