माया और रुद्र की सगाई मे , सब कुछ बहुत ही खुशहाल और शानदार लग रहा था। माया के पापा खुश थे कि उन्होंने अपनी बेटी के लिए ऐसा अच्छा लड़का ढूंढ़ लिया, जबकि माया की मां थोड़ी अनमनी सी दिख रही थी। वो शायद इस रिश्ते को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थीं, लेकिन माया के पापा के उत्साह को देखकर उन्होंने भी चुप रहना ही बेहतर समझा।
सगाई के दिन रुद्र और माया के बीच की केमिस्ट्री साफ नजर आ रही थी। उनका प्यार और मिलनसार व्यवहार सभी के दिलों को छू रहा था। रुद्र ने माया से खुशी से पूछा, "क्या तुम मेरे साथ डांस करना चाहोगी?" माया ने हंसी के साथ जवाब दिया, "हां, बिल्कुल!" और इस छोटे से सवाल ने उनके रिश्ते को और भी मजबूत कर दिया था।
लेकिन माया के पापा के चेहरे पर जो खुशी थी, वह माया की मां की निराशा को छिपा नहीं पा रही थी। वह इस रिश्ते को लेकर पूरी तरह से खुश नहीं थीं, और शायद उन्हें कुछ तो शक था या फिर वह इस रिश्ते के जल्दबाजी में होने को लेकर चिंतित थीं। माया के पापा ने इसे नजरअंदाज करते हुए सब कुछ आराम से लिया, क्योंकि वह इस रिश्ते के बारे में बेहद खुश थे।
अगले दिन पंडित जी को बुलाकर शादी की तारीख तय की गई। पंडित जी ने 21 नवंबर को शादी का शुभ मुहूर्त निकाला, और माया के पापा को यह तारीख बहुत जल्दी लगी। "इतनी जल्दी?" माया के पापा ने थोड़ा हैरान होते हुए पूछा। पंडित जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "जी हां, यही सबसे अच्छा मुहूर्त है। अगर आप इसे टालते हैं, तो अगला मुहूर्त उतना शुभ नहीं रहेगा।"
माया के पापा ने फिर सोचने के बाद यह तारीख मंजूर कर ली और पंडित जी को धन्यवाद कहा। अब सभी के मन में एक ही सवाल था – क्या माया और रुद्र का यह रिश्ता इस खुशी से शादी के मंडप तक पहुंचेगा, या फिर कुछ अप्रत्याशित घटनाएं इस सुंदर सगाई की राह में कोई नई कठिनाइयां लाएंगी?
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माया की शादी के लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं और समय बहुत तेजी से बीत रहा था। 21 नवंबर, शादी का दिन अब बस कुछ ही हफ्ते दूर था, और माया की खुशी देखते ही बन रही थी। शादी की रस्मों की तैयारियां बड़ी धूमधाम से हो रही थीं, और माया के पापा अपनी बेटी को दुल्हन के रूप में सजते-धजते हुए देखने के लिए उत्साहित थे। हर पिता का यही सपना होता है कि उसकी बेटी अपनी ससुराल जाए, और माया के पापा इस खास पल को लेकर काफी खुश थे।
माया की सहेलियां भी धीरे-धीरे शादी में शामिल होने के लिए आ रही थीं। उनमें से आस्था, माया की सबसे करीबी दोस्त थी, जो हमेशा माया के साथ रहती थी। आस्था के साथ माया के रिश्ते में गहरी दोस्ती थी, और वह दोनों एक-दूसरे के बिना कुछ नहीं करती थीं। शादी की रस्मों के दौरान आस्था और माया के बाकी दोस्तों ने मिलकर माया को हल्दी लगाई, और पूरे कमरे में पीला रंग बिखर गया। माया एकदम सुंदर और खुश लग रही थी, और उसकी आंखों में शादी का उत्साह साफ नजर आ रहा था।
हल्दी की रस्म के बाद, मेहंदी की बारी आई। माया ने खुद अपनी सहेलियों को शादी के कार्ड दिए थे, और कॉलेज में जितनी भी उसकी दोस्त थीं, सभी को कार्ड मिल चुका था। एक खास बात यह थी कि सुधीर, जो माया के पुराने दोस्त थे, अब कॉलेज आना छोड़ चुका था। इसलिए माया को सुधीर के घर जाकर उसे शादी का कार्ड देना पड़ा। माया को थोड़ा अजीब लग रहा था, लेकिन उसने इसे एक दोस्ती के नाते किया और सुधीर के घर जाकर उसे कार्ड दिया।
अब शादी के दिन के करीब आते ही सब कुछ और भी ज्यादा खास होने लगा था। माया की सहेलियां, परिवार, और मेहमान सभी शादी की रस्मों में अपने दिल से भाग ले रहे थे। लेकिन, क्या माया का प्यार और यह खुशी हमेशा बनी रहेगी, या फिर कुछ ऐसा होगा जो इस सपने को अधूरा छोड़ देगा?
