रांझना  with सफर-4

माया और उसके पापा सुबह की धूप में कार से कॉलेज की ओर बढ़ रहे थे। माया खिड़की से बाहर के दृश्यों को देख रही थी, लेकिन उसके मन में विचारों का बवंडर था। उसके पापा गाड़ी चलाते हुए बोले, "माया, मुझे तुम पर पूरा यकीन है। जिस किसी को भी तुमने पसंद किया होगा, वह बहुत अच्छा और काबिल होगा। मैं बस चाहता हूं कि तुम खुश रहो।"

माया ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "पापा, आज शाम वह आपसे मिलने आएगा। मैं उसे लेकर घर आऊंगी।"

पिता ने माया की ओर देखे बिना सिर हिलाया। वह उसकी खुशी में खुश थे, लेकिन उनके मन में कई सवाल भी थे।

जब गाड़ी कॉलेज के गेट पर रुकी, तो माया को अहसास हुआ कि सफर खत्म हो चुका है। कार से बाहर निकलते हुए उसके पापा ने उसे याद दिलाया, "माया, सुधीर को आज ही साफ-साफ बता देना कि तुम उससे शादी नहीं कर सकती। वह यह बात किसी और से न सुने।"

माया ने सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है, पापा। मैं उससे बात कर लूंगी। बाय।"

 

कॉलेज के कैंपस में माया ने सुधीर को देखा, जो पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था। सुधीर ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "आओ माया, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। मुझे तुमसे कल की बात करनी है।"

माया ने गंभीरता से उसकी ओर देखा। सुधीर ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसका हाथ थाम लिया और कहा, "माया, तुम्हारी आंखें, तुम्हारी खामोशी सब कुछ मुझे बता चुकी हैं। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। इस दुनिया में तुमसे ज्यादा किसी को खुश नहीं रख सकता।"

 

माया ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और तीखे स्वर में कहा, "सुधीर, तुम्हारा सोचना गलत है। मैं तुमसे शादी नहीं करना चाहती। तुम किसी और के सपने देखो।"

सुधीर स्तब्ध रह गया। उसने एक गहरी सांस लेकर पूछा, "मुझमें क्या कमी है, माया? क्यों तुम मुझसे शादी नहीं कर सकती?"

माया ने शांत स्वर में कहा, "तुम में कोई कमी नहीं है, सुधीर। लेकिन मेरा दिल किसी और को चाहता है। मैं किसी और की हूं, तुम्हारी नहीं।"

सुधीर का चेहरा मुरझा गया। उसने फिर कोशिश की, "माया, मैं नहीं जानता तुम किससे प्यार करती हो। लेकिन मैं उससे भी ज्यादा तुम्हें खुश रखूंगा। तुम्हें मुझसे बेहतर कोई नहीं मिलेगा।"

माया ने गहरी नजरों से सुधीर को देखा और कहा, "सुधीर, तुम्हें मुझसे बेहतर लड़की मिलेगी, जो तुम्हें बहुत प्यार करेगी। मुझे माफ करना। बाय।"

 

माया के जाते ही सुधीर के भीतर एक तूफान उमड़ने लगा। उसने गुस्से और दर्द से भरी आवाज में चिल्लाया, "माया! जिसे तुम प्यार करती हो, मैं उसे नहीं छोड़ूंगा! आई लव यू, माया!"

उसकी आवाज इतनी जोर से गूंजी कि कॉलेज कैंपस में मौजूद हर कोई ठहर गया। माया ने रुककर पलटकर देखा, लेकिन कुछ कहे बिना अपने रास्ते पर चल पड़ी।

सुधीर के दोस्तों ने उसे संभालने की कोशिश की, लेकिन वह वहीं जमीन पर बैठ गया। उसकी आंखों में आंसू थे, और दिल में माया के लिए एक अधूरी मोहब्बत की गूँज।

 

सुधीर का यह चिल्लाना उसकी घबराहट, गुस्से और पागलपन का प्रतीक था। उसने अपनी सारी भावनाओं को बाहर निकाला, लेकिन इसके साथ ही उसने माया और रुद्र के जीवन को पूरी तरह से चुनौती दे दी थी। उसका यह कदम उसे और माया को कहीं न कहीं और भी मुश्किलों में डालने वाला था। वह न केवल अपने प्यार को जताने की कोशिश कर रहा था, बल्कि उसकी तंग मानसिक स्थिति ने उसे यह विश्वास दिलाया था कि अगर माया उसे नहीं मिलेगी, तो वह किसी भी हद तक जा सकता है।

