सभी लोग किसी न किसी दुकान या वहां आस पास रहने वाले लोगों से उस शक्श के बारे में कुछ न कुछ पूछ रहे थे लेकिन थोड़ी देर वहा पूछताछ करने के बाद जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो वो सब फिर से वहीं वापस आ गए जहां से वो अलग हुए थे।
वापस आते वक्त देव और जैद को फिर से प्रेम और रहमान सर दिखे और अब तो वो पहले से भी ज्यादा जल्दी में लग रह थेे , अब उन्हें ये बात कुछ ठीक नहीं लग रही थी और जब ये बात उन दोनों ने बाकियों को बताई तो उन्हें भी लगा की यहां कुछ तो अजीब हो रहा हैं।
अब जैद ने सबसे कहा " मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा हैं, वो दोनों काफी परेशान लग रहे थे हमे उनसे बात करनी चाहिए, हो सकता हे हम उनके कुछ काम आ जाए"।
अबरार,देव, निधि ओर अमन चारों उसकी बात से सहमत हो गए, लेकिन जैसे ही वो लोग उनकी तरफ घूमे उन्होंने देखा कि वालॉग वहां थे ही नहीं, वो वह से जा चुके थे। अब उनके पास यह फिलहाल कोई काम नहीं था और उन लोगों को घर से निकले काफी देर हो चुकी थी, तो वोह सब अब अपने अपने घर चले गए।
वहीं दूसरी तरफ हम देखते है की प्रेम और रहमान सर दोनो उसी बाजार की एक गली में चलते जा रहे थे और थोड़ा आगे जाकर वो दोनों एक घर के अंदर चले जाते है। वो घर देखने में काफी बड़ा और सुंदर था मगर वहां कोई दिखाई नहीं दे रहा था, वो दोनों फिर ऊपर की तरफ एक कमरे की ओर बढ़ते हैं।
वहां पहोंच कर वोह लोग जैसे ही दरवाजा खोलते है तो देखते है की सामने एक आदमी उनकी तरफ पीठ करके खड़ा था। लेकिन जैसे ही उन्होने कमरे में कदम रखा वैसे ही वो आदमी पीछे की तरफ घुमा और कहा "आ गए तुम दोनों बड़ी देर लगा दी"।
उसकी बात सुनकर वो दोनो एक साथ बोले "आपकी ऊर्जा ढूंढना काफी मुश्किल है गुरु जी " ।
प्रेम ने कहा "आज आप उन लोगों के पीछे गए थे ,क्या आपको उनका ठिकाना मिल गया"।
ये वही इंसान था जो उन रहस्यमय लोगों के पीछे उस दीवार के पीछे छिपे उनके खुफिया अड्डे में गए थे। इनका नाम था "अल्तमश", प्रेम और रहमान दोनों अल्तमश के लिए ही काम करते थे और फुटबॉल मैच के दौरान जिस इंसान को जैद ने देखा था ओर जिसे वो जैद और उसके दोस्त कबसे ढूंढ रहे थे वो अल्तमश ही था।
अल्तमश ने प्रेम की तरफ देखा और कहा "हा गया तो था, पर कोई फायदा नहीं हुआ वहां कोई कुछ बोलने को तैयार ही नहीं था। ऊपर से सबने मुझपर हमला कर दिया उनकी वजह से मुझे पूरी जगह तबाह करनी पड़ी।" उसकी बात सुनकर वो दोनों मुस्कुराने लगे मानो जैसे उनके लिए ये कोई नई बात नहीं थी।
इसके बाद प्रेम सर बोले कि आज आपने हमें यहा क्यों बुलाया है, उस वक्त आपको स्कूल के बाहर देखकर ही समझ गया था कि कोई बहुत ही जरूरी बात होगी वरना आप पहले कभी वहां नहीं आए थे।
अल्तमश ने उसकी बात पर गंभीर होते हुए कहा "तुम जानते होना कि हमारा लक्ष्य कितना जरूरी है और साथ ही वो सिर्फ हमारा ही लक्ष्य नहीं है बल्कि और भी लोग उसके पीछे पड़े हे और वो लोग हमारे और साथ ही इस पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं। इन दिनों उनकी तादात और ताकत दोनों काफी बढ़ गई हैं आज सुबह जिनसे मेरा सामना हुआ था वो पहले वालो से काफी अलग थे और उनसे मुझे कमसे कम एक बात तो पता चली" ।
अल्तमश की ये बात सुनकर दोनों ने एक साथ पूछा "क्या आपको कोई जरूरी बात मालूम हुई"।
उनके सवाल के जवाब में अल्तमश ने ना में सिर हिलाते हुए बोला "मुझे बस इतना मालूम हो गया हैं कि हमारे पास वक्त बहुत कम है कल कोई बड़ी मुसीबत आने वाली हैं"।
