कॉलेज के दिन अब और भी दिलचस्प होते जा रहे थे। बिजनेस प्रोजेक्ट की वजह से आरव का तीनों लड़कियों—भव्या, मीरा और मेघा—के साथ समय बिताना ज़्यादा हो गया था। साथ में बैठकर discussion करना, ideas बनाना, presentation की formatting, और एक-दूसरे की strengths को समझना... ये सब धीरे-धीरे उनके बीच की बॉन्डिंग को मज़बूत बना रहे थे।
भव्या, जो शुरू में थोड़ी reserved रहती थी, अब आरव के सामने खुलकर मुस्कुराने लगी थी। उसके बोलने का तरीका बहुत शालीन था, लेकिन उसकी आँखों में आरव के लिए एक अलग सी चमक थी जो छुपी नहीं रह पा रही थी।
मीरा, जो काफी confident और outspoken थी, आरव की maturity और calm nature से बहुत प्रभावित थी। वो अक्सर group discussion के दौरान आरव को टोक देती, "तुम्हें तो किसी courtroom में होना चाहिए, presentation में भी इतने तर्क और logic लाते हो जैसे किसी केस की सुनवाई हो रही हो।" इस पर सब हँस पड़ते, और आरव बस हल्की सी मुस्कान देकर चुप हो जाता।
मेघा, जो कि सबसे ज़्यादा observant थी, आरव की हर बात को ध्यान से देखती थी—वो कैसे सोचता है, कैसे दूसरों को encourage करता है, कैसे छोटी-छोटी बातों में भी गहराई से सोचता है। एक बार उसने softly कहा भी था, "तुम...अलग हो बाकी लोगों से। तुम्हारी आँखों में कोई पुरानी कहानी छुपी है शायद।" आरव बस चौंक कर रह गया था, लेकिन कुछ नहीं कहा।
प्रिया अब ज़्यादा देर तक चुप नहीं रह पा रही थी। जब भी वो आरव को इन तीनों के साथ हँसते हुए देखती, उसके दिल में एक अजीब सी कसक उठती। वो चाह कर भी अपने चेहरे पर कुछ नहीं आने देती, लेकिन उसकी सबसे अच्छी दोस्त, कनिका, उसकी आँखों में सब कुछ पढ़ लेती थी। एक दिन कनिका ने उससे सीधा पूछा, "तू आरव से प्यार करती है न?"
प्रिया ने कुछ सेकंड्स चुप रहकर जवाब दिया, "मुझे नहीं पता... लेकिन जब वो किसी और के साथ होता है, तो दिल भारी हो जाता है। शायद हाँ।"
क्लास में अब final presentation की तारीख़ आ चुकी थी। HOD मैम ने announce किया कि अगले हफ्ते के बुधवार को सभी ग्रुप्स अपने presentation देंगे और वही ग्रेडिंग का भी दिन होगा।
उस शाम आरव अपने घर में अकेला बैठा था। उसकी माँ मंदिर गई हुई थी। वो अपनी पुरानी कॉपी पलट रहा था जिसमें उसने टाइम ट्रैवेल से पहले के कुछ moments लिखे थे। हर पन्ने में एक regret था, एक अधूरा सपना, और एक वादा खुद से।
"माँ को खोने नहीं दूँगा इस बार... और इस बार मैं अपने दिल की बात को भी पहचानूंगा," उसने मन में ठाना।
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