Chapter 17: अनकहे सच और गहराइयों की परतें

कॉलेज के गलियारे में वो दोपहर बहुत हल्की-सी गर्माहट लिए हुए थी। हवा में हलचल कम थी, पर आरव के मन में बहुत कुछ चल रहा था। पोस्टर का काम लगभग खत्म हो चुका था। प्रिया और आरव के बीच अब बातों की लय सहज हो चुकी थी। हंसी, मज़ाक और हल्की-सी फ्लर्टिंग वाली टोन अब उनके बीच आम हो गई थी, लेकिन आरव जानता था कि उसे अपने मिशन पर भी ध्यान देना है — खुद को बदलने का, स्टॉक्स समझने का, और भविष्य को बेहतर करने का।

एक दिन जब सभी क्लास में थे, प्रिया चुपचाप आरव के पास आई। उसके हाथ में एक पतला-सा नीले रंग का फोल्डर था।

प्रिया (धीरे से मुस्कुराते हुए):

"ये लो... तुमने स्टॉक्स के बेसिक डिटेल्स और मार्केट समझने को कहा था ना... पापा के ऑफिस से लाकर लाई हूँ।"

आरव थोड़ा चौंका, फिर फोल्डर को देखा — उस पर 'VKV Stock Management – Internal Learning Kit' लिखा था। वह समझ गया था, ये यूँही हल्की चीज़ नहीं थी। प्रिया ने पर्सनली अपने पापा के ऑफिस से लाकर उसे यह दिया था।

आरव (थोड़ा मुस्कुराते हुए):

"Thanks, प्रिया... पर तुमने पापा से कुछ बोला तो नहीं ना?"

प्रिया (थोड़ी शरारत से):

"नहीं बाबा! बोला तो नहीं... बस उनसे general knowledge material मांगा था। उन्होंने junior interns के लिए तैयार करवाया था, वही मैं ले आई। तुम्हारे लिए useful होगा।"

आरव की आंखों में इज़्ज़त और curiosity दोनों थी।

आरव:

"तुम्हारे पापा कौन-सी कंपनी में हैं? मतलब ये सब documents इतने professional हैं कि..."

प्रिया (थोड़ा मुस्कुराते हुए, पर गर्व के साथ):

"पापा VKV Stock Management चलाते हैं... छत्तीसगढ़ में कई बड़े businessmen के stocks का warehouse और distribution manage करते हैं।"

आरव (आश्चर्य से):

"क्या? मतलब... तुम industrial background से हो?"

प्रिया (धीरे से सिर हिलाते हुए):

"Hmm... और मम्मी AIIMS में सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट हैं।"

एक पल के लिए आरव चुप हो गया। उसने प्रिया को कभी इस तरह से नहीं देखा था। उसकी आंखों में अब एक नए तरह की गंभीरता थी। वो केवल पोस्टर पर काम करने वाली लड़की नहीं थी, वो एक ऐसे घर से आई थी जहाँ knowledge, power और prestige तीनों की मिसाल थी।

आरव (थोड़ी धीमी आवाज़ में):

"तुम... कभी बताया नहीं..."

प्रिया (हल्की मुस्कान के साथ):

"तुमने कभी पूछा नहीं।"

इस हल्की सी चुभती मुस्कान के बाद आरव के मन में एक सवाल और आया।

आरव:

"तुम्हारी बाकी फ्रेंड्स — भव्या, मीरा, मेघा — वो भी ऐसे ही किसी बैकग्राउंड से हैं क्या?"

प्रिया (थोड़ी हंसी के साथ):

"पूछ लो उन्हीं से।"

कुछ ही देर बाद, lunch break के दौरान सभी लड़कियां कैंटीन में थीं। आरव ने casually बातचीत शुरू की।

आरव (हँसते हुए):

"तुम सब बहुत royal लोग हो यार... प्रिया तो stock documents लेकर आई, अब तुम लोग भी किसी बड़ी कंपनी से related निकले तो मैं शॉक में चला जाऊँगा।"

भव्या (हँसते हुए, पर confident लहजे में):

"Too late! मेरे पापा RP Sharma Textile Company के मालिक हैं। पूरे रायपुर में हमारे fabrics सप्लाई होते हैं।"

मीरा (थोड़ी गर्व से):

"और मेरे पापा छत्तीसगढ़ के जाने-माने क्रिमिनल लॉयर हैं। हाई-प्रोफाइल केस लड़ते हैं।"

मेघा (थोड़ा शांत, लेकिन गहरी आवाज़ में):

"पापा CAs की एक बड़ी फर्म चलाते हैं। और मम्मी श्री शांतिनाथ कॉलेज की Commerce HOD हैं।"

आरव की मुस्कान धीरे-धीरे फीकी पड़ने लगी थी। वो सच में शॉक में था। इन लड़कियों को वो आम कॉलेज फ्रेंड्स की तरह देखता आया था — casual, approachable और हल्के मूड वाली। लेकिन अब उसके सामने उनके असली रूप और background खुल रहे थे।

आरव (धीरे से, खुद से):

"मैं तो इन्हें बस दोस्त समझता था... और ये सब तो अपनी-अपनी दुनिया की महारानियाँ हैं यार..."

पर दुखी वो नहीं था। उल्टा, उसके चेहरे पर हल्की-सी जिद और मुस्कान उभरी। उसके अंदर कुछ जागा था। एक दृढ़ निश्चय... कि उसे इन लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है। वो किसी से कम नहीं है — चाहे उसका background कोई भी हो।

मीरा (आरव की आँखों में देखते हुए, हल्के अंदाज़ में):

"क्यों आरव? डर गए हमसे?"

आरव (थोड़ी मस्ती में):

"नहीं नहीं... बस सोच रहा हूँ, इतने बड़े लोगों के बीच एक middle-class लड़का भी entry ले सकता है क्या?"

भव्या (शरारती मुस्कान के साथ):

"Entry तो ले ली है... अब टिके रहो।"

सभी हँसने लगे। लेकिन उस हँसी के बीच आरव के मन में एक नई भावना उठी — growth की, self-respect की और अपने आप को साबित करने की।