नंदिनी का अभिजीत के साथ कॉन्ट्रैक्ट करना

जय माता दी

" सिर्फ देखभाल नहीं ..... मुझे एक ऐसी लड़की चाहिए जिसकी दिन और रात मेरी बेटी के हिसाब से हो । जिसकी खुद की ना कोई इच्छा हो और ना ही कोई मर्जी और ना ही कोई शोक । जिसकी जिंदगी का हर एक सेकंड सिर्फ मेरी बच्ची के हिसाब से चलेगा.... उस लड़की को अपना परिवार , अपनी खुशियां , अपनी ख्वाहिश सब कुछ छोड़कर मेरे इस घर में आना होगा " तभी अभिजीत हर एक शब्द पर जोर देते हुए बोलता हुआ कुछ पल खामोश हो जाता

जहां अभिजीत की खामोशी जानना चाहती थी कि सामने नजरों को झुकाए बैठी लड़की यहीं रहेगी या चली जाएगी । क्योंकि उसकी बाते साफ थी कि उसे अपनी बेटी के लिए एक नौकरानी , रोबोट चाहिए थी । वो नौकर जो सिर्फ उसकी बच्ची के ही आस पास रहकर 24 घंटे उसकी देखभाल करे

" ... अगर आप इसके लिए राजी हैं । तो ..... " वहीं नंदिनी को कुछ ना बोलते हुए वहीं बैठे देखकर अभिजीत आगे कुछ बोलता की

" क्या.... क्या हम....हम आपसे कुछ मांग सकते " तभी अपने अंदर बहुत हिम्मत लिए घबराई सी नंदिनी दुपट्टे को अपनी मुठ्ठी में भींचे बोलती

जहां सामने डरी सी बैठी लड़की को अपने सामने शर्त रखते देखकर अभिजीत की आँखें हल्की सी छोटी सी हो जाती

" हम्ममम.... " पर दूसरे पल ये सोचकर कि आखिर क्या मांगेगी ये लड़की अभिजीत बोलता

" आप.... आप ह.... हमें कभी भी नहीं छु.... छुएंगे और ना ही कि....किसी ओर को छूने दें...देंगे " वहीं इस बार नंदिनी धीरे से पलकों को ऊपर उठाती हुई अभिजीत की आंखों में देखती हुई बहुत हिम्मत से लड़खड़ाती जबान से बोलती

जहां इतना बोलते ही नंदिनी की आंखों में आंसू भरने के साथ । उसकी सांसे तेज सी हो जाती । आज पहली बार हैं जब नंदिनी ने किसी से हिम्मत से कुछ मांग की । वो नहीं जानती कि उसकी मांग पूरी होगी भी या नहीं हमेशा की तरह । पर अभिजीत की मौजूदगी उससे सिर्फ ये कह रही थी कि मांग ले इस अजनबी से आज । क्या पता ये आखिरी मांग हो तेरी इस अंजान से ?

जहां नंदिनी की इस मांग पर अभिजीत कुछ पल खामोश हो जाता । तो वहीं नंदिनी के चेहरे पर तकलीफ सी भर जाती । उसे रोना सा आने लगता कि क्यों वो भूल जाती हैं कि वो एक वेश्या हैं जिसकी कोई मांग नहीं बस दूसरे की भूख , हवस को शांत करना हैं

वहीं अभिजीत कुछ सोचकर सोफे से उठते हुए बेड पर रखे लैपटॉप को अपन हाथ में पकड़कर उसमें कुछ टाइप करता । जहां टाइप करने के दो मिनट बाद एक क्लिक की आवाज आती । जहां इस आवाज को सुनकर अभिजीत थोड़ा आगे चलते हुए लैपटॉप को एक बड़ी सी लकड़ी की टेबल पर रख देता और

उस लकड़ी की कुर्सी पर रखे प्रिंटर से बहार निकले दो कागजों को लिए वापस से वहीं नंदिनी के सामने सोफे पर बैठ जाता

" ना तो मैं कभी आपके नजदीक आऊंगा.... और ना ही किसी को हिम्मत भी करने दूंगा आपको हाथ भी लगाने की " वहीं अभिजीत हाथ में पकड़े कागजों को नंदिनी के पास बढ़ाते हुए बहुत सख्त आवाज में बोलता

जहां अभिजीत का हर शब्द साफ था कि उसे मंजूर हैं नंदिनी की मांग । उसे मंजूर हैं कि नंदिनी को किसी को छूना तो दूर । किसी को नंदिनी के आस पास भी नहीं भटकने देगा

" इसमें वो शर्ते हैं । जो हमारे बीच अभी हुई । आप साइन कीजिए । पर याद रखिए । इस कॉन्ट्रैक्ट के करने के बाद जिंदगी भर..... के लिए आप मेरी बेटी से बंध चुकी हैं । जहां..... इस बंधन को ना तो आप तोड़ सकती और ना ही..... कोई ओर भी ..... " वहीं अभिजीत बेहद गहरी और सख्त आवाज में नंदिनी से बोलता