फिर उसने आगे कहा" इसीलिए मुझे आज तुमसे मिलने खुद आना पड़ा पर वहां इतने बच्चों ओर लोगों को देखकर मुझे वहां से निकलना पड़ा पर मुझे पता था कि तुम लोग मुझे ढूंढ ही लोगे, ठीक हे अब तुमलोग बताओ क्या तुम्हे कुछ पता चला"।फिर अल्तमश उनकी बात सुनते हुए वापस अपने काम में लग गया।
रहमान ने कहा "यही बात बताने के लिए ही तो हम आपसे मिलने के लिए मरे जा रहे थे , हमें वो लड़का मिल गया है"।
उनकी बात सुनकर अल्तमश के हाथ जहां थे वहीं रुक गए उसके पूरे शरीर में कंपकपी दौड़ गई उसके दिल की धड़कने मानो थम सी गई। उसने उन दोनो की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था, फिर उन दोनों ने कहा "आज हमने अपनी आंखों से उसकी ताकत की एक झलक देखी एक बार के लिए तो हमें भी विश्वास नहीं हो रहा था, पर जो आंखों ने देखा उसे तो झुठला नहीं सकते, हमारा सालों का इंतजार अब खत्म हुआ"।
आखिर में अल्तमश ने उनसे पूछ ही लिया "कहां, कहां मिला तुम्हे वो", तब प्रेम ने कहा "वो हमारी स्कूल में ही हैं," अल्तमश हड़बड़ाते हुए बोला "हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है क्या तुम्हें उसका घर कहां है इसके बारे में जानकारी है"।
उन दोनों ने हां में सिर हिलाया, फिर अल्तमश बोला " हमें कल ही उसके घर जाना होगा और जहां तक मुझे पता है कल स्कूल की छुट्टी है तो उसे घर पर ही होना चाहिए"।
अगले दिन अल्तमश और उसके दोनो साथी एक साथ जैद और देव के घर पर पहुंच गए। प्रेम और रहमान सर देव और जैद को काफी अच्छे से जानते थे, वो पहले उन दोनों से मिलने उनके घर जा चूक थे ,तो उन्हें वहां ऐसे अचानक जाने में कोई दिक्कत नहीं थी।
जब वो लोग उसके घर पहुंचे उन्होंने देखा कि जैद ओर देव की मकान मालकिन जिन्हें वो दोनों आंटी कहते थे वहीं बाहर ही सफाई कर रही थी।वो लोग सीधा उनके पास गए और प्रेम ने उनके पास जाते हुए कहा " कैसी है आप", आंटी ने प्रेम की तरफ देखा और अपना काम छोड़ कर मुस्कुराते हुए कहा " अरे सर आप ओर रहमान सर आप भी साथ में है "।
फिर प्रेम ने आंटी से पूछा " क्या जैद ओर दैव घर पर है", " नहीं वो दोनों तो आज सुबह ही कही निकल गए, शायद देव कह रहा था कि वो स्कूल के पास वाले बाजार जा रहे हैं" आंटी ने प्रेम और रहमान सर से कहा।
उनकी बात सुनते ही पीछे खड़े अल्तमश ने उन दोनों को वहा से निकलने का इशारा किया। " अच्छा तो हम चलते हैं अगर वो घर आए तो उन्हें कहिएगा की एक बार मुझे फोन जरूर करे, शुक्रिया"। प्रेम सर ने आंटी से कहा और फिर प्रेम रहमान और अल्तमश तीनों वहां से निकल गए।
वहीं दूसरी तरफ अल्तमश का डर सही साबित हो रहा था, वो लोग जो अपने खतरनाक और नापाक इरादों के साथ उस छिपी शक्ति की तलाश कर रहे थे वो भी अब उसे ढूंढने के लिए एक ताकतवर योद्धा को भेज रहे थे। जिन लोगों को इन्होंने पहले भेजा था उन लोगों की कोई भी खबर नहीं लगी थी क्योंकि उन लोगों को अल्तमश पहले ही ठिकाने लगा चुका था।
अब धरती पर जंग छिड़ने वाली थी मगर इससे पहले कि ये लोग धरती पर जाए इनके मालिक ने उन्हें एक आखिरी बार समझाया " याद रहे विष तुम्हें उसे जिंदा पकड़ कर लाना है लेकिन अगर उसकी ताकत जाग गई तो किसी भी हाल में तुम्हे उसे खत्म करना होगा तुम्हारे पास सिर्फ एक मौका होगा, अगर तुमने ये मौका गवा दिया तो हमारे सिर पर एक बार फिर बड़ी मुसीबत मंडराएगी"।
विष ने अपना झुका हुआ सिर उठाया और आत्मविश्वास के साथ कहा "आप फिक्र मत कीजिए आज या तो आपका काम पूरा होगा या फिर मेरी जिंदगी खत्म होगी"।
इतना कह कर विष ओर उसके साथी एक पोर्टल से धरती की ओर निकल गए।
TO BE CONTINUED........