"रांझना  with सफर"- 6

माया को अनजान नंबर से फोन आया माया ने पुछा कौन!??????????

 रूद्र और माया के बीच पहली बार फोन पर बात हो रही थी, माया ने रूद्र से पूछा, "आपको मेरा नंबर कैसे मिला?" रूद्र थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला, "जब आपका पर्स गिरा था, तो मैंने आपके पर्स से फोन निकालकर अपना नंबर डायल कर दिया था, जिसकी वजह से आपका नंबर मेरे फोन में आ गया।"

माया ने हंसी में कहा, "बड़े चालाक हैं आप!"

रूद्र ने फिर पूछा, "क्या माया, हम कल मिल सकते हैं?" माया ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, क्यों नहीं।"

अगले दिन माया ब्लू रंग की साड़ी पहनकर आई, जो रूद्र को बहुत पसंद आई। रूद्र ने माया को एक ऐसे प्राकृतिक स्थल पर ले जाया, जहां सिर्फ वे दोनों अकेले थे। वह जगह बहुत शांत थी और वातावरण बहुत खूबसूरत था। थोड़ी देर बाद, रूद्र ने माया से कहा, "मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं कैसे बोलूं, लेकिन मैं... मैं... मैं..."

माया बीच में बोल पड़ी, "समझ में नहीं आ रहा है, तुम कहना क्या चाहते हो? ऐसे घुमा फिरा के मत कहो, साफ-साफ कहो!"

रूद्र थोड़ा घबराते हुए बोला, "माया, मुझे माफ करना। मैंने अपने दिल को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेरा दिल माना ही नहीं।" माया हैरान होकर बोली, "क्या?"

रूद्र धीरे से बोला, "मैं तुम्हें पसंद करता हूं।" माया ने मुस्कुराते हुए सहमति दी और कहा, "मुझे भी तुमसे कुछ ऐसा ही महसूस होता है।"

इसके बाद दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं। वे रोज मिलने लगे, बातें करने लगे और एक-दूसरे के करीब आते गए। उनका प्यार धीरे-धीरे बढ़ता चला गया और उनकी जिंदगी में एक नई खुशी आई।

कहानी खत्म होने के बाद, माया जब वापस आई, तो सब लोग माया को देखकर मुस्कुराने लगे। माया ने मजाक करते हुए पूछा, "कहानी कैसी लगी?"

एक अनकही दास्ता जो माया और रुद्र अपने आखो से एक दूसरे को कह रहे थे जो सिर्फ उन दोनों को ही पता था ...................

एक शांत से सफ़र पर थे, जब अचानक एक हल्की सी बर्फबारी शुरू हो गई। ठंडी हवाएं उनकी त्वचा को छूने लगीं, लेकिन रुद्र ने माया को अपनी बाहों में लपेट लिया। माया को महसूस हुआ जैसे समय रुक सा गया हो। दोनों के बीच जो दूरी थी, वह हवा में उड़ गई थी, और उनके दिल एक-दूसरे के करीब हो गए थे।

रुद्र ने माया की आँखों में देखा, उसकी आँखों में एक गहरी शांति और सुकून था। वह चुपके से मुस्कुराया, और माया की अंगुली पकड़ते हुए बोला, "तुम्हारी आँखों में जो सुकून है, वो मुझे कहीं और नहीं मिला। तुमसे पहले ऐसा महसूस कभी नहीं हुआ।"

माया ने धीरे से उसकी ओर देखा, और अपने हाथ से उसकी उंगली पकड़ी, "रुद्र, मैं भी तुमसे यही कहने वाली थी। तुमसे मिलने के बाद, मैंने महसूस किया कि इस दुनिया में एक ऐसा कोई है जो मेरी हर बात समझता है, जो मेरी ख़ामोशी को भी सुन सकता है।"

रुद्र ने माया के चेहरे की तरफ झुका और धीरे से उसकी नज़रों में डूबते हुए कहा, "मैं चाहता हूं, हमारे बीच यही नज़दीकी हमेशा रहे। हमेशा के लिए।"