सुधीर का गुस्सा और दिल टूटने की स्थिति बहुत गहरी थी। माया का शादी का कार्ड देखकर, वह पूरी तरह से भ्रमित और आहत हो गया था। लेकिन जब उसे यह पता चला कि माया ने रुद्र के साथ शादी तय की है, तो उसका दिल टूट गया। उसका गुस्सा और हताशा इस हद तक बढ़ गई थी कि वह रुद्र को मार डालने की धमकी तक दे रहा था।
सुधीर का प्यार माया के लिए इतना अंधा था कि वह किसी भी हद तक जा सकता था, लेकिन एक ओर तरफ, माया के लिए उसका प्यार और सम्मान भी था। वह यह जानता था कि माया की खुशी के लिए वह किसी भी हद तक नहीं जा सकता था, क्योंकि माया को चोट पहुंचाना वह कभी नहीं चाहता था। इसके बावजूद, उसके दिल में रुद्र के प्रति गुस्सा और नफरत के भाव दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे थे।
सुधीर का मानसिक संघर्ष बहुत कठिन था। उसे लगता था कि वह माया के बिना जिंदा नहीं रह सकता, लेकिन माया के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता था, चाहे उसे खुद को कष्ट क्यों न उठाना पड़े। यह अंदरूनी द्वंद्व उसे मानसिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह से तोड़ रहा था। सुधीर ने अपने दिल की सुनने की बजाय गुस्से और नफरत को बढ़ावा दिया था, और यह उसे और भी ज्यादा खतरनाक बना रहा था।
अब, क्या सुधीर अपनी नफरत और गुस्से पर काबू पा पाएगा, या फिर उसका जुनून और पागलपन किसी और की ज़िन्दगी को नष्ट कर देगा?
आज माया के घर में संगीत की रसम है इसमें रुद्र और माया ने अपनी अपनी दोस्ती में टीम बनाई थी उसमें शर्त रखी गई थी कि जो भी जीतेगा वह अपनी प्यार की कहानी बताएगा यानी उनकी लव की शुरुआत कैसे हुई कब हुई यह सारी चीजें बताइएगा जब संगीत शुरू हुई तो पहली बारे में माया की टीम वालों ने गाना गाया लेकिन जब दूसरी बारी आई तो रुद्र को शर्म आने लगी इसलिए वह गाना नहीं गाया इसीलिए रूद्र हार गया तब रुद्र को बताना पड़ेगा कि उनकी कहानी कैसे शुरू हुई थी।
रुद्र ने बताना शुरू किया :=
मैं अपने दोस्त मोनील के घर पर उसकी बर्थडे पार्टी में गया था। मोनील ने अपनी पार्टी में अपने सभी फ्रेंड्स को बुलाया था, जिनमें से माया भी वहां आई थी। माया को पहली बार देखने पर ही मुझे वह बहुत अच्छी लगी। वह बहुत ही खूबसूरत थी, ऐसा लग रहा था कि पार्टी में उसकी खूबसूरती का कोई मुकाबला ही नहीं था। उसने गुलाबी रंग की सारी पहनी हुई थी, उसकी पतली कमर और लंबे काले बाल बहुत आकर्षक लग रहे थे। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें मुझे बहुत भायीं। मैं माया को इतनी देर तक देखता रहा कि मैंने जूस में बर्फ मिलाने के बजाय उस जूस में गलती से सलाद का नमक डाल दिया। जब मैंने उस जूस को पिया तो उसकी खट्टी-मीठी स्वाद ने मेरा पूरा मूड खराब कर दिया।
जब मैं पार्टी से जाने की सोच रहा था, तब मुझे मोनील से पूछना था कि वह लड़की कौन थी, लेकिन मुझे बिना देखे ही किसी से टकरा गया। इस अचानक टकराव से सब गड़बड़ हो गया। वह लड़की हाई हील्स पहने हुए थी और मेरे ऊपर गिर पड़ी। उसके बाल मेरे गालों पर गिर गए थे। जब मैंने उसके बालों को कान के पीछे किया, तो मुझे समझ में आया कि यह वही लड़की है, जिसके बारे में मैं मोनील से पूछने जा रहा था। हमारी आंखें एक-दूसरे से मिल रही थीं और वह जल्दी से उठते हुए मुझसे माफी मांगने लगी। मैंने भी सॉरी कहा। वह फिर से कुछ ढूंढने लगी, तो मैंने पूछा, "आप क्या ढूंढ रही हो?"