जहां अभिजीत की ये गहरी आवाज में बोले गए शब्द को सुनकर नंदनी सिहर जाती । उसे एक पल ऐसा महसूस होता कि इस बंधन में आकर अब वो मर भी नहीं सकती

वहीं अभिजीत इतना बोलते एक पेन उन कागजों पर रख देता । जहां पेन देखकर नंदिनी समझ नहीं पा रही थी कि वो साइन करे या ना करे । उसे ऐसा लग रहा था मानो उसने अगर साइन कर दिया । तो जो उसकी आखिरी इच्छा थी मरने की वो कभी पूरी नहीं हो पाएगी

" करिए साइन " जहां नंदिनी को साइन ना करते देखकर अभिजीत हल्के गुस्से से कुछ तेज आवाज में नंदिनी को ऑर्डर देते हुए बोलता

अभिजीत की ये आवाज ऐसी थी कि वो नंदिनी से बोल नहीं रहा कि सोच ले । बल्कि वो उसे हुकुम दे रहा कि अभी इन कागजों पर साइन करे । जहां अभिजीत की इस तेज आवाज में गुस्से को महसूस कर नंदिनी घबराई सी उसी पल पेन पकड़ती हुई उन कागजों पर साइन कर देती

" आज रात ही शादी होगी । कह दीजिए अपने परिवार वालो से और ये आखिरी दिन हैं आपका अपने परिवार के साथ । इसके बाद आप ना तो वापस उस घर लौट सकती और ना ही उस घर के किसी भी इंसान से मिल सकती " वहीं नंदिनी के साइन करते ही अभिजीत उन पेपर को हाथों में लेकर एक निगाह नंदिनी के करे साइन को देखते हुए दूसरी निगाह नंदिनी के चेहरे पर डालते हुए बोलता

जहां एक पल ये सुनकर की अब कभी वो वापस वहां नहीं जाएगी ये सोचकर ही नंदिनी की आँखें नम होती हुई होठों पर बहुत हल्की सी मुस्कुराहट आ जाती

पर काकी की सोचते ही नंदिनी मुस्कुराती हुई रुक जाती । वो जानती हैं काकी कभी ये शर्त नहीं मानेगी और हैदर .... बस हैदर का खियाल आते ही नंदिनी डर से कुछ कांप जाती । नंदिनी जानती हैं इन दोनों के होते वो कभी उस जगह से आजाद नहीं हो सकती

वहीं दूसरे पल नंदिनी सोफे से खड़ी होती हुई नज़रे झुकाई काकी और हैदर के खयाल में डरी सी कमरे से बहार निकल जाती । तो वहीं अभिजीत की नज़रे उन कागजों पर होती जिस पर अभी नंदिनी अपने साइन करके गई थी

शाम हो गई

एक होटल के कमरे में मीनाक्षी बिस्तर पर बैठी थी और नंदिनी मीनाक्षी के कदमों में फर्श पर बैठी अपना सिर मीनाक्षी की गोद में रखे थी । जहां मीनाक्षी बहुत प्यार से नंदिनी का सिर सहला रही थी धीमे धीमे

" सिर्फ कुछ घंटे और फिर.... आप हमेशा के लिए अपने दर्द से आजाद हो जाएंगी नंदिनी " वहीं सामने दीवार पर लगी बड़ी सी घड़ी में 8 बजते देखकर मीनाक्षी प्यार से नंदिनी का सिर सहलाते हुए बोलती

जहां नंदिनी इस बात को सुनकर कुछ भी ना बोलती हुई ।बस खामोश सी मीनाक्षी की गोद में सिर रखे फर्श पर बैठी रहती । जहां आज वो इस वक्त होटल में थे । क्योंकि इसी होटल के पीछे पार्क में अभिजीत और नंदिनी की शादी होने वाली थी । जहां शादी में सिर्फ अभिजीत की मां और बहन । साथ में काकी , रवि और मीनाक्षी ही थे । इन सब के अलावा इस शादी की खबर किसी को भी नहीं थी

क्योंकि अभिजीत के लिए ये शादी ही नहीं थी । उसे तो सिर्फ अपनी बच्ची के लिए नौकरानी मिल रही थी । बिल्कुल वैसी नौकरानी जिसकी जिंदगी हर मिनिट उसकी बेटी के हिसाब से चलेगा

" बहुत वक्त से जानना चाहते हैं नंदिनी । पर बस हिम्मत ही नहीं कर पाते थे । ले... लेकिन हम आज जानना चाहते हैं । आप उस है...हैदर को कैसे जानती है ? काकी उसे शैतानी भगवान की तरह पूजती हैं । आप नहीं जानती वो है... हैदर बहुत खतरनाक हैं.... " वहीं मीनाक्षी कुछ सोचती हुई एक सांस छोड़ती हुई बोलती हुई हैदर का नाम डर से लड़खड़ाती जबान से बोलती हुई रुकती की

(( कैसे जानती हैं नंदिनी हैदर को ? आखिर हैदर के पीछे कैसे राज हैं ? ))

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