उनकी आँखों में एक नई उम्मीद और प्रेम की झलक थी, जैसे यह पल समय के साथ स्थायी बन जाएगा। माया ने अपनी अंगुली से रुद्र के होंठों पर हल्के से एक निशान छोड़ा, जैसे उनके रिश्ते का यह नया अध्याय इस पल से शुरू हो रहा हो।

उनके बीच जो खामोशी थी, वह शब्दों से कहीं ज्यादा गहरी थी। दोनों का दिल एक-दूसरे के साथ जुड़ा था, जैसे कोई भी ताकत उसे अलग नहीं कर सकती। उनके बीच कोई फासला नही था होठो ने एक दूसरे को प्यार की लहरें धीरे-धीरे चुपके से समुंदर की लहरों की तरह लहराती चली गईं, और वो दोनों उस सर्द रात में एक-दूसरे के प्यार में डूबे रहे।

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सभी ने एक साथ कहा, "किसी ने सोचा नहीं था कि कोई इतना शर्मीला हो सकता है।" फिर सब हंसते हुए आपस मे बात करने लगे।

 

 फिर माया शर्मा गई और वहां से चली गई लेकिन चलते-चलते कहती गई सब खाना खा कर जाना यह भी दिन निकल गया ।

शादी का दिन आ गया इस दिन तो बाकी दोनों दिनों से भी ज्यादा मेहमान आए थे उसमें सुधीर भी आया था क्योंकि उसे जानना था कि आखिर यह रुद्र कौन है????

पंडित जी ने बोला कन्या को बुलाइए शुभ मुहूर्त आ गई है 

शादी का दिन था, और माया मंडप में बैठी थी, उसकी सुंदरता ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया था। वह किसी स्वर्ग की महारानी सी लग रही थी, जो धरती पर उतरी हो। उसकी हर एक अदा, उसकी मुस्कान, और उसकी आँखों की चमक ने जैसे पूरा माहौल रोशन कर दिया था। रूद्र की आँखों में गर्व था, क्योंकि उसे ऐसा साथी मिला था, जो उसे हर तरह से पूरा करता था। माया की सुंदरता का वर्णन करना मुश्किल था, जैसे शब्द भी उस पल की ताकत और गहराई को नहीं पकड़ पा रहे थे।

लेकिन तभी, माया की नज़र सुधीर पर पड़ी, जो शादी के समारोह में शामिल होने आया था। सुधीर के चेहरे पर कुछ अलग सा था, उसकी आंखों में एक गहरी शंका और नफरत का मिश्रण था। जब सुधीर ने रूद्र को देखा, तो वह चौंका। वह जानता था कि रूद्र उसका पुराना दोस्त था, लेकिन आज उसे यह दोस्त अजनबी सा लगा। उसकी आँखों में जलती हुई नफरत थी, और उसे यह समझने में देर नहीं लगी कि रूद्र और माया के बीच कुछ खास था, जो उसकी कल्पनाओं से कहीं बड़ा था।

सुधीर का गुस्सा अब पूरी तरह से बढ़ चुका था। शादी का माहौल, जहां सब खुश थे, वह वहां से जल्दी से चला गया। उसने पहले खाना खाया, फिर गुस्से में घर लौट आया। घर में उसने सब कुछ उलट-पुलट कर दिया, जैसे उसे दुनिया से कुछ भी ठीक नहीं लग रहा हो। उसकी नफरत ने उसे इस कदर नियंत्रित कर लिया था कि उसने अपनी पूरी ज़िंदगी और रिश्तों को बदलने की ठान ली थी। उसने बदला लेने की कसम खाई थी, और उसके मन में रूद्र और माया के लिए जलती हुई नफरत थी।

शादी की विदाई का समय आया, और उस पल ने सबकी आँखों में आंसू भर दिए। माया अपने माता-पिता का घर छोड़ रही थी। वह उनकी लाडली बेटी थी, जिसे देख-देख कर वे बड़े हुए थे। विदाई का हर पल जैसे एक तीर की तरह दिल में चुभता था। माया का दिल भी भारी था, लेकिन उसने रूद्र के साथ अपना नया जीवन शुरू करने का फैसला किया था।