माया, जो पहले ही अपने जीवन के एक बड़े मोड़ पर थी, अब इस अप्रत्याशित व्यवहार से परेशान हो सकती थी। सुधीर का यह हिंसक और भावुक व्यवहार उसे और रुद्र को डर में डाल सकता था। रुद्र, जो माया के साथ था, उसकी सुरक्षा और खुशी के लिए अब और अधिक चिंतित हो सकता था, क्योंकि सुधीर की पागलपन की सीमा अब साफ हो रही थी।

यह स्थिति अब और भी जटिल होती जा रही थी, और हर किसी के लिए यह खतरनाक हो सकता था। माया को यह समझने की जरूरत थी कि सुधीर का प्यार अब घातक रूप ले चुका था, और उसे अपनी और रुद्र की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाने होंगे।

सुधीर उदास होकर घर लौट आया और अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। उसने बिस्तर पर खुद को गिरा दिया और माया के शब्द उसके मन में गूंजते रहे, "तुम्हें मुझसे बेहतर लड़की मिलेगी।" उसके दिल पर यह बात भारी पड़ रही थी।

थोड़ी देर बाद उसकी मां दरवाजे पर आईं और हल्की आवाज में बोलीं, "सुधीर बेटा, क्या हुआ? माया ने कुछ कहा?" सुधीर ने धीमी आवाज में कहा, "नहीं, कुछ नहीं।" उसकी मां को लगा कि वह थका हुआ होगा और बिना ज्यादा सवाल किए नीचे चली गईं। लेकिन उनके दिल में बेटे की हालत को लेकर चिंता गहराने लगी।

उधर, माया के घर में माहौल थोड़ा गंभीर था। उसके माता-पिता बेसब्री से उसका इंतजार कर रहे थे। दरवाजे की घंटी बजी, और माया अंदर दाखिल हुई। उसके साथ एक युवक था। माया ने अपने माता-पिता से कहा, "पापा, मम्मी, यह रूद्र है। यही वह है जिसके बारे में मैंने आपको बताया था।"

रूद्र ने आगे बढ़कर माया के माता-पिता को नमस्ते किया और उनके पैर छुए। माया के पिता ने आशीर्वाद दिया, लेकिन उसकी मां ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। माया के पिता ने माहौल को हल्का करने के लिए कहा, "माया, जाओ, हमारे मेहमान के लिए चाय-नाश्ता लेकर आओ।"

माया मुस्कुराते हुए रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद वह चाय और नाश्ता लेकर आई और रूद्र को दिया। उसके पिता ने सवाल करना शुरू किया, "अच्छा, रूद्र, यह बताओ। पढ़ाई पूरी कर ली या अभी नौकरी कर रहे हो?"

रूद्र ने विनम्रता से जवाब दिया, "अभी पिछले साल ही पढ़ाई पूरी की है। अब मेरा खुद का बिजनेस है।" माया के पिता ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह तो बहुत अच्छी बात है। और माता-पिता?" रूद्र का चेहरा हल्का उदास हो गया। उसने धीरे से कहा, "माता-पिता ने अपना आशीर्वाद देकर हमेशा के लिए मुझे छोड़ दिया।"

माया के पिता ने सहानुभूति से पूछा, "मुझे माफ करना, बेटा। यह कब हुआ?" रूद्र ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "जब मैं बोर्ड एग्जाम में अच्छे नंबरों से पास हुआ था, तो वे खुशी के मारे मंदिर गए थे। लौटते वक्त उनका एक्सीडेंट हो गया। जब मुझे इस बात का पता चला, तो मेरा पूरा जीवन बदल गया।"

माया के पिता ने माहौल को हल्का करने के लिए पूछा, "तुम्हारा बिजनेस कैसा है? किस चीज का है?" रूद्र ने जवाब दिया, "मेरा खुद का मॉल है, जिसका नाम 'द रुद्राक्ष मॉल' है।"

