जय माता दी
" आइए अभिजीत खाना खा लीजिए " वहीं परी को चुप होते देखकर वो औरत बोलती
लेकिन अभिजीत कुछ ना बोलते हुए परी को गोद में लिए हॉल में इधर उधर घूमते हुए । उसे शांत करने लगता । जहां अभिजीत को दस मिनिट से ज्यादा हो जाते । पर अभिजीत परी को वैसे ही लेकर घूमते रहता । जहां अभिजीत को यूं परी को संभालते देखकर वो औरत मुस्कुरा जाती । क्योंकि वो जानती हैं अभिजीत से एक सेकंड भी परी को रोते देखना बर्दाश नहीं हैं
" जी आप ..... आइए पंडित .... " तभी दरवाजे पर खड़े पंडित को देखती हुई वो औरत उन्हें अंदर बुलाती हुई बोलती
" रेखा जी .... आज हम अभिजीत के लिए आपने जैसे कहां वैसी लड़कियों के रिश्ते लाए हैं । ये कुछ फोटो हैं आप देख लीजिए " वहीं बोलते हुए पंडित जी घर के अंदर आते हुए अपने झोले से फोटो निकालते हुए कांच की टेबल पर रख देते
जहां फोटो देखकर रेखा जी टेबल पर रखी चार फोटो में से एक फोटो अपने हाथ में लेती हुई उस फोटो में मौजूद लड़की को देखने लगती
" आप सारे रिश्ते वापस ले जाइए पंडित जी " वहीं एक फोटो को पकड़े रेखा जी कुछ बोलने को होती की तभी अभिजीत की आवाज रेखा जी और पंडित जी को सुनाई देती
" पर ये लड़कियां वैसी ही हैं जैसी आपकी मां आपकी पत्नी के रूप में चाहती ..... " वहीं अभिजीत के सीधे इंकार पर बोलते हुए पंडित जी आगे कुछ बोलते की
" पर मुझे पत्नी नहीं..... सिर्फ और सिर्फ परी के लिए एक ऐसी लड़की चाहिए । जो मेरी बच्ची के लिए अपना खाना , पीना तक छोड़कर सिर्फ..... मेरी बच्ची के आगे पीछे लगी रहे । जिसकी खुद की कोई ख्वाइश ना हो । हो.... तो सिर्फ एक ख्वाइश मेरी परी की देखभाल करने की । जो मेरी परी के रोने से पहले ही मेरी बच्ची के मन को समझ जाए । मुझे.... सिर्फ वो लड़की चाहिए जिसकी जिंदगी का पहला और आखिरी मकसद सिर्फ मेरी परी को खुश रखना हो " वहीं पंडित जी की बात को पूरी होने से पहले ही अभिजीत हर एक शब्द पर जोर देते हुए बोलते हुए परी को बाहों में लिए सीढ़ियों से ऊपर चला जाता
जहां अभिजीत की इस बात को सुनकर पंडित जी रेखा जी को देखने लगते । जहां रेखा जी झिझक से अपनी नज़रों को नीचे कर लेती । क्योंकि अभिजीत की बाते साफ जाहिर कर रही थी । उसे अपनी बच्ची परी के लिए कोई आया या रोबोट चाहिए । मानो उस लड़की की खुद की कोई गृहस्थी ना हो और ना ही कोई भी ख्वाइश
" हम कोशिश करेंगे कि अगली बार बेहतर रिश्ता लाए " वहीं पंडित जी इतना बोलकर घर से चले जाते
वहीं पंडित जी की बातों में भरे भाव साफ थे कि वो अभिजीत के लिए ऐसी लड़की कभी नहीं ला पाएंगे । जैसी वो चाहते है
शाम हो गई (( वहीं दूसरी तरफ ))
मीनाक्षी कमरे में आती तो उसकी नज़रे उल्टी बिस्तर पर लेटी हुई नंदनी पर जाती । जहां नंदनी को सुबह से शाम तक वैसे ही लेते देखकर मीनाक्ष एक सांस छोड़ती हुई नंदनी के पास बढ़ जाती । जहां नंदनी के पास ही बिस्तर पर रखे खाने को वैसा का वैसा देखकर मीनाक्षी दोनों घुटनों को मोड़ नंदनी के पास नीचे फर्श पर बैठ जाती
" भूखे रहने से कुछ भी ना होगा । खाना ना खाएगी तो झेलेगी कैसे हर उन नामर्दों की भूख को । अगर कुछ ना खाएगी तो मर जाएगी..... " वहीं नंदनी को समझाती हुई मीनाक्षी बोलती हुई आगे भी बोलती कि
" हम.... हम मरना चाहते हैं दीदी..... " तभी नंदनी की रुआंसी आवाज मीनाक्षी को सुनाई देती
" ..... और तुझे लगता हैं ये तुझे मरने भी देंगे । यहां हर दिन नई नई लौंडियां लाई जाती हैं और हर वो लौंडियां कई बार खुद की जान लेने की कोशिश करती हैं । पर आज तक कोई ना ले पाई अपनी जान ... इन हरामियों को इतना बेवकूफ मत समझ..... कि वो तुझे मरने के लिए छोड़ देंगे । यहां मौत कभी नसीब नहीं होगी नंदनी । इसलिए समझ .... जो हो रहा जीना सिख ले । वक्त लगेगा.... पर एक बुरी रात सोचकर सुबह सब कुछ भूल जाएगी " वहीं नंदनी की बात पर मीनाक्षी हल्का सा तंज से हंसती हुई बोलती हुई नंदनी को समझाती
