Chapter 14 - बदलती नज़रों में आरव

कॉलेज का माहौल अब पूरी तरह बदल चुका था। बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन के बाद आरव अब क्लास में सबसे चर्चित नाम बन चुका था। हर कोई उसकी तारीफ़ कर रहा था—चाहे वो उसकी ड्रेसिंग सेंस हो, उसकी बातचीत का तरीका, या उसकी समझदारी। लड़कियां उसके चारों तरफ मंडराने लगी थीं, और लड़के… बस, वो या तो जलन से भर चुके थे या चुपचाप उसे देख कर प्रेरणा लेने लगे थे।

पर आरव अब भी शांत था, स्थिर था। न उसे लोगों की तारीफ़ से घमंड हुआ, न ही किसी की जलन से फर्क पड़ा। वो अब भी वही आरव था, जो कल था—अपने काम से काम रखने वाला, विनम्र और सौम्य।

भव्या, मीरा और मेघा अब रोज़ क्लास अटेंड करने लगी थीं। हर लेक्चर में आरव के पास बैठना, उससे नोट्स शेयर करना, और छोटी-छोटी बातों में हँसना अब उनकी आदत बन चुकी थी। उनकी आंखों में आरव के लिए कुछ खास था, लेकिन वो अब भी अपनी फीलिंग्स को शब्दों में नहीं ढाल पा रही थीं।

एक दिन की बात है, जब क्लास में HOD संजना मिश्रा ने एक नया प्रोजेक्ट अनाउंस किया—"Innovation in Rural Business"। ये प्रोजेक्ट पूरे कॉलेज में प्रस्तुत किया जाना था, और सबसे अच्छा प्रेजेंटेशन देने वाले को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भेजा जाना था।

HOD ने कहा, "इस बार मैं खुद टीम बनाऊंगी, ताकि सभी स्टूडेंट्स को एक अच्छा अनुभव मिल सके।"

सबकी सांसें थम गईं। और फिर जब नाम घोषित हुए, तो...

"Team One: Aarav Singh, Bhavya Sharma, Meera Gupta, Megha Mishra."

क्लास में एक पल को सन्नाटा छा गया। बाकी लड़के जो मन ही मन सोच रहे थे कि इस बार तो आरव के साथ नहीं होंगे, अब फिर से जलन में डूब गए। और लड़कियां... वो कुछ मुस्कुरा रही थीं, कुछ भीतर ही भीतर कुंठित थीं।

आरव ने हल्की मुस्कान दी, पर उसने किसी से कोई आंख संपर्क नहीं किया। प्रिया, जो इस बार दूसरे ग्रुप में थी, आरव को देख रही थी—ना जाने किस भावना से।

वो आरव जिसे वो समझती थी कि उसके पास सब कुछ नहीं था, अब धीरे-धीरे सबका ध्यान खींच रहा था। और ये बदलाव प्रिया को भीतर से विचलित कर रहा था, हालांकि वो इसे छुपा रही थी।

...

प्रोजेक्ट की मीटिंग्स अब शुरू हो चुकी थीं। कॉलेज के बाहर एक कैफे में सभी टीम्स मिल रही थीं, और आरव के ग्रुप ने भी वहीं मीटिंग शेड्यूल की। कैफे में पहुंचते ही आरव ने सबसे पहले मीरा को देखा जो गहरे नीले रंग की कुर्ती में बेहद सुंदर लग रही थी। वहीं भव्या एक क्रीम कलर की साड़ी में राजसी आभा लिए खड़ी थी, और मेघा ने ऑफ वाइट शिफॉन की साड़ी पहनी थी, जिससे उसकी सरलता और अधिक निखर रही थी।

आरव ने उन्हें देखकर विनम्रता से मुस्कुराया और कहा, "चलो, शुरू करते हैं।"

भव्या ने कहा, "आरव, तुम हमेशा इतना शांत कैसे रहते हो? मतलब... इतने लोग जलते हैं, फिर भी तुम टेंशन नहीं लेते।"

आरव हँसा, "क्योंकि मैं जानता हूँ कि मेरा लक्ष्य क्या है। लोग क्या सोचते हैं, ये उनके सोचने का काम है, मेरा नहीं।"

मीरा ने उसकी तरफ देख कर कहा, "कमाल का जवाब है।"

तीनों लड़कियां उसकी बातों से और भी प्रभावित हो गईं। आरव अब उनके लिए सिर्फ एक दोस्त नहीं रहा था, बल्कि एक ऐसा इंसान बन गया था जिससे वो सीखना चाहती थीं, समझना चाहती थीं… और शायद, दिल भी लगाना चाहती थीं।

प्रोजेक्ट पर बात करते हुए उनका समय कैसे बीत गया, उन्हें खुद पता नहीं चला। बाहर शाम ढल रही थी और भीतर उनकी टीम में एक नई शुरुआत हो रही थी—इमोशन्स की, समझदारी की और… शायद कुछ अधूरी चाहतों की भी।

(जारी...)