माया के पिता ने मुस्कुराते हुए पूछा, "तो, बेटा! तुम्हें मेरी बेटी से कब शादी करनी है?" रूद्र ने थोड़ा शर्माते हुए कहा, "जब आप कहें।" माया के पिता ने मजाकिया लहजे में कहा, "मेरा तो मन करता है कि मैं माया की शादी कभी न करूं।" रूद्र ने हंसते हुए कहा, "अगर आप ऐसा करेंगे, तो मुझे जिंदगीभर कुंवारा रहना पड़ेगा।"

इतने में माया के पिता का फोन बजा, और वे उठकर बात करने चले गए। जाते-जाते उन्होंने कहा, "बेटा, खाना खाकर जाना।" डाइनिंग टेबल पर माया और रूद्र एक साथ बैठे। माया की मां ने धीरे-धीरे अपनी कठोरता छोड़ी और रूद्र को खाने परोसने लगीं।

रात के इस खाने में केवल स्वादिष्ट व्यंजन ही नहीं, बल्कि एक नए रिश्ते की मिठास भी शामिल थी।

दूसरी ओर, सुधीर अब भी अपने कमरे में अकेला बैठा था। माया के शब्द उसकी आत्मा को झकझोर रहे थे। उसने मन ही मन कहा, "माया, मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूं। तुम्हें भूलना आसान नहीं होगा।"

 

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सुधीर भारी मन से अपने परिवार के साथ डाइनिंग टेबल पर आकर बैठा। खाना परोसा जा रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ झलक रही थी। उसकी मां ने ध्यान दिया और पूछा, "सुधीर, बेटा, क्या हुआ? माया से बात हुई क्या?"

सुधीर ने धीरे-से सिर झुकाकर कहा, "हां, मां। बात हुई। उसने मना कर दिया। उसने कहा कि वह किसी और से प्यार करती है और मुझसे शादी नहीं कर सकती। उसने यह भी कहा कि मुझे उससे बेहतर लड़की मिल जाएगी।"

सुधीर की मां गुस्से में आ गईं और बोलीं, "उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरे बेटे को मना करने की? हमारे सुधीर जैसा लड़का ढूंढने से भी नहीं मिलेगा।"

सुधीर के पिता ने शांत स्वर में कहा, "छोड़ो भी। जब लड़की की मर्जी नहीं है, तो हमें भी इस रिश्ते को आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं। वैसे भी, मेरी नजर में एक और लड़की है। चलो, उसे देखने की तैयारी करते हैं।"

सुधीर ने अपनी थाली की ओर देखा और धीरे से कहा, "पापा, मुझे कोई और लड़की नहीं देखनी है। मुझे इस बारे में सोचने के लिए थोड़ा समय चाहिए।"

सुधीर के पिता ने उसकी बात सुनकर सिर हिलाया और बोले, "जैसी तुम्हारी मर्जी, बेटा। लेकिन याद रखना, यह दुनिया बहुत बड़ी है। माया के अलावा भी कई लड़कियां हैं जो तुम्हारे लिए सही होंगी।"

सुधीर ने कोई जवाब नहीं दिया। वह खाना खाता रहा, लेकिन उसका मन कहीं और था। उसकी मां अब भी माया को लेकर बड़बड़ा रही थीं, जबकि उसके पिता ने स्थिति को शांत रखने की कोशिश की।

उस रात, सुधीर देर तक अपने कमरे में बैठा रहा, माया की बातें उसके मन में बार-बार गूंज रही थीं। वह खुद से सवाल कर रहा था, "क्या मुझमें सचमुच कोई कमी है, या यह सब सिर्फ किस्मत का खेल है?"

 

सुधीर के गुस्से में आग की तरह जलते हुए दिन बीत रहे थे। माया का नाम और उसकी सगाई की खबर जैसे उसकी दुनिया को बिखेर देने वाली हो, और वह सोचता ही चला जाता था कि कैसे माया ने उसे छोड़ दिया, कैसे उसे यह एहसास हुआ कि वह किसी और के साथ अपने भविष्य की कल्पना कर रही है। हर पल उसे यह लगता कि उसका प्यार, उसकी उम्मीदें, सब बेकार चली गईं। उसकी नजरों में माया की सगाई की खबर एक गहरी चोट की तरह थी, जो हर दिन उसे तंग कर रही थी।

सुधीर का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। कॉलेज में भी वह किसी से बात नहीं करता, दोस्तों से भी दूरी बना ली थी। वह खुद को एक कमरे में बंद कर लेता, सोचता रहता कि वह माया से बदला कैसे ले सकता है। उसे अपने गुस्से की कोई सीमा नजर नहीं आ रही थी। क्या उसे अपनी ज़िंदगी में प्यार और माया को पाने के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे वह इसे वापस पा सके, या फिर वह सिर्फ अपने गुस्से में डूब कर अपनी ज़िंदगी को बर्बाद कर दे?

