रविवार की सुबह – गाँव के घर में
आज रविवार था, और ये दिन आरव के लिए बेहद ख़ास था। आम तौर पर कॉलेज और काम के तनाव में उलझे हुए, रविवार उसे एक संजीवनी की तरह महसूस होता था। उसका मन भी आज सिर्फ़ अपनी माँ के साथ बिताए गए समय की तरफ़ खिंचा था।
गाँव के घर में वो सुकून था जो शहर में नहीं मिलता। आस-पास हरियाली थी, ठंडी हवाएँ थीं और घर के आँगन में बिछी दरी पर बैठने का अपना ही मज़ा था। हर दिन की भागदौड़ के बाद, रविवार को ही वो अपनी माँ के साथ आराम से बैठकर गप्पे मारता और उसकी जिंदादिली का एहसास करता।
माँ भी हमेशा अपनी हँसी और मुस्कान से घर को रोशन करती थीं। वह बहुत खूबसूरत थीं, उनकी आँखों में एक अजीब सी गहरी समझ और दिल में प्यार था, जो किसी भी शब्द से बेहतर था।
आरव अपनी माँ को देखता और महसूस करता कि इस शांति में कुछ और ही बात है।
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सुबह का नाश्ता – माँ के साथ
आरव ने आज सुबह जल्दी उठकर अपनी माँ के लिए उनके पसंदीदा आलू के पराठे बनाए थे। अब तक वह ख़ुद भी समझने लगा था कि घर के छोटे-मोटे काम करने से उसे कितनी ख़ुशी मिलती है, और माँ के चेहरे पर मुस्कान देखना उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
“माँ, आज तो तुम मुझसे भी ज़्यादा आलसी हो,” आरव ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।
माँ ने हँसी के साथ उसे देखा, “क्या तुम भी… यह आलस नहीं, मैं बस आराम से बैठने का मज़ा ले रही हूँ।”
आरव बर्तन लेकर नाश्ते की मेज़ पर आता है और कहते हुए माँ के पास बैठ जाता है, “अच्छा, तो फिर मुझे बताओ, तुम मुझे बचपन में भी आलसी ही समझती थीं, या आज की तरह हँसते-हँसते काम करती थीं?”
माँ उसकी बातों पर मुस्कुराती हैं, “तुम तो वैसे ही बचपन से बहुत शरारती थे। लगता है, कुछ चीज़ें तुमने अब तक सीखी नहीं हैं।”
आरव हँसते हुए बोलता है, “माँ, अब मैं आपको शरारत दिखाने की कोशिश नहीं कर रहा हूँ, बल्कि अब तो मुझे समझ आ गया है कि आपकी जो आदतें हैं, वो तो बहुत प्यारी हैं।”
माँ ने हल्की सी नज़र से उसे देखा और फिर दोनों हँस पड़े। आरव के चेहरे पर उसकी माँ के साथ बिताए गए हर पल की अहमियत साफ़ झलक रही थी।
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आँगन में आराम से बैठते हुए – माँ और आरव का प्यारा पल
खाने के बाद दोनों आँगन में बैठकर चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे। ताज़ी हवा और खेतों की महक में एक अलग ही मस्ती थी। माँ और आरव दोनों आँगन में बिछी दरी पर बैठे हुए थे, और आरव ने माँ से बातों-बातों में पूछा, "माँ, क्या तुम अब भी अपने जवानी के दिनों में मेरे पापा से लड़ती थीं?"
माँ चौंकते हुए मुस्कराईं, "तुम क्या सोचते हो? लड़ाइयाँ सिर्फ़ हमारे बीच ही नहीं होतीं, बल्कि प्यार भी उन्हीं में छुपा होता था।"
आरव हँसी रोकते हुए बोला, "तो फिर ये बताओ, क्या पापा कभी तुम्हारे साथ चाय पर मस्ती करते थे?"
माँ ने मज़ाक में जवाब दिया, "वे अक्सर काम में व्यस्त रहते थे, लेकिन मैं उन्हें चाय का कप देते हुए कहती थी, 'प्यार करो तो मेरी चाय भी लो, नहीं तो मैं और चाय बना दूँगी।'"
आरव मुस्कराया, “ऐसा लगता है तुम बहुत ही जादूगरनी हो।”
माँ ने चिढ़ते हुए कहा, "तुम भी बड़ी बातें करने लगे हो, बचपन में तुम यही कहा करते थे कि, ‘माँ आप तो सबसे ज़्यादा ताक़तवर हो।’"
आरव हँसते हुए बोला, "और आप ही कहती थीं कि तुम बचपन में दुनिया का सबसे प्यारा लड़का हो। लगता है, आप दोनों के प्यार में ही ये शरारतें छुपी थीं।"
माँ मुस्कराती हैं और आरव को प्यार से उसकी हकलाती हुई बातों को सुनकर उसकी शरारतों को याद करती हैं। उनके चेहरे पर उस दिन के वो प्यारे पल ताज़ा हो जाते हैं।
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नमक और चाय का मज़ा – एक परिवार का जश्न
“माँ, अब जब तुम इतनी खूबसूरत हो, तो क्या मैं ये मानूँ कि तुम ने अपनी जवानी को चोरी कर लिया था?” आरव ने हल्के से छेड़ा।
माँ ने मुस्कराते हुए उसे झिड़का, "अरे बेटा, तुम क्या समझते हो, मैं अभी भी उसी तरह खूबसूरत हूँ। पर अब तुमसे ज़्यादा ध्यान रखना है।"
आरव झूठी शरारत दिखाते हुए बोला, "फिर तो मुझे तुम्हें एक मेकअप सेट भेजना पड़ेगा, ताकि तुम और भी ज़्यादा खूबसूरत लगो।"
माँ हँसी रोकते हुए बोलीं, “तुम भी… अच्छा अच्छा, मुझे अब ज़्यादा बात मत सिखाओ। तुम जितना कहोगे, उतना ही अपनी उम्र में बड़े हो जाओगे।”
आरव उसकी बातों को दिल से लगाकर मुस्कराया। उसके लिए माँ की मुस्कान से बड़ा कोई ख़ज़ाना नहीं था।
कभी वह ख़ुद को समय के साथ ही नहीं समझ पा रहा था, लेकिन अब वह जानता था कि समय ख़ुद को समझने का अवसर दे देता है।
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शाम का समय – बगीचे में माँ और आरव की बातें
रात को जब सब आराम से खाना खा रहे थे, तो आरव अपनी माँ से कहता है, “माँ, तुम इतनी खूबसूरत हो, क्या तुम अब भी उन पुराने दिनों की बातें याद करती हो?”
माँ मुस्कराते हुए बोलती हैं, “हाँ, मुझे लगता है, जितनी बातें हम भूल जाते हैं, उतनी ही हमारे दिल में एक ख़ास जगह बना जाती हैं।”
आरव उसकी बातें सुनते हुए चुप हो जाता है।
वह अब समझता था, कि रिश्ते सिर्फ़ समय से नहीं, बल्कि हमारे दिल से बने होते हैं। और माँ के साथ बिताए हर पल में उस प्यार और सम्मान का एक हिस्सा था, जो उसने अब तक सीखा था।