Chapter 9: नई राहें, नए चेहरे

सोमवार की सुबह थी। गाँव में सूरज की पहली किरणें जैसे ही आरव के कमरे की खिड़की से टकराईं, उसकी नींद खुल गई। कल की माँ के साथ बिताई गई शाम की मीठी यादें अब भी उसकी मुस्कान में छिपी थीं। वो उठा, फ्रेश हुआ, और माँ के बनाए नाश्ते को खाते हुए कॉलेज के लिए तैयार होने लगा।

आरव की ज़िंदगी अब एक नई दिशा में जा रही थी। उसके इरादे अब और भी पक्के थे, और उसके मन में कुछ नया कर दिखाने की चिंगारी जल चुकी थी।

कॉलेज पहुँचते ही उसे उस काम की सराहना मिली जो उसने कॉलेज फेस्ट में किया था। उसकी मेहनत, उसके तरीके, और उसकी मदद करने का स्वभाव सबके दिलों में एक जगह बना चुका था। लेकिन आरव को अब भी नहीं पता था कि उसकी मेहनत पर तीन खास नज़रें टिकी थीं।

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कॉलेज फेस्ट के दिन, जब सब व्यस्त थे, तीन लड़कियाँ – भव्या शर्मा, मीरा गुप्ता और मेघा मिश्रा – कॉलेज आई थीं। ये तीनों प्रिया की बहुत अच्छी दोस्त थीं। उन्होंने प्रिया से बात तो की, लेकिन आरव से नहीं। दूर से ही उसकी मेहनत, उसके व्यवहार और लोगों के प्रति उसकी मदद करने की आदत ने उन्हें प्रभावित किया।

**भव्या शर्मा**, एक रईस परिवार से थी। उसके पिता, **राजेन्द्र प्रसाद शर्मा**, कपड़ों की बड़ी दुकान के मालिक थे, जो पूरे छत्तीसगढ़ में कपड़ों की सप्लाई करते थे। उसकी माँ, **राधा शर्मा**, एक खूबसूरत हाउसवाइफ और देशभर के ज्वेलरी ब्रांड्स के लिए डिज़ाइन बनाने वाली डिज़ाइनर थीं। भव्या रायपुर के एक आलीशान बंगले में रहती थी।

**मीरा गुप्ता**, बिलासपुर की रहने वाली थी और पढ़ाई के लिए रायपुर आई थी। उसके पिता, **एक प्रसिद्ध क्रिमिनल लॉयर**, छत्तीसगढ़ के जाने-माने वकीलों में से एक थे। उसकी माँ, **सुनंदा गुप्ता**, एक सुलझी हुई गृहिणी थीं। मीरा का रायपुर का घर उनका वेकेशन हाउस था, जिसमें वो फिलहाल रह रही थी।

**मेघा मिश्रा**, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की बेटी थी। उसके पिता, **अशोक मिश्रा**, छत्तीसगढ़ के हर बड़े व्यापारी के अकाउंट्स संभालते थे। उनकी खुद की एक बड़ी फर्म थी। उसकी माँ, **संजना मिश्रा**, श्री शांतिनाथ डिग्री कॉलेज में कॉमर्स पढ़ाती थीं और वही कॉलेज की HOD भी थीं जहाँ आरव पढ़ता था। मेघा भी एक रईस कॉलोनी में रहती थी।

कॉलेज फेस्ट में इन तीनों ने सिर्फ प्रिया से बात की थी। लेकिन आरव को काम करते देख, मन ही मन ये तय कर लिया कि वो कॉलेज आने लगेंगी और वहीं आरव से बातचीत शुरू करेंगी।

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सोमवार को जब आरव क्लास में पहुँचा, उसने देखा कि क्लास में एक नई ऊर्जा थी। वो तीनों लड़कियाँ पहली बार क्लास में बैठी थीं। प्रिया ने उसे देखकर हल्की मुस्कान दी और उन तीनों ने बस उसे ध्यान से देखा। आरव को थोड़ा अजीब तो लगा, लेकिन उसने कुछ सोचा नहीं।

क्लास के बाद, प्रिया और वो साथ-साथ लाइब्रेरी की ओर बढ़े। रास्ते में उन लड़कियों ने बस दूर से मुस्कुरा कर देखा।

आरव को अब भी अंदाज़ा नहीं था कि उसके जीवन में कुछ नया शुरू होने जा रहा है। वो सिर्फ अपने सपनों और अपने मिशन में लगा था – लेकिन कुदरत उसकी राहों में नए मोड़ ला रही थी।

तीनों लड़कियाँ धीरे-धीरे क्लास में आने लगीं, और उनके बीच आरव के लिए एक अनकहा आकर्षण पनपने लगा – जिसे उन्होंने अपने दिल में छुपा रखा था।

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