कॉलेज फेस्ट के समापन के बाद भी आरव की व्यस्तता कम नहीं हुई थी। उसकी मेहनत और जिम्मेदारी ने कई लोगों को प्रभावित किया था, पर उसे इस बात का ज़रा भी घमंड नहीं था। रविवार को मां के साथ बिताए सुखद पल अब उसकी हिम्मत बन चुके थे। पर अब सोमवार था—नया सप्ताह, नई उम्मीदें और शायद... नए इशारे।
आरव जब क्लासरूम में दाखिल हुआ तो माहौल थोड़ा अलग सा लगा। जहाँ पहले गिने-चुने छात्र ही समय पर पहुँचते थे, पर अब सीटें लगभग भर चुकी थीं। और जो चेहरें पहले कभी नहीं दिखे थे, वो भी अब क्लास में थे—भव्या शर्मा, मीरा गुप्ता और मेघा मिश्रा। तीनों ही पहली बार नियमित क्लास में आई थीं।
प्रिया, हमेशा की तरह, सबसे पहले आई हुई थी और अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी। आरव ने हल्की मुस्कान दी और पास में बैठ गया। "इतनी भी जल्दी क्या है, मैडम?" उसने मज़ाकिया लहजे में कहा। प्रिया मुस्कुरा दी, "तुम नहीं समझोगे। एक लड़की की ज़िंदगी में डायरी क्या मायने रखती है।"
क्लास शुरू हुई, और संजना मिश्रा—कॉमर्स डिपार्टमेंट की हेड और मेघा की मां—क्लास लेने आईं। उन्होंने जैसे ही आरव को देखा, मुस्कुराईं। "आजकल तुम कॉलेज का चेहरा बनते जा रहे हो, आरव। अच्छा लग रहा है तुम्हारी मेहनत देखकर।"
आरव ने विनम्रता से सिर झुकाया, "थैंक्यू, मैम।"
क्लास के दौरान भव्या, मीरा और मेघा तीनों की नज़रें अक्सर आरव की तरफ चली जाती थीं। वो तीनों आरव से बात करने के मौके तलाश रही थीं, पर हिम्मत नहीं जुटा पा रही थीं।
ब्रेक में प्रिया अपने तीनों दोस्तों के साथ बाहर गई। "तुम तीनों अचानक क्लास में? सब ठीक है न?" उसने जानबूझकर छेड़ते हुए पूछा।
"हाँ हाँ, सोचा अब कॉलेज को सीरियसली लेना चाहिए," मीरा बोली, आँखों में शरारत की चमक के साथ।
"और फेस्ट में एक लड़के की मेहनत ने थोड़ा inspire कर दिया," मेघा ने हँसते हुए कहा।
प्रिया ने कहा, "तुम लोग भी ना... चलो, फिर मिलवाऊंगी तुम तीनों को उससे, ऑफिशियली।"
तीनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा दीं।
इसके बाद प्रिया ने इन तीनों लड़कियों को आरव से मिलवाया।
दूसरे दिन क्लास में एक एक्टिविटी का ऐलान हुआ—"बिजनेस आइडिया प्रजेंटेशन।" छात्र-छात्राओं को टीमों में बाँटा जाना था। संजना मैम ने टीम्स घोषित कीं और नियती ने करवट ली—आरव की टीम में थे: भव्या शर्मा, मीरा गुप्ता और मेघा मिश्रा।
आरव थोड़ा चौंका, पर सहज बना रहा। "लगता है अब काम फिर से शुरू," उसने धीमे से खुद से कहा।
तीनों लड़कियाँ अब खुल कर बात करने लगी थीं। मीरा ने कहा, "तुम्हारी मेहनत ने सच में inspire किया, आरव। तुमसे कुछ सीखने को मिलेगा।"
भव्या ने हल्के से मुस्कुराते हुए जोड़ा, "और तुम्हारा nature... बहुत down to earth है।"
मेघा, जो अब तक शांत थी, बोली, "हमें अच्छा लगेगा इस प्रोजेक्ट पर तुम्हारे साथ काम करके।"
आरव थोड़ा झेंप गया, पर उसने अपने चेहरे पर सहजता बनाए रखी। "मैं भी कोशिश करूँगा कि हम सब मिलकर कुछ अच्छा करें।"
प्रिया थोड़ी दूर से ये सब देख रही थी। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी, पर आँखों में कुछ अनकहा सा भाव भी था। शायद थोड़ी बेचैनी, शायद हल्की जलन, या शायद एक डर—कि कहीं जो रिश्ता धीरे-धीरे बन रहा था, वो इन नई राहों में उलझ न जाए।
पर उसे भी ये समझना था कि ज़िंदगी हर मोड़ पर नया सबक देती है। और आरव... वो अभी सिर्फ शुरुआत कर रहा था।
(जारी...)