कॉलेज में Art & Culture Fest की तैयारी पूरे जोश से चल रही थी।
स्टेज डेकोरेशन से लेकर नाटक की स्क्रिप्ट तक — सब कुछ यूथफुल एनर्जी से भरा हुआ था।
आरव और प्रिया — दोनों को एक ही टीम में assign किया गया था।
काम था – "फेस्ट का थीम पोस्टर डिज़ाइन और सोशल मीडिया पर प्रमोशन"।
“तो सर, क्या strategy है आपकी?” प्रिया ने मस्ती भरे अंदाज़ में पूछा।
“Strategy ये है कि हम एक ऐसा पोस्टर बनाएंगे जो लोगों के दिल को छू ले… और views में धमाका कर दे,”
आरव ने अपने मोबाइल को ऊपर उठाते हुए कहा, “ये छोटा device अब मेरा हथियार है।”
“अरे वाह, लगता है अब तो तुम full investor cum designer बन चुके हो!”
“और तुम... designer cum motivator!”
दोनों की हँसी गूँजती है — जैसे पुरानी ज़िंदगी के ज़ख़्म थोड़े हल्के हो गए हों।
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शाम का समय — कॉलेज की लाइब्रेरी
आरव एक कोने में बैठा हुआ, अपने मोबाइल से Groww ऐप में ग्राफ़्स देख रहा था।
“अभी मार्केट साइडवे है... लेकिन अगले साल जब lockdown लगेगा, दवाई कंपनियों के शेयर ऊपर जाएँगे,”
वो मन ही मन सोचता है।
उसने सिप्ला और डॉ रेड्डी लैब्स के शेयर मार्क कर लिए।
इन्वेस्टमेंट का फंड कहाँ से आया?
कुछ दिन पहले उसने अपने पुराने कुछ गैजेट्स OLX पर बेचे थे —
एक पुराना Bluetooth speaker, एक कैमरा जो अब rarely इस्तेमाल होता था, और एक डिजिटल घड़ी।
उसे लगभग ₹4500 मिले थे —
फिर उसने ठान लिया कि इसमें से ₹2000 अभी stock market में लगाएगा, बाक़ी emergency के लिए रखेगा।
“थोड़ा-थोड़ा invest करूंगा... सही वक्त पर sell करके बड़ा कमा सकता हूँ।”
इतने में प्रिया पास आ जाती है —
“अरे investor बाबू, library में भी stock market?”
“सीख रहा हूँ प्रिया... ये टाइम जो मुझे मिला है, इसे बर्बाद नहीं करना चाहता।”
प्रिया बैठती है पास में —
“पर अपने दिल के स्टॉक्स में भी invest करना सीखो... जैसे दोस्ती, भरोसा, और रिश्ते।”
आरव मुस्कुराया —
“तुम्हारे साथ यही सीख रहा हूँ।”
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घर — रात का समय
आरव ने अपनी मां के साथ बैठकर खाना खाया।
“बेटा, तू बहुत बदल गया है... अब कम बोलता है, लेकिन आंखों में बहुत कुछ कहता है।”
मां ने उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा।
आरव एक पल को चुप हो गया... फिर मुस्कुरा कर बोला —
“बस बड़ा हो गया हूं मां, अब समझदारी आ रही है।”
मां ने उसका हाथ थाम लिया —
“बड़ा होना ठीक है, पर दिल का बच्चा मत खो देना।”
आरव की आंखें भीग गईं —
वो जानता था, ये सब कितने वक्त के लिए है।
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अगले दिन — कॉलेज ग्राउंड
पोस्टर की ड्राफ्टिंग चल रही थी।
प्रिया मोबाइल में rough design दिखा रही थी।
“ये रंग कैसा लग रहा है?” प्रिया ने पूछा।
“तुम्हारी आँखों से match कर रहा है,”
आरव ने चुपचाप जवाब दिया।
प्रिया थोड़ी झेंप गई,
“अच्छा जी, flirting शुरू?”
“नहीं... बस observation है।”
उसने मुस्कुरा कर कहा।
प्रिया ने teasing अंदाज़ में कहा,
“Observation हो या compliment... दोनों अच्छा लगा।”
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दोपहर — कैंटीन में चर्चा
प्रिया और आरव बैठकर poster के बारे में बात कर रहे थे।
“प्रिया, क्या तुम्हें कभी लगा कि हम अच्छे दोस्त हैं?”
आरव ने अचानक पूछा।
“हाँ... और कभी-कभी लगता है कि तुम सबसे सच्चे हो।”
प्रिया ने गंभीरता से कहा।
आरव एक पल चुप रहा... फिर बोला,
“मैंने पहले भी प्यार किया था, लेकिन अब मैं प्यार में समझदारी चाहता हूँ, सिर्फ जज़्बात नहीं।”
प्रिया ने उसकी आँखों में देखा —
“तो फिर दोस्ती से शुरू करते हैं... और देखते हैं ये bond कहाँ तक जाता है।”
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रात — अपने कमरे में अकेले
आरव ने आज ₹1000 और invest किए —
“Divi’s Lab” और “HUL” में।
उसने एक नया नोट बनाया —
“फ्यूचर स्ट्रैटेजी पार्ट 2”
रिलेशनशिप को slow और real रखना
शेयर में small cap से शुरुआत
फेस्ट में प्रेज़ेंटेशन अच्छा करना
मां के साथ समय बिताना
उसे अब समझ आ रहा था —
Time travel उसे दोबारा जीने का नहीं, बल्कि दोबारा समझने का मौका दे रहा है।
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Fest Day — कॉलेज ऑडिटोरियम
पोस्टर बड़ा सा लगा था – “कल के कलाकार, आज के नायक”
स्टूडेंट्स impressed थे, teachers ने तारीफ़ की थी।
स्टेज से उतरते वक्त प्रिया ने आरव की तरफ देखा —
“हमारी जोड़ी बढ़िया है, ना?”
आरव ने हँसते हुए कहा —
“Professional भी और emotional भी।”
प्रिया धीरे से बोली —
“Don’t break my trust, Aarav.”
आरव ने गंभीर होकर जवाब दिया —
“अबकी बार मैं खुद को भी धोखा नहीं दूँगा।”
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