जय माता दी
" नंदनी को भेज दे " तभी मीनाक्षी की आवाज काकी को सुनाई देती
जहां इस आवाज को सुनकर उस कतार में निगाहे नीचे करे खड़ी नंदनी की आंखों में आंसू भरते हुए डर से उसकी सांसे अटकती हुई खड़े खड़े उसके पैर डर से कांप जाते
" मेरे सामने जबान खोलने की कीमत जानती हेना तू ..... " जहां मीनाक्षी की आवाज पर गुस्से से काकी बोलती
" देख काकी.... तू भी जानती हैं और हम सब भी । आज तक कोई ऐसा तेरा ग्राहक नहीं हैं जो इस नंदनी के लिए पागल ना हुआ हो । मेरी मान एक बार नंदनी को उस घर भेज दे ..... तेरी चाल पूरी कामयाब ही होगी । क्योंकि इसे देखकर कोई मर्द आज तक ना नहीं कह पाया " वहीं मीनाक्षी काकी के गुस्से भरे शब्दों को नजर अंदाज़ कर बोलती
जहां मीनाक्षी की इस बात को सुनकर काकी की नज़रे डरी , सहमी सी नंदनी पर टिक जाती । जहां नंदनी के गोरे चेहरे को देखकर काकी के चेहरे पर गहरी मुस्कुराहट आ जाती
" आज इसे ऐसा तैयार कर कि वो अभिजीत राठौड़ इंकार ही ना कर पाए इसके लिए ..... चल रे रवि तैयारी शुरू कर । आज ही रिश्ता पक्का करके आना हैं मुझे " वहीं काकी मीनाक्षी से बोलती हुई रवि से बोलकर अपनी जगह से उठती हुई दूसरी तरफ चली जाती
जहां काकी को पल भर में मानते देखकर मीनाक्षी के होठों पर दर्द भरी मुस्कुराहट आ जाती । क्योंकि वो जानती हैं कि नंदनी का सिर्फ बेहद गोरा होना ही तो काकी को दिखा । उस काकी को कभी ये नहीं दिखा कि नंदनी सिर्फ सत्रह साल की नाजुक सी बच्ची हैं
वहीं मीनाक्षी एक गहरी सांस लेती हुई नंदनी के पास जाती हुई नंदनी का हाथ पकड़ती की तभी रोती हुई डर से कांपती हुई नंदनी मीनाक्षी का हाथ झटक देती
" ..... मरना है तुझे । ये ले दे दिया तुझे मौका । जा उस घर ओर कोशिश कर ले मरने की । पर ... याद रखियो वापस सिर्फ तेरी लाश आए यहां । वरना.... अगर तू फिर कभी यहां लौटी । तो उस बार एक नहीं दस भूखे भेड़िया तेरे शरीर को पल पल नोच डालेंगे " वहीं नंदनी के यूं हाथ झटकने से मुस्कुराती हुई मीनाक्षी नंदनी की आंसू और डर से भरी आंखों में देखती हुई बोलती
जहां मीनाक्षी की इस बात को सुनकर नंदनी रोती हुई खामोश सी हो जाती । तो वहीं मीनाक्षी नंदनी को पकड़े उसे तैयार करने के लिए कमरे में ले जाती
शाम हो गई
" सुन ध्यान से..... अंदर जाकर कुछ नहीं बकेगी तू । समझी..... अगर कोई तुझसे कुछ बोलेगा भी । तो भी तू चुप रहेगी । अंदर सिर्फ मैं बोलूंगी " वहीं अपने सिर पर रखे दुपट्टे को सही करती हुई गाड़ी में ड्राइविंग सीट के बगल में बैठी काकी हल्का सा सिर टेढ़ा कर पीछे बैठी नंदनी से बोलती
जहां इस वक्त रवि गाड़ी ड्राइव कर रहा था और गाड़ी में पीछे नंदनी के साथ मीनाक्षी भी आई थी । काकी तो ना लाती उसे साथ । पर सालों से काकी के साथ रहने से मीनाक्षी जान चुकी थी कि क्या फायदे की बात बताकर काकी से कोई भी बात राजी कराई जा सकती
और बस वो आई यहां नंदनी के साथ । वजह ये जानने की जितने दिन भी नंदनी उस घर में गुजारेगी क्या उन दिनों तक कोई उस घर में भूखा मर्द तो नहीं ? अगर ऐसा हुआ तो वो उसी पल काकी से कुछ भी करके मना करवा देगी इस शादी के लिए
क्योंकि जो दर्द नंदनी उस हवसखानो से भरे चॉल में झेल रही । अगर वहीं सब उस घर में हुआ नंदनी के साथ । तो क्या फर्क रह जाएगा नंदनी के लिए इस चॉल ओर उस घर में ?
