वही दूसरी तरफ देव और जैद अपने स्कूल में बैठे इधर उधर कि बाते कर रहे थे। इसी बीच जैद कहता है "अगला साल हमारा इस स्कूल में आखरी साल होगा", जैद को अपना स्कूल काफी पसंद था। उनका स्कूल न ज्यादा बड़ा था और ना ही ज्यादा छोटा एक नॉर्मल जगह जो दोमंजिला इमारत में बनी हुई थी। 800-900 बच्चे 20-25 टीचर्स और नर्सरी से लेकर 12 th तक के बच्चो के लिए ये स्कूल बना था। जैद काफी वक्त से इस स्कूल में था, लेकिन फिर भी उसकी उसके क्लासमेट्स के साथ कुछ खास बनती नही थी, बस कुछ लोगों को छोड़ कर। उसके क्लासमेट्स को वो अजीब लगता था, उसकी कई सारी वजह थी, पर सबसे बड़ी वजह थी कि वो उन सबसे अलग था। जिन कामों में आजकल के बच्चों को दिलचस्बी थी वो उन्पर ध्यान भी नही देता था। देव करीब तीन साल पहले जैद के साथ पढ़ने के लिए यहां आया था। और तब से ही वो दोनो बहुत ही अच्छे दोस्त थे।
वो दोनों बैठे बैठे अपना काम कर रहे थे की पीछे से किसी ने जैद की आंखों को बंद कर दिया, और ये थी निधी इन दोनो की क्लासमेट और इनके खास दोस्तो में से एक , निधी जैद की काफी खास दोस्त थी। लेकिन जैद उसे बड़ी आसानी से पहचान गया, उसने कहा ""निधी अब पुराने पैंतरे छोड़ भी दें तुम लोगो को तो में तुम्हारी आहट से भी पहचान सकता हूं"। इतने में बेल बजने की आवाज आई और सभी लोग अपनी अपनी जगह पर बैठने लगें। जैद और दैव एक बेंच पर बैठते थे और निधी उनके आगे।
थोड़ी ही देर में उनके टीचर भी क्लास में अटेंडेंस रजिस्टर के साथ पधारे। पहला लेक्चर होता था प्रेम सर का जोकि इनके मैथ्स के टीचर और क्लासटीचर दोनों थे। जैसे ही वो क्लास में आए सभी लोग अपनी जगह से खड़े हो गए, यह एक टीचर के प्रति सम्मान भी था, और इसलिए भी क्योंकि सभी लोग उन्हें काफी पसंद किया करते थे क्योंकि उनका स्वभाव अच्छा था, उनकी बाते बच्चों को अच्छी लगती थी, दिखने में तो वो भी काफी अच्छे थे, काफी स्मार्ट भी थे। बिलकुल किसी हीरो की तरह, और उनका पढ़ाने का तरीका भी काफी मजेदार था। वो बच्चो के साथ बिलकुल दोस्तों की तरह पेश आते थे और यही वजह थी के सभी बच्चे उन्हें इतना पसंद किया करते थे।
उन्होंने क्लास में आते ही अटेंडेंस लेना शुरू किया ही था और पहला नाम लिया ही था की तभी क्लास में एक धुआधार एंट्री हुई और ये था अब्रार। अबरार क्लास का स्पोर्ट्स चैंपियन था और इन सभी में सबसे फिट भी, पर अबरार पढ़ने लिखने में एक एवरेज लड़का था वो आखरी बार स्कूल कब वक्त पर आयात ये किसी को याद ही नहीं है। लेकिन अबरार एक अच्छा लड़का था फालतू कामों और फालतू लोगों में उसे कोई इंट्रेस्ट नही था क्लास में सभी उसे काफी पसंद करते थे मगर वो सिर्फ कुछ ही लोगो से मतलब रखता था।
अबरार हांफते हांफते बोला ""प्रेजेंट सर", उसका ये हाल देखकर सभी लोगो की हंसी निकल गई सर नेभी बस मुस्कुरा कर अपना सिर हिलाया और उसे बैठने का इशारा किया फिर अटेंडेंस का सिलसिला फिर शुरू हुआ। अबरार जाकर के अपनी जगह पर बैठ गया। तभी पीछे से एक हल्की की आवाज उसके कानो में गूंजी,"बड़ी जल्दी आ गया" अबरार पीछे मुड़ तो देख देव और जैद उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे।