जब माया को विदाई दी गई, तो उसकी आँखों में एक तरह का दुख और उलझन था। वह जानती थी कि यह एक नया अध्याय शुरू करने का वक्त है, लेकिन एक बेटी के लिए अपने माता-पिता का घर छोड़ना हमेशा एक दुखद पल होता है। यह विदाई उनके लिए एक बड़ा बदलाव था, और उसकी माँ-बाप की आँखों में जो आँसू थे, वे किसी भी शब्द से ज्यादा गहरे थे।

विदाई के बाद, माया अपने नए जीवन की शुरुआत करने के लिए रूद्र के साथ ससुराल चली गई, लेकिन सुधीर का गुस्सा और बदला लेने की भावना उसे पीछा करती रही। क्या सुधीर अपनी नफरत को शांत कर पाएगा? क्या माया और रूद्र को किसी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा? यह सवाल अब भी अनुत्तरित था, लेकिन समय के साथ सब कुछ धीरे-धीरे स्पष्ट हो जाएगा।

 

शादी के बाद सारे मेहमान खुशी-खुशी खाना खाकर घर चले गए, और माया अपने नए घर में कदम रख चुकी थी। रूद्र और माया की शादी के बाद की जिंदगी बहुत खूबसूरत थी। उनका प्यार दिन-ब-दिन और गहरा हो रहा था, और हर कोई उनकी जोड़ी की तारीफ करता था। लोग कहते थे, "रब ने बना दी जोड़ी," क्योंकि माया और रूद्र एक-दूसरे के लिए बने थे, यह उनकी आँखों और दिलों से साफ झलकता था।

वहीं, सुधीर के घर में सब कुछ उलझ चुका था। उसकी नफरत और गुस्सा अब उसे अंदर से खा रहे थे। माया की शादी ने उसे पूरी तरह से तोड़ दिया था, और वह आत्महत्या करने की सोचने लगा था। उसने अपनी नस काटने की कोशिश की, लेकिन उसके माता-पिता ने उसे वक्त रहते रोक लिया। वे समझ गए थे कि सुधीर को जितनी जल्दी हो सके, प्यार और सहारे की ज़रूरत थी, नहीं तो वह पूरी तरह टूट जाएगा।

हालांकि, सुधीर का गुस्सा अभी भी कहीं न कहीं उसके दिल में था, लेकिन उसके माता-पिता के प्यार और आशीर्वाद से उसे धीरे-धीरे संभलने का मौका मिला। वह समझ गया था कि नफरत और प्रतिशोध के रास्ते पर चलकर कोई भी इंसान कभी खुश नहीं रह सकता। उसे खुद को माफ करना होगा, और अपना जीवन एक नई दिशा में आगे बढ़ाना होगा।

माया और रूद्र की शादी के बाद उनके जीवन में कई खुशियाँ आईं। उनका प्यार अब पहले से भी ज्यादा मजबूत हो चुका था। वे हमेशा एक-दूसरे का साथ निभाते हुए, अपने रिश्ते को और भी सुंदर बनाते गए। हालांकि सुधीर की कहानी अभी अधूरी थी, लेकिन माया और रूद्र के बीच का प्यार उनके जीवन का सबसे बड़ा सच बन चुका था।

कुछ समय बाद माया गर्भवती हो गई। यह खुशखबरी रुद्र और माया के लिए किसी सपने से कम नहीं थी। रुद्र ने माया का और भी ज्यादा ख्याल रखना शुरू कर दिया। वह माया को समय-समय पर बाग-बगिचों में टहलाने ले जाता, माया जो भी मांगती, उसे पूरा करता। माया को देख-देख कर वह खुश रहता और उसकी खुशियों में भागीदार बनता।

लेकिन जैसे-जैसे गर्भ के नौ महीने पास आने लगे, माया को अचानक पेट में दर्द होने लगा। यह शुरुआत में हल्का था, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता गया, दर्द और बढ़ता गया। डॉक्टर ने माया को अस्पताल जाने की सलाह दी। आठवां महीना चल रहा था, और डॉक्टर ने कहा कि बच्चा कभी भी आ सकता है, इसलिए माया की मां हमेशा उसके पास ही रहती थीं। कुछ दिन बाद माया का दर्द बढ़ गया, और उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। कमरे के बाहर सब घबराए हुए थे, क्योंकि रुद्र पापा बनने वाला था, और वह अपने बच्चे का इंतजार कर रहा था।

