जय माता दी
जहां रेखा जी की बात सुनकर पायल मुस्कुराती हुई नंदनी के पास चल देती । जहां पायल को खुद के करीब आते महसूस कर नंदनी की सांसे डर से ऊपर नीचे होने लगती
" अगर आपको मरना हैं । तो यहां इस घर में ये हो सकता हैं नंदनी । सांस तो नहीं ले सकती आप अपनी मर्जी से वहां । पर... ये आखिरी मौका हैं आपके पास खुद की मर्जी से यहां मरने का .... " वहीं नंदनी के डर को महसूस कर मीनाक्षी बहुत धीरे से नंदनी से बोलती
जहां मीनाक्षी की इस बात को सुनकर नंदनी की तेज होती सांसे धीमी सी हो जाती
" आइए.... " तभी एक आवाज नंदनी को अपने पास आती
जहां इस आवाज को सुनकर नंदनी मीनाक्षी का हाथ छोड़ती हुई पायल के पीछे पीछे चल देती । जहां नंदिनी को जाते देखकर मीनाक्षी बस मन ही मन दुआ करने लगती कि रोक ले खुदा नंदनी को इस घर में
वहीं तभी सोफे पर बैठे रवि के फोन पर एक मैसेज आता । जहां मैसेज को पढ़ते ही रवि के चेहरे पर इतनी बुरी घबराहट आ जाती कि फोन थामे उसके दोनों हाथों के साथ उसकी सांसे तेज हो जाती
" तुझे क्या हुआ ? " वहीं रवि के चेहरे की उड़ी हवाइयों को देखकर काकी बहुत धीरे से रवि से पूछती
" व.... वो ..... है.....हैदर नंदिनी को अभी अप....अपने पास बुला रहा " वहीं रवि डर से थर थर कांपते हुए लड़खड़ाती हुई जबान से बे मुश्किल से बोलता
जहां रवि की इस बात को सुनते ही घबराई सी काकी उसी पल सोफे से उठ जाती । जहां काकी के यूं अचानक झटके से खड़े होने से मीनाक्षी और रेखा जी दोनों की नज़रे काकी पर चली जाती
" हमें.... हमें अभी घर जाना होगा । आप जल्दी नंदनी को बुलाइए " तभी काकी अपनी घबराहट को अंदर छुपाती हुई रेखा जी से बोलती
" पर..... क्या हुआ सब ठीक हैं ? " वहीं काकी के अचानक नंदिनी के वापस बुलाने की बात पर रेखा जी चिंता से पूछती
" जी बिल्कुल सब ठीक हैं । आप बस नंदिनी को बुला लीजिए " वहीं काकी खुद की घबराहट अंदर दबाए चेहरे पर जबरदस्ती सामान्य मुस्कुराहट लिए बोलती
" आप बस थोड़ी देर रुक जाइए । बस कुछ देर में ही दोनों बच्चे साथ ही आ जाएंगे " वहीं रेखा जी कुछ विनती करती हुई बोलती
जहां रेखा जी की विनती पर काकी अब चाहकर भी कुछ नहीं बोल पाती । लेकिन डर इस कदर उन पर हावी हो गया कि वो सोफे पर ही नहीं बैठ पाई इस बार । तो वहीं दूर खड़ी मीनाक्षी तो समझ ही नहीं पा रही थी कि अचानक काकी और रवि के चेहरे पर इतना डर क्यों हैं
" हां .... नहीं.... नहीं .... कहीं ये डर हैदर.... नहीं.... नहीं.... " पर दूसरे पल ही उस डर को भांपती हुई खुद भी डर से बहुत बुरी सहमी मीनाक्षी खुद में ही खुद को नकारती हुई बोलती
इस पल मीनाक्षी के चेहरे पर उतना ही डर भरा था । जितना इस वक्त काकी और रवि के चेहरे पर था । जहां डर से मीनाक्षी की सांसे बहुत तेज होने के साथ उसके खड़े खड़े पैर कांप रहे थे
वहीं दूसरी तरफ
पायल नंदिनी को अपने साथ लाती हुई एक बंद दरवाजे के बहार खड़ी हो जाती । जहां कदम के रुकते नंदनी की सांसे घबराहट से कुछ तेज सी हो जाती
" एक वक्त पर भाई को सिर्फ एक ही की कमरे में मौजूदगी पसंद हैं " वहीं पायल हल्का सा दरवाजा खोलती हुई नंदिनी से बोलती
जहां पायल के ऐसे बोलने पर घबराई सी नंदिनी अपने पैरों की उंगलियों को सिकोड़ लेती । क्योंकि अब अकेले एक मर्द के साथ कमरे में एक सेकंड भी रहने की सोचकर उसे बहुत डर सा लगता हैं
वहीं पायल अपनी बात बोलकर दूसरी तरफ चली जाती । पर नंदिनी वहीं दरवाजे पर घबराई सी खड़ी रह जाती । उसकी एक पल हिम्मत नहीं होती कमरे में जाने कि पर तभी उसे मीनाक्षी की कही बात याद आती । जिन्हें याद कर नंदिनी घबराई सी सांसों को खुद में लंबी सी भर्ती हुई दरवाजा हल्का सा ओर खोलती हुई कमरे में घुस जाती
नंदिनी का हर बढ़ता कदम उससे सिर्फ यहीं बोल रहा कि हट जा पीछे । मत बढ़ आगे । पर नंदिनी बेमुश्किल खुद में जबरदस्ती की हिम्मत लिए धीरे धीरे आगे बढ़ती हुई कमरे के बीचों बीच नजरों को झुकाए खड़ी हो जाते