वह बोली, "आप से टकराते वक्त शायद मेरा पर्स गिर गया।" मैंने देखा कि पर्स फूलों के नीचे गिरा हुआ था, तो मैंने वह पर्स उठाया और उसे देते हुए कहा, "आप बहुत ही सुंदर हैं।" इस पर वह थोड़ी शरमाई, फिर वह चली गई।
मैंने अपना ध्यान उस पर से हटा और मोनील से पूछ लिया कि वह लड़की कौन थी। मोनील ने मुस्कुराते हुए कहा, "उसका नाम माया है।" मुझे तो जैसे खुशी का ठिकाना नहीं था। फिर मैं माया के पास गया और उसे कहा, "हैलो माया जी, मैं रूद्र हूं।"
माया थोड़ी चौंकी और बोली, "आपको मेरा नाम कैसे पता चला?" तो मैंने हंसी के साथ जवाब दिया, "हम आंखों के जादूगर होते हैं, हम आंखों से ही सब कुछ समझ जाते हैं।" माया की एक दोस्त ने उसे बुलाया, तो माया ने कहा, "रुको, हम बाद में बात करेंगे।"
मुझे यह अच्छा नहीं लगा क्योंकि मैं माया से ठीक से बात नहीं कर पाया था। मैं मोनील से बात कर रहा था, तभी मोनील ने ध्यान दिया कि माया बार-बार मुझे देख रही है। उसे लगा कि शायद माया मुझसे बात करना चाहती है, तो उसने मुझे बताया, "रूद्र, माया तुमसे बात करना चाहती है।"
मैं माया के पास गया, तो उसने पूछा, "हां, आप क्या कर रहे थे?" मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, "आप बड़ी सुंदर हैं।" माया ने बिना सुने कहा, "जी, क्यों नहीं?"
लेकिन तभी माया की दोस्त ने उसे फिर से बुलाया। इस बार मैं माया को जाने से रोकना चाहता था, लेकिन वह नहीं रुकी और चली गई। माया की दोस्त ने बताया, "पापा का फोन आया था, उन्होंने कहा है कि अब घर आ जाओ।" माया घर चली गई।
काफी दिनो के इंतेजर मे मई रोह मोनिल से मिलने जाता की काश काही तो माया मिल जाए हर वक़्त सिर्फ उसका ही ख्याल रहता एक कसमश भरी थी मन मे क्या माया को मे याद भी होंगा वो एक मुलाक़ात के बाद भी ???
रात का सन्नाटा चारों ओर फैला था। माया थकी हुई अपनी किताबें समेटकर बिस्तर पर लेट गई। जैसे ही उसने लाइट बंद की और आंखें मूंदने की कोशिश की, फोन की अचानक बजती रिंगटोन ने उसे चौंका दिया।
स्क्रीन पर एक अनजान नंबर चमक रहा था। माया ने कुछ देर तक सोचा कि फोन उठाए या नहीं। दिल में हल्की घबराहट और उत्सुकता थी। आखिरकार, उसने फोन उठाते हुए कहा, "हेलो, कौन?"
💔 रूद्र और माया की सगाई के पीछे छिपी ये प्यारी शुरुआत क्या वाकई एक खूबसूरत अंजाम तक पहुंचेगी, या सुधीर का जुनून इस प्रेमकहानी को एक त्रासदी में बदल देगा?
📞 रात के सन्नाटे में आए उस अनजान कॉल के पीछे कौन था? क्या यह सुधीर था... या कोई और जो माया और रूद्र की कहानी में एक नया तूफान लाने वाला है?
🕯️ क्या रीतिका, फादर, और आत्मा से जुड़ी कहानी किसी तरह माया की वर्तमान से टकराने वाली है? क्या सभी घटनाएं एक बड़ी कड़ी का हिस्सा हैं?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........