पर नंदनी के चेहरे पर बेपनाह दर्द और उसकी आंखों में भरी तकलीफ सिर्फ मीनाक्षी से यहीं कह रही की नहीं जीना उसे । उसे सिर्फ मरना हैं । उसे खुद को खत्म करना हैं । मानो नंदनी की आखिरी और पहली ख्वाइश सिर्फ यहीं हैं कि वो मर जाए
सुबह हो गई
एक बुढ़िया जो 70 के आस पास की उमर की लग रही थी । वो एक बड़ी सी झूला पर बैठी मुंह में गुटका भर उसे बेदर्दी से दांतों के बीच चबाती हुई अपने से पांच कदम दूर एक कतार में खड़ी हर लड़की को ऊपर से नीचे तक देख रही थी
" ए छोरी ये तेरे ढकने को नहीं..... दिखाने के लिए हैं । हटा दुपट्टा अपनी छाती से " वहीं उस कतार में खड़ी एक लड़की के सीने को ढके दुपट्टे को देखकर गुस्सा करती हुई वो बुढ़िया बोलती
" काकी..... वो छोड़ और सुन बहुत बढ़िया खुशखबरी हैं तेरे लिए " तभी एक आदमी बोलता हुआ भागता हुआ काकी के पास आता
" क्यों .... इस बार बड़ा माल मिल रहा हैं क्या मुझे मेरी इन छोरियों से ? " तभी काकी मुंह में भरा थोड़ा सा गुटका सामने चौक में थूकती हुई बोलती
" जितना तू इन बीस , इक्कीस लड़कियों से एक महीने में कमा रही । उससे दुगनी कीमत तुझे सिर्फ एक दिन में मिल जाएगी " तभी वो आदमी चेहरे पर लालची मुस्कुराहट लिए बोलता
जहां दुगनी कमाई एक दिन में सुनकर काकी की नज़रे सवाल से भरी उस आदमी पर चली जाती
" अभिजीत राठौड़..... बहुत बड़ी शख्शियत हैं । जितना तूने पैसा देखा नहीं उतना तो वो अभिजीत के फालतू के काम में उड़ जावें हैं । अगर एक बार हम उसके काम आ गए । तो सिर्फ पैसा ही पैसा होगा हर दिन तेरे पास " तभी वो आदमी काकी को देखते हुए बोलता
" ऐसा क्या काम हैं उसका रवि.... " वहीं काकी मुंह में भरे तंबाकू को धीरे धीरे चबाती हुई रवि से पूछती
" उसे सिर्फ एक लड़की चाहिए ..... चाहे वो लड़की कोई भी जात धर्म की हो या अनाथ ही हो " तभी रवि काकी को देखते हुए बोलते हुए रुकता ही की
" हर मर्द अपनी आग ठंडी करने के लिए जात – धर्म कभी ना देखता रवि.... तो बता कौन सी छोरी दु । उसे उसके बिस्तर को रोज गर्म करने के लिए " तभी काकी हंसती हुई रवि से बोलती हुई अपने सामने एक कतार में खड़ी छोरियों को देखकर बोलती
" तू गलत समझ रही हैं काकी.... उसे सिर्फ अपनी बच्ची संभालने के लिए कामवाली चाहिए ... " वहीं रवि काकी को समझाते हुए बोलते हुए आगे भी बोलता की
" पर ये कोई कामवाली नहीं हैं .... ये सिर्फ तुम जैसे मर्दों की गर्मी को ठंडी करने के लिए पैदा हुई हैं । अपनी खुशखबरी को आग लगा जाकर.... " तभी काकी गुस्से से मुंह में भरे तंबाकू को रवि के पेरो के पास थूकती हुई बोलती
" काकी.... तू समझ नहीं रही । उस अभिजीत को सिर्फ एक लड़की चाहिए ब्याह करने के लिए । पर वो ब्याह सिर्फ अपनी बच्ची के लिए कर रहा । ताकि कोई उसकी बच्ची की दिन रात सेवा कर सके । सोच ..... अगर हमारे यहां से कोई लड़की उस घर चली गई । तो वो लड़की बहुत माल लाएगी हर दिन वहां से " तभी काकी को गुस्से में देखकर रवि उन्हें समझाते हुए बोलता
जहां रवि की इस बात को सुनकर काकी गहरी सोच में चली जाती और इस सोच में खोती हुई काकी की नज़रे अपने से कुछ कदम दूर खड़ी अपनी हर छोरी पर चली जाती । मानो सोच रही की कौन छोरी वहां से पैसा भर भरकर यहां लाएगी
" नंदनी को भेज दे " तभी मीनाक्षी की आवाज काकी को सुनाई देती
जहां इस आवाज को सुनकर उस कतार में निगाहे नीचे करे खड़ी नंदनी की आंखों में आंसू भरते हुए डर से उसकी सांसे अटकती हुई खड़े खड़े उसके पैर कांप से जाते
(( कैसी होगी अभिजीत और नंदिनी की मुलाकात ? क्या काकी मानेगी नंदिनी को अभिजीत के घर में भेजने के लिए ? ))
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