उसके माता-पिता भी चिंतित थे, क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि सुधीर की माया के पीछे क्या सच्चाई छुपी हुई है। वे जानते थे कि सुधीर को समझाना और उसे शांति दिलाना बहुत मुश्किल था, लेकिन वह जानते थे कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनका बेटा पूरी तरह से बदल सकता था।

एक दिन, सुधीर की मां ने धीरे से पापा से कहा, "कुछ करना होगा, हमें सुधीर को समझाना होगा। वह कहीं खो रहा है, हमें उसे वापस लाने की कोशिश करनी होगी।"

पापा ने गहरी सांस ली और कहा, "हमने उसकी पूरी जिंदगी का ख्याल रखा, पर अगर वह अपनी ही दुनिया में खो रहा है तो हमें उसे बाहर निकालने का तरीका ढूंढना होगा। वह हमारी मदद चाहता है, लेकिन इसे समझे बिना वह खुद को और भी नष्ट कर लेगा।"

सुधीर के भीतर का गुस्सा और उसकी खोई हुई उम्मीदें उसके भविष्य को खतरे में डालने वाली थीं। अब वक्त था उसे अपनी जिंदगी को दोबारा से सही दिशा में लाने का। क्या वह इस गुस्से को छोड़कर सही रास्ते पर लौट पाएगा, या फिर उसे और ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ेगी?

सुधीर की मानसिक स्थिति अब पूरी तरह से बिगड़ने लगी थी। माया के बिना उसकी जिंदगी की कोई अहमियत नहीं थी, और यही वजह थी कि वह पूरी तरह से पागल हो चुका था। माया की शादी की खबर ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया था, और अब वह अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। वह गुस्से और नफरत में आकर कभी भी कुछ भी कर सकता था, उसे अब यह भी नहीं समझ में आ रहा था कि वह क्या कर रहा है।

उसकी मानसिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि वह अपने हर कदम पर सिर्फ माया और रुद्र के बारे में सोचता रहता था। उसे इस बात का अहसास नहीं था कि वह अपने आप को और दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है। उसकी सोच और समझ पूरी तरह से धुंधली हो गई थी, और वह अब सिर्फ बदले की आग में जल रहा था।

माया से अलग होने की सोच, रुद्र के साथ उसकी शादी का ख्याल, और उसके अपने पागलपन ने उसे एक ऐसे मोड़ पर ला दिया था, जहां वह किसी भी हद तक जा सकता था। उसकी हालत अब एक ऐसी स्थिति में थी जहां वह न सिर्फ खुद को, बल्कि दूसरों की भी जिंदगी को खतरे में डाल सकता था।

सुधीर को अपनी मानसिक स्थिति की पहचान करनी जरूरी थी, लेकिन जब कोई उसे सही मार्गदर्शन नहीं दे रहा था, तब वह और भी अधिक उलझता जा रहा था। अगर जल्द ही उसे कोई सही मार्गदर्शन नहीं मिलता, तो वह खुद को और माया के आसपास के लोगों को भारी नुकसान पहुंचा सकता था।

 

 

 🔥 क्या सुधीर अपनी मानसिक स्थिति पर काबू पा पाएगा, या उसका जुनून उसे एक खतरनाक कदम उठाने पर मजबूर कर देगा?

 🕯️ क्या रीतिका की अंगूठी और माया की कहानी का कोई रहस्यमय जुड़ाव है, जो आने वाले संकट की शुरुआत है?

 👁️‍🗨️ रूद्र, जो शांत और परिपक्व दिखता है—क्या उसका भी कोई अतीत है जो अब सामने आने वाला है, और क्या वह वाकई माया को सुरक्षित रख पाएगा?

 

 आगे क्या होगा यह जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझना with सफर।