वहीं दस मिनिट बाद एक बड़े से आलीशान घर के लोहे के काले बड़े से दवाजे के सामने रवि गाड़ी रोकता । जहां गाड़ी रुकते ही काकी और मीनाक्षी गाड़ी से बहार निकल आती
" एक बार अगर ये नंदनी इस महल में आ गई । तो बिना कुछ करे ही तेरे पास पैसे होंगे काकी " वहीं काकी को ललचाई नजरों से घर को देखते देखकर रवि काकी के पास खड़े होते हुए बोलता
वहीं मीनाक्षी रवि की बातों से गुस्से में आती हुई उसकी बातों को नजर अंदाज़ कर गाड़ी के दूसरी तरफ जाती हुई गाड़ी का दरवाजा खोलती हुई । नंदनी के कांपते हाथ को अपने हाथ में पकड़कर उसे गाड़ी से बहार निकाल लेती
" याद रखियो.... वो छोरा तेरे लिए हां ही करे । वरना ..... तू सोच भी नहीं पाएगी आज रात कितना बुरा होगा तेरे साथ " वहीं नंदनी को देखकर काकी दुपट्टे से नंदनी के गले में लगे चाकू के निशान को अच्छे से ढकती हुई धमकी देती हुई बोलती
जहां काकी की इस बात को सुनकर नंदनी डर से सहमी हुई कसकर मीनाक्षी के हाथ को पकड़ लेती । जहां नंदनी का डर महसूस कर मीनाक्षी दूसरे हाथ से नंदनी का हाथ मसलने लगती
वहीं काकी और रवि घर के अंदर घुस जाते । जहां मीनाक्षी भी नंदनी का हाथ पकड़े उन दोनों के पीछे चल देती । जहां नंदिनी की डरी हुई निगाहे नीचे जमीन पर गड़ी हुई थी । उसने एक बार भी जहमत नहीं की नज़रे ऊपर भी करने की
वहीं मीनाक्षी बड़े गौर से सब कुछ देखने लग रही थी । जहां घर में बहार बहुत बड़ा गार्डन था । जहां पांच से छः नौकर गार्डन में काम कर रहे । तो सात से आठ बॉडीगार्ड गार्डन में खड़े स्टेच्यू की तरह खड़े थे
वहीं घर के अंदर एक कदम रखते ही ऐ.सी की ठंडा हवा खुद के बदन पर महसूस करते ही नंदनी ठंड से ठिठुरती हुई खुद में सिकुड़ सी जाती
" आइए जी..... " वहीं घर में आते मेहमान देखकर रेखा जी उनका हाथ जोड़कर स्वागत करती
जहां रेखा जी के हाथ जोड़ते काकी और रवि भी हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते करते हुए एक सोफे पर बैठ जाते। जहां रवि और काकी तो घर को ही आँखें फाड़े देखते रह जाते । जहां ऊपर बहुत बड़ा सफेद झूमर । सफेद चमकदार पत्थर का घर , हर दीवार पर कांच की बेहद खूबसूरत बड़ी बड़ी मूर्तियां
पर वहीं रेखा जी की नज़रे तो निगाहे नीचे करे खड़ी नंदनी पर ठहर गई थी । जहां नंदनी की एक झलक देखकर ही रेखा जी को नंदनी बेहद पसंद आ गई थी
" जाइए अभिजीत को बुलाइए " वहीं रेखा जी एक नौकर से बोलती
पर अभिजीत नाम सुनकर इस बार नंदनी को बहुत बुरी घबराहट सी होने लगती । तो वहीं मीनाक्षी भी बेहद बेताबी से अभिजीत का इंतजार करती हुई नज़रे ऊपर सीढ़ियों पर कर लेती । जहां अभी वो नौकर सीढ़ियों से ऊपर गया
" भाई ने इन्हें कमरे में ही बुलाया हैं मां " तभी एक लड़की बोलती हुई सीढ़ियों से नीचे आती
पर किसी ने उसे कमरे में बुलाया ये सुनकर नंदनी डर से सिकुड़ती हुई मीनाक्षी से सटकर खड़ी हो जाती । तो वहीं काकी और रवि एक दूसरे को देखते हुए नंदनी को देखने लगती । इस पल उन्हें भी हल्की सी घबराहट होने लगी थी । ये सोचकर कि कहीं नंदनी ने कुछ भी अपने मुंह से बोल दिया । तो सब कुछ उनका धरा का धरा रह जायेगी
तो वहीं उस लड़की की बात सुनकर रेखा जी काकी को देखकर समझ ही नहीं पाती कि क्या बोले ? कैसे कह दे कि अभिजीत को सिर्फ लड़की से मिलना हैं । उसे लड़की के परिवार से मतलब ही नहीं
" जी कोई नहीं अब तो वक्त बदल रहा हैं । चली जाएगी हमारी नंदनी .... अब तो बच्चों को पहले समझना चाहिए एक दूसरे को । परिवार तो आपस में ताल मेल करता ही रहेगा " वहीं खिसियानी सी हंसी हंसते हुए काकी रेखा जी से बोलती
" पायल .... जाइए आप ले जाइए । इन्हें अभिजीत के कमरे में " वहीं रेखा जी काकी की बात पर राहत की सांस लेती हुई सीढ़ियों पर खड़ी पायल से बोलती
जहां रेखा जी की बात सुनकर पायल मुस्कुराती हुई नंदनी के पास चल देती । जहां पायल को खुद के करीब आते महसूस कर नंदनी की सांसे डर से ऊपर नीचे होने लगती
" अगर आपको मरना हैं । तो यहां इस घर में ये हो सकता हैं नंदनी । सांस तो नहीं ले सकती आप अपनी मर्जी से वहां । पर... ये आखिरी मौका हैं आपके पास खुद की मर्जी से यहां मरने का .... " वहीं नंदनी के डर को महसूस कर मीनाक्षी बहुत धीरे से नंदनी से बोलती
(( एक मर्द तक नंदनी को ना नहीं कह पाया ऐसी हैं 17 साल की मासूम खूबसूरत नंदिनी । पर क्या अभिजीत की भी हां होगी ? ))
जाते जाते अपनी समीक्षा और रेटिंग जरूर दीजियेगा .....