क्या मैने बताया की अबरार भी इन्हिकी टीम का चौथा मेंबर और इनका सबसे खास दोस्त है। इन तीनों के आलावा और किसी के साथ रहना उसे पसंद नहीं था। ये चारों काफी वक्त से एक दूसरे के साथ थे और इनकी दोस्ती इतनी गहरी थी ये एक दूसरे के लिए कुछ भी कर सकते थे। अबरार उन दोनों की तरफ देखते हुए बोला " तुम दोनों को तो पता है यारो मेरा रोज का रूटीन कितना शक्त है, में एक दिन भी उसे नहीं छोड़ सकता, पर आज पता नहीं कैसे सुबह मेरी आंख ही नहीं खुली और जब आंख खुली तो में पहले ही आधा घंटा लेट था, फिर रूटीन पूरा करके घोड़े की दौड़ते हुए स्कूल पहुंच हूं।" फिर जैद ने उसकी तरफ देखते हुए कहा " कल रात को क्या कर रहे आप" उसका सवाल सुन कर अबरार पूरा हिल गया वो कांपते हुए धीरे धीरे पीछे मुड़ा तो देखा देव,जैद और उसके पास में बैठी निधि तीनों उसे घूरे जा रहे थे।
उनकी ऐसी नजर देख कर वो खुद ही बोला " भाई वो कल रात को एक नया गेम मिल गया था, तो खेलते खेलते पता ही नहीं चला कब घड़ी में एक बज गए।"
उसे देख कर जैद मुस्कुराया और बोला "तुझे कितनी दफा समझाया है हर चीज की एक हद होती है, पर तू सुनने को तैयार ही नहीं है।"
अबरार ने उसके जवाब में कहा" माफ करदे यार दोबारा ध्यान रखूंगा"। देव भी उसे देखते हुए कहने लगा " चल नौटंकी मत कर ओर गेम का हिसाब तो हम तुझसे बाद में लेंगे अभी क्लास में ध्यान देते हैं।"
थोड़ी देर बाद सबकी अटेंडेंस पूरी हो गई और सर ने पढ़ाना शुरू किया। जैद की क्लास के ज्यादातर बच्चे काफी तेज दिमाग और कुछ तो काफी स्किल्ड थे। इन सब के बीच में काफी कड़ी टक्कर चलती थी। प्रेम सर को भी यहां पढ़ाना अच्छा लगता था, हालांकि उन्हें यहां आए दो साल ही हुए थे, लेकिन फिर भी उन्होंने सभी बच्चों का दिल जीत रखा था।
थोड़ी देर बाद प्रेम सर का लेक्चर खत्म हो गया उसके बाद फिर एक और लेक्चर लगा और अब बारी थी स्पोर्टस की जो सभी बच्चो का सबसे पसंदीदा और साथ ही सबसे बढ़िया लेक्चर था। पूरे दिन के मजे ये लोग एक बार मे pही ले लिया करते थे और आज तो सबसे खास दिन था क्यो की आज 11ए ओर 11बी के बीच फ्रेंडली फुटबॉल मैच होने वाला था। सभी लोग इस मैच के लिए काफी उत्सुक थे, क्युकी स्कूल में ऐसे नजारे काम ही देखने को मिलते थे जहां स्कूल के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी अपनी पूरी जान लगा कर खेलते थे।
11ए का कैप्टन अबरार था, क्योंकि वो स्कूल का सबसे बेहतरीन खिलाड़ी था और साथ ही वो ऑल राउंडर भी था। लेकिन 11बी भी कम नहीं थी उनकी टीम में भी काफी अच्छे खिलाड़ी थे और उनका कैप्टन था हर्षित पूरे स्कूल में अबरार को कोई टक्कर दे सकता था तो वो सिर्फ हर्षित ही था।
अब देव और अबरार एक बड़ी उलझन में थे। देव ने कहा भाई अब क्या करेंगे हमारा एक प्लेयर तो आज स्कूल आया ही नहीं। अबरार भी इसी बारे में सोच रहा था। उसने कहा "अब और कोई रास्ता नहीं ही हमे एक और खिलाड़ी चाहिए" देव बोला "पर कैसे हमारी क्लास में सिर्फ 30 स्टूडेंट ही जिनमें से 12 लड़किया है और बचे 18 लडको मैसे 10 तो पहले ही हमारी टीम में है और एक आया ही नहीं और बाकी बचे सात मैसे 5 पहले ही दूसरे गेम्स में जा चुके है"। तभी पीछे से प्रेम सर ने उन्दूनों को को आवाज लगाई आज वो भी अपनी क्लास का मैच देखने आए थे। जैसे ही वो दोनो पल्टे उनकी नजर प्रेम सर और उनके पास खड़े जैद पर गई अबरार उसे देखते ही खुश हो गया मानों जैसे उसे उसकी परेशानी का हल मिल गया हो।
TO BE CONTINUED.......