तभी एक आवाज आई — एक बच्चे की रोने की आवाज! नर्स बच्चे को लेकर आई और बोली, "बधाई हो, आपको लक्ष्मी हुई है।" रुद्र की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उसने अपनी बेटी को अपनी गोद में लिया, और उस बच्ची ने उसे मुस्कुरा कर देखा। यह उसकी जिंदगी का सबसे प्यारा और अहम पल था। थोड़ी देर बाद, रुद्र माया के पास गया और बोला, "माया, तुमने मुझे सबसे बड़ा गिफ्ट दिया है।" सब खुश थे, और माया की मां को भी अब कोई मनमुटाव नहीं था। सब कुछ बदल चुका था। माया की मां ने अब रुद्र को पूरी तरह से अपनाया और खुशी-खुशी उसे अपना लिया।

कुछ दिनों बाद, माया को अपने घर ले जाया गया। घर को बहुत सुंदर तरीके से सजाया गया था, और यह माया की तरह ही खूबसूरत लग रहा था। सबके चेहरों पर मुस्कान थी, और सभी खुश थे। माया और रुद्र की नई जिंदगी की शुरुआत हुई थी, और अब उनका घर सच में खुशियों से भर गया था।

लेकिन दूसरी तरफ, सुधीर की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। वह पागल हो गया था और लगातार दवाइयों के बावजूद वह किसी को भी मारने की कोशिश करता था। उसका मानसिक संतुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका था, और उसने अपनी नस काटने की कोशिश की। हालात इतने खराब हो गए कि उसे जल्दी से अस्पताल ले जाया गया। सुधीर की मां को यह खबर मिली कि माया को बेटी हुई है, लेकिन सुधीर अब एक जिंदा लाश बन चुका था। वह न तो खुश था, न दुखी, बस अपने ही अंधेरे दुनिया में खो गया था।

माया और उसके परिवार वाले खुशी के साथ मंदिर गए थे। माया की छोटी सी बेटी, अनन्या, खुशियों के बीच हर पल और भी खास होती जा रही थी। जब माया और रुद्र घर वापस आए, तो बच्ची का नाम अनन्या रखा गया। लेकिन कुछ अजीब सा हुआ — अनन्या रोने लगी। माया अनन्या को बाहरी हवा में ले गई, ताकि वह शांत हो जाए। रुद्र, माया के पापा और माया की मां घर को अच्छे से साफ कर रहे थे, जबकि माया अनन्या को चुप करवा रही थी। वह धीरे-धीरे अनन्या को लोरी सुनाने लगी, और उसकी आवाज में एक शांतिपूर्ण ध्वनि थी, जो बच्चे को सुला रही थी।

 

मेरी मुनिया रानी बने

महलों का राजा मिले

देखे खुशियों के मेले

दर्द कभी ना झेले

ले के गोद में सुलाऊँ

गाऊँ रात भर सुनाऊँ

मैं लोरी-लोरी..

 तब जाकर थोड़ी देर बाद अनन्या चुप हो गई ।

यह पल न सिर्फ माया और रुद्र के लिए, बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक नया अध्याय था। अनन्या की किलकारियां और माया के गाने से घर में सुकून और खुशियों की बयार चल रही थी। सब कुछ अब सही रास्ते पर था, और माया और रुद्र की दुनिया में कोई कमी नहीं थी।

 जैसे ही अनन्या चुप हुई, माया ने घर के अंदर का नज़ारा देखा और उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। 

 

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🕯️ आखिर माया ने ऐसा क्या देखा कि उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई? क्या यह कोई डरावना संकेत है या किसी पुराने रहस्य की वापसी?🧿 क्या अनन्या सिर्फ एक आम बच्ची है, या फिर उसके जन्म के साथ कोई अधूरी आत्मा या छिपा अतीत भी घर में लौट आया है?🔥 सुधीर की टूट चुकी मानसिक स्थिति—क्या वह वाकई खत्म हो चुका है, या उसकी कहानी अब एक नए, और भी खतरनाक रूप में लौटेगी? आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........