पर 2 मिनिट से ज्यादा हो जाते नंदिनी को एक जगह खड़े । लेकिन ना तो किसी की आवाज ही नंदिनी को आती और ना ही किसी की कमरे में मौजूदगी नंदिनी को महसूस होती
जहां कमरे में कोई भी नहीं ये महसूस कर नंदिनी घबराई सी धीरे धीरे पलखे ऊपर करती । पर उन पलकों के ऊपर होते ही नंदिनी की खुली आँखें इस पल अपने से पांच कदम दूर दीवार पर लगी बहुत बड़ी सी फोटो पर थम जाती
जहां नंदिनी की आँखें उस फोटो पर इस तरह ठहर जाती की उसका वो घबरायापन और वो डर भी खत्म सा हो जाता । नंदिनी की मासूम आँखें खो जाती उस फोटो में जहां एक शक्श के गिले बाल उसके माथे को ढके हुए उसके पलकों को छू रहे थे । वहीं वो शक्श एक बड़ी सी कुर्सी पर हाथों को फैलाए एक पैर मोड़कर अपने आगे की कांच की गोल टेबल पर रखे , दूसरा पैर जमीन पर टिकाए राजा की तरह बैठा था
जहां उस शक्श का चेहरा बहुत ज्यादा गंभीर था । पर नंदिनी की आँखें खो चुकी थी उस शक्श के होठों पर । नंदिनी महसूस कर रही कि उस शक्श के गंभीरता से भरे चेहरे पर एक हल्की सी होठों पर मुस्कुराहट भी है । वो हल्की मुस्कुराहट इस तरह उस शक्श ने अपने चिपके होठों पर छिपा रखी की किसी को भी ना दिखे
जहां उस शक्श के चिपके होठों पर छिपी उस हल्की सी मुस्कुराहट को देखकर नंदिनी इतनी खो जाती कि नंदिनी के होठ खुद भी खुद मुस्कुराने लगते
" क्या आपको वो पसंद हैं ..... " तभी एक शक्श बेहद गहरी आवाज में नंदिनी के पीछे खड़े होते हुए नंदिनी के कानो के नजदीक बोलता
पर नंदिनी वो तो फोटो में मौजूद शक्श की आंखों में ऐसे खो गई कि उसने ध्यान ही नहीं दिया कि कोई उसके पीछे खड़ा जलती निगाहों से सिर्फ उसे ही देख रहा हैं
" आह..... " पर तभी नंदिनी आँखें कसकर भींचे बहुत बुरी तरह चीखती
उसकी चीख इतनी बुरी थीं कि पूरे कमरे में नंदनी की दर्द भरी चीखे गूंज जाती । तो वहीं उस शक्श ने बहुत बेदर्दी से नंदनी के बालो को कसकर मुठ्ठी में भींचे रखे था
" और... आपकी.... हिम्मत.... कैसे.... हुई.... मेरे.... अलावा..... किसी.... ओर..... को..... देखने..... की... । कैसे..... हिम्मत... हुई..... मेरे.... ही..... भाई... से.... शादी... करने..... की... सोचने.... की.... जवाब दीजिए हमें " तभी वो शक्श गुस्से से एक एक शब्द चीखते हुए नंदिनी को बालो से कसकर पकड़ते ही एक झटके से नंदिनी को अपनी तरफ घुमा देता
जहां उस शक्श के ऐसा करते ही नंदिनी की आंखों में आंसू आते हुए वो बहुत बुरी तरह कराह जाती । क्योंकि उस शक्श की पकड़ उसके बालों पर इतनी बुरी थी मानो कुछ सेकंड में ही उसके कुछ बाल उखड़कर उस शक्श की मुठ्ठी में आ जाएंगे
" सिर्फ 2 महीने तक आपके पास नहीं आया । तो आपकी हिम्मत इतनी बहुत बढ़ गई । लगता हैं आपका ये जिस्म मेरी दी ..... मोहब्बत..... के गहरे निशानों को भूल रहा हैं " वहीं नंदनी के चेहरे पर आई बेपनाह तकलीफ देख वो शक्श गुस्से से दांत पिस्ते हुए मोहब्बत पर जोर देते हुए बोलता
वहीं नंदिनी उसका रोना अब बहुत बढ़ चुका था साथ ही डर से नंदिनी की रोते रोते हिचकी चालू हो चुकी थी । जहां आंखों के भींचे नंदिनी का पूरा शरीर बहुत बुरी तरह डर से कांप रहा था । जहां ये कांपता शरीर गवाही दे रहा था कि वो पहचान गई इस शक्श को और याद आ गई उसे उसकी दरिंदगी
" जाइए और मना करिए इस रिश्ते को..... सुना....
आपने .... " वहीं दांत किर किराते हुए वो शक्श नंदनी के आंसू से भीगे गालों को देखकर बोलते हुए बहुत भूरी तरह आखिर के दो शब्दों को चीखते हुए अपने पैर को नंदिनी के पैर पर बहुत तेज मारता
जहां इस दर्द से नंदिनी रोती हुई बहुत तेज चीखने को होती की तभी वो शक्श नंदनी के खुले होठों से निकलती उन सिसकियों को अपनी हथेली में भींचते हुए बंद कर देता
" श..... आ रहा हैं वो । कह दीजिए उससे नहीं करेंगी आप ये शादी । आप सिर्फ इस ...हैदर.... की हैं " वहीं किसी के जूतों की आवाज को इधर ही आते सुनकर हैदर अपनी हथेली नंदिनी के खुले होठों के ऊपर से हटाते हुए दीवानों की तरह बोलता
(( कौन है ये हैदर ? आखिर नंदिनी और अभिजीत की मुलाकात अब किसी होगी ? ))
जाते जाते समीक्षा और रेटिंग जरूर करिएगा .....